Ratna । रत्न के फायदे नुकसान पहचान इतिहास और कीमत


माणिक रत्न की जानकारी मोती रत्न की जानकारी मूंगा रत्न की जानकारी
पन्ना रत्न की जानकारी पुखराज रत्न की जानकारी सफ़ेद पुखराज जानकारी
नीलम रत्न की जानकारी गोमेद रत्न की जानकारी लहसुनिया रत्न की जानकारी

Ratna [ रत्न ] – ज्योतिष में महत्व

Free Gemstone Remedy ।  रत्न

रत्न – वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार जातक रत्नों के माध्यम से अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है सही स्टोन को पहनना यह जानने के लिए आपको अपनी कुंडली किसी अनुभवी ज्योतिष आचार्य को दिखाने की ज़रूरत पड़ेगी। उसके बाद ही निश्चित हो पाएगा की आपके लिए कौन सा स्टोन शुभ और कौन सा असुभ है।

उपर दिये लिंक्स में आपको स्टोन की मुफ्त में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी जिसके आधार पर आप काफी कुछ आसानी से जान सकेंगे। जैसे- किस राशि के जातक को कौन सा रत्न पहनना चाहिए? स्टोन को कौन सी स्थिति में धारण करना चाहिए? कौन सा रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए? रत्न किस विधि अनुसार पहनना चाहिए? इन सभी सवालों से जुड़े उत्तर आपको उपर दिये लिंक लेख में आसानी से प्राप्त हो जाएंगे। रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए? रत्न का अर्थ क्या है?



रत्न के बारे में 

इस संसार में पाए जाने वाले सभी स्टोन को बहुमूल्य पत्थर के समान माना जाता है, क्योंकि ये बहुत ज्यादा प्रभावशाली और आकर्षक होते हैं। इन सभी स्टोन का अपना एक विशेष गुण होता है जिसके कारण लोग आभूषणों के निर्माण में और डिजाइनिंग के तौर पर इनका इस्तेमाल करते हैं।ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ये स्टोन जातक के जीवन में होने वाली समस्याओं को कम करने के काम भी आते हैं। स्टोन अपनी दशा में कुछ विशेष गुणवत्ता वाले पत्थरों के भाग होते हैं।

परंतु जब इन्ही भागों को पॉलिश कर दिया जाता है तब ये सभी भाग ( टुकड़े ) बेहद कीमती हो जाते हैं। ज्योतिषीय मतानुसार सभी स्टोन में देवताओं की शक्ति का वास होता है, इसी कारण जब जातक स्टोन धारण करता है तब उसके जीवन में सरलता ( कठिनाइयां दूर होती हैं ) आती है। ऐसा भी माना जाता है की घर की शांति के लिए भी स्टोन का उपयोग किया जाता है।  


ज्योतिष के अनुसार रत्नों का महत्व

ज्योतिष के अनुसार स्टोन का जातक के जीवन में बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है। जातक को अपने जीवन में ग्रहों के दुष्प्रभावों से बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में जातक के जीवन में और घर की शांति के लिए बहुत से उपाय बताए गए हैं, जैसे अगर देखा जाए तो एक उपाय यह है की जातक के जीवन में होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए राशि स्टोन धारण करना। [ रत्नों का परिचय ]

ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचने के लिए स्टोन धारण करना बेहद जरूरी माना जाता है। इन्हे धारण करने से जातक के जीवन में सुख शांति उत्पन्न होती है। जैसे सभी राशियों का स्वभाव अलग-अलग होता है ठीक उसी प्रकार स्टोन का भी 12 राशियों पर प्रभाव अलग-अलग होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन-कौन से स्टोन किस ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। [ रत्न सूची और सभी रत्नों के नाम ] 

            नवग्रह         संबंधित रत्न
            सूर्य         माणिक
            चंद्र        मोती 
            मंगल         मूंगा 
            बुध        पन्ना 
      गुरु ( बृहस्पति )          पुखराज 
            शुक्र        हीरा
          शनि        नीलम 
            राहु        गोमेद
            केतु      लहसुनिया

राशि रत्नों की आवश्यकता 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से जातक की जन्म कुंडली में जन्म के समय स्थित ग्रहों और नक्षत्रों के मिलन से जो स्थिति उत्पन्न होती है उसे राशि कहते हैं। इसी कारणवश जातकों की राशियां अलग-अलग होती है और सभी राशियों का गुणधर्म दूसरी राशियों से भी अलग ( भिन्न ) होता है। ठीक इसी प्रकार स्टोन में भी होता है क्योंकि स्टोन राशि के अनुसार सभी जातकों के लिए अलग-अलग शुभ माने जाते हैं और सभी स्टोन एक दूसरे स्टोन से बहुत अलग ( भिन्न ) होते हैं।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इसीलिए कहा गया है की यदि जातक अपनी राशि के अनुसार स्टोन धारण नही करता है तो उसे स्टोन (के दुष्प्रभावो को सहना पड़ेगा। यदि देखा जाए तो राशि स्टोन के माध्यम से जातक को अपनी राशि से संबंधित स्टोन ही धारण करना चाहिए जिससे आपको स्टोन के बुरे प्रभाव न सहने पड़ें। 


[ नोट- सभी पाठकों से अनुरोध है की जब भी आप किसी राशि स्टोन को धारण करें तो उससे पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श अवश्य लें। ] 


जन्म कुंडली से संबंधित रत्न 

लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशमंगलमूंगा
मेष पंचमेशसूर्यमाणिक
नवमेशगुरुपुखराज
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशशुक्र  हीरा 
वृषभ पंचमेशबुधपन्ना
नवमेशशनिनीलम
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशबुधपन्ना 
मिथुन पंचमेशशुक्र हीरा
नवमेशशनिनीलम
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशचन्द्रमोती
कर्क पंचमेशमंगल मूंगा
नवमेशगुरुपुखराज
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशसूर्यमाणिक
सिंहपंचमेशगुरुपुखराज 
नवमेशमंगलमूंगा
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशबुधपन्ना
कन्यापंचमेशशनिनीलम 
नवमेशशुक्रहीरा
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशशुक्रहीरा
तुला पंचमेशशनिनीलम 
नवमेशबुधपन्ना
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशमंगलमूंगा
वृश्चिकपंचमेशगुरुपुखराज 
नवमेशचन्द्रमोती
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशगुरुपुखराज
धनुपंचमेशमंगलमूंगा
नवमेशसूर्यमाणिक
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशशनिनीलम
मकरपंचमेशशुक्रहीरा
नवमेशबुधपन्ना
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशशनिनीलम
कुम्भपंचमेशबुधपन्ना
नवमेशशुक्रहीरा
लग्न राशि भाव स्वामी ग्रह रत्न 
लग्नेशगुरुपुखराज
मीनपंचमेशचन्द्रमोती
नवमेशमंगलहीरा

रत्नों का इतिहास

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यदि स्टोन का इतिहास देखें तो अग्नि पुराण में इसका बखान किया गया है। इस पुराण में बताया गया है कि महाबली राक्षस वृत्रासुर ने जब देवताओं पर प्रहार किया तब सभी देवता उसके डर से भगवान विष्णु की शरण में चले गए और भगवान विष्णु से बचने की गुहार लगाने लगे तब भगवान ने उस राक्षस से बचने के लिए एक वज्र बनाने की राय दी।

भगवान की राय सुनकर देव लोक के देवता इन्द्र ने महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बनाने के लिए उनकी हड्डियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने यह बात सुनकर अपनी हड्डियां दान में दे दी जिससे देवताओं ने एक वज्र तैयार किया और उस महाबली राक्षस वृत्रासुर का वध किया। इस पौराणिक कथा में बताया गया है कि वज्र बनाते समय महर्षि दधीचि कि कुछ हड्डियां पृथ्वी पर गिरी जहां-जहां हड्डियां गिरी वहाँ-वहाँ स्टोन की खाने पाई गई हैं। 

ऐसे ही एक और पौराणिक कथा के माध्यम से हमें पता चलता है कि जब समुद्र मंथन के समय अमृत की उत्पत्ति हुई, तब उसी दौरान असुरों और देवताओं के बीच झगड़ा होने लगा और असुर चाहते थे कि यह अमृत मुझे मिल जाए तथा देवता चाहते थे यह अमृत मुझे मिल जाए यदि यह अमृत असुरों को मिल गया तो ये दुनिया में तबाही मचा देंगे इस कारण उन दोनों में छीना-छपटी होने लगी जिससे अमृत कि कुछ बुँदे धरती पर गिर गई और जहां पर भी अमृत कि बूंद गिरी वहाँ स्टोन कि खाने उत्पन्न हुईं। 


रत्नों के भेद ( प्रकार )

नवरत्न

यदि भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो हमें स्टोन तीन प्रकार के प्राप्त होते हैं। जिनमें से पहला खनिज स्टोन कहा जाता है, क्योंकि यह खदानों से प्राप्त किया जाता है। दूसरा जैविक स्टोन कहा जाता है क्योंकि यह स्टोन समुद्र द्वारा प्राप्त होता है, और तीसरे को वानस्पतिक स्टोन कहा जाता है क्योंकि यह स्टोन जमीन में उगने वाले पेड़ पौधों से प्राप्त होता है।

वैसे अगर प्राचीन ग्रंथों के माध्यम से देखा जाए तो लगभग उच्च कोटि के 84 रत्न होते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता रहा वैसे-वैसे ही नए-नए स्टोनों की खोज हुई है। वैदिक ज्योतिष के माध्यम से स्टोन ज्योतिष में लगभग नौ स्टोन होते हैं, इसके अलावा अन्य कई स्टोन भी पाए जाते हैं। ज्योतिष में नीलम, माणिक, पन्ना, लहसुनिया, गोमेद, पुखराज, हीरा, मोती और मूंगा नवरत्न माने जाते हैं। 


रत्न धारण करने की विधि 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से स्टोन का वास्तविक लाभ पाने के लिए स्टोन को विधि पूर्वक धारण करना चाहिए। यदि स्टोन जातक की कुंडली में स्थित ग्रह से संबंधित है तब स्टोन विशेष विधि पूर्वक धारण करना चाहिए। जैसे की आप राहु ग्रह से संबंधित स्टोन धारण करते हैं तो राहु ग्रह की आराधना, शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, पूजा और मंत्र का जाप विधि अनुसार ही करना चाहिए तभी आपको स्टोन का वास्तविक लाभ मिल पाएगा।

जातक को स्टोन के अनुसार धातु के बारे में जानना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि जब स्टोन सही धातु में पहना जाएगा तभी उसके लाभ होते हैं। यदि आप किसी स्टोन को धारण करना चाहते हैं और आपको उस स्टोन धारण करने की विधि पता नहीं है तो आप अपने किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से अवश्य पूछ लें ताकि आपको स्टोन के दुष्प्रभाव न सहने पड़ें।  


रत्नों के फायदे ( लाभ ) 

इस ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सभी स्टोन के कुछ न कुछ फायदे और नुकसान होते हैं,परंतु जातक स्टोन को सिर्फ किसी विशेष परेशानी को दूर करने और फ़ायदों के लिए धारण करता है। जब जातक किसी भी स्टोन को विधि पूर्वक धारण करता है तो उसे स्टोन के फायदे प्राप्त होते हैं। जो कुछ इस प्रकार हैं- 

  • स्टोन (Gemstone) को जीवन में सुख शांति के लिए पहना जाता है। 
  • स्टोन के माध्यम से जातक को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है। 
  • स्टोन के प्रभाव से जातक के जीवन में शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
  • स्टोन के माध्यम से जातक की कुंडली में स्थित ग्रहों को मजबूती प्राप्त होती है। 
  • स्टोन के माध्यम जातक को आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। 
  • स्टोन के माध्यम से जातक के जीवन में नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।  
  • स्टोन जातक के जीवन में वैभव और अत्यधिक संपन्नता लेकर आये है। 
  • स्टोन के प्रभाव से जातक को जीवन में होने वाली बीमारियों से मुक्ति मिलती है। 
  • हीरा जातक के वैवाहिक जीवन की खुशियों में वृद्धि करता है। 
  • माणिक के शुभ प्रभाव से जातक को समाज में सम्मान की प्राप्ति और शासन के कार्य में उच्च पद की प्राप्ति होती है। 
  • पुखराज के माध्यम से जातक को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। 
  • मोती के प्रभाव से जातक अचंचल ( एक ही विषय पर कार्य करने वाला ) होता है। 
  • मूंगा के शुभ प्रभाव से जातक आत्मनिर्भर और साहसी होता है। 
  • नीलम के माध्यम से जातक को अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। 
  • पन्ना धारण करने से जातक को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है। 

रत्नों के नुकसान । रत्नों से हानि

इस दुनिया में पाए जाने वाले सभी स्टोनों के लाभ और हानि होते है परंतु स्टोन यदि सही विधि अनुसार न पहना जाए तो जातक को जीवन में कई परेशानियों से दो चार होना पड़ सकता है इसके लिए जातक को सलाह दी जाती है जब भी किसी स्टोन को धारण करें उससे पहले किसी अनुभवी ज्योतिष आचार्य से अपनी कुंडली दिखवा लें और कुंडली अनुसार बताए गए स्टोन को धारण करें अन्यथा आपको नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।

  • मर्जी अनुसार स्टोन पहनने पर स्वास्थ्य जीवन में दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं।
  • कुंडली के अनुसार और सही परामर्श से स्टोन न पहनने पर आर्थिक संकट उत्पन्न होने का खतरा होता है।
  • सस्ते और बाजार में बिकने वाले रत्नों से खुद को दूर रखें अन्यथा पारिवारिक जीवन में परेशानियों को बुला सकते हैं।
  • गलत स्टोन पहनने से व्यापार में गिरावट हो सकती है।
  • राशि अनुसार स्टोन न पहनने पर वैवाहिक और प्रेम जीवन में सबसे अधिक संकट आता है।

रत्नों से साबधानियाँ

जातक को स्टोन प्राचीन समय से अपनी ओर प्रभावित ( आकर्षित ) करते रहे हैं। प्राचीन काल में थोड़ा कम परंतु आज के समय में जातक स्टोन का प्रयोग आभूषणों, सर ताज, घर की सोभा बढ़ाने से लेकर आदि सभी जगह अत्यधिक मात्रा में करने लगा है। वैदिक ज्योतिष के द्वारा बताए गए उपायों से भी जातकों को स्टोन से कई फायदे मिलते हैं। लेकिन यदि स्टोन जातक के लिए शुभ नहीं होता है तो जातक को इसके दुष्प्रभाव प्राप्त होते हैं।

जब जातक के सामने ऐसी स्थिति आती है तब जातक को बहुत कठिन दौर से गुजरना पड़ता है। जातक के लिए जो स्टोन अनुकूल नहीं होता है तब वह जातक को मानसिक, शारीरिक, कार्यक्षेत्र से जुड़ी परेशानियाँ देता है। किसी भी जातक को स्टोन अपनी मर्जी अनुसार धारण नहीं करना चाहिए। 


नोट– स्टोन किसे नहीं पहनना चाहिए और किसे पहनना चाहिए इसके लिए किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेना बेहद जरूरी होता है।