शतभिषा नक्षत्र उपाय। Shatabhisha Remedy

शतभिषा नक्षत्र के उपाय। Shatabhisha Nakshatra Remedy 

  • यदि जातक शतभिषा नक्षत्र से जुड़े उपाय करता है तो वह अपने जन्म नक्षत्र को बली कर सकता है जिससे शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती हैं। 
  • यदि जन्म नक्षत्र शुभ है तो जातक सिनेमा के क्षेत्र में अपना कदम बड़ा सकता है जिसमें जताक को अच्छी उन्नति मिलेगी। 
  • यदि जातक के कार्यों में रुकावट पैदा हो रही है और कार्यों में सफलता नही मिल रही है तो जातक को शतभिषा नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ लं” का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  • शतभिषा नक्षत्र में होने वाले चंद्र गोचर के समय बीज मंत्र बेहद लाभकारी सिद्ध होता है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।  
  • शतभिषा नक्षत्र के महीने में भगवान शिव की आराधना करना बेहद लाभकारी साबित होता है ऐसे में कावड़ ले जाना बेहद अच्छा माना जाता है। 
  • राहू शांति धूप का उपयोग भी अति लाभकारी होता है।
  • शतभिषा नक्षत्र को बली बनाने और शुभ परिणाम पाने के लिए भगवान शिव की पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है। 
  • भगवान शिव की पूजा करते समय ” ॐ नमः शिवाय ” का जाप सबसे उत्तम फल दाई साबित होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति यश पाता है तथा सफलता की ओर बढ़ता है। 
  • नीले रंग के वस्त्रों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने से शतभिषा नक्षत्र की नकारात्मक्ता में कमी आती है। 
  • वरुण देव की पूजा शतभिषा नक्षत्र के महीने में पूरे विधि-विधान से करने से अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।

शतभिषा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ व्वरुणस्योत्तम्भनमसि व्वरुणस्यस्कम्भ सर्जनिस्थो व्वरुणस्य ऋतसदन्यसी

व्वरुणस्यऋत सदनमसि व्वरुणस्य ऋतसदनमासीद ।।

ऊँ वं वरुणाय अपांपतये नम: ।।


शतभिषा नक्षत्र। Shatabhisha Nakshatra

शतभिषा नक्षत्र

शतभिषा का राशि चक्र में 306 डिग्री 40 अंश से 320 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। शतभिषा को अरब मंजिल में ” अल सा’द अल सु’अद “, ग्रीक में ” एक्रेरी ” और चीनी सियु मे ” गुई ” के नाम से जाना जाता है। शतभिषा को 100 औषधियों के रूप से भी जाना जाता है। जिसका मूल अर्थ एक सौ औषधि होता है। इसके अनुसार शतभिषा के 100 तारे फूल की आकृति में होते है। खंडकातक के मतानुसार शतभिषा नक्षत्र का एक तारा होता है। 

शतभिषा के देवता वरुण, स्वामी ग्रह राहु और राशि कुम्भ जो 06 डिग्री 40 अंश से 20 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यनानुसार यह 24 वा चर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। शतभिषा का मूल अर्थ 100 औषधि माना गया है जिसके कारण इसे शत-तारिका भी कहा जाता है। शतभिषा शुभ तामसिक, नपुसंक नक्षत्र होता है। इसकी जाति क्रूर शूद्र, योनि अश्व, योनि वैर महिष, गण राक्षस, नाड़ी आदि है। शतभिषा नक्षत्र को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शतभिषा के देवता वरुण है जिन्हे प्राकृतिक आपदा के समय सबसे अधिक महत्वता दी जाती है क्योंकि ये समस्त जगत, जल, वायु, और भूमि से संबन्धित देवता माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना गया है की वरुण देव अंतरिक्ष में भ्रमण करते रहते हैं जो रेडियो धर्मिता को नियंत्रित रखते हैं। वरुण देव को चिकित्सा शास्त्र का देवता भी माना गया है

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शतभिषा नक्षत्र के नाम अक्षर। शतभिषा नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। शतभिषा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

शतभिषा के प्रथम चरण का नाम अक्षर – गो

शतभिषा के द्वितीय चरण का नाम अक्षर सा

शतभिषा के तृतीय चरण का नाम अक्षर – सी

शतभिषा के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – सू