नीलम रत्न के फायदे, नुकसान और सरल पहचान | Blue Sapphire Benefits & Demerits

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नीलम रत्न क्या है और इसके बारे में | Blue Sapphire details

Neelam Blue Sapphire नीलम free gemstone

हम इस रत्न की बात करें तो यह नीलम बहुत पहले यूनानी लोग इस रत्न को अपने पुज्यनिय देवी-देवताओं को सौगात के रूप में उन्हें समर्पित करते थे। हम इस रत्न को हिमालय, बर्मा, बेंकोक, महानदी, जम्मू कश्मीर, श्रीलंका, थाईलैंड, आस्ट्रेलिया, रोड़ेसियिया, जावा, मोंटाना तथा ब्रह्मपुत्र जैसे देशों से खोज कर लाते है। यह रत्न सभी रत्नों में श्रेष्ठ है और यहाँ तक कि व्यक्तियों को अपने जीवन में हो रही समस्याओं को खत्म करने के लिए वे बहुत से रत्नों को पहनते है। ये रत्न तो हमें भगवान के द्वारा वरदान के रूप में मिले है। बहुत वर्षों पहले से ही मानव का रत्नों के प्रति लगाव बना रहा है।

इस रत्न में जितनी शक्ति काम बनाने की होती है उतनी ही शक्ति काम बिगाड़ने की होती है। नीलम रत्न जातक के जीवन में संकट, बीमारी और दरिद्रता को दूर करता है। जब जातक इस रत्न को विधि पूर्वक और सच्चे मन से धारण करता है तो वह अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव बहुत जल्द प्राप्त करता है। नीलन के प्रभाव से शनि की स्थिति मजबूत होती है। यदि शनि के अशुभ प्रभावों से बचना है तो जातक को नीलम रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। यदि इसे सही तरीके से नही पहना गया तो जातक को इसके अशुभ प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेंगे और जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

नीलम रत्न कन्या, मिथुन और वृश्चिक राशि के लोगो को अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि इन राशि के लोगों के लिए यह रत्न बेहद लाभकारी और फायदेमंद साबित होता है। यदि जातक नीलम रत्न को पहनता है तो वह विशेष ध्यान रखे की रत्न पहनने से पहले किसी अच्छे अनुभवी ज्योतिष आचार्य से परामर्श अवश्य ले लें।  जैसे हमारे अनुभवी ज्योतिष आचार्य श्री दीपांशु जी का कहना हैं जिस प्रकार रत्न हमारे लिए फायदेमंद है ठीक उसी प्रकार ये रत्न हमारे लिए नुक्सान देह भी है। इसलिए नीलम धारण करने से पहले आचार्य जी से अवश्य पूंछ लें। नीलम रत्न का स्वामी शनि है।

अगर देखा जाय तो शनि का गृह एक ऐसा गृह है जो की जिस व्यक्ति की कुंडली में बैठ जाता है तो वह उस जातक की कुंडली पर बहुत लम्बे समय तक रहता है ठीक उसी प्रकार यह रत्न भी बहुत लम्बे समय तक अपना असर दिखाता है। यह नीलम बहुत अदभुत रत्न है। यह रत्न ही एक ऐसा रत्न है जिसमे काम बनाने और बिगाड़ने दोनों की सकती होती है। यह रत्न किसी व्यक्ति को फल गया तो यह उस व्यक्ति को राजा बना देगा। यदि अगर किसी व्यक्ति पर इसका बुरा असर पड़ जय तो यह रत्न उसे राजा से भिखारी बनाने में ज्यादा समय नही लगता है।


सूचना – रत्नों का वजन सही रूप से ज्योतिष + आयुर्वेद की पद्धति से निकाला जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों के हिसाब से बिना आयुर्वेद ज्योतिष शास्त्र का रत्न ज्ञान अधूरा माना जाता है। एक अनुभवी ज्योतिषी जो की आयुर्वेद का भी ज्ञान रखता हो वही आपको सही वजन बता सकता है जो आपकी कुंडली में ईश्वर के द्वारा लिखा गया है।

जब आप कुंडली के आधार पर बताए गय सही वजन के रत्न को विधि पूर्वक पहनेंगे तो आपको सर्वदा सफलताएँ मिलती रहेंगी। याद रखें आज कल जातक के वजन के हिसाब से ज्योतिष रत्नों की रत्ती निर्धारित की जाती है जो की 100% मूर्खता और अज्ञानता है। आपको ऐसे लोगों और ऐसी विधियों से खुद को बचाना चाहिए।

[ नोट- अनुमान तौर पर नीलम 3 रत्ती से लेकर 9 रत्ती के बीच में सही होता है बस आपको आपकी कुंडली के हिसाब से सही रत्ती पता करके पहनना चाहिए। ]



इस लेख में आपको इन सबके जवाब भी मिल जाएंगे।

  • नीलम रत्न के फायदे
  • नीलम रत्न के नुकसान
  • नीलम रत्न की कीमत क्या है
  • नीलम रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए
  • नीलम रत्न की कीमत कितनी है
  • नीलम रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए
  • नीलम रत्न किस धातु में पहनना चाहिए
  • नीलम रत्न किसे पहनना चाहिए
  • नीलम रत्न पहनने की विधि

भिन्न रत्नों के बारे में पढ़े


नीलम रत्न की तकनिकी विज्ञान | Neelam Blue Sapphire scientific details

नीलम एक प्रकृति में मिलने वाला खनिज है। यह रत्न वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर एक एल्युमिनियम आक्साइड ( Al2O3 ) का मिश्रण है। अगर देखा जाय तो यह रत्न लाल रंग के अलाबा अन्य वर्ण [ किसी मनुष्य के रंग के आधार पर किया गया एक भाग ] का भी हो जाता है। इस रत्न की उत्पत्ति प्रकृति में होती है और विज्ञान ने तो इस रत्न को जैसा प्रकृति से हमे प्राप्त होता है ठीक बैसा ही रत्न खुद बनाकर तैयार कर लिया है।

विज्ञानिकों के आधार पर माणिक तथा नीलम की बनाबट एक जेसी है। इस रत्न में जो वैज्ञानिकों ने फार्मूला एल्युमिनियम आक्साइड में आयरन, टैटेनियम, क्रोमियम, कॉपर और मैग्निसियम के अच्छे गुण मिले होते है। इन सभी गुणों की शुद्धियों के कारण नीला, पीला, बैंगनी, नारंगी और हरा रंग इस रत्न में आ जाता है। इन्ही अच्छे गुणों के कारण इसे नीलम कहा जाता है। अगर इस रत्न में क्रोमियम हो तो यह नीलम क्रिस्टल को लाल रंग प्रदान करता है जिसे हम माणिक या रूबी रत्न कहते है।  


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नीलम रत्न के फायदे । Benefits of Blue Sapphire । Neelam ratna ke fayde

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नीलम रत्न के लाभ बहुत हैं परंतु जीतने इस रत्न के लाभ हैं उससे कई ज्यादा हानियाँ भी है तो इसलिए जब भी नीलम पहने उससे पहले अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुंडली अवश्य दिखबा लें। नीलम रत्न के धारण करने से जातक को बीमारियों से छुटकारा मिलता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है और कमाई बढ़ जाती है। इसके साथ-साथ जातक को नौकरी -व्यापार में भी उन्नति के रास्ते मिलने लगते हैं। शास्त्रों की माने तो शनि का रत्न नीलम हर किसी को सकारात्मक और शुभ परिणाम नही देता है।   

यदि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष देखा जाता है तो उस व्यक्ति को नीलम पहनने की सलाह दी जाती है। इसलिए जब जातक नीलम रत्न पहन लेता है तो उस व्यक्ति की कुंडली में शनि का शुभ प्रभाव कम होने लगता है और जातक सकारात्मक्ता की ओर बढ्ने लगता है। नीलम रत्न के फायदे कुछ इस प्रकार हैं-

  • नीलम रत्न के प्रभाव से जातक सुंदर शरीर वाला, बुद्धिमान और बलबान हो जाता है। यह रत्न जातक के स्वभाव में भी गुणवत्ता का प्रसार करता है, जिसके कारण जातक को समाज में मान सम्मान मिलने लगता है। यह रत्न जातक को गौरवशील और आत्मविश्वास को मजबूत बनाता है।
  • यदि जातक धन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहा है तो यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके प्रभाव से आपको होने वाली परेशानियाँ कम होंगी और आपको धन-धन्य से परिपूर्ण बनाने में आपकी मदद करेगा। सत्य के साथ खड़े रहने की शक्ति प्रदान करता है यह नीलम रत्न।
  • यदि जातक को आँखों से जुड़ी कोई समस्या है तो वह इस रत्न को अवश्य धारण करे परंतु धारण करने से पहले ज्योतिष परामर्श अति आवश्यक है।
  • यदि जातक की कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है तो वह जातक की माता के स्वास्थ्य पर अपना असर दिखा सकता है। ऐसी स्थिति में जातक के लिए यह रत्न धारण करना ज्यादा अच्छा साबित होगा।
  • सर या गले से जुड़ी कोई बीमारी है तो भी यह रत्न लाभदायक होगा, आपको अपने शत्रुओं से लड़ने की शक्ति देगा। जातक के भाई-बहन पर आने वाले संकट से मुक्त करता है।
  • जातक इस रत्न के शुभ प्रभाव से सुख शांति का अनुभव करेगा, माता पर आने वाले सभी संकट दूर होंगे। भूमि से जुड़ा विवाद सुलझेगा, पिता की संपत्ति में आपको हिस्सा मिलेगा और इसके प्रभाव से खोया हुआ धन भी मिलने की संभावना रहती है।
  • यदि आप नीलम धारण करने के बाद कोई वाहन खरीदते हैं तो यह होने वाली वाहन दुर्घटनाओं से आपको बचाने में आपकी मदद कर सकता है।
  • इस रत्न के धारण करने से संतान रहित जातकों को संतान की प्राप्ति होती है। यदि शनि आपकी राशि में नीच का है तो आपको बड़ी परेशानियाँ दे सकता है इसलिए उन परेशानियों से निजात पाने के लिए यह रत्न अवश्य धारण करें।
  • इस रत्न के धारण करने से जातक को शत्रुओं को पराजित करने की शक्ति प्राप्त होती है, चिंता मुक्त होकर जीवन जीता है। ऋण से मुक्ति मिलती है तथा दुखों से दूर जाता है। यदि जातक इस रत्न को विधिपूर्वक धारण कर लेता है तो उसे रोगों से मुक्त होने का भी सौभाग्य प्राप्त हो जाता है।
  • ऐसे जातक जिनके विवाह में रुकावटें पैदा हो रही हैं उन्हे यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इस रत्न के प्रभाव से होने वाली रुकावटें कम हो जाएंगी जिससे आपका विवाह जल्द ही पूर्ण हो जाएगा।
  • वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति को कम करता है, होने वाली धन हानि से भी बचाता है। इसके प्रभाव से जातक के जीवन में होने वाली सेक्सुयल समस्याएँ भी कम हो जाती है।
  • यदि जातक इस रत्न को पहनता है तो उसकी आयु में वृद्धि होगी, जीवन में होने वाली समस्याओं से लड़ने की शक्ति मिलेगी। यदि जातक को किसी गुप्त रोग की परेशानी है तो उसमें भी यह रत्न लाभदायक होता है। नीलम के शुभ प्रभाव से अचानक धन लाभ होने के भी योग बनते हैं।
  • नीलम धारण करने से जातक भाग्य से बली हो जाता है। धार्मिक कार्यों में इच्छा रखने वाला तथा धार्मिक यात्राओं पर विश्वास करने वाला बन जाता है। गलत कार्यों से दूर रखता है तथा बुरे सपनों से भी मुक्त करता है। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता का कारक बनता है और गुरुओं का साथ मिलता है।
  • यदि जातक इस रत्न को धारण करता है तो उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। जातक के कर्मों को सुधारता है जिससे व्यक्ति की वाणी भी मधुर हो जाती है।
  • यदि जातक नीलम को सही समय पर और सही विधि से धारण करता है तो उसकी कुंडली में राजयोग बनने के अवसर ज्यादा रहते हैं।
  • इस रत्न को धारण करने से जातक को अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है जिससे वह आसानी से लाभ अर्जित कर पाता है।
  • नीलम के शुभ प्रभाव से नौकरी से जुड़े कार्यों में उपलब्धि हासिल करता है। दोस्तों या परिवार में होने वाले आपसी मतभेदों से भी बचाता है।
  • इस रत्न के पहनने से जातक बीमारियों से छुटकारा मिलता है जिसके कारण अस्पताल में लगने वाले चक्करों से बचता है।
  • व्यापार में होने वाली हानि को पहले ही संकेत के रूप में बता देता है। विदेश जाने के लिए पैदा हो रही दिक्कतों को खत्म करता है।
  • यदि जातक अपने जीवन से परेशान होकर खुद को नुकसान पहुंचाने का विचार करता है तो उसे यह नीलन अवश्य धारण करना चाहिए।

नीलम रत्न के नुकसान । Demerits of Neelam Blue Sapphire

इस पूरी प्रकृति में हमें बहुत से तरह के रत्न देखने को मिलते है ज्यादातर सभी रत्नों का प्रभाव अलग-अलग तरह का होता है और इन रत्नों के जितने ज्यादा फायदे है उससे कई गुना ज्यादा नुकसान होते हैं। अगर रत्न सही विधि अनुसार धारण नही किया जाय तो उसके बहुत बुरे प्रभाव देखने को मिलते है। इसी प्रकार नीलम के नुकसान आपको नीचे लिखे कुछ बिन्दुओं में पढने को मिलेंगे। कृपया नीचे दिए गई बिन्दुओं को ध्यान पूर्वक पढ़े।  

  • नीलम आपको शरीर में पैरों की दिक्कत के साथ एक्सिडेंट का मौहौल बना देता है अगर माणिक या मूंगा के साथ पहन लिया जाये तो। यह सोने में भी नहीं पहना जाता क्योकि सोना सूर्य की धातु है इसलिए नीलम को पंचधातु या अष्टधातु या कांसा की धातु में पहना चाहिए।   
  • यदि शनि के ऊपर मंगल की दृष्टि है और आपने शनि का रत्न नीलम धारण कर लिया तो आपको सांस, गले, बाजु से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • जातक को मानसिक तनाव, शारीरिक समस्याओं अथवा स्वभाव में कमी देखने को मिले तो समझों शनि आपकी राशि के प्रथम भाव यानी लग्न भाव में नीच का है। यदि आपने इस स्थिति में नीलम धारण कर लिया तो आपके लिए यह स्थिति और भी ज्यादा हानिकारक हो सकती है।
  • इस रत्न के अशुभ प्रभाव से जातक को पारिवारिक कलह, दुख, वाहन दुर्घटना जैसी समसायाओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • यदि आपने यह रत्न धारण कर लिया है और आपकी कुंडली में शनि का राहू के साथ कोई योग बन रहा है तो आपको पेट, सीने, गुप्तांगों से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है।   
  • यदि शनि का केतू के साथ किसी भाव में संबंध बनता है और आप ऐसी स्थिति में नीलम धारण कर लेते हैं तो आपको किडनी, पथरी आदि से जुड़ी समस्या होने की समस्या हो सकती है।
  • यह रत्न धारण करने के बाद यदि जातक को अकालमृत्यु से जुड़ी घटना अथवा आँखों से जुड़ी किसी समस्या से गुजरना पड़ रहा है तो समझो शनि और सूर्य का संबंध आपकी कुंडली में बना हुआ है जो की नीलम धारण के लिए पूर्णतया अनावश्यक है।

नीलम रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिये । Right Weight of Wearing Blue Sapphire

इस संसार में पाए जाने वाले सभी रत्नों का वजन कुंडली के आधार पर ही निर्धारित होता है न की जातक के वजन के आधार पर जो की आज के समय मे हर जगह प्रचलित है। परंतु लोग अपनी-अपनी पसंद के अनुसार कम ज्यादा रत्ती का भी पहन लेते हैं जिसके कारण उसके नकारात्मक प्रभाव देखने पड़ते हैं।

लेकिन हम आपसे यही कहेंगे की रत्न धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिष आचार्य को अपनी कुंडली दिखवा लें ताकि आपकी राशि के हिसाब से सही रत्ती धारण करने में मदद मिल सके। सामान्य तौर पर देखा जाए तो नीलम 5 रत्ती से लेकर 7 रत्ती के बीच सही माना जाता है लेकिन राशि के अनुसार पहनना बेहद शुभ माना जाता है।  


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नीलम रत्न धारण करने की विधि । रत्न धारण विधि

इस विधि से करें धारण करें नीलम रत्न – नीलम शनिवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है और यह रत्न रात्रि के समय पांच धातुओं से बनी किसी अंगुठी में जड़बाकर बीच की उंगली में पहनना बहुत ज्यादा शुभ बताया गया है। यदि जातक इस शनि रत्न को विधि पूर्वक पहनता है तो यह रत्न जातक को धनबान बना देता और यदि इस रत्न को विधि पूर्वक न पहना तो यह व्यक्ति को कंगाल बना देता है। कभी कभी ऐसा भी होता है की इस रत्न को व्यक्ति विधि पूर्वक पहनता है लेकिन उसे इसका कोई फायदा नही होता है। इसके भी कई कारण हो सकते है जैसे –

  • नीलम पहनने के बाद व्यक्ति को हर शनिवार और शनि रात्रि में व्यक्ति को गरिबों में अन्न दान करना चाहिये।  
  • यदि व्यक्ति मांश मदिरा का सेवन करता है तो उस व्यक्ति को शनिवार के दिन बिलकुल भी इसका सेवन नहीं करना चाहिये।  
  • इस रत्न को धारण करने के बाद घर के सभी बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें तभी इसके फायदे होंगे।  
  • व्यक्ति को प्रति महीने शुक्ल पछ में हर दुसरे शनिवार के दिन नीलम को दूध, गंगाजल तथा घी से अवश्य भिगोकर पवित्र करना चाहिये।  
  • इसको धारण करने के बाद कभी किसी व्यक्ति को धोखा, झूठा विश्वाश न दिलायं नही तो इसका परिणाम उल्टा आपको ही भोगना होगा।   

नोट- यह एक सामान्य विधि है परंतु किसी भी रत्न को धारण करने के लिए अपनी कुंडली के अनुसार अनुभवी ज्योतिष से विधि पुंछना अति आवश्यक है। अपनी कुंडली के अनुसार सही विधि जानने के लिए ऊपर दीय गय फॉर्म को भरें।


नीलम रत्न का 12 राशियों पर प्रभाव । Impacts of Neelam Blue Sapphire on 12 Signs

इस दुनिया में पाए जाने वाले सभी रत्नों के कहीं न कहीं लाभ हानि होते हैं लेकिन वह आपके ऊपर निर्भर करता है की आप कौन सी स्थिति में रत्न को धारण करते हैं। ऐसे ही हम सभी राशियों पर नीलम रत्न का क्या-क्या प्रभाव होता है यह नीचे राशि के अनुसार बताएँगे। जो कुछ इस प्रकार है।  


मेष राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Aries
नीलम

इस राशि का स्वामी मंगल है और यह रत्न शनि का रत्न है। मंगल और शनि एक दुसरे के वैरी होते है इसलिए यह रत्न मेष राशि के जातकों के लिए अच्छा नही है। इस स्थिति में मेष राशि के जातकों को रत्न नही धारण करना चाहिये। 

क्योंकि इसके कारण व्यक्ति को तकलीफ और ज्यादा होती है ऐसे व्यक्तियों के काम काज में रुकावट आती है और उनके आगे बढ़ने का मौका कम हो जाता है।  


वृषभ राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Taurus
नीलम

इस राशि के जातकों को यह रत्न धारण करने के लिए ज्यादा चिंता करने की जरुरत नही है। इस राशि के स्वामी शुक्र है और शक्र की शनि के साथ हमेशा मित्रता रहती है। 

ऐसी स्थिति में नीलम का प्रभाव व्यक्ति के उपर बहुत ही अच्छा होता है और उस व्यक्ति को हर काम में सफलता प्राप्त होती है। क्योंकि शनि आपके लिये एक योगकारक ग्रह होता है।  


मिथुन राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Gemini
नीलम

इस राशि का स्वामी बुध होता है और नीलम एक शनि रत्न है। इस राशि के स्वामी यानि बुध हमेशा शनि के साथ मित्रता का भाव रखते है। जिससे आपके लिए यह नीलम रत्न बेहद लाभकारक हो सकता है, लेकिन आपको विधि पूर्वक तथा अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाने के बाद ही धारण करें।    


कर्क राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Cancer
नीलम

इस राशि का स्वामी चन्द्र है और शनि हमेशा चन्द्र के साथ शत्रु का सम्बन्ध रखता है इस कारण कर्क राशि के लोगों को ज्योतिष परामर्श लेने की सक्त जरुरत है। ऐसे व्यक्तियों को ज्योतिष परामर्श लेने के बाद ही यह रत्न धारण करना चाहिये।   


सिंह राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Leo
नीलम

इस राशि का स्वामी सूर्य होता है और सूर्य की शनि के साथ कभी मित्रता नही हो सकती इस कारण सिंह राशि के जातक यह रत्न न धारण करें और यदि कर लिया तो आपको बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि यह रत्न आपके लिए उचित नही होता है।   


कन्या राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Virgo
नीलम

इस राशि का स्वामी बुध है और बुध हमेशा शनि के निकट रहता है तो ऐसी स्तिथि में यह रत्न धारण करने से न तो कोई लाभ होता है और न ही कोई हानि होती है और यदि आप शनि की दशा सुधारने के लिए तथा अपनी आर्थिक स्तिथि को मजबूत करने के लिए नीलम पहनते हैं तो यह आपके लिए उचित होगा।


तुला राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Libra
नीलम

तुला राशि का स्वामी शुक्र होता है। शुक्र हमेशा सहनी के साथ सोहार्दपूर्ण भाव बना के रखता है तो ऐसी स्थिति में तुला राशि के जातको को अपने जीवन में सब कुछ अच्छा , ज्यादा फायदा उठाने के लिए यह रत्न अवश्य पहनना चाहिये।  


वृश्चिक राशिके लिए नीलम । Blue Sapphire for Scorpio
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इस राशि के जातक यह रत्न नही धारण कर सकते है क्युकी मंगल और शनि हमेशा एक दुसरे से वैर  मनाते है। इस राशि के जातक सिर्फ अपनी कुंडली में शनि की दशा के हिसाब से ही नीलम धरण करें। 


धनु राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Sagittarius
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इस राशि का स्वामी वृहस्पति है और शनि बृहस्पति के साथ एक जैसा होता है इस राशि के लोग भी रत्न धारण करने से पहले अपनी कुंडली में शनि की दशा अवश्य दिखवा लें और उसके बाद आप अपनी कुंडली में शनि की दशा के हिसाब से रत्न पहन सकते है।   


मकर राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Capricorn
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इस राशि के स्वामी खुद शनि है जिससे जातकों को रत्न और भी ज्यादा लाभ देगा लेकिन रत्न धारण करने से पहले शनि की दशा को किसी ज्योतिष आचार्य से अवश्य पता कर ले उसके बाद ही नीलम धारण करें। आपके लिए नीलम कारगर साबित हो सकता है यदि आप इसे सही ढंग से पहनते हैं।  


कुंभ राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Aquarius
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इस राशि के जातकों के जीवन में नीलम बहुत बदलाव लाता है क्यूंकि इस राशि के जातकों के लिए शनि वही करता है जो उसके लिए सर्बोत्तम होगा। आप इस रत्न को बिना किसी समस्या के धारण कर सकते है परंतु याद रहे यदि गलत विधि से पहना तो समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।    


मीन राशि के लिए नीलम । Blue Sapphire for Pisces
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मीन राशि के स्वामी गुरु यानी वृहस्पति है और गुरु तथा शनि हमेशा एक दुसरे के सामान होते है। इसलिए इस राशि के लोगों को नीलम नही पहनना चाहिये क्युकी इसे पहनने से व्यक्ति को तमाम सारी परेसानियाँ होने लगती है।  


नीलम रत्न का असली या नकली होना । How to identify Blue Sapphire Neelam

यदि आप इस नीलम को पहनने की सोंच रहे है तो यह ध्यान रखे की नीलम रत्न असली है या नकली उसे कैसे पहचाने यह हम आपको इस लेख के माध्यम से बताते हैं जिसके लिए नीचे दिए हुए बिन्दुओं को ध्यान पूर्वक पढ़ें।   

  • नीलम को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका यह है की नीलम जब भी ख़रीदे तो उसे दूध में रख दें यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो समझ जाइये की यह नीलम असली है ।  
  • इसकी दूसरी पहचान यह है की यह रत्न देखने में सबसे ज्यादा चमकीला तथा चिकना होता है ।  
  • अगर हम इस रत्न को किसी पानी से भरे बर्तन में रखेंगे तो हमें पानी के ऊपर  एक नीली किरण दिखाई देती है ।  
  • इसका रंग एक दम मोर के पंख की तरह होते है । 
  • यह रत्न ऐसा रत्न हैं जिसके एक ओर से दूसरी ओर देखा जा सकता है ।  

नीलम रत्न के विकल्प उपरत्न । Substitute of Blue Sapphire Neelam

नीलम के उपरत्न दो होते हैं ज्यादातर ऐसा होता है की रत्न की कीमत ज्यादा होने के कारण कुछ व्यक्ति इसे नही करीद पाते है तो वे व्यक्ति नीलम के उपरत्न को खरीद कर पहन सकते है इसके उपरत्न जिन्हें लीलिया और जमुनिया कहते है। व्यक्ति को इन उपरत्नों  को पहनने से भी व्यक्ति दोष मुक्त हो जाता है। 


लीलिया

यह उपरत्न नीले रंग का ह्ल्के रक्तिम ललाई बाला होता है। इस उपरत्न में नीलम की तरह चमक भी होती है। यह उपरत्न लीलिया गंगा तथा यमुना के किनारों पर मिलता है।  


जमुनिया

इस उपरत्न का रंग पके जामुन के जैसा होता है तथा इसका रंग गुलाबी या ह्ल्के सफ़ेद रंग का भी होता है। यह उपरत्न चिकना तथा एक ओर से दूसरी ओर देखा जा सकता है। यह उपरत्न जमुनिया हिमालय छेत्र में पाया जाता है।   


नीलम रत्न से साबधानी । Precautions from Blue Sapphire Neelam

नीलम धारण करने से पहले व्यक्ति को बहुत सी साबधानी बरतनी चाहिये। यदि नीलम को धारण करने से पहले या बाद में यदि व्यक्ति ने सब्धानियाँ न बरती तो जितने इस रत्न के फायदे होते है उससे ज्यादा इसके नुक्सान भी होते है इसलिए इस नीलम को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिष आचार्य से अवश्य पूंछ ले। उसके बाद ही नीलम धारण करें और यदि विधि पूर्वक नही पहना तो यह आपको राजा से भिखारी बना देगा।