स्वाति नक्षत्र के उपाय। Swati Nakshatra Remedy
- स्वाती नक्षत्र के जातकों को जीवन में उन्नति प्राप्त करने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, जो उन्हें बुद्धि और विवेक की प्राप्ति में मदद कर सकती है।
- राहू ग्रह शांति मंत्र का जाप इस नक्षत्र में जन्मे जातकों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि इसके प्रभाव से समृद्धि और सुख-शांति में मदद मिलेगी।
- जन्म नक्षत्र के जातकों को ध्यान और मनन की प्राकृतिक प्रवृत्ति को अपनाना होगा जो आपकी विचार शक्ति को बढ़ाने में आपकी मदद करेगा।
- स्वाती नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक यदि अपनी ही प्रिय वस्तु या भोजन किसी गरीब व्यक्ति को दान करते हैं तो उसके प्रभाव से स्वास्थ्य लाभ होता है।
- राहु (नवग्रह) शांति धूप का उपयोग करके आप अपने जन्म नक्षत्र को अच्छा बना सकते हैं।
- इस नक्षत्र में जन्मे जातक को कर्म के प्रति समर्पण और निष्ठा दिखानी चाहिए क्योंकि यह उन्हें सफलता की ओर अग्रसर करेगा।
- मानसिक शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण का भजन कीर्तन करना चाहिए इससे आपको शांति का अभाव होगा।
- स्वाती नक्षत्र के देवता राहु हैं, ऐसे में यदि आप राहु ग्रह शांति धूप का उपयोग करते हैं तो आपको काफी हद तक लाभ मिलेगा।
- रामभक्त श्री हनुमान जी की पूजा करने से भी इसके अशुभ प्रभाव दूर किए जा सकते हैं।
मान्यताओं के अनुसार प्रतिवर्ष आने वाली वसंत पंचमी को सरस्वती माता की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए अर्थात माघ महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली पंचमी को बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा सच्चे मन और विधि पूर्वक करने से जीवन में अशुभता दूर होती है और स्वाति नक्षत्र के दुष्प्रभाव कम होने लगते हैं।
स्वाति नक्षत्र के देवता वायु की पूजा करके भी जातक इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम कर सकता है। स्वाति नक्षत्र की अशुभता को दूर करने और शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए पूजन विधि कुछ इस प्रकार है– तिल, जौं और घी को मिला लें और फिर सीधे हाथ की हथेली पर रखकर होम करते हुए स्वाति नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप काम से काम १०८ बार करना चाहिए। यदि स्वाति नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप सच्चे मन और सच्चे हृदय से करलिया तो निश्चित ही आपके जीवन में कष्टों का नाश होगा और अच्छे परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।
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स्वाति नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ वायो ये सहस्त्रिणे रथा सस्ते चिरागहि नियुत्वाम सोम पीतये ऊँ वायवे नम: ।।
स्वाति नक्षत्र । Swati Nakshatra

स्वाति नक्षत्र का राशि चक्र में 186 डिग्री 40 अंश से 200 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। स्वाति नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल गफार “, ” ग्रीक में अर्कटूरूस ” और चीनी सियु मे ” कंग ” के नाम से जाना जाता है। स्वाति का मतलब तलवार से संबन्धित है। त्रेत्रीय बृहमाण्ड के मतानुसार स्वाति को त्याग देना अथवा फेक देना भी कहते हैं। स्वाति नक्षत्र के देवता वायु [ वरुण ], स्वामी ग्रह राहु और राशि तुला 06 डिग्री 40 अंश से 20 डिग्री 00 अंश तक होती है।
स्वाति नक्षत्र को आकाशीय पिंडों के अनुसार 15 व चर संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है। स्वाति नक्षत्र का एक तारा होता है। जो अंडे की आकृति अथवा मूंगा के समान दिखाई देता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वाति नक्षत्र का अर्थ एक बूंद पानी की बनी मोती कहलाता है। स्वाति नक्षत्र स्वतन्त्रता की वह पहली बूंद है जिससे शुद्ध जल की वारिश की शुरुआत होती है। स्वाति शुभ तामसिक स्त्री नक्षत्र होता है। स्वाति नक्षत्र की जाति कृषक, योनि व्याघ्र, योनि वैर गौ, गण राक्षस और नाड़ी अंत होती है। स्वाति नक्षत्र को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।
स्वाति नक्षत्र के नाम अक्षर। स्वाति नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। स्वाति नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है –
स्वाति नक्षत्र – प्रथम चरण – रु
स्वाति नक्षत्र – द्वितीय चरण – रे
स्वाति नक्षत्र – तृतीय चरण – रो
स्वाति नक्षत्र – चतुर्थ चरण – ता