ज्येष्ठा नक्षत्र उपाय फल लाभ हानि विशेषताएँ। Jyeshtha Nakshatra

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ज्येष्ठा नक्षत्र के उपाय । Jyeshtha Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इंद्र देव और स्वामी ग्रह बुध को माना गया है। यदि इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को अशुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं तो जातक इस नक्षत्र से जुड़े देवता, स्वामी और भगवान की आराधना करे जिनके आशीर्वाद से इसके अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं और जातक उन्नति की ओर बढ्ने लगता है। जातक इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए क्या करें उपाय यह हम आपको नीचे दीय गए बिदुओं में बताते हैं। 

जो कुछ इस प्रकार हैं- 

  • भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से इस नक्षत्र से उत्पन्न होने वाली परेशानियाँ कम होने लगती हैं। क्योंकि इस नक्षत्र के स्वामी बुध हैं। पन्ना भी पहन सकते है पर परामर्श अनिवार्य है।
  • स्वामी ग्रह बुध की शांति के लिए भगवान विष्णु की आराधना करना सबसे उत्तम माना जाता है। 
  • बुधवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में उत्पन्न होने वाले कष्ट कम होने लगते हैं और जातक जीवन में सफलता की ओर बढ्ने लगते हैं। 
  • माँ दुर्गा की प्रतिदिन सुबह आरती करने से इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं और शुभ परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। 
  • माता काली की आराधना करने से इस नक्षत्र के पाप प्रभाव कम होते हैं और ज्येष्ठा नक्षत्र को बल की प्राप्ति होती है जिससे यह शुभ फल देता है। 
  • ज्येष्ठा नक्षत्र को बल प्राप्त कराने के लिए लाल, काले, नीले, हरे और आसमानी रंग का उपयोग करें इससे इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं। 
  • ज्येष्ठा नक्षत्र मे होने वाले चंद्र गोचर के समय किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और वे शुभकारी साबित होते हैं।
  • इस नक्षत्र के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए अपामार्ग की जड़ बाजू अथवा गले में धारण करें। याद रहे जब ज्येष्ठा पड़े उसी दिन धारण की गई जड़ लाभ देगी।

यदि जातक इन उपायों को नहीं कर सकता है तो वह ज्येष्ठा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कर इस नक्षत्र के अशुभ परिणामों से खुद को बचा सकता है जो कुछ इस प्रकार है परंतु इन मंत्रो को विधि पूर्वक किया जाए तो ये अधिक प्रभावशाली साबित होते हैं जिसके लिए विधि कुछ इस प्रकार है- वैदिक मंत्र का जाप होम करते हुए लगभग 108 बार करना चाहिए जो घी, तिल, तेंदु तथा अपामार्ग की लकड़ियों से होम करना सबसे अधिक प्रभावकारी माना जाता है। यदि यह सब जातक के लिए संभव न हो पाए तो वह सिर्फ वैदिक मंत्र का जाप कर सकता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र का वैदिक मंत्र

ऊँ त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्रगूँहवे हवेसुहव गूँ शूरमिन्द्रम ।

हृयामिशक्रं पुरुहूतमिन्द्र गूँ स्वस्तिनो मधवाधात्विन्द्र: ऊँ शक्राय नम: ।।


ज्येष्ठा नक्षत्र | Jyeshtha Nakshatra Characterstics

ज्येष्ठा नक्षत्र । jeyashtha nakshtra

ज्येष्ठा नक्षत्र का राशि चक्र में 226 डिग्री 40 अंश से 240 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल कलब ” ( बिच्छू का हृदय ), ग्रीक में ” ऐन्टारेस ” और चीन सियु मे ” सिन ” के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र, स्वामी ग्रह बुध और राशि वृश्चिक 16 डिग्री 40 अंश से 30 डिग्री 00 अंश तक होती है। आकाशीय पिंडो के अनुसार यह 18व गण और तीक्ष्ण संज्ञक नक्षत्र है।

ज्येष्ठा के तीन तारे होते हैं। जो एक समूह में मिलकर कुंडल के आकार की छवि बनाते हैं जिसे हम छतरी के आकार का भी कह सकते हैं। ज्येष्ठा का मूल अर्थ है बड़ा, वरिष्ठ और पद में उच्च स्तर का होता है। ज्येष्ठा को इन्द्र की पत्नी माना जाता हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र रोहिणी नक्षत्र के विपरीत होता है। यह अशुभ, तामसिक, स्त्री नक्षत्र है। ज्येष्ठा नक्षत्र की जाति कृषक, योनि मृग, योनि वैर श्वान, गण राक्षस और नाड़ी अन्त्य होती है। ज्येष्ठा नक्षत्र को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।



ज्येष्ठा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Jyeshtha Nakshatra mythological story 

स्वाति नक्षत्र के देवता इन्द्र हैं। 12 आदित्यों में इन्द्र को 5वे आदित्य का स्थान प्राप्त हैं। देवता इन्द्र के माता-पिता अदिति और ऋषि कश्यप हैं। देवता इन्द्र की पत्नी सचि, निवास स्थान अमरावती, वाहन ऐरावत हाथी और शस्त्र वज्र होता है। इनके सिद्ध अंगीरा, यश स्त्रोत, गन्धर्व विश्वावसु, अप्सरा प्रम्लोचा, रक्षा वार्या, नाग लापेत्रा है।

इंद्र को आँधी, तूफान और भयंकर वर्षा का देवता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यदि देखा जाय तो देवता इन्द्र स्त्रियों के करीब रहने वाले व्यभिचारी परंतु पराक्रमी चरित्रवान होते हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार इन्हे समर्थ [ शक्र ] कहा जाता है। हिन्दू धर्म में देवता इन्द्र को सभी देवताओं का राजा माना जाता है। 

यदि पौराणिकता के अनुसार देखा जाय तो इन्द्र ने महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या से गलत संबंध बनाय जिसके कारण गौतम ऋषि के अभिशाप से देवता इन्द्र के अंडकोश नष्ट हो गए जिससे इन्हे अपनी गलती का पछतावा हुआ। परंतु इन्होने अग्नि की मदद से मेंढ़े के अंडकोश को अपने तन में स्थापित कर दुबारा से अंधकोश को प्राप्त कर लिए। इन्द्र के इन्ही व्यवहारों के कारण ऋग्वेद के 250 ऋचाओं में इन्द्र का वर्णन किया गया है।


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ज्येष्ठा नक्षत्र की विशेषताएँ । Jyeshtha Nakshatra Importance

ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह बुध भगवान विष्णु के समान छाया वाले हैं। इस नक्षत्र में चंद्रमा कभी-कभी कष्ट और दुख का कारक माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्मा जातक कम मित्रों वाला, अकेले रहना पसंद करने वाला, अपनी शक्ति का उपयोग जरूरत के कार्यों में करने वाला और मनमोहक होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र की सबसे पहली प्रेरणा अर्थ या फिर सामग्री की अत्यधिक संपन्नता होती है। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले ज़्यादातर सभी जातक भाग्यवान होते हैं क्योंकि इस नक्षत्र में जन्मे लोग अपने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म करने वाले होते हैं जिसके कारण इन्हे इस जन्म में सुख-सुविधा प्राप्त होती है। ये अपनी शक्ति का उपयोग कभी भी गलत जगह पर नही कारते जिसके कारण इन्हे अपने जीवन में सबकुछ अच्छा ही प्राप्त होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम अक्षर । ज्येष्ठा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। स्वाति नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

ज्येष्ठा नक्षत्र – प्रथम चरणनो

ज्येष्ठा नक्षत्र – द्वितीय चरण – या

ज्येष्ठा नक्षत्र – तृतीय चरण यी

ज्येष्ठा नक्षत्र – चतुर्थ चरणयू 


ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक 

वैज्ञानिक अलबर्ट आईस्टीन का चंद्र ज्येष्ठा नक्षत्र में था।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का चंद्र ज्येष्ठा नक्षत्र में था।

इंग्लॅण्ड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का सूर्य ज्येष्ठा नक्षत्र में था। 

हॉलीवुड अभिनेता एल्विस प्रिस्ले का जन्म ज्येष्ठा जक्षत्र में हुआ था। 


ज्येष्ठा नक्षत्र फलादेश । ज्येष्ठा नक्षत्र का फल । Jyeshtha Nakshatra Prediction

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र को मूल नक्षत्र माना गया है। यह 18 वे चंद्र भवन का एक तारा एंटारेस है। जो खुद पर निर्भर, स्वतंत्र और समस्याओं का कारक माने जाते हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र नक्षत्र परिवार में सबसे बड़ा, महान, शक्तिवान, प्रसंसा योग्य होता है। विद्जन इसे चंद्रमा की महारानी भी माना जाता है।

जातक अपने जीवन में ऊंचाइयों तक जाने के लिए मेहनत करता है और वह पूरी तरह सफलता को भी प्राप्त करता है जातक अपने कार्यों को करने में कुशल होता है परंतु रचनात्मक प्रतिभा पापी हो तो जातक धनहीन होता है। जातक अकेले में रहना पसंद करने वाला, जातक दूसरों की अपेक्षा खुद को ज्यादा शांत रखने वाला, गुप्त रहने वाला, धर्म के कार्यों में अपना पूरा सहयोग करने वाला, भौतिकवादी गतिविधियों को व्यस्त रहने वाला होता है। 

जातक समाज में लोगों की मदद करने वाला, अच्छा कवि, दान-पुण्य करने वाला, बुद्धिमान और धार्मिक होता है। जातक समाज में लोगों के द्वारा पूज्यनिय होता है। जातक प्रतिदिन सुबह उठकर व्यायाम करने वाला, नियमों का पालन करने वाला, तीव्र बुद्धि वाला, कट्टर विचारों वाला, बुद्धिमान लोगों की संगति करने वाला, परंतु कभी-कभी अपने फायदे के लिए झूठ बोलने वाला और बेईमानी करने वाला होता है। जातक पूरी तरह से शांत स्वभाव वाला और बुद्धिमान होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Jyeshtha Nakshatra on Male

ज्येष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक बलवान, ताकतवर, गठीले शरीर वाले, महान, बहादुर और मजबूत शरीर वाले होते हैं। जातक को दाँतो से जुड़ी समस्या अक्सर बनी रहती है जैसे पील पड़ना, पायरिया या फिर रंगहीन होते हैं। जातक गुस्सेबाज, जिद्दी, उपद्रव रखने वाला होता है।

जातक मजबूत विचार शक्ति वाले, बात के पक्के, किसी के सामने न झुकने वाला, विचार किसी की राय के अपने जीवन के फैसले करने वाला, धैर्य न करने वाला होता है। जातक अपनी चीजों का दिखावा न करने वाला, घमंड न करने वाला, शांत स्वभाव वाला, साधारण तरीके से बात-चीत करने वाला होता है। 

जातक अपने आप किसी से नही बोलने वाला, परंतु यदि किसी की बात गुप्त हो तो उसे गुप्त न रख पाने वाला होता है कभी-कभी बात छिपाने के चक्कर में यह घुटन और बेचैनी महसूस करने लगता है। जातक स्वतंत्र रूप से जीवन जीने की इच्छा रखने वाला, कम उम्र से ही बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, जीवन में उन्नति के लिए किसी की मदद न मागने वाला, भाग्य का तेज होता है।

जातक अपने परिवार से दूर रहकर अच्छा धन कमाता है और जीवन में उन्नति करता है जिसके कारण उसे अपने परिवार से दूर रहना पसंद होता है। जातक को 18 से 27 वर्ष की उम्र तक कठिन परिश्रम करना पड़ता है लेकिन बाद में साधारण हो जाता है परंतु पूर्ण सफल नही हो पाता है जातक अपने जीवन में 50 वर्ष की उम्र के बाद पूर्ण सफल हो पाता है। 

जातक अपने परिवार के लोगों से मदद न लेने वाला, माता-पिता तथा भाई बहनों से दूर रहने वाला होता है परंतु जातक की पत्नी बेहद खूबसूरत और परम सुख का आनंद देने वाली होती है जिसके कारण जातक स्नेह के लिए बहुत कम दुखी होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Jyeshtha Nakshatra on Female

ज्येष्ठा नक्षत्र के स्त्री जातक मनमोहक, प्रभावकारी और आकर्षक व्यक्तित्व वाली होती है। इस नक्षत्र की स्त्रियाँ मजबूत शरीर वाली, लंबी-लंबी भुजाओं वाली, मध्यम कद वाली, लंबे-चौड़े चहरे वाली और घुँघराले बाल वाली होती है। ये शांत अथवा साधारण स्वभाव वाली होती है। स्त्री जातक स्नेहपूर्ण, नम्र स्वाभाविक, दयालु परंतु कठोर लोगों के कारण समाज में गलत समझी जाने के कारण बेहद शांत रहने वाली होती हैं।

ये अपने प्रेमी अथवा पति से सच्चा प्रेम करने वाली, उनकी आज्ञा का पालन करने वाली, उनके बिना किसी भी कार्य को न करने वाली होती हैं। ये खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेने वाली होती हैं। ये स्त्रियाँ पुरुष जातक के समान अपनी और दूसरों की बातों को गुप्त नही रख सक्ति यदि रखती भी हैं तो इन्हे बेचैनी होने लगती है जिसके कारण ये इधर-उधर बता देती है। विवाह से पहले घर में अनबन रहती है और विवाह के बाद वैवाहिक जीवन दुखद रहता है। इनकी संताने इनसे रुष्ट रहने वाली होती हैं।                


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र | Jyeshtha Nakshatra

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक अधिक गुस्सा करने वाले, बड़े बनने की इच्छा रखने वाले, अपने कार्यों की बढ़ाई और धन को बढ़ा-चढ़ा कर सुख महसूस करने वाले होते हैं। अपने ऊपर धन खर्च करने वाले परंतु दूसरों के लिए हमेशा रो कर दिखाने वाले होते हैं। ये झूठ बोलकर अपने कार्यों को निकलवाने वाले होते हैं। रूपय-पैसों के मामले में ये भरोषे लायक नही होते है। मेहनत करके ये अपने जीवन में सफल होते हैं। – नारद

इस नक्षत्र के जातक धार्मिक विचारधारा को अधिक महत्वता देने वाले होते हैं। ये अपनी स्थिति में खुद को खुश रखने का प्रयास करते रहने वाले होते है। यदि चंद्र प्रथम या पंचम भाव में हो तो जातक कभी संतुष्ट नही हो पाता है। – वराहमिहिर

ये छोटी उम्र से ही बड़े बनने की इच्छा रखते हैं और बड़ों की तरह व्यवहार करने वाले होते है। यदि शुभ पक्ष बलि चंद्र हो या शुभ युक्त या फिर शुभ दृष्ट हो तो जातक अपनी जात तथा अपने दोस्तों से समाज में अच्छी प्रसंसा प्राप्त करते हैं। यदि चंद्रमा का बुध या मंगल के साथ दृग योग हो तो इनके घर में लक्ष्मी का वास होता है। – पराशर 

चंद्र 

यदि चंद्र इस नक्षत्र में हो तो जातक परिवार की रक्षा करने वाले, घर का मुखिया, बुद्धिमान, बहम में रहने वाला, साहस वाला होता है। जातक अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करने वाला होता है। जातक प्रभावशील परंतु चिड़चिड़ा होता है। जातक अच्छे लोगों की संगति करने वाला, व्यापार में परिवर्तन करते रहने वाला होता है।

सूर्य 

यदि सूर्य इस नक्षत्र में हो तो जातक प्रसिद्धि प्राप्तक, अकेले रहना पसंद करने वाले, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाले, कार्य करने वाला, समाज के अनुसार चलने वाला, अच्छे कार्य करने में माहिर, परिवार के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करने वाला होता है। 

लग्न 

यदि लग्न ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो जातक सम्मानित, समाज में सम्मान के योग्य, धर्म को मानने वाला परंतु अपने अनुसार बनाए गए नियमों का पालन करने वाला, एक से अधिक स्त्रियों अथवा पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण चरित्रहीन होते है। कार्य कुशल, मित्रवान, बच्चो से स्नेह करने वाला होता है। 


ज्येष्ठा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Jyeshtha Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – स्वाति नक्षत्र के देवता इन्द्र], स्वामी ग्रह बुध और राशि वृश्चिक।


ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Jyeshtha Nakshatra First Charan pad

ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी गुरु है। इसमें मंगल, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि वृश्चिक 226 डिग्री 40 अंश से 230 डिग्री 00 अंश तक के विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। नवमांश धनु ! यह परिवार अथवा जरूरत में आर्थिक स्थिति का कारक होता है। इस चरण में जातक सुंदर नाक अथवा कान वाला, पहली भौं वाला, छोटे-छोटे बालों वाला, बुद्धिमान, साहस वाला, महान अथवा कार्य-कुशल होता है। 

जातक दूसरों का मज़ाक बनाने वाला, दूसरों की बातों को बढ़ा-चढ़ा कर कहने वाला, पराई स्त्री की ओर गंदी नज़र रखने वाला होता है। धर्म से जुड़े कार्यों में मगन, सबके द्वारा पसंद किया जाने वाला होता है। जातक उच्च कोटी का विद्वान, उच्च शिक्षा को प्राप्त करने का इच्छुक, सफल अथवा तीव्र बुद्धि वाला होता है। पारिवारिक अथवा आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परेशान रहने वाला होता है। 

रिश्की कार्यों को करने के लिए आगे रहने वाला और पिता के साथ अनबन रखने वाला, पैतृक संपत्ति न मिलने पर दुखी रहने वाला होता है। पुरुष जातक कमजोर शरीर वाला, गुस्सेबाज होता है। 7, 8, 27 अथवा 28 बर्ष की उम्र में गंभीर यौन रोग होने के कारण टांग नष्ट हो सकती है या फिर मशीनरी दुर्घटना के कारण टांग नष्ट हो जाती है। पारिवारिक कलह के कारण दुखी परंतु पत्नी से प्रभावित होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Jyeshtha Nakshatra Second Charan pad 

ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शनि है। इसमें मंगल, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि वृश्चिक 230 डिग्री 00 अंश से 233 डिग्री 20 अंश तक के विसात वाले क्षेत्रफल में होती है। नवमांश मकर ! यह दारिया, झुटकारना, स्वार्थ, बचाव और भौतिकवाद का कारक होता है।

इसमें जातक टूटे हुए मुह वाला, स्थिर अंगों वाला, चौड़े दाँत अथवा सिर वाला, हाथ अथवा शरीर में जुड़े अंगों वाला, छोटे पेट वाला, यौन शक्ति कमजोर अथवा नपुनशक होता है। जातक पूरी तरह प्रयोगिक, स्वार्थ के लिए किसी भी कार्य को करने वाला, अनुशासन में रहने वाला, छोटी उम्र से ही बड़ा बनने की शक्ति रखने वाला, अपने लक्ष्य को पाने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करने वाला होता है। जातक अपने रोजगार की व्यवस्था स्वंम करने वाला, अपना भाग्य खुद चमकाने वाला होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Jyeshtha Nakshatra Third Charan pad

ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शनि है। इसमें मंगल, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि वृश्चिक 233 डिग्री 20 अंश से 236 डिग्री 40 अंश तक विसार वाले क्षेत्रफल तक होती है। नवमांश कुम्म्भ ! यह दयालुता, समाज सेवा, बुद्धिहीनता, यौन क्रिया नष्ट होने का कारक होता है।

इस चरण में जातक नासिका के चौड़े आगे के हिस्से वाला, सावले अथवा काले रंग वाला, घने बालों वाला, बुद्धिमान, परेशानी और डर से घिरा हुआ होता है। जातक व्यवसाय में बढ़ोत्तरी करने की ओर दूसरों को प्रेरित करने वाला अथवा स्वंम बढ़ोत्तरी करने वाला होता है। समाज के हित में कार्य करने वाला, जरूरतमंदों को मदद करने वाला होता है। वृद्ध माता-पिताओं की सेवा करने वाला होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Jyeshtha Nakshatra Fourth Charan pad

ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु है। इसमें मंगल, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि वृश्चिक 236 डिग्री 40 अंश से 240 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होता है। नवमांश मीन ! यह मन भावन, आजादी, भौतिकता का कारक होता है। इस चरण में जताक गौरव वर्णी, मोर के समान नेत्रों वाला, सुंदर और माशल देह वाला, भूरे लंबे बालों वाला, शांत स्वभाव वाला, गुरुओं का सम्मान करने वाला होता है, जिससे गुरु भी इसका आदर करते हैं। 

इस चरण में जातक भावुक, आर्थिक रूप से विकसवान, अपनी इच्छाओं को बुरा करने वाला होता है। ये कम उम्र से ही प्रेम-पांश में पड जाते हैं परंतु एक बार यौन क्रिया करने के बाद इन्हे लत सी लग जाती है जिसके कारण ये किसी न किसी से प्रेम की भावना रखते ही हैं और यौन क्रिया में व्यस्त रहते हैं।

ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण के प्रेमी-प्रेमिका बेहद करीबी होते हैं  जिसके कारण वे विवाह के लिए घर पर बोलते हैं, यदि घर पर सब नही राजी होते हैं तो ये घर से भागने का निर्णय ले लेते हैं और घर से फरार हो जाते हैं।


ज्येष्ठा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जातक निर्दयी, द्वितीय चरण में भोग विलासी, तृतीय चरण में बुद्धिमान, चतुर्थ चरण में पुत्र रत्न प्राप्तक होता है। 

मानसागराचार्य 

ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, दूसरे चरण में विद्वान, तृतीय चरण में राजा के समान पूज्यनिय, चौथे चरण में महान होता है।


सूर्य – Sun [ ज्येष्ठा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक भीख मागने वाले लोगों के प्रति दयालु लेकिन हिंसक कार्य करने वाला होता है। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो पुरुष जातक रक्त वर्ण नेत्रों वाला होता है।
  •  गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, राजनीति में अच्छी छवि वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक निर्धन, आलसी और बीमार होगा। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक समाज में प्रसंसा योग्य, बलवान, जीवन के प्रारम्भ में परेशानियों का सामना करने वाला, उच्च सामाजिक स्तर वाला, अपने कार्यों को करने में स्पष्ट बात कहने वाला होता है। जातक अपने साथ ज्यादा लोगों को पसंद न करने वाला परंतु अधिक मित्रों वाला होता है। 

सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक व्यापार बढ़ोत्तरी के प्रयास में लगा रहने वाला, व्यवसाय में सकारात्मक बदलाव करने वाला, गाने-बजाने का शौकीन, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला परंतु कम खर्च करके अच्छी बचत करने वाला होता है। जरूरत के कार्यों में व्यस्त रहने वाला होता है। 

सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक परिवार की मदद से जीवन में आगे बढ़ने वाला जिसके कारण परिवार का अहसानमंद होता है। जातक अपनी परिस्थितियों के अनुसार गरीब अमीर, गुस्सेबाज, हमदर्दी न करने वाला, धैर्य न करने वाला, अपनी कमाई से ज्यादा खर्चे करने वाला होता है। 

सूर्य का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक अच्छे कार्यों के लिए दूसरों को प्रेरित करने वाला, अपने माता-पिता की सेवा करने वाला, जातक अपने कार्यों के लिए दूसरों को लगाने वाला, बिना मेहनत सफलता के सपने देखने वाला होता है।


चन्द्र – Moon [ ज्येष्ठा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक मागने वालों की मदद करने वाला, दयालु लेकिन हिंसक कार्य करने वाला, सरकार के अधिकारों का पालन करने वाला, जरूरत पड़ने पर अपनी शक्तियों का उपयोग करने वाला होगा।
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक कुछ वर्गों पर आश्रित होगा।
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक जीवन में सर्व सुख प्राप्तक होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक उच्च कोटी का विद्वान और अध्यापक अथवा ज्ञान बाटने वाला होता है।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धनवान, सुंदर स्त्रियों के साथ रहना पसंद करने वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक निर्दयी, बीमार अथवा अस्वस्थ परंतु जातक की संतान नेक नही होगी।

ज्येष्ठा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

चन्द्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक महान और पूज्यनिय होने का आभास करने वाला, समाज में अच्छे कार्यों के लिए जाना जाने वाला, परिवार का भरण-पोषण करने वाला, परिवार का मुखिया, बड़े बनने की इच्छा रखने वाला, जीवन में खुद को निखारने के लिए आग की तरह जलने वाला होता है। 

चन्द्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मानसिक रूप से मजबूत, बुद्धिमान, अपने ज्ञान को समय-सामी पर दिखाने वाला, खोज करने वाला, प्रभावी लेकिन छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ाने वाला होता है। अपनी खराब परिस्थितियों में किसी के सामने हाथ न पसारने वाला होता है। 

चन्द्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

यदि प्रथम या पंचम भाव में चंद्रमा हो तो जातक जीवन में किसी भी कार्य को कारले परंतु पुरू तरह से संतुष्ट नही होता है। यदि चंद्रमा का योग मंगल या बुध से हो तो जातक के घर में लक्ष्मी का वास होता है। जातक अपने धन को बचाने का प्रयास करने वाला और कम खर्च करने वाला होता है। 

चन्द्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक परिवार की रक्षा करने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला होता है। इस चरण में सभी गुणदोष प्रथम चरण के समान होते हैं। यदि इस चरण में हस्त नक्षत्र लग्न हो तथा गुरु का मिलन हो तो जातक उच्च कोटी का शिक्षक, चिकित्सक या वैज्ञानिक होगा। जीवनसाथी के साथ दुख का सामना करना पड़ेगा लेकिन जातक की संतान भी परेशानियों का कारण बनेगी।  


मंगल – Mars [ ज्येष्ठा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक आज्ञा का पालन करने वाला, धनी लोगों के बीच रहने वाला होगा।
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक निर्दयी, पापी, स्त्रियों की संगत और यौन क्रियाओं में लिप्त रहने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक दिखावा करने वाला, दूसरे को देखकर जलने वाला, दूसरों की संपत्ति हड़पने वाला, चोरी करने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक धनवान लेकिन परिवार में वरिष्ठ होगा।
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक खान-पान पर ज्यादा ध्यान न देने वाला, स्त्रियों की संगत पसंद करने वाला, परिवार का भरण-पोषण करने वाला होता है। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक माता के प्यार की इच्छा रखने वाला परंतु माता के प्यार से वंचित, पारिवारिक कलेश का कारण होगा। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

मंगल का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक महान, किसी से भी न डरने वाला, साहस वाला, गुस्से के कारण दूसरों के साथ-साथ अपना भी नुकसान करते हैं। जातक बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, अपनी कमाई को बढ़ा-चढ़ा कर दिखने वाला होता है। 

मंगल का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक झूठ बोलने वाला, झूठ से अपने कार्यों को आसानी से करवाने वाला, जातक अपनी बात से मुकरने वाला, मेहनत करके जीवन में खुद को स्थापित करने वाला, पैसों के मामले में लालची जिसके कारण विश्वास करने लायक नही होता है। 

मंगल का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अविश्वासी, जीवन में कठिन से कठिन परिश्रम करने वाला, जातक अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करता है। जातक जीवन को मधुर बनाने के लिए सघर्षशील होता है। जातक बड़े होने का फायदा उठाने वाला, माया में डूबा रहने वाला होता है। जातक सरकार की तरफ से धन लाभ प्राप्त करने वाला होगा। 

मंगल का स्वाति नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक अपने आप को धनवान दिखाने के लिए चीजों का दिखावा करने वाला, अपनी बात पर अडिग रहने वाला, समाज में सम्मानित और उच्च पद प्राप्तक होता है।


बुध – Mercury [ ज्येष्ठा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक को गाना बजाना पसंद होगा और ललित कला से जीवन यापन करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक राजनीति में कदम रखेगा और अपने स्वार्थ के लिए लोगों का फायदा उठाने वाला होगा।
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक पारिवारिक रूप से सुखी और धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक समाज के हित में कार्य करने वाला, लड़ाई-झगड़ों में आगे रहने वाला और ताकतबर होगा। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक मेहनत करने वाला, अपने फायदे के लिए झूठ बोलने वाला, जीवन में अनेकों समस्याओं का सामना करने वाला, परिवार और समाज में सम्मानित, परिवार का मुखिया होने के कारण परिवार की ज़िम्मेदारी निभाने वाला होता है। 

बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मधुरभाषी, अनेकों आर्थिक परेशानियों का सामना करने वाला, जरूरत से ज्यादा गुस्सा करने वाला, गुस्से के कारण अपना अहित करने वाला होता है। जातक पराई स्त्रियों के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखने वाला होता है। 

बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक शासन से अच्छा लाभ अर्जित करने वाला, धातुओं से जुड़ा व्यापार करने वाला, अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाला होता है। 

बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुणदोष वाले होते हैं, जिसमें जातक अपने लाभ के लिए दूसरों को मोहरा बनाने वाला होता है। जातक अपने व्यापार में दूसरों की मदद लेना पसंद नही करते हैं।


गुरु – Jupiter [ ज्येष्ठा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक धर्म से संबंध रखने वाला, समाज के हित में कार्य करने वाला होगा।
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक धनवान, नामी, समाज में सम्मानित और अच्छा धन प्राप्तक होगा।
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक दूसरों के अहंकार को चूर करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक गलत व्यवहार वाला, लड़ाई-झगड़ों में सबसे आगे रहने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक स्त्रियों से संबन्धित वस्तुओं का व्यापार करने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक पारिवारिक सुखों से अदूर रहने के कारण निर्दयी होगा। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction 

गुरु का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक ईमानदार परंतु अधिक गुस्सेबाज, परिवार का भरण-पोषण करने वाला, परिवार अथवा किसी संस्था का मुखिया, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, अपनी आमदनी अथवा खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने वाला होता है। 

गुरु का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक बात का बतंगड़ बनाने वाला, अपनी बात की भनक तक न लगने देने वाला और दूसरों की बातों को इधर-उधर फैलाने वाला, झूठ बोलकर लोगों का धन हड़पने वाला, ये अपने व्यापार को बढ़ाने की इच्छा रखने वाला होता है। 

गुरु का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक अपने आमदनी और खर्चों का महीन हिसाब लगाने वाला, स्त्रियों की संगत करने वाला, पैसों के मामले में विश्वास करने योग्य नही होता है। अपनी परिस्थितियों को देख अपने माता-पिता से मतभेद रखने वाला, अपनी चीजों के लिए घमंडी स्वभाव का होता है।

गुरु का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक अपने से बड़ों का सम्मान करने वाला, बड़े-बुजुर्गों की बात मानने वाला, स्वाभिमानी ढंग के वस्त्र पहनने वाला, धर्म से जुड़े कार्यों में अपना योगदान देने वाला, धार्मिक विचारधारा वाला होता है। जातक अपने कार्यों की स्थिति किसी को न बताने वाला होता होगा।


शुक्र – Venus [ ज्येष्ठा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक समाज में सम्मानित तथा उच्च पद का अधिकारी होगा लेकिन स्त्रियों की संगत के कारण अपनी इज्जत को उछालने वाला होगा।  
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक बदसूरत और धन के लिए परेशान रहने वाला होगा।  
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक मनमोहक, सभी सुखों को भोगने वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक शांत स्वभाव का, ईमानदार, दयावान परंतु गलत कार्यों से पैसा अर्जित करने वाला होगा।

ज्येष्ठा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

शुक्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक बड़े बनने की इच्छा रखने के साथ-साथ बड़े कार्य करने वाला, अपने खर्चों को बढ़ा चढ़ाकर बताने वाला, दिखावा करने वाला, समाज में अच्छी छवि बनाने के कारण प्रदर्शंकारी हो सकता है। घर-परिवार में बड़ा होने के कारण सभी खर्चों को उठाने वाला होता है। 

शुक्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक धर्म को मानने वाला तथा धर्म के लिए लोगों को प्रेरित करने वाला, समाज में सम्मानित होने के साथ-साथ पूज्यनिय भी होता है। जातक अपने स्वभाव से अच्छे परंतु प्रेम-पांश के कारण समाज में कभी-कभी लज्जित भी किए जाते हैं ये अपने प्यार को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। 

शुक्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक धार्मिक विचारों वाला, कार्य-कुशल, स्नेह में सफलता प्राप्त करने वाला, बुद्धिमान, घर-परिवार का वीणा उठाने वाला, धार्म का प्रचारक भी होता है। जातक धर्म ज्ञाता अथवा धर्म प्रवर्तक के नाम से भी जाना जाता होगा। 

शुक्र का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक घर परिवार का मुखिया होने के साथ-साथ परिवार में सबका लाडला भी होगा, धार्मिक कार्यों से खुद को दूर रखने वाला लेकिन जरूरतमन्द की मदद करने वाला होता है। इस चतुर्थ चरण में प्रथम चरण के समान गुणदोष होते हैं।


शनि – Saturn [ ज्येष्ठा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूध का व्यापार करने वाला, धर्म से जुड़े कार्यों में अपना योगदान देने वाला होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक गलत संगल के कारण अच्छे लोगों से दूर और बुरे लोगों की तारीफ करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक छोटी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहने वाला लेकिन किसी असहाय की मदद न करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक नीति विरुद्ध कार्य करने वाला, पारिवारिक समस्याओं के कारण दुखी रहने वाला होगा।  
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक शासन में उच्च पर का अधिकारी होगा, अधिक मात्र में धन अर्जित करने वाला होगा।
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक यात्राओं का शौकीन, कार्यों में व्यस्त रहने वाला, प्रभावी व्यक्तित्व वाला होगा।

ज्येष्ठा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

शनि का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, धन-दौलत से परिपूर्ण, जीवन में सभी सुखों को भोगने वाला, अपनी कमाई को ज्यादा दिखाकर प्रसन्न होने वाला, पैसों के लिए किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार रहने वाला होता है। 

शनि का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक जरूरत से ज्यादा गुस्सा करने वाला, छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने के कारण इससे ज्यादा कोई बात नही करता क्योंकि यदि यह एक बार गुस्सा हो जाए तो जल्दी शांत नही होता है। अपनी स्थिति से संतुष्ट न रहने वाला होता है। 

शनि का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक छोटी-छोटी चीजों में गलतियाँ निकालने वाला, धार्मिक कार्यों से दूर रहने वाला, धार्मिक चीजों पर विश्वास न करने वाला, अपने बड़े होने का फायदा उठाने वाला, परिवार में अपने सामने किसी की न लगने देने वाला, कार्य-कुशल, निंदा करने वाला होता है। 

शनि का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक अपने परिस्थिति में खुद को खुश रखने वाला, कम खर्च करने वाला, अच्छे मित्रों की संगति करने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण, सर्व सुख प्राप्तक होने के साथ-साथ ऐयासी करने वाले होते हैं। 


ज्येष्ठा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

राहु का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक धन की बर्वादी करने वाला, जातक की पत्नी अथवा संतान को कष्ट होता है। जातक को काम न मिलने पर वह गलत कार्यों की ओर भागता है जिससे वह चोरी करने का काम भी करने लगता है। 

राहु का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक निर्दयी, बादा करके तोड़ने वाला, जरूरत पड़ने पर धोखा देने वाला, जातक अपने फायदे के लिए अपने माता-पिता तक को धोखा देने में नही चूकेगा। 

राहु का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक बीमार होने के बाद वाश्यऔं के साथ संभोग क्रिया करेगा जिसके कारण वह अपने परेशानियों को और ज्यादा बढ़ाने वाला होगा। जातक किसी की बात न मानने के कारण पछतावा करने वाला होगा। 

राहु का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक चोरी करके धन कमाने वाला, रोग ग्रस्त, धोखा देने वाला होता है। जातक अपने कार्य के लिए किसी को भी ढाल बनाने वाला होता है।


ज्येष्ठा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Jyeshtha Nakshatra – Prediction

केतु का ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक सरकारी किसी विभाग का अधिकारी, एक से अधिक प्रशिक्षण संस्थानों का मुखिया हो सकता है। जातक अपने नीचे लोगों से काम करवाना पसंद करने वाला होता है। 

केतु का ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक गाड़ी-वाहन से जुड़ा व्यापार करने वाला, जातक वाहन आदि से अच्छा लाभ प्राप्त करने वाला होता है। खेल आदि का शौकीन होता है। 

केतु का ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक नई-नई योजनाओं का आयोजन करने वाला, अच्छे मित्रों की संगति करने वाला, बुराई से दूर रहने वाला, अच्छाई से निकटता बनाए रखने वाला होता है। 

केतु का ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक खुश रहने वाला, ये अपनी खुशी के लिए किसी भी कार्य को करने के लिए राजी हो जाते हैं। व्यापार वर्ग में अपना अच्छा कदम जमाने वाले होते हैं। 


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