विशाखा नक्षत्र फल लाभ हानि विशेषताएँ। Vishakha Nakshatra

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विशाखा नक्षत्र | Vishakha Nakshatra

विशाखा नक्षत्र । Vishakha Nakshatra

विशाखा नक्षत्र का राशि चक्र में  200 डिग्री 00 अंश से 213 डिग्री 00 अंश तक क्षेत्रफल होता है। विशाखा नक्षत्र को अरब मंजिल में अल जुबाना [ दो डंक वाला बिच्छू ], ग्रीक में लिब्रा, चीन सियु में ताई के नाम से जाना जाता है। विशाखा नक्षत्र के दो तारे माने जाते हैं जो क्रमशः 1. शाक्य , 2. खंडकातक

आचार्यों के मतानुसार विशाखा नक्षत्र को चार तारों का समूह  माना गया है कुम्हार के द्वारा बनाई गए चाक के समान माना गया है। विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्र, स्वामी ग्रह गुरु और राशि तुला जो 20 डिग्री से 40 अंश से वृश्चिक 03 डिग्री से 20 अंश तक होती है। विशाखा नक्षत्र को आकाशीय पिंडों के अनुसार 16 व मिश्र संज्ञक नक्षत्र होता है। इसके चार तारे होते है जो खाने के समय उत्पन्न होने वाले काटे अथवा वृक्ष की डाल के समान होता है। 

इसी कारण इस नक्षत्र को आचार्यों ने कही तोरण और कही बहिर्द्वार सदृश कहा है। विशाखा अशुभ तामसिक नपुंसक नक्षत्र है। इसकी जाति चाण्डाल, योनि व्याघ्र, योनि वैर गौ, राक्षस गण, अंत नाड़ी है। विशाखा नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। मान्यताओं के अनुसार विशाखा को राधा नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है। 




विशाखा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Vishakha Nakshatra mythological story

विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि है। इंद्र देव को सृष्टि के शरीर का शिल्पकार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसे वृषभ यानि विश्व की आत्मा [ प्राण ] कहा जाता है। भगवान इंद्र के बाद इस संसार में अग्नि को दूसरी शक्ति बताया गया है। भगवान इंद्रा की पत्नी सूचि और उनका निवास स्थान अमरावती है जिसे भगवान शिव का बड़ा भाई माना गया है। अग्नि को पंच महाभूतों में से एक माना गया है। पौराणिक कहानी के अनुसार अग्नि के तीन रूपों का बखान किया गया है जी कुछ इस प्रकार है- 

  1. विद्युतीय अग्नि [ पावक ] 
  2. घर्षणीय अग्नि [ पवमाना ]
  3. सौर अग्नि [ सुचि ]

मान्यताओं के अनुसार वरिष्ठ देव ने इन्हे श्राप दिया था जिसके कारण इन्हे बार-बार प्रज्वलित होना पड़ता है। ऋषिमुनियों के आधार पर अग्नि ज्वलन उत्पन्न होती है।विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि हैं। इन्द्र देव को हिन्दू धर्म में वैदिक देवता के रूप में जाना जाता है और जैन धर्म में सोधर्मकल्प के 16 वे स्वर्ग के देवता भी माने जाते हैं।

इन्द्र देव सभी देवताओं का राजा तथा इन्द्र लोक का स्वामी हैं। इन्द्र देव की उत्पत्ति ऋषि कश्यप और माता अदिति से हुई थी जिसके कारण इनके माता-पिता ऋषि कश्यप और अदिति हैं। इन्द्र को तेज वर्षा और तूफान का देवता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया गया है की इन्द्र देव ने ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ जबरदस्ती छल से संभोग किया। जिसके कारण ऋषि गौतम ने गुस्से में आकर इन्द्र को शाप दे दिया और उस शाप से दोषित होकर इनके शरीर में योनि ही योनि बन गई।

परंतु ऋषि गौतम ने इन्द्र के माफी मागने पर दया आ गई और उन योनियों को नेत्र के आकार में बादल दिया तथा क्रोध के कारण अहिल्या को पत्थर की शीला बना दिया। लेकिन कहा जाता है ऋषि गौतम के शाप से दोषित होने पर इन्द्र के अंडकोश [ वृषण ] खत्म हो गय थे। ऐसे में अग्नि देव ने विचार किया और अपनी शक्ति से इन्द्र के वृषण पुनः उत्पन्न किए। 

इस ब्रह्मांड में सभी देव शक्ति, ऊर्जा और हक [ अधिकार ] को प्रदर्शित करते हैं। अग्नि देव को विशाखा नक्षत्र के अन्य देवता भी कहा जाता है। ये वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इन्द्र के बाद दूसरे देवता माने जाते हैं। जो यज्ञ के दौरान आहुतियों के वाहक माने जाते हैं। अग्नि देव ब्रह्म और पृथ्वी के पुत्र हैं। मान्यताओं के अनुसार अग्नि की उत्पत्ति विराट पुरुष के मुख से भी मानी जाती है। अग्नि के शरीर में सात प्रकार की आभा प्रकट होती है। अर्थवेद में अग्नि देव को जीवन का भरण-पोषक, शारीरिक क्रियाओं में मददगार, ज्ञान के देवता तथा दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्निकोण का  स्वामित्व प्राप्त है।


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विशाखा नक्षत्र की विशेषताएँ । Vishakha Nakshatra Importance

विशाखा नक्षत्र खेत में हल चलाने वाला, कुम्हार के द्वारा चाक से बनाय गए बर्तन और अभिप्राय उद्देश्य का कारक माना जाता है। विशाखा नक्षत्र शुद्धत्ता, बिना की लालच के होने वाले स्नेह, राधा-कृष्ण के अटूट प्रेम और पवित्रता का कारक होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक अपने जीवन चक्र के दूसरे चरण में उन्नति करता है।

जातक क्रोधवान, स्थिर, सयंम रखने वाला और वादे का पक्का होता है। इसके चतुर्थ चरण में चंद्रमा नीच स्थित में बिराजमान रहता है। मान्यताओं के अनुसार यह देवता मुरूगन का जन्म नक्षत्र बताया गया है।


विशाखा नक्षत्र के नाम अक्षर । विशाखा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। विशाखा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

विशाखा नक्षत्र – प्रथम चरण –   ती

विशाखा नक्षत्र – द्वितीय चरण   तू 

विशाखा नक्षत्र – तृतीय चरण –   ते

विशाखा नक्षत्र – चतुर्थ चरण –   तो


विशाखा नक्षत्र के उपाय । Vishakha Nakshatra Remedy

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशाखा नक्षत्र आपका जन्म नक्षत्र है और अशुभ अथवा नकारात्मक स्थिति में है तो जातक को अपने जीवन में कई ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे जातक को हानियाँ ही हानियाँ हो सकती है। जातक शारीरिक अथवा मानसिक रूप से कमजोर हो सकता है। कहा जाता है जब कोई नक्षत्र अशुभ हो तो जातक को उसके उपाय अवश्य करने चाहिए इसीलिए विशाखा नक्षत्र के उपाय कुछ इस प्रकार है- 

  1. जातक को अष्ट वसुओं की विधि विधान से पूजा, वंदना और आरती करने से इस नक्षत्र की अशुभता दूर होती है। 
  2. भगवान विष्णु का व्रत अथवा उनकी प्रतिदिन सेवा करने से इसके नकारात्मक प्रभाव जल्द से जल्द कम हो जाते हैं। 
  3. सोमवार के दिन देवों के देव महादेव का व्रत रखकर जल और फूल अर्पित करें आपको लाभ होगा। 
  4. भगवान विष्णु की आराधना करना इस नक्षत्र की अशुभता दूर करने के लिए सबसे बेहतर और अचूक उपाय माना जाता है। 
  5. कुंडलिनी जागरण करने से विशाखा नक्षत्र से उत्पन्न हुए दोष बहुत जल्द कम होने लगते हैं।
  6. लाल, नीले और सुनहरे रंग के वस्त्रों को अधिक से अधिक उपयोग करें इससे शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
  7. बृहस्पतिवार के दिन विशाखा नक्षत्र हो तो लाल अथवा पीले वस्त्रों का दान करें। 
  8. यदि संभव हो तो बृहस्पतिवार के दिन काली भैंस का भी दान कर सकते हैं।  

मान्यताओं के अनुसार मंत्र जाप से भी इस नक्षत्र की अशुभता को दूर किया जा सकता है। इसके लिए जातक कम से कम 108 बार ” ॐ यम ” या फिर ” ॐ राम ” मंत्र का जाप प्रतिदिन करे इसके प्रभाव से जातक को बहुत जल्द शुभकारी फल प्राप्त होंगे। परंतु इन मंत्रों का जाप चंद्र के गोचर के दौरान ज्यादा महत्व दिया जाता है।

सबसे जरूरी बात यह है की जातक जब भी इन मंत्रों का प्रारम्भ करे तो वह चन्द्र गोचर के दौरान प्रारम्भ करें क्योंकि ये मंत्र चन्द्र गोचर के दौरान ज्यादा प्रभावकारी होते हैं। परंतु चंद्र गोचर विशाखा नक्षत्र में होना चाहिए।

विशाखा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को जल्द से जल्द कम करना हो तो जातक को भगवान इन्द्र और अग्नि की सोने अथवा पीतल की मूर्ति बनवाकर पूरे विधि विधान से प्रतिदिन पूजन करना चाहिए इससे विशाखा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव बहुत जल्द कम होने लगते हैं। यदि इसके अलावा जातक सरल और साधारण उपाय चाहता है तो वह यह है की विशाखा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार करें। 

विशाखा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ इन्द्राग्नी आगत गूं सुतं गीभिर्नमोवरेण्यम् ।

अस्य पातं धिये षिता ऊँ इन्द्राग्निभ्यां नम: ।।


विशाखा नक्षत्र फलादेश । विशाखा नक्षत्र का फल । Vishakha Nakshatra Prediction

विशाखा नक्षत्र भगवान श्री कृष्ण का राधा के प्रति स्नेह और खुशियों का वास कहा जाता है। विशाखा को स्नेह वासन तथा लवनिहार भी कहा जाता है। विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्र और अग्नि हैं जिसमें इन्द्र बदलाव करने वाले और अग्नि ज्वाला [ आग ] को प्रकट करने वाले होते हैं। इसी कारण इस नक्षत्र में शक्ति, ऊर्जा और प्रभुत्व का वास होता है।

विशाखा नक्षत्र के स्वामी नक्षत्र गुरु हिम्मत, भरोशे, उम्मीद, भाग्य के बलबूते कार्य करने की शक्ति और जातक के जीवन में होने वाली अनेक क्रियाओं के कारक ग्रह माने जाते हैं। 

विशाखा नक्षत्र को ऋषिमुनियों के अनुसार हल चलाने वाला, किसान और फसल उगाकर काटने वाला तथा पुनः उत्पन्न करने का कारक होता है। विशाखा नक्षत्र जातक को अपने लक्ष्य तक पाहुचने में मददगार साबित होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक चालाक, गुस्सेबाज़, पराई स्त्रियों की ओर मोहित होने वाला, संयम रखने वाला, सभी कार्यों को करने की हिम्मत रखने  वाला, साहस वाला, जातक अपने जीवन में सफलता को मुख्य उद्देश्य बनाकर जीवन जीता है जिससे उसे सफलता जल्द प्राप्त हो जाती है। 

इस नक्षत्र में जातक सबसे अलग स्वभाव वाला, जातक लड़ाई में जीत प्राप्त करने वाला परंतु घमंड के कारण लड़ाई को हारने योग्य जीत प्राप्त कर पाने वाला, शांत स्वभाव वाला परंतु अचानक अधिक गुस्सा करने वाला, परेशान किन्तु अपनी इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता वाला, अत्यधिक कामुक होता है।

जातक अपने मित्रों में अच्छी दोस्ती और मजबूत सामाजिक गतिविधियों के कारण खुद को सबसे मजबूत और अच्छा समझने वाला होता है। जातक नकारात्मक विचार के कारण परेशानियों में रहने वाला होता है।


विशाखा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Vishakha Nakshatra on Male 

विशाखा नक्षत्र के पुरुष जातक गोल-मटोल, साफ रंग वाले, दूसरों को अपनी ओर मोहित करने वाले और मजबूत तथा गठीले शरीर वाले होते हैं। इस नक्षत्र के जातक अधिकतर लंबे और छोटे दोनों प्रकार के देखने को मिलते हैं। जातक हिममटवाला, गठीले शरीर के कारण ताकतवर, तीव्र बुद्धि वाला, भगवान के भरोशे जीवन में आगे बढ्ने वाला, सच बोलने वाला, सत्यता पूर्ण जीवन यापन करने वाला होता है। जातक पौराणिक तथा प्राचीन मान्यताओं में भरोषा रखने वाला तथा उनके तहत चलने वाला होता है। 

जातक अपना कार्य करने वाला, दूसरों की गुलामी न करने वाला, धर्म को मानने वाला तथा लोगों को ईश्वर के प्रति आकर्षित करने वाला, पूर्ण धार्मिक होता है। जातक सच का साथ देने वाला होता है। इस नक्षत्र के कुछ ऐसे जातक जो ईश्वर भक्ति में पूरी तरह लीन हो जाते हैं और जीवन में सारी मोह-माया त्याग कर 35 से 36 वर्ष की उम्र तक सन्यास ले लेते हैं।

ऐसे में कई जातक अपने घर में रहकर सन्यास ले लेते हैं और ईश्वर भक्ति में खुद को लीन कर लेते हैं। ये खुद को इतना महान बना लेते हैं की लोग अपनी समस्याओं को लेके इनके पास आने लगते हैं और इनके पास भीड़ इकट्ठी होने लगती है। इस नक्षत्र के जातक राजनीति में भी अच्छी छवि बनाने वाले होते हैं। 

जातक अनोखे तरीके से धन को खर्च करने वाला, व्यापार करने वाला, गणित विषय का ज्ञाता, जातक अनाथ या फिर माता-पिता से दूर रहने वाला, माता की मृत्यु का कारण उनके प्यार से वचित रहना होता है। जातक अपने पिता के स्नेह को पाने में असमर्थ होता है। जातक पारिवारिक समस्याओं के कारण बचपन से ही कठिन परिश्रमी और कार्यों में कुशल हो जाता है। जातक विवाह के बाद अपनी पत्नी से अधिक स्नेह करने वाला परंतु पराई स्त्रियों में रत रहने वाला शराबी होता है।


विशाखा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Vishakha Nakshatra on Female 

विशाखा नक्षत्र की स्त्री जातक पुरुष जातक के समान गुणदोष वाली पाई जाती हैं परंतु कुछ ऐसे दोष जो पुरुषों की अपेक्षा उनमे अलग पाय जाते हैं। जैसे स्त्री जातक अत्यधिक सुंदर और साफ रंग वाली, जिसके कारण पुरुष जातक इनकी ओर सबसे अधिक आकर्षित होते है।

स्त्री जातक अपनी सुंदरता का फायदा उठाकर एक से अधिक पुरुषों से संबंध रखती हैं जिसके कारण समाज में इनकी बदनामी होती है। स्त्री जातक घरेलू कार्यों में निपुण, यदि नौकर है तो वह कार्यालय के कार्यों में माहिर होती है। 

स्त्री जातक अधिक दिखावा करने वाली, विश्वास न करने योग्य, अपने मित्रों अथवा महमानों से घृणा करने वाली होती है। जीवन में सब कुशल-मंगल रखने के लिए ईश्वर भक्ति वाली तथा पुजा पाठ करने वाली होती है। यदि इस नक्षत्र में चंद्र मंगल का मिलन हो तो स्त्री जातक उच्च कोटी की लेखक या फिर साहित्यकार होती है।

स्त्री जातक अपने पति से अधिक प्रेम करने वाली, धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाली, अच्छी सेहत वाली परंतु समलैंगिक के कारण शारीरिक स्थिति में कमजोर होती है।


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार विशाखा नक्षत्र | Vishakha Nakshatra

विशाखा नक्षत्र के जातक अपनी मस्ती में रत रहने वाले, इसके मित्र बहुत कम होते हैं। ये मीठी-मीठी बाते करने वाले, अपनी बातों से दूसरों को मोहित करने वाले, लोगों को परेशान करने में इन्हे ज्यादा मजा आता है। ये अपने दुश्मनों को चतुराई से मारते हैं। ये लालची होने के कारण अच्छा खासा पैसा एकत्रित कर लेते हैं। ये अधिक दिखावा करने वाले होते हैं। ——— नारद 

इस नक्षत्र के पुरुष जातक और स्त्री जातक दोनों समान गुण-दोष वाले होते हैं। ये दूसरों की हर बात जानने के इच्छुक रहते हैं और अपनी किसी भी बात का किसी को पता तक नही लगने देते हैं। — वराहमिहिर

इस नक्षत्र के जातक अपने वंश को लेकर अधिक परेशान रहते हैं। ये पुत्र सुख से वंचित होने के कारण परेशान रहते हैं। ये अभिमानी स्वभाव के होते हैं। परंतु ये अच्छा जीवन जीते हैं और अच्छा-खासा पैसा एकत्रित करने की क्षमता रखते हैं। यदि चंद्रमा मजबूत स्थिति में हो जातक अच्छे और साफ चरित्र वाला होता है।  —- पाराशर 

चन्द्र 

इस नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक तीव्र बुद्धि वाला, भरोषा करने योग्य, लेखन का कार्य करने वाला, अपनी ओर आकर्षित करने वाला, भीड़ इकट्ठी करने की शक्ति वाला, अपने लक्ष्य को पाने के लिए परिवार से दूर रहने वाला, सभी धर्मों को मानने वाला तथा सभी धर्मों को बराबर की समानता देने वाला होता है। सच बोलने वाला और अच्छा राजनीतिज्ञ होता है। जातक अपने स्वार्थ के लिए कार्य करने वाला परंतु समाज में प्रिय होता है। 

सूर्य

इस नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, प्राचीन चीजों अथवा बातों पर भरोषा करने वाला, खोजकर्ता, अशांति पूर्ण जीवन जीने वाला तथा शराबी होता है।

लग्न

इस नक्षत्र में लग्न हो तो जातक हिंसक कार्य करने वाला, छोटी सी बात पर अधिक गुस्सा करने वाला, धन एकत्रित करने वाला, ईश्वर भक्ति में खुद को समर्पित करने वाला, राजनीति में अच्छी छवि बनाने के कारण सबके सामने झुकने वाला होता है। ऐसे में कई जातक अच्छे ज्योतिषी या खोजकर्ता होते हैं।


विशाखा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Vishakha Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि, स्वामी ग्रह गुरु और राशि तुला।


विशाखा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Vishakha Nakshatra First Charan pad

विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी मंगल हैं। इसमें शुक्र, गुरु और मंगल का प्रभाव होता है। राशि तुला 200 डिग्री से 00 अंश तक होती है। नवमांश मेष ! यह चरण शक्ति,  ऊर्जा, वचन का कारक होता है। इस चरण में जातक सुंदर, दुबला-पतला, ज्ञानी, साहस वाला, लालची, स्वार्थी और अपनी खुशी के लिए दूसरों को परेशान करने वाला होता है। 

इस चरण में जातक काम वासनाओं में लिप्त, समाज में सबसे बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, समाजसेवी अथवा जरूरतमंदों की मदद करने वाला, अपने प्यार को पाने के लिए किसी भी हद ताक जाने के लिए तैयार रहने वाला होता है। शक्तिशाली लेकिन गुस्सेबाज़ होता है।


विशाखा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Vishakha Nakshatra Second Charan pad 

विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र है। इस चरण में शुक्र, गुरु और शुक्र का प्रभाव होता है। राशि तुला 203 डिग्री 20 अंश से 206 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश वृषभ ! यह चरण मजबूती, झेलने की क्षमता और भौतिकता का कारक होता है। इस चरण में जातक चौड़े व ऊंचे कंधे वाले, भरे हुए गाल, लंबी घनी और मोटी भौं वाला, मजबूत और चौड़ी छाती वाला, बड़े मस्तक वाला, साफ-सुथरी बात कहने वाला होता है। 

इस चरण में जातक सफल व्यापारी, अपने दुश्मनों को गुप्त विध्याओं से पराजित करने वाला, धनवान, सुद्धि करने वाला होता है। यह चरण सेहत के मामले में सबसे खरब माना जाता है क्योंकि इस चरण में जातक को 16 से 60 वर्ष की उम्र तक गंभीर रोगों से जूझना पड़ता है।


विशाखा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Vishakha Nakshatra Third Charan pad

विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध है। इस चरण मे शुक्र गुरु और बुध का प्रभाव होता है। राशि तुला 206 डिग्री 40 अंश से 210 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मिथुन ! यह चरण प्रसार, धार्मिक, स्वतंत्र विचारधारा, झगड़े, देखने, चिंताओं से ग्रसित और छल का कारक होता है। इस चरण में जातक आकर्षक नयनों वाला, खुश रहने वाला, सुंदर शरीर वाला, कलाओं में निपुण, दयालु, मज़ाक करने वाला, पराई स्त्रियों के साथ संबंध रखने वाला होता है। 

इस चरण में जातक विचार करने वाला, शिक्षा ग्रहण करने की इच्छा रखने वाला, सावधानीपूर्वक बढ़ोत्तरी करने वाला, तीव्र बुद्धि वाला, सफल व्यापारी और चालाक होता है। जातक को 30 से 32 वर्ष की उम्र तक कठिन परिश्रम करना पड़ता है उसके बाद जीवन में सफलता प्राप्त कर पाता है।


विशाखा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Vishakha Nakshatra Fourth Charan pad

विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र है। इस चरण में मंगल गुरु चन्द्र का प्रभाव होता है। राशि तुला 210 डिग्री 00 अंश से 213 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश कर्क ! यः चरण भावना बदलाव, भरोषा, अस्थिरता और बदले का कारक होता है। इस चरण में जातक छोटे होठ तथा ऊंची नाक वाला, सुंदर लालत और मेढक के समान पेट वाला होता है। 

इस चरण में जातक बाहर के माहौल में खुद को उसी प्रकार से ढालने वाला, अधिक गुस्सा करने वाला, बदला लेने वाला होता है। इस चरण में जातक आर्थिक लाभ प्राप्ति तथा आर्थिक विकास के लिए मेहनत करता है परंतु वह अपने भाग्य से ही लक्ष्य की प्राप्ति कर पाता है।


विशाखा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण में कुशल, द्वितीय चरण में शास्त्रों का ज्ञाता, तृतीय चरण में लड़ाई-झगड़े करने वाला, चतुर्थ चरण में लंबी उम्र जीने वाला होता है। 

मानसागराचार्य 

विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में माता-पिता की भक्ति करने वाला, दूसरे चरण में राजा के समान स्वभाव वाला, तृतीय चरण में भाग्यवान, चौथे चरण में धन दौलत से परिपूर्ण होता है।


विशाखा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Vishakha Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है। 


सूर्य – Sun [ विशाखा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक जलीय व्यापारों से अपना जीवन यापन करेगा।
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो पुरुष जातक बहादुर और युद्ध विध्या में निपुण होगा। 
  •  गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक राजनीति से अच्छा लाभ प्राप्त करने वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक धोखाधड़ी करने वाला, शासन की तरफ से दंडित और पाप करने वाला होगा।

विशाखा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Vishakha Nakshatra – Prediction

सूर्य का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक खुद का ध्यान केन्द्रित करने वाला, अपनी मस्ती में रहने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, दूसरों की कामियाबी देख जलने वाला, लालची और धन इकट्ठा करने वाला होता है। 

सूर्य का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपने दुश्मनों को चालाकी से पराजित करने वाला, दूसरों का बुरा सोचने वाला, खोजकर्ता, परेशान रहने वाला, कम खर्च करने वाला, कटु बोलने वाला और बचत करने के चक्कर में कम खाने और कम खर्च करने वाला होता है।

सूर्य का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक मीठी-मीठी बातों से अपना काम निकलवाने वाला, दिखावटी, गुस्सेबाज़, चहरा देखकर बात करने वाला होता है जातक को आँखों में समस्या या फिर अंधापन महसूस होता है।

सूर्य का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक अपनी धुन में मस्त रहने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, वैज्ञानिकों के समान विचार करने वाला, शराबी और अपने से बड़े अधिकारियों से दुखी रहने वाला होता है।


चन्द्र – Moon [ विशाखा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक बड़ा व्यापारी अथवा कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यापार करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों से संबंध रखने के कारण जीवन में परेशानियों का सामना करने वाला होगा।
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक ज्ञानी, अच्छा ज्योतिषी या फिर गणित विषय का ज्ञाता होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक माता-पिता की सेवा करने वाला होगा परंतु पत्नी से दुखी होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अच्छी सेहत वाला, सुखी दांपत्य जीवन और धनवान होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक स्त्रियों से घृणा करने वाला होगा। 

विशाखा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Vishakha Nakshatra – Prediction

चन्द्र का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अपने स्वार्थ के लिए जीने वाला, अपने काम के लिए दूसरों का फायदा उठाने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, दूसरों की योजनाएँ जानने वाला और उनपर स्वंम कार्य करने वाला, जानवरों के पालन-पोषण से लाभ कमाने वाला होता है।

चन्द्र का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक वादे का पक्का, भरोषा करने योग्य, कुछ होने का दिखावा करने वाला, अपनी धुन में रहने वाला, किसी की न सुनने वाला, संयम रखने वाला, जबाब देने में माहिर, स्त्रियों के साथ से अच्छा लाभ प्राप्त करने वाला, धार्मिक किन्तु सभी धर्मों को बराबर की समानता देने वाला होता है।

चन्द्र का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक बुराई-भलाई सब सामने करने वाला, परंतु बाद में अंदर ही अंदर घुटने वाला, तेज बुद्धि वाला, समाज में प्रसंसित परंतु अपघृषक, तुच्छ स्वभाव का होता है। 

चन्द्र का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक अपने स्वभाव से एक से अधिक लोगों को इकट्ठा करने वाला, दूसरों की योजनाएँ तथा विचारो को जानने वाला, दूसरों को देख जलने वाला और गुस्सेबाज़ होता है। अगर चंद्र मजबूत होकर लग्न में हो तो जातक सच्चा और अच्छाई की ओर चलने वाला होता है।


मंगल – Mars [ विशाखा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अपने देश से दूसरे देश में निवास करेगा और पत्नी से अनबन रहेगी। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक माता से प्यार और पिता से घृणा करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक की पत्नी उससे तेज, संस्कारी और ज्ञानी होगी। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक परिवार में लोगों के बीच में रहने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक शासन के कार्यों में कार्यरत होगा और अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक सभी कार्यों को करने में माहिर परंतु कम खर्च करने वाला होगा। 

विशाखा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Vishakha Nakshatra – Prediction

मंगल का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक साहस वाला, किसी से न डरने वाला, कम लोगों की संगत करने वाला, लालची होने के कारण अच्छा धन बचाने वाला परंतु स्वंम पर अधिक खर्च करने वाला, अपने से बड़ों का सम्मान न करने वाला, परेशान रहने वाला, तीक्ष्ण स्वभाव वाला होता है। 

मंगल का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक दूसरों के सामने अच्छा बनने के लिए उसकी तारीफ करने वाला परंतु पीछे उसकी बुराई करने वाला, दल बदलू, धर्म को मानने वाला परंतु अपने लाभ के लिए किसी भी धर्म की बुराई-भलाई करने वाला होता है। यदि सूर्य से मिलन हो तो जातक झूठ बोलने वाला, बुरे कर्म करने वाला होगा। यदि चन्द्र का मिलन हो तो जातक मजदूर या कारीगर होगा।

मंगल का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपने आप में खुश रहने वाला, कम लोगों के साथ रहने वाला, दूसरों की क्षमता का पता लगाकर उससे मित्रता करने वाला, साधारण स्वभाव वाला, स्नेह को अच्छी तरह निभाने वाला परंतु अंत में धोखा मिलता है। जातक चमड़े से बनी वस्तुओं का निर्माण करने वाला या व्यापार करने वाला होता है।

मंगल का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक समझदार, स्नेह में खुद को बेकाबू करने वाला, दुश्मनों का सामना करने वाला न की कायरों की तरह पीछे हटने वाला, अपनी योजनाओं में सफलता प्राप्त करने के बाद ही उन्हे जाहीर करता है। जातक शांत स्वभाव वाला परंतु अपने फायदे के लिए दूसरों का उपयोग करने वाला होता है। यदि यह चरण लग्न हो और इसी चरण में मंगल की युति हो तो जातक समाज में उच्च पद का नेता होगा जैसे मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री।


बुध – Mercury [ विशाखा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक कठिन परिश्रम करने वाला, शासन कार्यों में व्यस्त रहने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होता है। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक मध्यम वर्गी धनी होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक एक से अधिक विषयों का ज्ञाता, धनवान होगा। 
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अपने जीवन में परेशानियों का सामना करते हुए जीवन-यापन करेगा।

विशाखा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Vishakha Nakshatra – Prediction

बुध का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक कही सुनी बातों पर भरोषा करने वाला, दूसरों के मुह पे तारीफ और पीछे बुराई करने वाला, दूसरों का बुरा सोचने वाला, दूसरों की उन्नति को देख जलने वाला, मित्रों के साथ छल करने वाला, संभोग करने की शक्ति कमजोर होती है। यदि शनि का मिलन इस चरण में हो तो जातक टेक्निकल लाइन से जुड़ा होगा। 

बुध का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक कम खर्च करने वाला, धन बचाने वाला, ये न किसी से दोस्ती करते हैं और न ही किसी से दुश्मनी करते है। ये वैभव युक्त, भाग्यशाली, विधवा स्त्रियों के साथ संभोग करने का इच्छुक होता है। यदि इस चरण में सूर्य  का मिलन हो तो जातक अधूरी शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी उच्च कोटी का ज्ञानी होगा।

बुध का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक अपनी बातों की दूसरों को भनक तक न लाग्ने देने वाला, धन इकट्ठा करने के कारण कंजूस और अन्य वस्तुओं का संग्रहन करने वाला होता है। अनुराधा नक्षत्र पर शनि हो तो जातक अच्छा व्यापार करने वाला, शनि की युति इस चरण मे हो तो जातक अपने परिवार की समस्याओं में उलझा रहने वाला और बीमारी में धन खर्च करने वाला होगा।

बुध का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, सुंदर, अपने आप में खुश रहने वाला, एक वस्तु को एकत्रित करने बाद दूसरी की तलाश में लग जाने वाला होता है। जातक आवारा, झूठ बोलने वाला और फालतू के खर्चे करने वाला होता है।


गुरु – Jupiter [ विशाखा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अच्छी सेहत वाला और सुखी पारिवारिक जीवन जीने वाला होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक भाग्य से धनी परिवार में जन्म लेने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक साहस वाला, तीव्र बुद्धि वाला और धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सच बोलने वाला, सच के मार्ग पर चलने वाला और धनी होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक रूपवान और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक एक से अधिक विषयों का ज्ञाता और उच्च कोटी का विद्वान होगा। 

विशाखा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Vishakha Nakshatra – Prediction 

गुरु का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक साधारण व्यक्तित्व वाला, बाजारू स्त्रियों के साथ यौन क्रिया करने वाला, शराबी, कम मित्रो वाला, कम शिक्षित, दूसरों की कमियाँ देखने वाला, छोटी-छोटी बात पर चिढ़ने वाला, गलत कार्यों के कारण कोर्ट के चक्कर लगाने वाला होता है।

गुरु का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक खुद को काबू में रखने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण, दूसरों की स्थिति देखकर बात करने वाला, सदाचार की भावना वाला, धर्म के हित में कार्य करने वाला और तंत्र-मंत्र की विध्या में व्यस्त रहने वाला होता है। 

गुरु का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, अपनी पसंद के हिसाब से वस्त्र पहनने वाला, दिमाग से और कम मेहनत के अच्छा पैसा कमाने वाला होता है। यदि इस चरण में शुक्र का मिलन हो तो जातक शिक्षक होगा। 

गुरु का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक भाग्यवान, स्नेह में खुद को भूल जाने वाला, सच बोलने वाला, बिना स्वभाव के स्नेह करने वाला होता है इसीलिए जातक को स्नेह पूजक कहा जाता है। यदि मूल नक्षत्र में केतु हो या राहु से मिलन हो तो जातक कृषक परिवार में जन्म लेगा और मेहनती कार्यों के कारण दुखों को सहने वाला होगा। यदि शनि की दृष्टि हो तो जातक बचपन में ही एक से अधिक रोगों से ग्रसित होगा।


शुक्र – Venus [ विशाखा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक अच्छा बोलने वाला और अपने परिवार में सबसे अलग होगा। 
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक अवैध कार्यों से अच्छा धन लाभ कमाने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक भवन, वाहन और भूमि का स्वामी होगा।
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक झूठ बोलने वाला और दूसरों की बुराई करने में रत होगा।

विशाखा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Vishakha Nakshatra – Prediction

शुक्र का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक साधारण स्वभाव वाला, सुनी हुई बात पर भरोषा करने वाला, दूसरों की कामियाबी पर जलने वाला, दिखावा करने वाला होता है। यदि शनि की युति हो तो जातक बुद्धिहीन, शासन कार्यों में रत रहने वाला होगा। अगर चंद्र की युति हो तो जातक दलाली करके चीजों को खरीदने व बेचने वाला होगा। 

शुक्र का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक खुद के अंदर खुशी देखने वाला, अकेले रहना पसंद करने वाला इसके कारण जातक के न मित्र होते हैं और न ही शत्रु, कम खर्च करने वाला और धन बचाने वाला, सौभाग्यशाली, उच्चकोटी का प्रेमी और सुखी जीवन जीने वाला होता है। यदि इस चरण में बुध की युति हो तो जातक शासन के किसी विभाग में कार्यरत होगा।

शुक्र का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक बुद्धिमान, स्नेह पाने  के लिए इधर-उधर घूमने वाला, अपने दुश्मनों को चालाकी से पराजित करने वाला, किसी भी इंसान को देखकर उसके चरित्र का पता लगा लेने वाला होता है। यदि सूर्य चंद्र का मिलन हो तो जातक शास्त्रों का ज्ञाता होगा।

शुक्र का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रभावशाली, पूर्ण, बिना स्वार्थ के प्रेम करने वाला, अपने जीवन में स्नेह को सबकुछ मानने वाला, सुंदर और गुणवान पत्नी वाला होता है। यदि चंद्रमा लग्न मे न हो तो जातक के सभी गुण-दोषों में बढ़ोत्तरी होगी। 


शनि – Saturn [ विशाखा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक धन के लिए परेशान रहने वाला, पिता से आर्थिक मदद नही मिलेगी। 
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक राजनीति में अच्छी छवि बनाने वाला होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक सभी प्रकार से निपुण तथा सर्व कार्यों में माहिर होगा। 
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सफलता पाने वाला और शास्त्रों का ज्ञाता होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक जीवन में सभी सुखों को भोगने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक एक से अधिक विषयों का ज्ञाता और महान होगा। 

विशाखा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Vishakha Nakshatra – Prediction

शनि का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अपनी धुन में रहने वाला, मुह पे अच्छा और पीछे बुराई करने वाला, लालची, कम खर्च करने वाला, पैसे बचाने वाला, गंदी-गंदी बाते करने वाला, परम्पराओं के अनुसार न चलने वाला होता है। यदि सूर्य बुध की युति हो तो जातक वित्तीय या फिर लेखा अधिकारी होगा।

शनि का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रेम वासना में रत, महान, बुद्धिमान, साफ-सुथरी बात कहने वाला, दिखावा करने वाला परंतु धैर्यवान होता है। यदि सूर्य से मिलन हो तो जातक के पिता को शारीरिक तथा आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। यदि राहु मंगल से युत हो तो रक्त विकारी होगा।

शनि का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक मनमोहक, घूमा फिरा के बात कहने वाला, ईमानदारी और अच्छे कार्यों की बजह से उच्च पदीय अधिकारियों के साथ रहने वाला होता है।

शनि का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक विज्ञान के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाला, बिना किसी छल के अटूट प्यार करने वाला, तीखे स्वभाव वाला होता है। स्वाती में लग्न हो तो जातक अधिक धन-दौलत एकत्रित करेगा।   


विशाखा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Vishakha Nakshatra – Prediction

राहु का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक व्यभिचारी, पूर्ण, दूसरों की मदद के लिए सदैव आगे रहने वाला होता है। जातक गरीब को भोजन कराने वाला और जरूरतमन्द की मदद करने वाला होता है। 

राहु का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक बच्चो के समान व्यवहार वाला, पत्नी की बीमारी के कारण परेशान रहने वाला, उत्तेजित, लड़ाई-झगड़े करने वाला होता है। 

राहु का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक धन-दौलत वाला, समाज में प्रसिद्ध, पिता पक्ष से अनबन जिसके कारण जातक पिता से घृणा करने वाला होता है। जातक अपने जीवन में पिता के बिना अधूरा महसूस करता है। 

राहु का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक खाने के लिए इधर-उधर भटकने वाला, अनेक रोगों से ग्रसित होता है। जातक माता-पिता के दबाव के कारण अपन्नी मनपसंद लड़की से शादी करेगा जिससे घर में अशांति रहेगी।


विशाखा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Vishakha Nakshatra – Prediction

केतु का विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक खुद की नज़रों में गिरा हुआ महसूस करने वाला, मानसिक तनाव से घिरा रहने वाला होता है। जातक अपने जीवन में सफलता के द्वार तक जाकर वापस आने वाला होता है। यदि इस चरण में शनि की युति हो तो जातक मशीनरी कार्य करने वाला होगा। 

केतु का विशाखा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक चतुर, पिता की संपत्ति पर ऐश करने वाला, बाजारू स्त्रियों पर धन लौटाने वाला होता है। लेकिन जब स्वंम कमाता है तब उसे पैसे की कदर पता चलती है। 

केतु का विशाखा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक बेईमान, नेकी न करने वाला, वीर, माता-पिता के विरोध में रहने वाला होता है। जातक अपनी मर्जी से सभी कार्य करना पसंद करता है। 

केतु का विशाखा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक बुरे लोगों की संगत करने वाला, गलत कार्य करने वाला होता है। जातक बिना मेहनत पैसा कमाने के सपने देखने वाला होता है।