नक्षत्र रोग – राशि रोग – उपचार उपाय

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राशि नक्षत्र और रोग उपाय – आपके नक्षत्र (चन्द्र, सूर्य और लग्न ) के अनुसार रोग वर्णन और उपचार

नक्षत्र रोग - राशि रोग

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशि और नक्षत्र को एक अहम औदा दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार राशि, नक्षत्र से ही जातक के जीवन में होने वाली सभी गतिविधियों की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसी प्रकार पौराणिकता से संबंध रखने वाले आचार्य गुरुओं ने राशि एवं नक्षत्र के अनुसार उत्पन्न होने वाले रोग, बीमारियों का वर्णन किया है। प्राचीन कथा के अनुसार 12 राशियों और 27 नक्षत्रों को अलग-अलग सभी अंगों में बाटा जाए तो इससे बनने वाली आकृति मानव आकृति कहलाती है। 

सभी 9 ग्रहों में चंद्रमा को सबसे अधिक चलने वाला और गतिशील ग्रह माना गया है, इसीलिए हम मानव शरीर में भी चन्द्र का सबसे अधिक प्रभाव मानते हैं। मानव शरीर का लगभग 70 % भाग जल से निर्मित है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में जल का स्वामी चन्द्र ग्रह को माना गया है जिससे साफ है की मानव शरीर में चंद्रमा का प्रभाव सबसे अधिक है। 

ज्योतिषीय मतानुसार नवग्रहों में चन्द्र को सबसे महत्वपूर्ण मानते हुए एक अलग स्थान दिया जिसमें मानव का जन्म समय, राशि और नक्षत्र में गोचर होता है, वही हमारा जन्म राशि और नक्षत्र माना जाता है। अब बात करते हैं जातक को जन्म राशि और नक्षत्र (नक्षत्र उपाय)के आधार पर कौन से रोगों का सामना करना पड़ता है। जातक होने वाले रोगों से कैसे बच सकता है। इसके लिए उपाय क्या है ये हम आपको नीचे दिए गए नक्षत्रों के अनुसार बिन्दुओं में बताएँगे। 


अगर आपको आफ्ना नक्षत्र और चरण पद नहीं पता है तो इस विश्वसनीय नक्षत्र कैल्कुलेटर की सहायता आप ले सकतें हैं।


नक्षत्र कैल्कुलेटर – पहले नाम अक्षर का चयन करें


अश्वनी नक्षत्र रोग | Ashwini nakshatra disease 

अश्विनी नक्षत्र का अधिकार घुटनों से संबन्धित होता है इसीलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले सभी जातक ज्यादार अपने जीवन में बीमारी के कारण परेशान रहते हैं क्योंकि इन्हे जन्म से कुछ न कुछ परेशानियाँ बनी रहती हैं जैसे- घुटनों में दर्द, घुटनों के नीचे सूजन आदि।  

अश्वनी नक्षत्र रोग उपाय । Ashwini nakshatra disease remedy

  • अपामार्ग की जड धारण करने से अश्वनी नक्षत्र से होने वाले रोग कम होते हैं। 
  • अश्वनी नक्षत्र के देवता कुमार का पूजन करने से इससे उत्पन्न होने वाले रोगों से छुटकारा मिल सकता है।

भरणी नक्षत्र रोग | Bharani nakshatra disease

भरणी नक्षत्र सिर से संबन्धित होता है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को सिर दर्द, सिर भरी लगना, घुमनी आना,आदि समस्याओं का सामना करते हैं। भरणी नक्षत्र के जातक को दिमाग में कमजोरी आदि बहुत ज्यादा महसूस होती है। 

भरणी नक्षत्र रोग उपाय । Bharani nakshatra disease remedy

  • अगस्त्य की जड धारण करने से भरणी नक्षत्र से उत्पन्न होने वाले रोगों में कमी आती है।
  • भरणी नक्षत्र के देवता यम की आराधना करने और गरीबों की मदद करने से इसके रोगों से मुक्ति मिलती है। 

कृतिका नक्षत्र रोग | Krittika nakshatra disease

कृतिका नक्षत्र कमर से संबन्धित होता है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को कमर और पेट में समस्या रहती है जैसे – पेट में गैस बनना, कमर दर्द, पेट दर्द और अपच आदि। इस नक्षत्र में जन्मे कुछ जातकों को किडनी और कमर के ऊपरी हिस्से में फुंसी आदि की भी समस्या रहती है।

कृतिका नक्षत्र रोग उपाय । Krittika nakshatra disease remedy 

  • कपास की जड धारण करने से कृतिका नक्षत्र से उत्पन्न होने वाले रोग धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। 
  • कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि की पूजा वंदना करने से भी इसके रोगों में कमी आने लगती है। 

रोहिणी नक्षत्र रोग | Rohini nakshatra disease

रोहिणी नक्षत्र टांगों से संबन्धित होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक टांगों में दर्द, ऐंठन आदि की समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी जातक को टाँगो में इतनी पीड़ा होने लगती है की उन्हे चलने में भी समस्या होने लगती है। 

रोहिणी नक्षत्र रोग उपाय । Rohini nakshatra disease remedy

  • अपामार्ग या आंवले की जड धारण करने से रोहिणी नक्षत्र से उत्पन्न होने वाले रोग कम होने लगते हैं। 
  • रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रिह्म की वंदना करने से इससे उत्पन्न होने वाले रोगों से मुक्ति मिलती है। 

मृगशिरा नक्षत्र रोग | Mrigshira nakshatra disease

मृगशिरा नक्षत्र आँखों से संबन्धित होता है। मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले अधिकतर जातकों को आँखों में समस्या होती है जैसे – कम दिखाई देना, आँखों में मोतियाबिंदु होना, आँखों में मढ़ इकट्ठा होना आदि। 

मृगशिरा नक्षत्र रोग उपाय । Mrigshira nakshatra disease remedy 

  • इन रोगों को कम करने के लिए खैर की जड धारण करें इससे इन रोगों में सुधार होता है।
  • मृगशिरा नक्षत्र के देवता चन्द्र की आराधना करने से उत्पन्न होने वाले नक्षत्र रोग कम होने लगते हैं। 

आद्रा नक्षत्र रोग | Ardra nakshatra disease

आद्रा नक्षत्र बालों से संबन्धित होता है। इसलिए आद्रा नक्षत्र में उत्पन्न होने वाले जातक बालों से संबन्धित समस्या से पीड़ित रहते हैं जैसे – बाल झड़ना, बाल कमजोर होना, बाल खिचने पर दर्द होना आदि।

आद्रा नक्षत्र रोग उपाय । Ardra nakshatra disease remedy

  • आद्रा नक्षत्र से उत्पन्न रोगों से बचने के लिए श्यामा तुलसी या फिर पीपल की जड़ धारण करनी चाहिए। 
  • आद्रा के देवता भगवान शिव की पूजा आराधना करने और प्रतिदिन जल चढ़ाने से उत्पन्न रोग कम होने लगते हैं।  

पुनर्वसु नक्षत्र रोग | Punarvasu nakshatra disease

पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामित्व हमारी उँगलियों पर बताया गया है। यह उँगलियाँ आपके हाथ पैर दोनों के लिए मान्य है। इसके इलवा भी यह नक्षत्र जातक को हैजा , सर की किसी तरह की पीड़ा और सिरवाईकाल जैसी बीमारियाँ दे देता है। जब भी जातक को ऐसी कोई दिक्कत आए तब उसको किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेके कौन सी पद्धति ( अल्लोपथी, होमियोपथी , आयुर्वेदा) से राहत मिलेगी यह जान लेना चाहिए। 

पुनर्वसु नक्षत्र रोग उपाय | Punarvasu nakshatra disease remedy

  • पीड़ित जातक  को आक की जड धारण करनी चाहिये। 
  • अगर श्वेतार्क जडी मिले तो भी अच्छा हैं।
  • गुरु का नक्षत्र है इसलिए रुद्राक्ष एवं पुखराज धारण भी अति उपयोगी होता है। 

आश्लेष नक्षत्र रोग | Ashlesha nakshatra disease

आश्लेषा नक्षत्र का अधिकार हमारे नाखून पर है। अब यह चाहे हाथ के नाखून हो या पैरों के। यह नक्षत्र एक ऐसा नक्षत्र है को की विश का स्वामित्व भी रखता है जिसके कारण जातक को रक्ताल्पता एवं चर्म रोग होते है। चर्म रोग जल्द नहीं जाता और अल्लोपथी से तो ज़्यादातर जाता ही नहीं है इसलिए जातक को यह परामर्श ज़रूर लेना चाहिए की कौन सी पद्धति उपयुक्त है आयुर्वेद या होमियोपथी। 

अश्लेषा नक्षत्र रोग उपाय | Ashlesha nakshatra disease remedy

  • पीडित जातको को अगर मिल सके तो पटोल की जड धारण करनी चाहिये। 
  •  बुध का नक्षत्र है इसलिए रुद्राक्ष एवं पन्ना धारण भी अति उपयोगी होता है। 
  • हरी चीज़ को खाने में आती हो उसका दान भी अच्छा होगा पर बिना जाने नहीं करना चाहिए। क्यूकि कुंलड़ी के आधार पे यह भी जानना ज़रूरी है कि वो हरी चीज़ मीठी होनी चाहिए या कड़वी या कोई और स्वाद की। 

मघा नक्षत्र रोग | Magha nakshatra disease

मघा नक्षत्र का अधिकार हमारी आवाज़, वाणी पर है। यह नक्षत्र आपके गले से संबंध भी बनाता है और जिस वजह से दमा आदि जैसी संबन्धित बीमारियाँ भी इंसान को मिलती है। इस नक्षत्र के पहले चरण में होने से जातक को खुदखुशी करने के भी एहसास आते है पर यह एहसास तभी आएंगे जब जातक की कुंडली में सूर्य चन्द्र पीड़ित होंगे। 

मघा नक्षत्र रोग उपाय | Magha nakshatra disease remedy

  • पीडित जातको को जातक भृगराज या वट वृक्ष की जड मिल जाए तो धारण करनी चाहिये। 
  • केतु का नक्षत्र है इसलिए गणेश देव जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं वो रत्न धारण करें जो कुंडली में केतू को सपोर्ट करता हो। 

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रोग | Purva Phalguni nakshatra disease

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का अधिकार जातक के गुप्तांग पर होता है। इसके साथ साथ जातक के शरीर से संबन्धित गुप्त रोग , आतों में सूजन , बदहज़मी और कब्ज़ एवं शरीर का टूटना आता है। इसलिए यह नक्षत्र इंसान को शक्ति के प्रति काफी कमजोर भी बना देता है। 

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रोग उपाय | Purva Phalguni  nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो कटेली की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • शुक्र का नक्षत्र है इसलिए शुक्र देव जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं सफ़ेद पुखराज या फिर टोपाज रत्न धारण करना आपके लिए अति लाभकारी साबित होगा। 

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र रोग | Uttara Phalguni nakshatra disease

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का अधिकार जातक के शरीर के गुदा, लिंग, गर्भाशय पर होता है। आप कह सकते है की इंसान का प्राइवेट पार्ट वाला हिसा इसके अंतर्ग्र्त आता है। इसलिए यह बहुत ही नाज़ुक नक्षत्र भी बन जाता है शरीर के लिहाज से। यह नक्षत्र आपको मधुमेह यानि की डाईबिटेस की बीमारी देने में भी सक्षम है।  

उत्तर नक्षत्र रोग उपाय | Uttara Phalguni  nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो पटोल की जड धारण करना लाभकारी होता है।  
  • सूर्य का नक्षत्र है इसलिए सूर्य देव जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं माणिक रत्न धारण करना आपके लिए अति लाभकारी साबित होगा। 

हस्त नक्षत्र रोग | Hasta nakshatra disease

हस्त नक्षत्र का अधिकार जातक के शरीर के हाथ के हिस्से पर होता है। आप कह सकते है की इंसान हाथ से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो तो यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। इसलिए यह बहुत ही घंभीर नक्षत्र भी बन जाता है शरीर के लिहाज से। यह नक्षत्र आपको जलदोष यानि की तरल पदार्थ की कमी की बीमारी देने में भी सक्षम है।  

हस्त नक्षत्र रोग उपाय | Hasta nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो चमेली या जावित्री मूल धारण करना लाभकारी होता है। 
  • चन्द्र का नक्षत्र है इसलिए चन्द्र देव जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं मोती रत्न धारण करना आपके लिए अति लाभकारी साबित होगा। 
  • सफ़ेद वस्त्र का भी दान करना अच्छा हो सकता है। कब कब करना है दान इसका मुहूर्त जान लें। 

चित्रा नक्षत्र रोग | Chitra nakshatra disease

चित्रा नक्षत्र का अधिकार जातक के शरीर के मस्तिस्क या माथे के हिस्से पर होता है। आप कह सकते है की इंसान के सिर से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो तो यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक की गुर्दों में भी दिखटें प्रधान करता है । कार या कोई वहाँ से होने वाली दुर्घटना भी इसी नक्षत्र के अन्तर्गत आती है। यह माइग्रइन बीमारी का भी कारक नक्षत्र है।

चित्रा नक्षत्र रोग उपाय | Chitra nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो अनंतमूल जड़ या बेल धारण करना लाभकारी होता है। 
  • मंगल का नक्षत्र है इसलिए मंगल देव , हनुमान  जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं मूंगा रत्न धारण करना आपके लिए अति लाभकारी साबित होगा। 
  • लाल रंग की वस्तु या खाद्य पदार्थ  का भी दान करना आपके के लिए लाभकारी  हो सकता है। कब कब करना है दान इसका मुहूर्त जान लें। 

स्वाति नक्षत्र रोग | swati nakshatra disease

स्वाति नक्षत्र जातक के दाँतो से संबन्धित रोग होने का कारक भी हो सकता है ।  आप कह सकते है की जातक के दाँतो से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो जैसे मसूड़ो की तकलीफ, कीड़ा लगना आदि  तो यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक के नेत्र रोग को भी दरसता है जैसे , मोतियाबिंद होना ,रातोंदी आदि । इस नक्षत्र मे जातक को लंबे समय तक होने वाली बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। 

स्वाति  नक्षत्र रोग उपाय |swati nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो अर्जुन मूल धारण करना लाभकारी होता है। 
  • राहू का नक्षत्र है इसलिए दुर्गा माँ ,काल भैरव जी की आराधना अति उत्तम है पर देवी या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके साथ राहु अच्छा संबंध बना रहा हो। 
  • लालच करने से बचे । 

विशाखा नक्षत्र रोग | Vishakha nakshatra disease

विशाखा नक्षत्र जातक के बाजु (भुजा ) से संबन्धित रोग होने का कारक नक्षत्र  है। आप कह सकते है की जातक के दाहिने और बाए भाग की भुजा में विकार अथवा कर्ण पीड़ा , एपेण्डिसाइटिस आदि  जैसे रोग इस नक्षत्र के दूषित होने पे हो सकते  है। यह नक्षत्र जातक को बार बार एक हे पीड़ा से दुखी करता रेहता है। 

विशाखा नक्षत्र रोग उपाय | Vishakha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो गुंजा मूल धारण करना लाभकारी होता है। 
  • गुरु का नक्षत्र है इसलिए महाविष्णु ,वामन अवतार जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं मूंगा रत्न धारण करना आपके लिए अति लाभकारी साबित होगा। 
  • विद्या की चीजों का अपमान करना बंद करदें । 

अनुराधा नक्षत्र रोग | Anuradha nakshatra disease

अनुराधा नक्षत्र जातक के हृदय से संबन्धित रोग होने का कारक होता है।  आप कह सकते है की जातक के हृदय  से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो जैसे हृदय की नसों में जकड़न , हार्ट अटैक , हृदय का कमजोर होना इत्यादि को भी इस  नक्षत्र से जोड़ सकते हैं। यह नक्षत्र जातक के नासिका (नाक) रोग को भी दरसता है जैसे , नाक में प्राण वायु में वेध इतयादी। इस नक्षत्र मे जातक को शरीर पीड़ा (दर्द) का भी सामना करना पड़ सकता है। 

अनुराधा नक्षत्र रोग उपाय | Anuradha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो नागकेशर की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • शनि का नक्षत्र है इसलिए शनि देव  ,श्री हनुमान जी की आराधना अति उत्तम है पर भगवान या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं नीलम रत्न धारण करना भी लाभकारी हो सकता है। 
  • गरीब लोगों की मदद सही मुहूर्त में करना अति उत्तम होता है । 

जयेष्ठ नक्षत्र रोग | Jayestha nakshatra disease

जयेष्ठा नक्षत्र जातक की जीभ , दाँत , मसूड़े और होंठ से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक के चेहरे के मुह से संबन्धित चोटी बड़ी हर दिक्कतों का कारण यह नक्षत्र है। यह नक्षत्र अगर अति दूषित हो जाए तो जातक को खाने पीने के लाले भी डाल देता है। इस नक्षत्र के दूषित होने पर आपने भाई बहनों में भी सेहत से संबन्धित दिक्कतें देखने को मिलती है। अतः उपचार बहुत ज़रूरी है। 

जयेष्ठा नक्षत्र रोग उपाय | Jayestha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो अपामार्ग की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • बुध का नक्षत्र है इसलिए बुधवार को सही रूप से बताया गया दान करना अति लाभकारी होगा।  
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके साथ बुध अच्छा संबंध बना रहा हो।
  • अपने से बड़े लोगो की मदद , सहयता , और देख भाल करने से फायदा मिलता है।  

मूल नक्षत्र रोग | Moola nakshatra disease

मूल नक्षत्र जातक के पैरों से संबन्धित रोग होने का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक के पैर से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो जैसे पैरों में दर्द, पैर का टूटना, पैरों की नसों की कमजोरी इत्यादि यह नक्षत्र के अंतर्गत आती है। यह नक्षत्र जातक टी बी की शिकायत भी दे सकता है। इस नक्षत्र में जातक को पाचन के लिए उपयोग में आने वाले शरीर के हिस्सों से भी तकलीफ मिल जाती है। इसलिए सही समय पे उपचार न होने पर बलहीन अवस्था आ जाती है। 

मूल नक्षत्र रोग उपाय | Mool nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो  मदार की जड़ धारण करना लाभकारी होता है। 
  • केतु  का नक्षत्र है इसलिए गणेश जी की सीधी तरफ सूड़ वाली प्रतिमा (तस्वीर) की पुजा करना अति लाभकारी होता है। पर गणपती जी का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके साथ केतु और चन्द्र अच्छा संबंध बना रहा हो। 
  • मूल चीजों का ही सेवन करें , हो सके तो मसहार छोड़ दें । 

पूर्वाषाढा नक्षत्र रोग | Purva Ashadh  nakshatra disease

पूर्वाषाढा नक्षत्र जातक के जांघ ( आगे पीचे दोनों तरफ) अथवा कूल्हे से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक को प्राइवेट एरिया के आस पास के एरिया में दिक्कतें आने लग जाती है अगर यह नक्षत्र दूषित हो तो। यह नक्षत्र ग्रोइन एरिया को भी नहीं बाक्षता और जातक को लंबी बीमारी दे देता है। यह नक्षत्र जातक के अन्य बीमारियाँ भी देने में सक्षम है जैसे कार्टिलेज की समस्या, पथरी रोग आदि । यह नक्षत्र समय के साथ दर्द भी बढ़ाता है। 

पूर्वाषाढा  नक्षत्र रोग उपाय | Purva Ashadh nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो कपास की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • शुक्र का नक्षत्र है इसलिए अष्ट लक्ष्मी माँ या वैभव लक्ष्मी जी की आराधना अति उत्तम है पर देवी का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके साथ शुक्र अथवा शनि अच्छा संबंध बना रहा हो। 
  • पैसा दान करने से बचे । 

उतराषाढा नक्षत्र रोग | Uttara Ashadha nakshatra disease

उतराषाढा नक्षत्र जातक के ज्यदातर हड़ियों से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक को हाथी में एक्सट्रा ग्रोथ , टूटना , या समय के साथ खुरर जाने वाली दिक्कतें आने लग जाती है। अगर यह नक्षत्र दूषित हो तो यह नक्षत्र दांतों की और कानों की भी लंबी बीमारी दे देता है। यह नक्षत्र से उतपन बीमारियों की दवाइयों के साइड इफैक्ट बहुत देखने को मिलते है। 

उतराषाढा नक्षत्र रोग उपाय | Uttara Ashadha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो कपास या कटहल की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • सूर्य का नक्षत्र है इसलिए सूर्य देव  ,श्री राम जी की आराधना अति उत्तम है पर देव या भगवान में से किसका स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं  माणिक के साथ साथ सूर्य यंत्र का उपयोग भी लाभकारी होता है।  
  • आपने से उपर के अधिकारी या व्यक्ति से लड़ाई करने से बचे । 

श्रवण नक्षत्र रोग | Shravana nakshatra disease

श्रवण नक्षत्र जातक के कान पे उपर आफ्ना स्वामित्व रखता है इसलिए कान की पीड़ा मिलना तय है अगर नक्षत्र दोष कुंडली में बन रहा है। जातक को भूक न लगना या फिर स्वाद हीनता का एहसास हो तो भी यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक के अंदर तरल पदार्थ की कमी लाता है जिसकी वजह से होंठ या चेहरे की त्वचा हमेशा रूखी सी रहने लग जाती है। 

श्रवण नक्षत्र रोग उपाय | Sharavana nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो अपामार्ग की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • चन्द्र का नक्षत्र है इसलिए माँ पार्वती ,माँ शीतला जी, चन्द्र देव जी  की आराधना अति उत्तम है पर देवी या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं चन्द्र यंत्र को विधि से धारण करने से लाभ पाहुचता है । 
  • जल का दान न करें और दुर्पयोग तो कतही सही नहीं है।  

धनिष्ठा नक्षत्र रोग | Dhanishtha nakshatra disease

धनिष्ठा नक्षत्र जातक के कमर अथवा रीढ़ की हाथी से संबन्धित रोग का कारक है । आप कह सकते है कि जातक के कमर में लचक, दर्द , फैट का जमावड़ा, रीढ़ की हड्डी में कमजोरी से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो तो यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक के गठिया रोग, उरिक एसिड की दिक्कतों को भी दरसता है। इस नक्षत्र में जातक को उठने बैठने के कार्याओं में भी बहुत दिक्कतों आती है। 

धनिष्ठा नक्षत्र रोग उपाय | Dhanishtha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो भृंगराज की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • मंगल का नक्षत्र है इसलिए कुमार कार्तिकेय जी की आराधना अति उत्तम है पर देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं रत्न को कवच के साथ स्थापित करके घर में रखने से बहुत लाभ होता है। 
  • गुस्सा अगर कंट्रोल हो जाए तो फिर जातक को कई बीमारियों से निजात मिलती है। 

शतभिषा नक्षत्र रोग | Shatbhisha nakshatra disease

शतभिषा नक्षत्र जातक के ठोडी से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है । आप कह सकते है कि जातक की ठोड़ी से संबन्धित कुछ भी बीमारी या कांड हो तो वह इस नक्षत्र से संबंध रखता है। यह नक्षत्र जातक के जबड़े और कानो के पीचे की हाड़ी का रोगों को भी दरसता है जैसे सूजन होना, इन्फ़ैकशन आदि। इस नक्षत्र में जातक को चेहरे से संबन्धित बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। 

शतभिषा नक्षत्र रोग उपाय | Shatbhisha nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो कलंब की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • राहु का नक्षत्र है इसलिए भदरकाल , भद्रकली जी की आराधना अति उत्तम है पर देवी या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें राशि में राहु बैठा हो।  
  • गबन या चोरी करने से बचे । 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रोग | Purva Bhadrapada nakshatra disease

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र जातक के छाती से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक के छाती से संबन्धित कुछ भी पीड़ा हो जैसे छाती में दर्द, इन्फ़ैकशन, हार्ट अटैक आदि तो यह नक्षत्र उसके पीछे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक के फेफड़े रोग को भी दरसता है जैसे सांस की दिक्कतें, अश्थ्मा आदि। इस नक्षत्र मे जातक को बार बार सर्दी खांसी होने का डर बना रहता है। 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रोग उपाय | Purva Bhadrapada nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो आम की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • गुरु का नक्षत्र है इसलिए पीपल वृक्ष जी की आराधना अति उत्तम है। सरस्वती माँ जी की आराधना भी आपके लिए उपयोगी होगी पर कौन सा मंत्र आपके लिए सही है वो भी जानना अति अव्यशक है। 
  • रुद्राक्ष एवं गुरु यंत्र को पुखराज के साथ पुजा स्थान पे स्थापित करना बहुत लाभकारी होता है। 
  • गुरु, साधु की सेवा करने से लाभ पाहुचता है। 

उतराभाद्रपद नक्षत्र रोग | Uttara Bhadrapada nakshatra disease

उतराभाद्रपद नक्षत्र जातक के हड्डी पिंजर से संबंध रखता है। आप कह सकते है कि जातक के शरीर का ढाँचा इसी नक्षत्र के अंतर्गत आता है और अगर इंसान को इसी ढांचे से संबन्धित दिक्कतें आती है तो इसका कारण यही नक्षत्र  है। यह नक्षत्र जातक हाफने या फिर जल्दी थकने की बीमारियों से भी ग्र्हस्त कर देता है । इस नक्षत्र अगर दूषित हो तो जातक कभी पनप नहीं पता है। 

उतराभाद्रपद नक्षत्र रोग उपाय | Uttara Bhadrapada nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो  पीपल की जड  धारण करना लाभकारी होता है। 
  • शनि का नक्षत्र है इसलिए  शिव शक्ति जी की आराधना अति उत्तम है पर देवी या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके घर में शनि अच्छी दृष्टि डाल रहा हो। 
  • बेफिजूल के झगड़े और लड़ाई से हमेशा बचे । 

रेवती नक्षत्र रोग | Revati nakshatra disease

रेवती नक्षत्र जातक के बगल अथवा इसके आस पास के हिस्से से संबन्धित रोग का कारक नक्षत्र है। आप कह सकते है की जातक के बादल में फोड़े, फुंसी, चोट, जलन, कटना , जालना आदि रोग होते है तो यह नक्षत्र उसके पीचे हो सकता है। यह नक्षत्र जातक के वल को कम करता है और हाथ से संबन्धित रोगों में भी इजाफा करता है।  

रेवती नक्षत्र रोग उपाय | Revati nakshatra disease remedy

  • जातक को अगर मिल पाये तो महुवे की जड धारण करना लाभकारी होता है। 
  • बुध का नक्षत्र है इसलिए लक्ष्मी नारायण जी की आराधना अति उत्तम है पर देवी या देवता का स्तोत्रम पढ़े या आरती या गायत्री मंत्र यह जानकार ही कोई भी विधि अपनाए। 
  • रुद्राक्ष एवं उस रत्न को धारण करें जिसके राशि पे बुध अच्छा प्रभाव बना रहा हो। 
  • बच्चों से नफरत कभी न करें और हो सके तो खुश रखें। 

राशि के अनुसार रोग और उपचार | Health Issues based on Zodiac Signs

ज्योतिष में कई तरीके के उपचार उपाय (राशि उपाय) बताए गए है जिस मे जातक मूल ( वनस्पति) की जड़ें , फूल , तनें इत्यादि से लेकर रुद्राक्ष , रत्न और कवच (यंत्र) धारण करके राहत  पा सकता है। जातक को हमेशा सही ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही इनमें से कुछ भी उपयोग में लाना चाहिए। क्यूकि बिना सही विधि के यह सब उपचार उपाय व्यर्थ है और साथ साथ इनका गलत प्रयोग जातक को अच्छा खासा नुकसान भी दे जाता है। यानि कि कुछ भी आपने आप से न करें। 

नीचे दी गई राशियों को आप आपने नाम से , चन्द्र लगन से , सूर्य लगन से और लगन से देख सकते है। यह प्रभाव सामान्य तौर पे देखने को मिलते ही है। 

मेश राशि एवं वृश्चिक राशि के रोग उपचार उपाय

यह राशि अग्नि राशि है। इन राशि के जातकों को पित्त से संबन्धित, एलर्जि एवं खाज-खुजली , जलना एवं दुर्घटना अथवा मूत्रकृच्छ की समस्या हो जाती है। मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल ग्रहा है। इन्हें मंगल कि स्थिति के अनुसार मूंगा, मंगल यंत्र , रुद्राक्ष अथवा अनंतमूल की जड धारण करनी चाहिये। इनमें से क्या क्या ज़रूरी है वो आपका ज्योतिषी आपको परामर्श में ज़रूर बता देगा। 

वृश्चिक राशि भी मंगल कि राशि है इसलिए उपरोक्त रोगों की ही समस्या होती हैं।साथ साथ शरीर में तरल पदार्थ की भी आवस्था बिगड़ती हुई दिखती है इस राशि के दूषित होने पर।  इन्हें भी उपर दिये उपचार उपाय करने चाहिए। 


वृषभ एवं तुला राशि के रोग उपचार उपाय

यह राशि पृथ्वी तत्व की राशि कहलती है। यह राशि के जातकों को गुप्त रोग, त्रिधातु रोग, शोथ, मुह और चेहरे आदि की बीमारियाँ होने का डर रेहता है। यदि आपकी जन्म राशि, सूर्य राशि , लगन या नाम राशि वृषभ अथवा तुला हो तो आपको सरपोंखा की जड विधि पूर्वक धारण करनी चाहिये। इसके इलवा आप शुक्र यंत्र और सफ़ेद टोपाज जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। 


मिथुन एवं कन्या राशि के रोग उपचार उपाय

मिथुन एक वायु तत्व की राशि है और कन्या पृथ्वी तत्व की राशि है । दोनों का स्वामी बुध ही है। यह बुध त्वचा से संबंध रखता है मुख्यता और इसी वजह से चर्म रोग बहुत जादा देखने को मिलता है। इसके इलवा भी बुध शरीर में इंसुलिन की कमी जिसकी वजह से मधुमेह शुगर, भ्रांति, स्मुति ह्नास, निमोनिया, गले में इन्फ़ैकशन, त्रिदोश ज्वर होता है। इन राशियों के दुसप्रभाव से बचने के लिए जातक को विधारा की जड विधि के साथ धारण करनी चाहिये। इसके इलवा आप बुध यंत्र और पन्ना जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। 


कर्क राशि के रोग उपचार उपाय

इस राशि का तत्व जल है। यह राशि को सौम्य राशि में भी गिना जाता है। इस राशि पर पापी प्रभाव होने से सर्दी-जुकाम, शरीर में जल का भराव जैसे जलोदर, निद्रा, टी.बी., अनिद्रा आदि जैसी बीमारियाँ मिलती हैं। इस राशि के जातकों को खिरनी की जड विधि पूर्वक धारण करनी चाहिये। इसके इलवा आप चन्द्र यंत्र और मोती जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। 


सिंह राशि के रोग उपचार उपाय

इस राशि का तत्व अग्नि है। यह राशि को उग्र राशि में भी गिना जाता है।  इस राशि पर पापी प्रभाव होने से आँख का रोग, उदर रोग, हृदय रोग, ज्वर, पित्त सम्बन्धित दुख होते हैं। सूर्य आँखों की रोशनी का भी कारक है और बालों का भी इसलिए इनसे संबन्धित भी दिक्कतें आती हैं। जातक को अर्क मूल विधि के साथ धारण करनी चाहिये। अगर आक की जड़ न मिले तो बेल की जड भी धारण कर सकते हैं। इसके इलवा आप सूर्य यंत्र और माणिक जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। 


धनु एवं मीन राशि के रोग उपचार उपाय

धनु एक अग्नि तत्व की राशि है और मीन जल तत्व की राशि है । दोनों का स्वामी गुरु ही है। पर चुकी यह दोनों राशियों का तत्व एकदम उल्टा है एकदूसरे के लिए इसलिए ज़्यादातर इन दोनों जातको में मेल जोल कम दिखाये देता है। यह राशियाँ अगर दूषित है तो स्वास संबन्धित दिक्कतें जैसे अस्थमा, एपेण्डिसाइटिस, यकृत रोग, स्थूलता, मोटापा, बीपी शुगर आदि रोग होते हैं। इन राशियों के दुसप्रभाव से बचने के लिए जातक को केले की जड विधि के साथ धारण करनी चाहिये। इसके इलवा आप गुरु  यंत्र और पीला पुखराज जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। 


मकर एवं कुंभ राशि 

मकर एक पृथ्वी तत्व की राशि है और कुम्भ वायु तत्व की राशि है । दोनों का स्वामी शनि ही है। यह राशियाँ जातको हड़ियों , पैरों से संबन्धित काफी दुख देता है। इसके इलवा वायु विकार, आंत्र वक्रता, पक्षाघात, दुर्बलता आदि रोग भी मिलते रहते हैं। इन राशियों के दुसप्रभाव से बचने के लिए जातक को बिछुआ की जड विधि के साथ धारण करनी चाहिये। इसके इलवा आप शनि   यंत्र और नीला पुखराज जैसे रत्न को भी परामर्श के बाद लाभ के लिए प्रयोग में ला सकते हैं।