माणिक रत्न के फायदे। Manik Ratna ke Fayde । Manik ke labh
माणिक रत्न जिसे आमतौर पर रूबी के नाम से जाना जाता है, हिंदी ज्योतिष में ग्रहों की दशा और प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। माणिक रत्न के कई फायदे माने जाते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- माणिक रत्न के स्वास्थ्य लाभ: माणिक रत्न का धारण करने से हृदय सम्बंधी रोगों, जैसे कि दिल की बड़ी हड्डी में रोग, दिल की धड़कन में अनियमितता आदि, तापमान संबंधी समस्याओं, जैसे कि शरीर का तापमान संतुलन न होना, और रक्त संबंधी विकारों को ठीक करने में मदद मिलती है। इससे रक्त चाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है जो मधुमेह की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए बेहद उपयोगी है। इसे धारण करने से रक्त संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है और व्यक्ति को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद मिलती है।
- माणिक रत्न का मानसिक शक्ति पर प्रभाव: यह रत्न मानसिक शक्ति और स्मृति शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। इसे धारण करने से मन की चंचलता कम होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है। इससे व्यक्ति के मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है और उसका मन स्थिर होता है। इससे चिंता, अवसाद, और तनाव की समस्याएं कम हो सकती हैं।
- माणिक रत्न से साहस आत्मविश्वास में बृद्धि: माणिक रत्न को धारण करने से व्यक्ति के साहस और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है। इसे धारण करने से व्यक्ति में नई चुनौतियों को स्वीकार करने की क्षमता विकसित होती है और वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए साहस से काम करता है। इससे व्यक्ति नेतृत्व की भूमिका को अधिक उत्तराधिकारी तरीके से निभाने में सक्षम होता है।
- माणिक रत्न से धनवृद्धि: माणिक रत्न के धारण से धन की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के वित्तीय स्थिति में सुधार होता है। धन की प्राप्ति के साथ-साथ इसे धारण करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वह अधिक आर्थिक स्थिति का आनंद उठा सकता है। यह रत्न व्यक्ति को धन सम्पत्ति की प्राप्ति में मदद करता है जो उसके जीवन को सुखदायी बनाता है।
- माणिक रत्न से शिक्षा में उन्नति: माणिक रत्न विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो सकता है, क्योंकि इसे धारण करने से उनकी शैक्षिक प्रगति में सहायता मिलती है। यह रत्न विद्यार्थियों के मन को शांत और एकाग्रचित्त रखने में मदद करता है, जिससे वे अध्ययन में अधिक समय दे सकते हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- माणिक से नेतृत्व गुण: माणिक रत्न को नेतृत्व और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति की नेतृत्व की क्षमता बढ़ती है और वह अपने विचारों को साहस से प्रकट करता है। इससे उसके आसपास के लोग उसके प्रभाव में आकर्षित होते हैं और उसके मार्गदर्शन में आना आसान होता है।
- माणिक रत्न से शरीर के चक्रों का संतुलन: यह रत्न शरीर के विभिन्न चक्रों को संतुलित और एक्टिवेट करने में मदद करता है। जैसे कि मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपूर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आदि। यह रत्न इन चक्रों के ऊर्जा को संतुलित करता है और शरीर की ऊर्जा को अधिकतम स्तर पर लाने में मदद करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है।
- माणिक रत्न से स्नेह/प्रेम में बढ़ोत्तरी: प्रेम, स्नेह और भावनात्मक संबंधों को मजबूत करने का एक मध्यम माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के मन में प्रेम की भावना और स्नेह की भावना उत्पन्न होती है जो उसके रिश्ते को मजबूत बनाता है। इससे व्यक्ति अपने प्रियजनों के साथ अधिक समय बिताने में सक्षम होता है और उनके बीच गहरी और सच्ची मोहब्बत का अहसास होता है।
- माणिक रत्न से नकारात्मकता से बचाव: माणिक रत्न नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है और व्यक्ति को शांति और सुखदायी जीवन प्रदान करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को नकारात्मकता से बचने की क्षमता मिलती है और वह शांत और स्थिर होता है। यह रत्न नकारात्मकता और संदेह को दूर करने में मदद करता है जिससे व्यक्ति का जीवन सुखदायी बनता है।
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माणिक रत्न कि विशेषताएँ। Manik Ratna (Ruby)
इसे माणिक रत्न या रूबी (Ruby) के नाम से जाना जाता है। यह रत्न वैदिक ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है, क्योंकि माणिक रत्नों का राजा माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसे धरती माँ के लहू का एक कतरा माना जाता है। इस रत्न को अंग्रेजी में रूबी के नाम से भी जानते है। इस रत्न को एक लैटिन शब्द रूबर से इसका नाम रूबी रखा गया है। जिसका मतलब लाल यानी रेड होता है। इस रत्न का रंग भी बहुत ज्यादा गहरे लाल रंग का तथा हल्के गुलाबी रंग तक का होता।
इसे सूर्य ग्रह (Sun) का प्रतीक माना जाता है। माणिक रत्न को धारण करने के कुछ धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं हैं और इसे ग्रहों के प्रभावों से शांति और सफलता प्राप्त करने का माना जाता है। इसके प्रभाव से जातक को सूर्य ग्रह से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से बचने में मदद करता है। इसे हिन्दी शास्त्रों में मुख्य रत्न के रूप में भी जाना जाता है। इसे सूर्य ग्रह से जोड़ा जाता है और मान्यताओं के अनुसार, माणिक धारण करने से व्यक्ति को शक्ति, स्वास्थ्य, धैर्य, साहस, और सामरिक सफलता मिलती है।
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माणिक रत्न धारण करने की विधि। Manik Ratna Dharan Vidhi
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, माणिक रत्न (रूबी) को धारण करने का एक विशेष तरीका होता है। माणिक को सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। यहाँ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक रत्न को धारण करने कि सामान्य विधि कुछ इस प्रकार है। आफ्नै कुंडली के आधार पर सटीक विधि पाने के लिए हमे संपर्क करें –
- रत्न की शुद्धि: सबसे पहले, आपको सुनिश्चित करना होगा कि आपका माणिक रत्न वास्तविक और शुद्ध है। इसके लिए आप किसी विश्वसनीय रत्न विशेषज्ञ या ज्योतिषी की सलाह ले सकते हैं।
- रत्न का वजन: माणिक का वजन कम से कम 5 रत्ती होना चाहिए। यदि आप अपनी कुंडली के अनुसार निकाले गए रत्ती को धारण करते हैं तो बेहद अच्छा होगा।
- रत्न की सेटिंग: माणिक को सोने या चांदी की अंगूठी में सेट करवाया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे सोने की अंगूठी में ही सेट करवाने की सलाह दी जाती है।
- धारण करने का दिन और समय: माणिक को धारण करने का दिन रविवार होता है, सूर्योदय के समय धारण करें।
- शुद्धिकरण प्रक्रिया: रत्न को पहले गाय के दूध, शहद, घी, गंगाजल, तुलसी पत्तियों और चावल के पानी से शुद्ध करें। यह प्रक्रिया रत्न को नकरात्मक ऊर्जा से मुक्त करने के लिए की जाती है।
- मंत्र उच्चारण: अंगूठी को धारण करने से पहले “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
- धारण करने की उंगली: माणिक को दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में धारण किया जाना चाहिए।
माणिक रत्न के मुख्य लाभ
- आत्मविश्वास में वृद्धि
- स्वास्थ्य लाभ
- धन और समृद्धि
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
- धैर्य और साहस
माणिक रत्न किन लोगो को पहनना चाहिए?
माणिक उन जातक या व्यक्तियों को पहनना चाहिए जिनकी कुंडली में सूर्य से संबन्धित किसी ऊर्जा की ज़रूरत है। मात्र सूर्य की नीचता को देख कर कभी भी माणिक रत्न धारण न करें। माणिक बहुत हे शक्तिशाली रत्न है जो पल में कुछ भी कर सकता है इसलिए सही सलाह के बाद ही पहने।
माणिक रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए?
माणिक रत्न उस व्यक्ति को कभी नहीं धारण करना चाहिए जिसकी कुंडली में शुक्र और शनि अत्यधिक शक्तिशाली है। यह दोनों ग्रह सूर्य के पर्म शत्रु है और अगर माणिक गलती से धारण कर लिया तो जातक की प्रतिष्ठा और समान को ठेस पाहुचनी शुरू हो जाएगी।