हस्त नक्षत्र के उपाय। Hasta Nakshatra Remedy । Hasta Nakshatra Upay
- आप हस्त के जातक हैं तो आपको शुक्रवार के दिन संकष्ठहर चतुर्थी का व्रत करना चाहिए। यह व्रत आपको बेहद सुख और समृद्धि देगा।
- हस्त से जुड़े जातकों को अधिक से अधिक धार्मिक, आध्यात्मिक और वैदिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों से संबंध रखने चाहिए क्योंकि आपके जीवन को सफल बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
- मोती रत्न आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
- यदि आप अपना किसी भी तरह का कोई व्यापार करते हैं। जिसमे आपको लोगों को जोड़ने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में आपको व्यापारी संबंधित लोगों से व्यवहार बनाने की आवश्यकता होगी।
- यदि संभव हो तो ज्यादा से ज्यादा सफेद वस्त्र पहने तथा काले व नीले वस्त्रों से थोड़ा दूरी बनाकर रखें क्योंकि ये आपके लिए नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।
- घर के उत्तर पूर्व दिशा में भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और घर से बाहर निकलते समय उन्हें अवश्य प्रणाम करें इससे आपको कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।
- यदि आप सक्षम हैं तो भगवान श्री गणेश जी की चांदी से बनी मूर्ति किसी मंदिर या पुजारी को दान करें।
- इस नक्षत्र की कर्ताधर्ता चन्द्र देव को प्रसन्न करने के लिए चन्द्र ग्रह शांति धूप ज्वलित करें।
- आप इस नक्षत्र के जातक हैं तो आपको माता सरस्वती के मंदिर जाकर किसी गरीब को सफेद वस्त्र या चावल से बनी खीर दान करनी चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार इस नक्षत्र के देवता सविता की मूर्ति सोने की धातु से बनवाकर लाल चंदन, धूप, घी, दिपक, लाल फूल, केसर, खुशबू, दूध की वर्फी आदि से प्रतिदिन सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए इससे इस नक्षत्र को बल प्राप्त होता है और अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
इस नक्षत्र का परिचय और विशेषताएँ जानने के लिए क्लिक करें
कई लोगों का मानना है की यदि हस्त के अशुभ प्रभाव किसी भी उपाय को करने से कम नही हो रहे हैं तो जातक को सूर्य के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए इससे हस्त की अशुभता दूर होगी और बल प्राप्त होगा जिससे जातक अपने जीवन में बेहतर करने की ओर बढ़ पाएगा और सफलता को प्राप्त करेगा।
हस्त नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ बिभ्राड्वृहत्पिबतु सौम्यं मध्वायुर्दधद्यज्ञपत्तावविहुतम् ।
वातजूतो यो अभिरक्षतित्मना प्रजा: पुपोषपुरूधा विराजति ऊँ सवित्रे नम: ।।
हस्त नक्षत्र – Hasta Nakshatra
हस्त नक्षत्र का राशि चक्र में 160 डिग्री 00 अंश से 173 डिग्री 20 अंश के फैले हुए क्षेत्रफल वाला होता है। इस नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल आवा ” [ भौकने वाला कुत्ता ], ग्रीक में ” कोरवी ” और चीन सियु में ” चीन ” के नाम से जाना जाता है। हस्त का मूल अर्थ है हाथ। हस्त नक्षत्र के देवता सविता [ सूर्य ], स्वामी ग्रह चंद्रमा और राशि कन्या 10 डिग्री 00 अंश से 23 डिग्री 20 अंश तक होती है। हस्त को आकाशीय पिंडों के आधार पर 13 वा लघु संज्ञक नक्षत्र माना गया है। हस्त नक्षत्र के पाँच तारे होते हैं।
इस नक्षत्र के पाँच तारे आकाश में खुले हुए हाथ से आशीर्वाद देते हुए दिखाई देता है। इस नक्षत्र के देवता सविता जातकों का भरण-पोषण करने वाले, उत्पादन करने वाले और परिणाम देने वाले होते है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सविता का अर्थ उत्पन्न करना होता है। यह कल्याणकारी सत्त्वगुण संपन्न, लक्षमी दायक पुरुष नक्षत्र होता है। हस्त नक्षत्र की जाति वैश्य, योनि महिष, योनि वैर, अश्व, गण देव और नाड़ी आदि होती है। हस्त नक्षत्र को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।
हस्त नक्षत्र के नाम अक्षर। हस्त नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। हस्त के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – पु
हस्त नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – पू
हस्त नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – श
हस्त नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – ठ