चित्रा नक्षत्र फल लाभ हानि विशेषताएँ। Chitra Nakshatra

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चित्रा नक्षत्र | Chitra Nakshatra

चित्रा नक्षत्र । Chitra Nakshatra

चित्रा नक्षत्र का राशि चक्र में 173 डिग्री 20 अंश से 186 डिग्री 40 अंश तक के फैले हुए क्षेत्र में होती है। चित्रा नक्षत्र को अरब मंजिल में अल सीमाक, ग्रीक में स्पाईका, चीन सियु में कियो के नाम से जाना जाता है। चित्रा का मूल अर्थ चमक यानि चमकीला होता है। चित्रा नक्षत्र को देखने पर यह मोती या लैंप के सामाम दिखाई देता है। चित्रा नक्षत्र को अत्यधिक संपन्नता से भी जाना जाता है।

चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा, स्वामी ग्रह मंगल और राशि कन्या 23 डिग्री 20 अंश से तुला 06 डिग्री 40 अंश तक होती है। आकाशीय पिंडों के आधार पर यह 14 वा मृदु संज्ञक नक्षत्र माना जाता है। चित्रा नक्षत्र का एक तारा होता है। इस नक्षत्र के तारे को सभी 27 नक्षत्रों के तारों में सबसे अधिक चमकने वाला तारा माना जाता है। यह खुशहाली, शान-शौकत और सम्पन्न होने का नक्षत्र माना जाता है। यह अशुभ सात्विक स्त्री नक्षत्र होता है। चित्रा नक्षत्र की जाति कृषक, योनि व्याघ्न, योनि वैर गौ, राक्षण गण और अंत नाड़ी है। [ पश्चिम दिशा का स्वामी चित्रा नक्षत्र है ] चित्रा नक्षत्र को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।  




चित्रा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी | Chitra Nakshatra mythological story

चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा हैं। देव विश्वकर्मा दिव्य वास्तुकार के रूप में जाने जाते हैं। इन्हे आकाशीय शिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। देवता विश्वकर्मा मजदूर और कारीगर के औजारों के स्वामी भी माने जाते हैं। इसीलिए जब विश्वकर्मा जयंती होती है तब सभी कारीगर अपने-अपने औजारों की पूजा करते हैं और विश्वकर्मा देवता से सर्व मंगल की कामना करते हैं। देव विश्वकर्मा को स्वर्णकार, लोहार, कार्पेंटर, राजमिस्त्री और शिल्पियों के अधिकारी माने जाते हैं। बृह्माण्ड की रचना करने वाले ब्रह्म देव के पुत्र हैं विश्वकर्मा। 

महाभारत के महाकाव्य में विश्वकर्मा देव को कलाओं का स्वामी, हजार हस्त शिल्प के प्रबन्धक, देवताओं के बढ़ई और आभूषण तथा औजारों का निर्माण कर्ता मानकर सभी कारीगरों ने इन्हे महान देवता मानकर इन्हे उच्च स्थान दिया है और इनकी पूजा करते हैं। पौराणिक कहानी के अनुसार इस ब्रह्मांड में रची सभी चीजों में विश्वकर्मा जी का योगदान है। प्राचीन तथा पौराणिक प्रसिद्ध नगरिया द्वारक और यमपुरी के निर्माता इन्हे ही माना जाता है। यहाँ तक की दिवाली का त्योहार भी विश्वकर्मा देव की पूजा करने से ही शुरू होता है।


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चित्रा नक्षत्र की विशेषताएँ | Chitra Nakshatra Importance

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चित्रा नक्षत्र आत्मा परमात्मा के संबंध में चिन्तन-मनन करने वाला नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जातक अच्छे से कार्य करने वाला, अल्प रॉम वाला [ कई जातक ऐसे होते हैं जिनके रोम होते ही नही है ], चमकदार और मनमोहक आँखों वाला और विपरीत लिंग की ओर अधिक प्रभावित होने वाला होता है। वरामिहिर के अनुसार चित्रा नक्षत्र बेहद चमक और आनंदमय नक्षत्र होता है। इसमें हीरा-मोती आदि सभी के गुण-दोष पाए जाते हैं। चित्रा नक्षत्र की स्त्री जातक यदि विवाह करती है तो वह अपनी जन्म कुंडली किसी अनुभवी आचार्य या ज्योतिषी को दिखा ले अन्यथा वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा रह सकता है। चित्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म नक्षत्र माना जाता है।


चित्रा नक्षत्र के उपाय | Chitra Nakshatra Remedy

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा हैं। मान्यताओं के अनुसार यदि चित्रा नक्षत्र पाप अथवा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को अपने जीवन में कई प्रकार की समस्याओं , रिकावटों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए हमारे अनुभवी ज्योतिष आचार्य आपके लिए उपाय लेकर आए हैं जब आपकी कुंडली में चित्रा अशुभ स्थिति में तो जातक को कौन से उपाय करने से और क्या समाधान है। 

  • चित्रा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए जातक को माता दुर्गा की पूजा वंदना करनी चाहिए इससे आपकी कुंडली में नक्षत्र की अशुभता का होगी और शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। 
  • माता दुर्गा, भगवती और जगदंबा की उपासना करने से जातक बुराइयों को त्यागकर अच्छे मार्ग पर चलने लगता है और जीवन में उन्नति के द्वार तक पहुंचता है। 
  • दुर्गा माता का उपासना करने से जातक अपने जीवन में चित्रा नक्षत्र के शुभ प्रभावों को कम करके अच्छी उन्नति प्राप्त कर सकता है। 
  • माता की वंदना करने से जातक सही और गलत को समझ पाने में सक्षम हो जाता है। 
  • कभी-कभी ऐसा होता है की जातक के मन में यह सवाल उत्पन्न होता है की किस माता की पूजा करें जिससे चित्रा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम हो और मेरे जीवन में सब अच्छा हो। तो इसके लिए जातक किसी भी देवी की पूजा कर सकता है। 
  • जातक दुर्गा सप्तशती का पाठ, सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ, देवी सहस्त्रनाम का पाठ अथवा देवी का कोई अन्य पाठ यदि प्रतिदिन सच्चे मन और श्रद्धा के साथ करता है तो उसे अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। 
  • जातक यदि शक्तिपीठों की यात्रा भी करता है तो तो भी वह चित्रा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम कर सकता है।
  • चित्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है इसलिए मंगलवार के दिन यदि देशी घी और साथ प्रकार के अनाज का दान करते हैं तो आपके लिए अच्छा साबित होगा। 
  • जातक गुड़ और तिल का दान करके भी अपने जीवन में अशुभ प्रभावों को कम कर सकता है। 
  • विश्वकर्मा जी की पूजा करने से भी इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं। 
  • मूंगा रत्न का भी प्रयोग कर सकते है।

जातक अगर इन उपायों को करने के बाद अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त नही कर पारा है तो आप चित्रा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप करके इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं। इसके लिए जातक को तिल, पान और घी को एक साथ लेकर होम करना होगा और होम करते हुए चित्रा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए इससे जातक को अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। 

चित्रा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ त्वष्टा तुरीयो अद्भुत इन्द्राग्नी पुष्टिवर्द्धनम् ।

द्विपदाछन्दsइन्द्रियमुक्षा गौत्रवयोदध: ऊँ विश्वकर्म्मणे नम: ।।


चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातक  

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

ब्रिट्रिश के 20 वी सदी हास्य के अभिनेता चार्ली चेपलिन

अमेरिका के दिग्गज कारोबारी जिन्होने माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना की। 

अमेरिका के हिलेरी क्लिंटन जो सेनेटर, पॉलिटिसियन हैं। 


चित्रा नक्षत्र फलादेश | चित्रा नक्षत्र का फल | Chitra Nakshatra Prediction

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चित्रा नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सबसे अधिक चमकने वाला तारा नक्षत्र माना गया है। इसे आध्यात्म का नक्षत्र भी कहा जाता है। चित्रा नक्षत्र का मुख्य फलादेश यही है की मोह-माया को त्यागना और उसपर विजय प्राप्त करना। अगर ऐसे में चन्द्र जातक की कुंडली में पीड़ित अथवा अशुभ स्थिति में हो तो सच को भी कमजोर बनाया जा सकता है। चित्रा नक्षत्र एक से दूसरे की ओर स्थानांतरित करना, उत्तम, जादू, मनोरंजन पूर्ण गुणदोष वाला होता है। 

यह नक्षत्र सांसरिक क्रियाओं में लिप्त, पत्नी और संतान सुख को भोगने वाला, धनवान, देवताओं के समान समाज में सम्मानित और पूज्यनीय होता है, जातक स्थायी, बहादुर, विश्वास करने के काबिल न होने के कारण जातक को समाज में कई बाते भी सुन्नी पड़ती है। और कभी-कभी इसे छल करने वाला भी कहा जाता है। इस नक्षत्र का जातक विज्ञान, निर्माण के क्षेत्र में अअपनी अच्छी छवि बनाता है। जातक विपरीत लिंग से जल्द और बातों-बातों में मोहित ( आकर्षित ) हो जाता है। जातक की आँखें चमकदार और शारीरिक बनावट के कारण देखने पर स्त्री या पुरुष का भेद न कर पाने वाला होता है। अपनी जरूरत के अनुसार ईमानदारी और बेईमानी दोनों करने वाला होता है।

चित्रा नक्षत्र का आधा भाग कन्या और आधा भाग तुला राशि में होता है। पहला आधा भाग मोह, बढ़ोत्तरी से संबंध रखने वाला, दिखावटी या जादुई प्यार, उच्च स्तर के कार्यों अथवा निर्माणों का कारक होता है । दूसरा आधा भाग वस्तुओं का निर्माण करके उन्हे आकृति देना, रिश्ते व्यवहार और तारीफ अथवा प्रशंसा की मांग करने, सुंदरता को निखारने की मांग करना और वस्तुओं को आकृति देकर उनकी चमक व सुंदरता को बढ़ाने का कारक होता है।

चित्रा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Chitra Nakshatra on Male 

इस नक्षत्र के पुरुष जातक तेज बुद्धि वाले, शांत स्वभाव वाले, सरल और शांत स्वभाव  के कारण इन्हे एक से अधिक लोगों की भीड़ में आसानी से पहचाना जा सकता है। ये जातक अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और अपना फायदा होने पर सामने वाले को अकेला छोडकर चले जाते हैं। जातक शुरुआत से ही स्वार्थी, मतलबी और योजनाओं में लालच प्रदर्शित करने वाला होता है। कई बार जातक को गलत समझा जाता है परंतु जब सच्चाई बाहर आती है तो वह सही होता है। 

जातक अपने ज्ञान को व्यर्थ के लोगों के सामने न दिखाने वाला और एक अच्छा ज्योतिषी भी हो सकता है। चित्रा नक्षत्र के जातक स्वप्न दोषी भी होते हैं यानि की इनके द्वारा देखे जाने वाले सपने कभी-कभी सच हो जाते हैं।चित्रा नक्षत्र का पुरुष जातक अपने स्वभाव के कारण कभी-कभी गंवार, अज्ञानी, लालची और लोभ करने वाला समझा जाता है। जातक कभी भी सच कहने से पीछे नही हटता है जातक हमेशा सच बोलता है और सामने कहने वाला होता है न की कायरों की तरह पीछे कहने वाला हो। 

जातक अपने दुश्मनों से भिड़ता तो है परंतु अच्छे समय के चलते चोट खाने से बच जाता है। गरीब और असहाय लोगों की मदद करने वाला, जातक बिना किसी स्वार्थ के जरूरतमन्द की सेवा करने वाला होता है। परंतु कुछ समय के बाद वह उसी सेवा में अपना स्वार्थ दिखाने लगता है। जातक अपने क्षेत्र में असम्मानित होता है परंतु दूसरे शहर अथवा जगह से इसे सम्मान मिलता है। पुरुष जातक अपनी 30 से 32 वर्ष की उम्र तक परेशानियों का सामना करता है परंतु 33 से 55 वर्ष की उम्र तक वह पूर्ण सफलता प्राप्त कर लेता है। जातक अपने परिवार में लोगों को पसंद करने वाला लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्यों में कमी निकालने वाला होता है। 

इसी कारण जातक को अपने माता-पिता से किसी भी तरह की आर्थिक मदद या प्यार नही मिलता है। जातक का पिता से खुद से दूर रखता है क्योंकि यह अपने पिता की छवि में दाग डालने का कार्य करता है। जातक जिस घर में जन्म लेता है उस घर में रहने से वंचित होता है। जातक के स्वभाव के कारण जातक का विवाह जल्द नही होता यदि हो भी जाय तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा रहता है। जातक का अपने जीवन-साथी के साथ मनमुटाव बना रहता है जिसके कारण मानसिक तनाव की स्थिति भी बनी रहती है।


चित्रा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Chitra Nakshatra on Female  

चित्रा नक्षत्र के स्त्री जातक पुरुष जातक के सामान गुड़दोष वाले होते हैं, लेकिन इस नक्षत्र में स्त्री जातक का जीवन अधिक परेशानियों भरा रहता है। स्त्री जातक की सुंदरता उसकी परेशानियों और दुख का कारक बनती है। स्त्री जातक का शरीर कोमल और नाजुक होता है। इनके बाल लंबे-लंबे होते हैं परंतु फैशन के चलते ये अपने बाल कटवा लेती हैं। 

स्त्री जातक अपनी मर्जी के अनुसार सभी कार्य करना पसंद करती हैं जिसके कारण इन्हे समाज में वह सम्मान नही मिल पाता है जो अन्य सभी सभ्यतादार स्त्रियों को मिलता है। यदि इनके सामने कोई इनसे कमजोर या कम सुंदर आ जाए तो इनके अंदर घमंड आ जाता है। ये गलत कार्य करने अथवा बदचलन होने के कारण समाज से त्याग दिया जाता है। ये चरित्रहीन और दुष्कर्म करने वाली होती हैं। 

जब चित्रा नक्षत्र की स्त्री जातक का विवाह हो और उससे पहले यदि कुंडली मिलान किसी अच्छे अनुभवी ज्योतिष अथवा पंडित से न करवाया जाए तो स्त्री जातक अपने पति के सुख से वंचित रहती है क्योंकि ऐसे में या फिर पति की मृत्यु हो जाएगी या फिर तलाक हो जाएगा। ऐसे में कई स्त्रियाँ ऐसी होती हैं जिनका विवाह होने के बाद संतति उत्पन्न होने से पहले पति का तलाक या मरण हो जाता है तो वह दोष संतान पर भी आ जाता है। जिसके कारण संतान को भी उन दुखों का सामना करना पड़ता है। 


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार चित्रा नक्षत्र | Chitra Nakshatra

चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों की आँखें गोल और भौं पतली अथवा लंबी होती हैं। इनकी सुंदरता में कोई कमी नही होती बस इनका रंग हल्का होता है। इस नक्षत्र के जातक चटक रंग अथवा छापदार वस्त्र पहनना पसंद करते हैं। कई जातक ऐसे होते हैं जो अपनी पत्नी के वस्त्रों अथवा आभूषणों को बड़े आनंदित होकर पहनते हैं और बहुत प्रसन्न होते हैं। – वराहमिहिर

चित्रा नक्षत्र के जातक वराहमिहिर के समान गुण-दोष वाले होते हैं। परंतु कुछ गुण-दोष ऐसे हैं जो वराहमिहिर से अलग हैं, जैसे जातक कलात्मक, तेज बुद्धि वाले, घर-मकान बनाने वाले और सभी कार्यों में पूर्ण होता है। ये अनोखी बात करने वाले परंतु ये अपनी गलतियों पर खुद ही शर्मिंदा होते हैं। जातक अपने कार्यों के अलाबा सभी प्रकार के व्यापारों में पूर्ण होता है जातक सभी सुखों को भोगने वाला और अच्छे स्वभाव वाला होता है। – पराशर   

चन्द्र 

यदि चन्द्र चित्रा नक्षत्र में हो तो जातक सुंदर, रूपवान और कोमल देह वाला होगा। जातक मनमोहक, संभोग क्रिया में लग्न, एक से अधिक जातकों से प्रेम करने वाला, एक से अधिक लोगों की भीड़ में आसानी से पहचाना जाने वाला होता है। जातक माता पक्ष से लाभ प्राप्तक परंतु पिता पक्ष से समस्याओं में उलझने वाला और भविष्य में अच्छा बोलने वाला होता है। 

जातक मनमोहक, चमत्कारी कार्य करने वाला और मनोरंजन का कारक होता है। जातक वस्त्र और आभूषणों का शौकीन, कला प्रेमी, आत्मा परमात्मा के समान, अंतर्ज्ञानी, अच्छा और मधुर बोलने वाला, होता है। ऐसे में कुछ ऐसे जातक होते हैं जो उच्च शिक्षा की उम्मीद में पूरा जीवन परेशान रहते हैं और अंत में हार मानके बैठ जाते हैं।

सूर्य 

जातक कर्मवीर स्वभाव वाला, महान योद्धा, आतंकी कार्य करने वाला, चतुर, दया न करने वाला, कलात्मक, छायाकार, गाने-बजाने का शौकीन, समाज में सम्मान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला और मान्यता प्राप्त करने वाला होता है।

लग्न 

यदि लग्न चित्रा नक्षत्र में हो तो जातक बड़े बनने की इच्छा रखने वाला, खुद पर विश्वास करने वाला एक से अधिक तरह से धन कमाने अथवा लाभ प्राप्त करने वाला होता है। जातक धनवान, अपने जन्म स्थल से दूर रहने वाला, रंगीले और चटक वस्त्र धारण करने वाले, ईश्वर पर विश्वास रखने वाला और दयालु, ईमानदार होता है।


चित्रा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Chitra Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – देवता विश्वकर्मा, स्वामी ग्रह मंगल और राशि कन्या। 


चित्रा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Chitra Nakshatra First Charan pad

चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य है। इसमें बुध, मंगल और सूर्य का प्रभाव होता है। राशि कन्या 173 डिग्री 20 अंश से लेकर 176 डिग्री 40 अंश तक होता है। नवमांश सिंह ! यह चरण मनमोहक, कर्मों के अनुसार कष्ट, खुद के द्वारा बर्वाद करने, गोपनियता और गुप्त संस्कार या अध्यात्म का कारक होता है। 

इस चरण में जातक कोमल अंगों वाला, गौरव वर्णी, सुनहरे अथवा हल्के भूरे बालों वाला, लंबी चौड़ी भुजाओं वाला, बात-बात पर गुस्सा करने वाला, सभ्य और स्वाभिमानी होता है। जातक अपने कार्यों को चुपके से करने वाला और किसी के सामने अपने कार्य की बात न करने वाला होता है। जातक सुंदर और अमानवीय होता है।


चित्रा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Chitra Nakshatra Second  Charan pad

चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध है। इसमें बुध, मंगल और बुध का प्रभाव होता है। राशि कन्या 176 डिग्री 40 अंश से 180 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश कन्या ! यह माँ बनने, किसी कार्य को दुबारा करने, अपने धर्म के प्रति कट्टर, नई योजनाओं और निर्णय का कारक होता है। 

चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण के जातक सुंदर नयन वाला, झुके हुए कंधों वाला, बिना खाय अपने कार्यों को करने की छमता रखने वाला, तंत्र-मंत्र की विध्या जानने वाला और एक महान लेखक होता है। जातक चालाक, नियमों का पालन करने वाला, अच्छे व्यवहार वाला, सभी कार्यों को मन लगाकर करने वाला, कमजोर हृदय वाला, खुशमिजाज़, बात का पक्का और लंबी दूरी को  जल्दी तय करने वाला होता है।


चित्रा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Chitra Nakshatra Third Charan pad 

चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शुक्र है। इसमें बुध, मंगल और शुक्र का प्रभाव होता है। राशि तुला 180 डिग्री 00 अंश से 183 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश तुला ! यह चरण संबंध, खुद से प्रसन्न, स्थिर, समाज में कुशल, दिखावा करने वाला, चमत्कार जैसे कार्यों का कारक होता है। 

इस चरण में जातक मधुरभाषी, पतले और लंबे मुखाकृति वाला, धन की बचत करने वाला, रहस्यमयी बातों को छिपाने वाला, नय कार्यों अथवा व्यापार में नीपूर्ण और समाज में प्रचलित अथवा विख्यात होता है। जातक विपरीत  लिंग की ओर अधिक मोहित होने वाला, पत्नी से अधिक या सबसे ज्यादा प्यार करने वाला, यात्राओं का शौकीन, यात्राओं से धन कमाने वाला, अच्छा शल्य चिकित्सक, अच्छे और सुयोग्य मित्रों वाला और नियमों के अनुसार सभी कार्य करने वाला होता है।


चित्रा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Chitra  Nakshatra Fourth Charan pad

चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल है। इसमें बुध, मंगल और मंगल का प्रभाव होता है। राशि तुला 183 डिग्री 20 अंश से 186 डिग्री 40 अंश तक होती है। यह चरण जादू, रहस्यमयी, लालच और भौतिकवाद का कारक होता है। 

इस चरण में जातक गोल और सुंदर नयन वाला, झुकी हुई कमर वाला, अच्छे हृदय वाला, सुंदर और सुशील शरीर वाला, घनी और मोटी भौं वाला होता है। जातक नई-नई योजनाएँ बनाने वाला और योजनाओं से अच्छा धन कमाने वाला होता है। जातक समझदार और सृजन लोगों की तरह बाते करने वाला होता है। जातक के वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ आती रहती हैं। जातक के वैवाहिक जीवन में 28 वर्ष के बाद धीरे-धीरे सुधार होने लगता है।


चित्रा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य-

चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण में जातक चोर, द्वितीय चरण में चित्रकार अथवा कलाकार, तृतीय चरण में स्त्रियों का लालची, चतुर्थ चरण में जातक परेशान होता है। 

मानसागराचार्य-

चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण में जातक सभी कार्यों में पूर्ण, द्वितीय चरण में माता-पिता अथवा गुरु भक्त, तृतीय चरण में जातक धन-दौलत से परिपूर्ण और सर्व सुख प्राप्त करने वाला, चतुर्थ चरण में जातक धनवान होता है।


चित्रा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Chitra Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है। 


सूर्य – Sun [ चित्रा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों की संगत करने वाला, ज्वलनशील वस्तुओं का व्यापारी होता है। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक बहादुर और समाज में सम्मानित होता है। 
  •  गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक शासक कार्यों में और शासन कार्यों से अच्छा धन प्राप्त करने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक गलत अथवा स्त्रियों के साथ संभोग करने की इच्छा रखने वाला होगा।

चित्रा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Chitra Nakshatra – Prediction 

सूर्य का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक सबसे अलग आखों वाला, हिंसक कार्य करने वाला, लोगों के मन में अपने प्रति डर पैदा करने वाला, चालाकी करने वाला, दया न करने वाला, दया हीन, पत्नी के बस में रहने वाला, कटु स्वभाव वाला होता है।

सूर्य का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक रंगों के मामले में मसखरापन, कलात्मक, छायाकार अथवा चित्रकार, समाज में मान्यता प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला, अनोखे वाहन को खरीदने की इच्छा रखने वाला होता है। औषधि अथवा दवाइयों का विक्रेता होता है। 

सूर्य का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अधिक कार्यों की इच्छा रखने वाला, सामान्य कामुक, गाने-बजाने का शौकीन, सबसे अलग सोच रखने वाला, स्त्री को पसंद करने वाला और किसी मंदिर अथवा धार्मिक स्थल का पुजारी होता है।

सूर्य का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक वीर-बहादुर सैनिक के समान, महान योद्धा, अनुशासन प्रिय, चालबाज और चतुर होता है।


चन्द्र – Moon [ चित्रा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक कृषि कार्य करने वाला और साहूकार होगा।
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अन्य स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण अपनी पत्नी के साथ संबंध बिगड़ता है, परंतु माता को परेशानी होगी।
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक उच्च शिक्षा प्राप्तक और सर्व प्रिय होगा। 
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक सभी प्रकार से खुश और समाज में प्रसिद्ध होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक को माता पक्ष से धन मिलेगा और सर्व सुखी होगा। 
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धन के लिए परेशान लेकिन संतान आज्ञाकारी होगी।  

चित्रा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Chitra Nakshatra – Prediction

चन्द्र का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक सुंदर अथवा मनमोहक शरीर वाला, संभोग क्रिया में रत रहने वाला, गहरे अथवा चटक रंग का शौकीन होता है। 

चन्द्र का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक आकर्षक, अनोखा, अपनी ओर मोहित करने वाले नयनों वाला, अच्छा वक्ता, समाचार वाचक, उच्च स्तर का लेखक, स्क्रिप्ट राइटर, ज्योतिषी अथवा कथा वाचक, सभ्यतादार होता है।   

चन्द्र का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक समाज में सबसे अलग दिखने वाला क्योंकि वह सबसे अलग पहनावे को पसंद करने वाला होता है, स्त्रियों के समान व्यवहार वाला, सभ्य व्यवहार वाला, स्त्री प्रेमी, स्त्रियों के समान वस्त्राभूषण धारण करने वाला और अच्छा नाट्यकार होता है। 

चन्द्र का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक गठीले शरीर वाला, भीड़ में भी आसानी से पहचाना जाने वाला, एक से अधिक कार्यो को एक साथ कार्य करने की इच्छा रखने वाला और अधिक कामुक, यौन संबंध के बारे में सबसे अलग विचार करने वाला होता है। जातक अच्छे मौके की तलाश करने वाला और मौका मिलते ही फायदा उठाने वाला होता है।


मंगल – Mars [ चित्रा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक स्त्रियों को न पसंद करने वाला होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक वैश्य स्त्रियों के चक्कर में पड़कर बरवादी के रास्ते पर जाने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक धन दौलत से परिपूर्ण और सर्व सुख प्राप्तक होता है। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अच्छी संगति वाला होगा।
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक समाज में नेता के समान पूज्यनीय होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक गाँव अथवा शहर का मुखिया होगा। 

चित्रा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Chitra Nakshatra – Prediction

मंगल का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक लालची, मानसिक तनाव में रहने वाला, अधिक विचार करने वाला, सोच-विचार कर सभी कार्यों का फैसला करने वाला, लड़कियों और औरतों के साथ रहने का इच्छुक होता है। गलत संगति में रहने वाला, इंजीनियर, आस्था में बदलाव रखने वाला होता है। ऐसे कुछ लोग जो मानसिक विकृत होते हैं। 

मंगल का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक आत्मा और परमात्मा से संबंध रखने वाला, अधिक विचार करने वाला, लोगों को उत्साहित करने वाली बाते करने वाला, लेखक, स्त्रियों के समान व्यवहार करने वाला, जनानापन स्वभाव वाला, सबसे हटकर अलग प्रकार के रंग पसंद करने वाला होता है। 

मंगल का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक कार्य करने में कुशल, संभोग क्रिया में रत रहने वाला, अनेक प्रकार की स्त्रियों से अवैध संबंध रखने वाला होता है। अजीबो गरीब तरह से संभोग करने वाला, प्रेम-प्रसंग में असफल रहने वाला, स्त्रियों के समान वस्त्र और आभूषण धारण करने वाला, वैश्य स्त्रियों के कारण अपनी सारी दौलत लूटा देने वाला होता है। इस चरण में कई जातक यौन क्रिया में हमेशा पड़े रहते है और पूर्ण होते हैं। 

मंगल का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में जातक अधिक वासना युक्त, यौन संबंधों के लिए लालची, यौन उत्पीड़क, भृष्ट आचरण वाला, जातक संभोग से पहले स्त्री को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने वाला होता है। जातक स्त्री के साथ संभोग क्रिया करने के बाद उसे मुड़कर न देखने वाला होता है। कई जातक इसके ठीक उल्टे होते हैं जो स्त्री के साथ संभोग करने के बाद उसका ध्यान रखते हैं।


बुध – Mercury [ चित्रा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक धर्म को मानने वाला और परिवार का प्रिय अथवा प्यार करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक धनवान, संततिवान और संपत्तिवान होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अपने बादे का पक्का और परिवार का मुखिया होता है। 
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अपने परिवार के सदस्यों से दुखी अथवा परेशान और धनहीन होगा। 

चित्रा नक्षत्र में चित्रा | When Mercury is in Chitra Nakshatra – Prediction

बुध का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक स्त्री सुख का इच्छुक परंतु स्त्रियों के लिए दुखी रहने वाला, औरतों के समान स्वभाव वाला होता है। जातक विश्वास करने योग्य नही होता है और बुरे चरित्र वाला होता है। विपत्तियों से बचकर रहने वाला होता है। 

बुध का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक सभ्यतादार, महान, रूपवान, अनेक रंगों को पसंद करने वाला, आँखों में अनोखी चमक वाला, धन पाने के लिए कठिन परिश्रम करने वाला होता है। जातक मेहनती होगा परंतु उसकी पत्नी अधिक मेहनत करने के कारण उच्च पद की अधिकारी होगी।

बुध का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चारण में जातक चटक अथवा अनोखे रंग को पसंद करने वाला, अनोखे तरीके के कपड़े पहनने वाला, शिल्पकार, बड़े व्यापार को करने का इच्छुक, धन कमाने और उसे बचाने में माहिर होता है।  

बुध का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में यदि बुध का मिलन हो या फिर किसी अन्य ग्रह से हो तो जातक चालबाज, कार्य करने में कुशल परंतु गलत संगति के कारण वीर्य नाश करने वाला होता है। किसी भी कार्य को बिना सोचे समझे करने वाला, अपने शौक और सुख-सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कमी न आने देने वाला होता है। जातक अपने परिवार के लोगों से पीड़ित होता है।


गुरु – Jupiter [ चित्रा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक शासन के निकट कार्य करने वाला और शासन की तरफ से लाभ अर्जित करने वाला होता है। 
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण परंतु वैश्य स्त्री के कारण यौन रोग से ग्रसित होगा।
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक धन-दौलत के मामले में भाग्यवान होगा।
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सर्वसुख भोगने वाला धनवान, अच्छा विद्वान होगा।
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अच्छा वक्ता अथवा अच्छे स्वभाव वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक एक से अधिक विषयों का ग्राता और समाज में प्रसिद्ध होगा।

चित्रा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Chitra Nakshatra – Prediction 

गुरु का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक चटक रंग को पसंद करने वाला, गोल और मधुर आँखों वाला, स्त्रियों के समान आभ्सुहनोन को पसंद करने वाला, शिल्पकार होता है। जातक राजा का दूत, कूट नीतियों का ज्ञाता, एक देश की दूसरे देश से मध्यस्थता कराने वाला होगा।

गुरु का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मनमोहक नेत्रों वाला, सुंदर और गठीले शरीर वाला, चटक-बतक रंगों को पसंद न करने वाला, ज्यादा छापदार वस्त्र धारण न करने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण, अच्छे गुण-दोष वाला, सभी धर्मों का ज्ञाता, ईश्वर में विश्वास रखने वाला, लेखन का कार्य करने वाला अथवा अच्छा कलाकार होता है।

गुरु का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक स्त्री के समान चरित्र वाला, स्त्रियों के समान वेश-भूषा बनाकर रहने वाला, जमाने के हिसाब से खुद में बदलाव करने वाला, धर्म को मानने वाला, स्त्रियों का साथ पाने के कारण समाज में प्रसिद्ध, सुख-सुविधा युक्त, घर में किसी चीज की कमी न पड़ने देने वाला और अच्छा दोस्त होता है।   

गुरु का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक रंगों में अनोखा रंग पसंद करने वाला, सुख भोगने वाला, कार्य कुशल, स्थिर वस्तुओं का व्यवसाय करने वाला, खनिज पदार्थों का ज्ञाता, निर्दयी स्वभाव वाला, शिल्पकार और क्रियात्मक होता है। 


शुक्र – Venus [ चित्रा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक की माता समाज में प्रसिद्ध होती है जिसके कारण जातक को भी समाज में अपनी छवि बनाने का मौका मिलता है। 
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक को वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और वैश्य स्त्रियों के कारण अपना धन बरवाद करने वाला होगा।
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक को अच्छी पत्नी के कारण सुखी वैवाहिक जीवन और आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होगी। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक सुख-समृद्धि वाला, पत्नी के कारण दुखी रहने वाला और ससुराल पक्ष से प्रताड़ित किया जाने वाला होगा। 

चित्रा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Chitra Nakshatra – Prediction

शुक्र का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक परेशान, रंगों का चुनाव करने में असमंजय उत्पन्न करने वाला, स्त्री के बुरे चरित्र के कारण समाज में मुह छिपा कर रहने वाला और पत्नी के आगे झुककर रहने वाला, चालाकी से धन कमाने वाला लेकिन पत्नी के कारण निरास रहने वाला होता है।

शुक्र का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, कोमल देह, बुद्धिमान, चटक रंग और चटक छाप वाले वस्त्रों को पहनने का शौकीन, स्त्रियों के समान स्वभाव वाला, अपने अनुसार जीवन में सभी फैसले करने वाला, धनवान होता है। जातक को बाल्यावस्था में अतिसार रोग से ग्रसित होता है। 

शुक्र का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक खुद का व्यापार करने की इच्छा रखने वाला, सुख-सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कमी न आने देने वाला, धर्म को मानने वाला, ईश्वर में विश्वास रखने वाला, साधुओं के समान हल्के रंग वाले वस्त्रों का उपयोग करने वाला, पत्नी सम्मान करने वाली, समाज में नेता या किसी समुदाय का मुखिया और खुद के फैसलों मे निराश होने वाला होता है।

शुक्र का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक चटक रंगो को पसंद करने वाला, छोटी-छोटी आँखों वाला, कार्य कुशल, स्त्री प्रेम का प्यासा, स्त्रियों के साथ संबंध बनाने का इच्छुक, खुद के द्वारा कमाई कई संपत्ति का मालिक होता है। पूर्वजों की महत्वता के कारण अपने फैसलों में और अपने कार्यों में बेहतर परिणाम पाने वाला होता है।


शनि – Saturn [ चित्रा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक महान, बुद्धिमान और दूसरों पर निर्भर रहने वाला होगा।
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक राजनीति में अच्छा कदम जमाने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक प्रशासनिक कार्यों में किसी अच्छे पद का अधिकारी होगा। 
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक स्त्रियों के कारण समाज में अपनी छवि बिगाड़ने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूसरों की मदद के लिए सदैव उपस्थित रहने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक शासन कार्यों में व्यस्त और स्त्री प्रेम में लिप्त रहने वाला होगा।

चित्रा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Chitra Nakshatra – Prediction

शनि का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक छोटी-छोटी बातों में कमियाँ निकालने वाला, चटक रंग के  वस्त्र पहनने वाला, अनोखे स्वभाव व आचरण वाला, वीर्य नाश करने वाला या फिर अल्प वीर्य वाला, अहंकारी,  जरूरत से ज्यादा गुस्सा करने वाला, गुस्से के कारण अपने कार्यों को खराब करने वाला, विश्वास करने योग्य होता है। मंगल का प्रभाव हो तो जातक चरम रोग का शिकारी होगा। 

शनि का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक औरतों के समान व्यवहार करने वाला होता है। जातक शास्त्रों का ज्ञाता, शिल्पकार, अलग प्रकार के वस्त्रों अथवा आभूषणों को धारण करने वाला और शिल्पकार होता है। ऐसे में कई जताक धनहीन होते हैं।

शनि का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक संयम वरतने वाला, साधारण वस्त्र पहनने वाला, प्यार-व्यार के चक्कर में न पड़ने वाला, अपनी ओर मनमोहित करने वाला, चमकीली आँखों वाला, दूसरों के दुख में उसका साथी बनने वाला होता है।

शनि का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, ताकतवर, विद्वान, एश्वर्यवान, धरती लोक में सभी सुखों को भोगने वाला, सुख-सुविधा से परिपूर्ण होता है। जातक का भाग्य इतना तेज होता है की उसे किसी के आशीर्वाद की जरूरत नही पड़ती है।   


चित्रा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Chitra Nakshatra – Prediction

राहु का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में राहु यदि शुभ स्थिति में हो तो जातक राजा के समान, भाग्यवान, धन लाभ प्राप्तक और अच्छे परिणाम प्राप्त करने वाला होता है। यदि मंगल की युति हो तो जातक नैतिक गुणों से युक्त अथवा कर्ण रोग से ग्रसित होता है। 

राहु का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक छोटा व्यापारी परंतु व्यापार के अनुसार अच्छा लबह प्राप्त करने वाला, शिल्पकला प्रेमी, दयालु हृदय वाला, धनवां लेकिन वैवाहिक सुख को भोगने के लिए तरसने वाला होता है। 

राहु का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरब में जातक तुच्छ लाभी, व्यवसाय करने का इच्छुक, खुशहाल जीवन यापन करने वाला होता है। इस चरण में मंगल या शनि का मिलन हो तो जातक अल्सर रोग से पीड़ित हो सकता है।

राहु का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में राहु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक विदेश यात्रा करने वाला, दूसरे देशो में रहने वाला, स्थायी संपत्ति से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। वैश्य अथवा अन्य स्त्रियों के कारण अपने वैवाहिक जीवन में तनाव अथवा झगड़े उत्पन्न करने वाला होता है।


चित्रा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Chitra Nakshatra – Prediction

केतु का चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक रंगों के चुनाव में परेशान होने वाला, राजा के द्वारा दिये गए दंड को सहने वाला, परेशान, शारीरिक परेशानियों में उलझा  रहने वाला होता है। 

केतु का चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक कम लाभ कमाने वाला, शारीरिक सुख भोगने वाला, विद्वान और अपनी बुद्धि के उपयोग से अच्छा धन कमाने वाला होता है। यदि यह चरण लग्न में हो और केतु शुभ  स्थिति में हो तो जातक राजा के समान यश वैभव प्राप्त करने वाला होगा।

केतु का चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक लैंगिक सुख प्राप्त करने के समय परेशानियों का सामना करने वाला, केमिकल अथवा स्टील से जुड़े व्यापार को करने वाला, अपनी गलतियों के कारण समाज में बदनामी सहने वाला, बीमारी के कारण दुखी होता है। 

केतु का चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

यदि यह चरण शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या फिर शुभ स्थानों पर हो तो जातक पुत्र सुख प्राप्त करने वाला, धन, भूमि सुख को भोगने वाला, महान होता है। जातक का विवाह 32 वर्ष के पश्चात हो तो वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।