चित्रा नक्षत्र उपाय। Chitra Nakshatra Remedy

चित्रा नक्षत्र के उपाय। Chitra Nakshatra Remedy । Chitra Nakshatra Upay

  • चित्रा के जातक को मंगल ग्रह की पूजा करनी चाहिए। मंगल उनकी शक्ति और स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है और समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  • जातक को अपने नियमों और मूल्यों का पालन करना चाहिए। संयमित और नियमित जीवनशैली उन्हें स्थिरता और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
  • विश्वकर्मा की पूजा चित्रा के जातक के लिए बेहद फायदेमंद होती है। यह उनके व्यापार और कार्यों में उन्नति की राह बनती है।
  • जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक को मंत्रों का जाप करना चाहिए। यह उनके मन को शुद्ध करता है और उन्हें आत्मविश्वास और सकारात्मकता प्रदान करता है।
  • इस नक्षत्र में जन्मे जातक को स्वामिनारायण व्रत का आचरण करना चाहिए। यह उन्हें धार्मिकता, संयम, और ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • जातक को धार्मिक कार्यों में सक्रिय रहना चाहिए, जैसे कि मंदिर या आश्रम में सेवा करना, पूजा-अर्चना में भाग लेना आदि।
  • मंगल ग्रह धूप का उपयोग इस नक्षत्र के जातकों के लिए उत्तम फलदायी होगा। धूप खरीदने के लिए आप हमारी वैबसाइट पर देख सकते हैं। 
  • चित्रा का स्वामी ग्रह मंगल है। जिसके प्रभाव को अच्छा बनाने के लिए मंगलवार के दिन लाल रंग की वस्तु दान करें।
  • मूंगा रत्न का भी प्रयोग कर सकते है।

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जातक अगर इन उपायों को करने के बाद अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त नही कर पारा है तो आप चित्रा के वैदिक मंत्र का जाप करके इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं। इसके लिए जातक को तिल, पान और घी को एक साथ लेकर होम करना होगा और होम करते हुए चित्रा के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए इससे जातक को अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। 

चित्रा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ त्वष्टा तुरीयो अद्भुत इन्द्राग्नी पुष्टिवर्द्धनम् ।

द्विपदाछन्दsइन्द्रियमुक्षा गौत्रवयोदध: ऊँ विश्वकर्म्मणे नम: ।।


चित्रा नक्षत्र । Chitra Nakshatra

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इस नक्षत्र का राशि चक्र में 173 डिग्री 20 अंश से 186 डिग्री 40 अंश तक के फैले हुए क्षेत्र में होती है। चित्रा नक्षत्र को अरब मंजिल में अल सीमाक, ग्रीक में स्पाईका, चीन सियु में कियो के नाम से जाना जाता है। चित्रा का मूल अर्थ चमक यानि चमकीला होता है। चित्रा नक्षत्र को देखने पर यह मोती या लैंप के सामाम दिखाई देता है। चित्रा नक्षत्र को अत्यधिक संपन्नता से भी जाना जाता है।

चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा, स्वामी ग्रह मंगल और राशि कन्या 23 डिग्री 20 अंश से तुला 06 डिग्री 40 अंश तक होती है। आकाशीय पिंडों के आधार पर यह 14 वा मृदु संज्ञक नक्षत्र माना जाता है। चित्रा का एक तारा होता है। इस नक्षत्र के तारे को सभी 27 नक्षत्रों के तारों में सबसे अधिक चमकने वाला तारा माना जाता है। यह खुशहाली, शान-शौकत और सम्पन्न होने का नक्षत्र माना जाता है। यह अशुभ सात्विक स्त्री नक्षत्र होता है। चित्रा की जाति कृषक, योनि व्याघ्न, योनि वैर गौ, राक्षण गण और अंत नाड़ी है। [ पश्चिम दिशा का स्वामी चित्रा है ] चित्रा को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।  



चित्रा नक्षत्र के नाम अक्षर। चित्रा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। चित्रा के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – पे

चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर पो

चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – रा

चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – री