राशि रत्न- ग्रह रत्न के नाम, लाभ, प्रभाव और धारण विधि

राशि रत्न क्या है 

राशि रत्न

ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का बहुत महत्व होता है और इन्हें राशि रत्न या नवरत्नों के नाम से भी जाना जाता है। राशि रत्न की चुनौती आपकी जन्म तिथि, समय और जन्म स्थान के आधार पर की जाती है। इसके अलावा, ज्योतिष ग्रंथों में राशि रत्नों को दिए गए विभिन्न गुणों, विशेषताओं और समस्याओं के लिए भी उपयोग किया जाता है।

कृपया ध्यान दें कि राशि रत्न की जानकारी केवल शास्त्रों के अनुसार होती है और इसे आपकी आध्यात्मिक अनुभव और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर भी चुना जा सकता है।  




ज्योतिष और राशि रत्न 

ज्योतिष में राशि रत्न

ज्योतिष एक विज्ञान है जो खगोल गणित, भौतिक विज्ञान और आंतरिक ज्ञान का अध्ययन करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के आकार और दूरी, स्थिति और गति व्यक्ति के भविष्य के बारे में बताते हैं। ज्योतिष के अनुसार, आकाश में नौ ग्रह होते हैं – सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु। 

राशि रत्न उन रत्नों को कहते हैं जो किसी व्यक्ति की जन्म राशि से जुड़े होते हैं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उस व्यक्ति को लाभ प्रदान करते हैं। राशि रत्न का चयन जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान के आधार पर किया जाता है। 

यह रत्न शामिल होते हैं माणिक, पुखराज, मूंगा, मोती, मूंगी, पन्ना, नीलम, लहसुनिया आदि। ज्योतिष और राशि रत्न के बारे में विभिन्न विचार होते हैं। कुछ लोग इनका उपयोग अपनी भविष्यवाणी में करते हैं, जबकि कुछ लोग इनका उपयोग धन, स्वास्थ्य और संबंधों में सफलता हांसील करते हैं। राशि रत्नों को भी ज्योतिष शास्त्र के अलावा अन्य शास्त्रों जैसे ज्योतिष्मती, आयुर्वेद, रत्न शास्त्र, और अन्य विद्याओं में भी उपयोग किया जाता है। 

इन रत्नों को विशेष विधि के अनुसार शुद्धिकरण किया जाता है और उन्हें विशेष विधियों से धारण किया जाता है ताकि उनकी ऊर्जा सीधे उपयोगकर्ता को पहुंचे। समाज में राशि रत्नों का उपयोग विस्तार से किया जाता है। ये रत्न आकर्षक होते हैं और व्यक्ति को खूबसूरत बनाने में मदद करते हैं। इनके अलावा, इन्हें उपहार के रूप में भी दिया जाता है और कुछ लोग इन्हें प्रयोग रूप में भी लेते हैं।


क्यों धारण करें राशि रत्न

राशि रत्न धारण करने के पीछे कई कारण होते हैं। यह एक वैदिक विधि है और इसमें मान्यताओं के अनुसार धातुओं और रत्नों के विभिन्न गुणों का प्रभाव होता है। ज्योतिष के अनुसार, राशि रत्न धारण करने से व्यक्ति के जीवन में कुछ लाभ हो सकते हैं। इन रत्नों के अलग-अलग गुण होते हैं जैसे शांति, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, रोग निवारण, संतुलित मनोवृत्ति, अच्छी नींद, और अधिक उत्साह आदि। इसके अलावा, ज्योतिष विद्या में विशिष्ट रत्न किसी विशेष ग्रह या राशि के लिए शुभ माने जाते हैं और उन्हें धारण करने से ग्रह की दशा और अवस्था पर भी असर पड़ सकता है। 

यह ग्रहों की शांति और संतुलन को बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें अशुभ प्रभाव से बचाता है। धातु रत्नों का उपयोग भी कुछ लोग विभिन्न समस्याओं जैसे कि वजन घटाने, मधुमेह, अल्सर, खून की कमी आदि के इलाज में करते हैं। अंततः, राशि रत्न धारण करने के पीछे एक आस्था भी होती है। कुछ लोगों के अनुभव के अनुसार रत्न धारण करने से उन्हें अधिक उत्साह और सकारात्मकता मिलती है जो उनके जीवन को संतुलित बनाने में मदद करती है। हालांकि, राशि रत्न धारण करने से संबंधित कुछ संदेह भी हैं। 

कुछ लोगों के अनुभव के अनुसार ये रत्न अपने असली मूल्य से ज्यादा कीमत में बेचे जाते हैं और धोखे से दिए जाते हैं। इसलिए, रत्न की गुणवत्ता की जाँच करने के लिए एक विशेषज्ञ या संबंधित व्यक्ति से परामर्श लेना बेहतर हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों को इन रत्नों की धारणा से कोई फर्क नहीं पड़ता है और उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए, रत्नों की धारणा से पहले इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना बेहतर होता है।


राशि रत्नों के नाम । राशि रत्न के लाभ   

वैदिक ज्योतिष में, 12 राशियों के अलग-अलग रत्न होते हैं और उनके धारण से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहां इन रत्नों के नाम और उनकी राशि के बारे में बताया गया है:

  1. मेष राशि (Aries): मेष राशि के लोगों के लिए मूंगा रत्न शुभ रहता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह मंगल हैं। इसे पहनने से उन्हें अधिक शक्ति मिलती है और उनकी सेहत भी अच्छी रहती है।
  2. वृषभ राशि (Taurus): वृषभ राशि के लोगों के लिए हीरा रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं। इसे पहनने से उन्हें सफलता और धन की प्राप्ति होती है।
  3. मिथुन राशि (Gemini): मिथुन राशि के लोगों के लिए पन्ना रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह बुध होते हैं। इसे पहनने से उन्हें बुद्धि का विकास होता है और उनकी धनवान बनने की संभावना बढ़ती है।
  4. कर्क राशि (Cancer): कर्क राशि के लोगों के लिए मोती रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह चन्द्र होते है। इसे पहनने से उन्हें सुख और समृद्धि मिलती है।
  5. सिंह राशि (Leo): सिंह राशि के लोगों के लिए माणिक शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह सूर्य होते हैं। इसे पहनने से उन्हें स्वास्थ्य, धन और सफलता मिलती है।
  6. कन्या राशि (Virgo): कन्या राशि के लोगों के लिए पन्ना रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह बुध होते हैं। इसे पहनने से उन्हें अधिक बुद्धि व विवेक और नैतिकता मिलती है।
  7. तुला राशि (Libra): तुला राशि के लोगों के लिए हीरा शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह शुक्र होते हैं। इसे पहनने से उन्हें बुद्धि का विकास, समृद्धि और आनंद मिलता है।
  8. वृश्चिक राशि (Scorpio): वृश्चिक राशि के लोगों के लिए मूंगा रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह मंगल होते हैं। इसे पहनने से उन्हें शक्ति, सामर्थ्य और सफलता मिलती है।
  9. धनु राशि (Sagittarius): धनु राशि के लोगों के लिए पुखराज रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह गुरु हैं। इसे पहनने से उन्हें सफलता, धन और स्वस्थता मिलती है।
  10. मकर राशि (Capricorn): मकर राशि के लोगों के लिए नीलम रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह शनि हैं। इसे पहनने से उन्हें सफलता, शक्ति और स्थिरता मिलती है।
  11. कुंभ राशि (Aquarius): कुंभ राशि के लोगों के लिए नीलम रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह शनि हैं। इसे पहनने से उन्हें सफलता, शक्ति और स्थिरता मिलती है।
  12. मीन राशि (Pisces): मीन राशि के लोगों के लिए पुखराज रत्न शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके स्वामी ग्रह गुरु हैं। इसे पहनने से उन्हें बुद्धि का विकास, सफलता और शांति मिलती है।

ज्योतिष के अनुसार धारण किये गए रत्न का चुनाव जन्मतिथि और कुंडली के आधार पर किया जाता है। कुछ ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार राशि रत्न आपकी राशि के अनुसार ही होते हैं जबकि अनुभवी ज्योतिष के अनुसार रत्न का चयन आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं के आधार पर किया जाना चाहिए। अन्यथा उस रत्न से आपको जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 


राशि रत्न का महत्व 

राशि रत्नों का महत्व वैदिक ज्योतिष में बहुत ही अधिक माना जाता है। रत्न एक ऐसा उपकरण है जो व्यक्ति की भाग्यशाली और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। राशि रत्नों के धारण से व्यक्ति को आर्थिक, स्वास्थ्य, पारिवारिक और भौतिक सुख में सकारात्मक परिवर्तन महसूस होते हैं। रत्न व्यक्ति की रुचि, स्वभाव और भाग्य में भी प्रभाव डालता है। यह अधिकतर उस ग्रह से संबंधित होता है जिसके लिए वह रत्न धारण किया जाता है। 

इसके अलावा, रत्न व्यक्ति की मानसिक ताकत को भी बढ़ाता है और उसकी मनोदशा को स्थिर रखने में मदद करता है। ज्योतिष के अनुसार, रत्नों का चयन संयुक्त ग्रहों के स्थान, उनकी दशा और आपकी जन्म तिथि आदि के आधार पर किया जाता है। इन रत्नों के धारण से व्यक्ति की राशि के स्वामी ग्रह को बल मिलता है और वह शुभ फल प्रदान करते हैं।


राशि रत्न को कैसे धारण करें । राशि रत्न धारण विधि  

राशि रत्न धारण करने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:

  1. पहले तो आपको इस बात का निर्णय लेना होगा कि आपकी राशि क्या है। इसके लिए आप वेबसाइट या ज्योतिषी से पूछकर जान सकते हैं।
  2. अगला कदम यह होगा कि आप जानें कि आपके लिए कौन सा रत्न सबसे उपयुक्त है। आप इसके लिए एक अच्छे ज्योतिषी की सलाह ले सकते हैं। ज्योतिषी आपकी कुंडली के आधार पर आपके लिए सबसे उपयुक्त रत्न का चयन करेंगे।
  3. अगर आपके पास अपने रत्न का चयन करने के लिए अपनी कुंडली नहीं है, तो आप उस रत्न को चुन सकते हैं जो आपकी राशि और नक्षत्र के अनुसार सबसे उपयुक्त हो।
  4. एक बार जब आप रत्न का चयन कर लेते हैं, तो आपको उसे सम्मलित करने के लिए अपने दाहिने हाथ की अंगूठी में धारण करना होगा। ध्यान रखें कि रत्न की अंगूठी बहुत टाइट नहीं होनी चाहिए, और वह आपकी अंगूठी में सुखद लगना चाहिए।
  1. रत्न को धारण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके अंगूठे की आकार ठीक हो, अन्यथा यह आपके अंगूठे से फिसल सकता है या उतर सकता है।
  2. रत्न को धारण करते समय यह भी ध्यान रखें कि आपके अंगूठे पर कोई दाग नहीं होना चाहिए, वरना रत्न की चमक कम हो सकती है।
  3. रत्न को धारण करते समय ध्यान रखें कि आपकी अंगूठी स्पष्ट हो और अनुचित ढंग से बांधी न हो।
  4. रत्न को धारण करते समय ध्यान रखें कि आपके अंगूठे के चारों ओर रत्न के लिए स्थान उपलब्ध हो, जिससे वह समीक्षात्मक ढंग से दिखे।
  5. आपको रत्न को धारण करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आप उसे नियमित रूप से साफ करते रहें, ताकि उसकी चमक बरकरार रहे। आप इसके लिए गुलाब जल या शुद्ध पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  6. आपको अपने रत्न की धारण को नियमित रूप से जांचते रहना चाहिए। अगर रत्न में कोई दोष होता है या उसकी चमक कम होती है। 

ग्रह रत्न । ग्रह रत्न लाभ

ग्रह रत्न

ग्रह रत्न ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ग्रहों को हिंदू धर्म में पौराणिक कथाओं में देवताओं के रूप में दर्शाया जाता है। इन देवताओं की शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने के लिए ग्रह रत्नों का उपयोग किया जाता है। ग्रह रत्न का उपयोग व्यक्ति को ज्योतिष द्वारा बताए गए ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने या कम करने के लिए किया जाता है।

ये रत्न अलग-अलग ग्रहों के लिए होते हैं और इनका उपयोग व्यक्ति के जन्म कुंडली के अनुसार किया जाता है। जो ग्रहों के अनुसार रत्न कुछ इस प्रकार है।

सूर्य ग्रह का रत्न 

सूर्य का रत्न माणिक्य होता है। सूर्य ग्रह का स्वामित्व सिंह राशि पर होता है और इसे सोने के बराबर लाल रंग से जोड़ा जाता है। माणिक्य का रत्न सूर्य ग्रह की शुभता को बढ़ाता है और इसे धारण करने से स्वास्थ्य, स्वाभिमान, आत्मविश्वास, सफलता, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य दोष से पीड़ित जातकों को माणिक्य रत्न धारण करने से लाभ होता है।

चन्द्र ग्रह का रत्न

चंद्र का रत्न मोती होता है। चंद्र ग्रह का स्वामित्व कर्क राशि पर होता है और इसे चांदी के बराबर पर्ल रंग से जोड़ा जाता है। मोती रत्न चंद्र ग्रह की शुभता को बढ़ाता है और इसे धारण करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, संतान प्राप्ति में मदद मिलती है और शरीर को शक्ति देता है। चंद्र दोष से पीड़ित जातकों को मोती रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।

मंगल ग्रह का रत्न 

मंगल का रत्न मूंगा होता है। मंगल ग्रह का स्वामित्व मेष राशि और वृश्चिक राशि पर होता है और इस ग्रह को सामान्यतः लाल रंग से जोड़ा जाता है। मूंगे का रत्न अन्तर्दृष्टि को बढ़ावा देता है और मानसिक शांति व संतुलन को बढ़ाता है। मंगल दोष से ग्रस्त जातकों को मूंगे का रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।

बुध ग्रह का रत्न 

बुध ग्रह का रत्न पन्ना होता है। बुध ग्रह का स्वामित्व मिथुन और कन्या राशि पर होता है और इसे हरे रंग से जोड़ा जाता है। पन्ना रत्न बुध ग्रह की शुभता को बढ़ाता है और इसे धारण करने से बुद्धि, बोलचाल, बुद्धि शक्ति, आवाज, धन लाभ और सफलता मिलती है। बुध दोष से पीड़ित जातकों को पन्ना रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।

गुरु ग्रह का रत्न 

गुरु ग्रह का रत्न पुखराज या येलो स्टोन होता है। गुरु ग्रह का स्वामित्व धनु और मीन राशि पर होता है और इसे पीले या सफेद रंग से जोड़ा जाता है। पुखराज रत्न गुरु ग्रह की शुभता को बढ़ाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति में बुद्धि, धन लाभ, सफलता, शोभा, विदेश यात्रा आदि के योग बढ़ते हैं। इसके अलावा, यह रत्न मन की शांति लाने में मदद करता है और मन में ऊर्जा को बढ़ाता है। गुरु ग्रह से पीड़ित जातकों को पुखराज रत्न धारण करने से लाभ होता है।

शुक्र ग्रह का रत्न 

शुक्र ग्रह का रत्न होता है हीरा यानी डायमंड। हीरे को वैदुर्य या सफेद रत्न भी कहते हैं। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि पर स्वामित्व रखता है। शुक्र ग्रह के विषय में जाना जाता है कि यह सौंदर्य, प्रेम, रोमांस, कला, संगीत और सामाजिक सुख का कारक होता है। हीरे का धारण शुक्र ग्रह की शुभता को बढ़ाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में संतुष्टि, आर्थिक वृद्धि, प्रेम और वैभव के योग बढ़ते हैं। हीरा रत्न समृद्धि एवं आर्थिक वृद्धि के लिए भी धारण किया जाता है।

शनि ग्रह का रत्न 

शनि ग्रह का रत्न है नीलम होता है। शनि ग्रह का स्वामित्व मकर और कुंभ राशि पर होता है। शनि ग्रह के विषय में जाना जाता है कि यह कर्म और धर्म का कारक होता है और इसे धारण करने से व्यक्ति को धैर्य, निर्णय लेने की क्षमता, दैवी आशीर्वाद, आध्यात्मिक उन्नति, समझदारी और संतुलित जीवन मिलता है। साफिर रत्न अपने गहरे नीले रंग के लिए जाना जाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सम्मान, शांति, समझदारी और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

राहु ग्रह का रत्न

राहु ग्रह के लिए गोमेद रत्न का उपयोग किया जाता है। गोमेद रत्न राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और उसके शुभ गुणों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यदि राहु ग्रह अशुभ स्थिति में हो और उसका प्रभाव जातक को पीड़ा दे रहा हो, तो हीरा रत्न की प्राप्ति आराम और सुख के साथ आध्यात्मिक विकास को बढ़ा सकती है। हालांकि, रत्न का चयन और धारण करने के लिए आपको अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण करने के लिए प्रोफेशनल ज्योतिषी से सलाह लेना चाहिए।

केतु ग्रह का रत्न

केतु ग्रह के लिए लहसुनिया (Cats Eye) रत्न का उपयोग किया जाता है। लहसुनिया रत्न को केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और शुभता को बढ़ाने के लिए ज्योतिष में उपयोग किया जाता है। यह रत्न धारण करने से केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को नष्ट कर सकते हैं और आध्यात्मिक विकास, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता, और उच्चतम बनने में मदद कर सकते हैं।