नवग्रह चालीसा एवं आरती के लाभ

श्री नवग्रह चालीसा | Shree Navgrah chalisa

नवग्रह चालीसा

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि जातक की जन्म कुंडली में नवग्रहों के अशुभ प्रभाव हो रहे हैं और समस्याएँ बढ़ रही हैं तो ऐसे में जातक को नवग्रह शांति का पाठ करने की सलाह दी जाती है, परंतु आज के समय में जातक के पास इतना समय नही है की वह अपने कार्यों को छोड़कर इतना समय निकाले की नवग्रह शांति का पाठ करें। इसी कारण ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह मंत्र या नवग्रह स्त्रोत का पाठ करने की बात कही गई है। परंतु हम आपको श्री नवग्रह चालीसा का पाठ करने की सलाह दे रहे हैं जिसे नवग्रह शांति का सबसे उत्तम और महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। 

ज्योतिषीय मतानुसार यदि जातक नवग्रह चालीसा का पाठ करने की शुरुआत करता है तो उसे किसी शुभ दिन से करने की आवश्यकता होगी जैसे- पूर्णिमा के दिन, शुक्ल पक्ष के किसी शुभ दिन आदि। जब नवग्रह चालीसा की शुरुआत करे तो उससे पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर सही तरह से देखकर पूर्व दिशा में मुख करके बैठें और नवग्रहों के नाम से 9 दीपक जलाएँ फिर श्री नवग्रह चालीसा का प्रारम्भ करें।

मान्यताओं के अनुसार अगर नवग्रह चालीसा का पाठ 3 महीने तक लगातार उच्चारण किया जाए तो इससे इच्छानुसार फलों की प्राप्ति होती है। श्री नवग्रह चालीसा के सकारात्मक प्रभाव से जातक के जीवन में आने वाली सभी रुकावटों, दिक्कतों से छुटकारा मिलता है। जिससे जातक के जीवन में सब कुशलमंगल होने लगता है। ( नवग्रह चालीसा के लाभ )  


चौपाई

श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय।

नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय।।

जय जय रवि शशि सोम बुध जय गुरु भृगु शनि राज।

जयति राहु अरु केतु ग्रह करहुं अनुग्रह आज।।


सूर्य स्तुति  

प्रथमही रवि कहं नावों माथा, करहु कृपा जन जानि अनाथा ।

हे आदित्य दिवाकर भानु, मै मति मन्द महा अज्ञानु ॥ 

अब निज जन कहं हरहु क्लेशा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।

नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ ओघ पक्षमाकर ॥


चन्द्र स्तुति

शशि मयंक रजनी पति स्वामी, चंद्र कलानिधि नमो नमामि ।

राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहु कलेशा ॥

सोम इंदु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर ।

तुम्ही शोभित सुंदर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहु कलेशा ॥


मंगल स्तुति

जय जय मंगल सुखा दाता, लोहित भौमादिक विख्याता ।

अंगारक कुंज रुज ऋणहारि, करहु दया यही विनय हमारी ॥

हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांगा जय जन अघनाशी ।

अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै ॥


बुध स्तुति

जय शशि नंदन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।

दीजै बुद्धिबल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरी करी कल्याणा ॥

हे तारासुत! रोहिणी नंदन! चंद्र सुवन दु:ख द्वंद निकन्दन ।

पूजहु आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामि ॥


बृहस्पति स्तुति  

जयति जयति जय श्री गुरु देवा, करहु सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।

देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्या दानी ॥

वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।

विद्या सिन्धु अंगीरा नामा, करहु सकल विधि पूरण कामा ॥


शुक्र स्तुति

शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरंतर ध्यान लगाता ।

हे उशना भार्गव भृगु नंदन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ॥

भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहु नैष्ट ग्रह करहु सुखारी ।

तुही द्विजवर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुम्हीं राजा ॥


शनि स्तुति  

जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।

पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा ॥

वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।

ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला ॥


राहु स्तुति  

जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।

रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ॥

सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा ।

यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु ॥


केतु स्तुति  

जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी ।

ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला ॥

शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना ।

वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी ॥


नवग्रह शांति  

तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा ।

ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ॥

नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू ।

जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै ॥


दोहा  

धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार ।

चित नव मंगल मोद गृह जगत जनन सुखद्वार ॥

यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास ।

पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास ॥


नवग्रह चालीसा के फायदे | Benefits Of Navgrah Chalisa 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौर्यमंडल में पाए जाने वाले नवग्रह जो जातक के जीवन में अच्छे बुरा का फैसला करते हैं। मान्यताओं के अनुसार जातक के जीवन में अच्छाई और बुराई को ग्रहों की चाल के अनुसार बताया गया है, जिससे जातक के भविष्य का भी पता लगाया जा सकता है।

इसी के साथ अगर आप अपने जीवन में सब अच्छा करना चाहते हैं और अपनी कुंडली में नवग्रहों को शांत और मजबूत बनाना चाहते हैं तो नवग्रह चालीसा का पाठ करें। जो आपको अनगिनत लाभ दे सकता है जैसे- 

  • नवग्रह चालीसा का नियमित रूप से उच्चारण करने से होने वाली समस्याएँ कम होती हैं। 
  • नवग्रह चालीसा का पाठ करने से आपकी कुंडली में सभी ग्रह अच्छा परिणाम देते हैं। 
  • नवग्रह चालीसा का उच्चारण करने से जातक के जीवन में आने वाले संकटों से निकालने में मदद करता है।
  • नवग्रह चालीसा का पाठ करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
  • इसका पाठ करने से जातक की इच्छाएँ पूरी होती हैं। 
  • इसके प्रभाव से भविष्य के लिए बढ़ाया गया कदम सही दिशा में जाता है। 
  • नवग्रह चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।  

नवग्रह चालीसा आरती 

नवग्रह आरती

आरती श्री नवग्रहों की कीजै. बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै । 

सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर. जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै ॥

रुप चंद्र शीतलता लायें. शांति स्नेह सरस रसु भीजै ।

मंगल हरे अमंगल सारा. सौम्य सुधा रस अमृत पीजै ॥ 

बुद्ध सदा वैभव यश लीये. सुख सम्पति लक्ष्मी पसीजै ।

विद्या बुद्धि ज्ञान गुरु से ले लो. प्रगति सदा मानव पै रीझे ॥

शुक्र तर्क विज्ञान बढावै. देश धर्म सेवा यश लीजे ।

न्यायधीश शनि अति ज्यारे. जप तप श्रद्धा शनि को दीजै ॥

राहु मन का भरम हरावे. साथ न कबहु कुकर्म न दीजै ।

स्वास्थ्य उत्तम केतु राखै. पराधीनता मनहित खीजै ॥


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