विशाखा नक्षत्र के उपाय। Vishakha Nakshatra Remedy
- जातक को अष्ट वसुओं की विधि विधान से पूजा, वंदना और आरती करने से इस नक्षत्र की अशुभता दूर होती है।
- भगवान विष्णु का व्रत अथवा उनकी प्रतिदिन सेवा करने से इसके नकारात्मक प्रभाव जल्द से जल्द कम हो जाते हैं।
- सोमवार के दिन देवों के देव महादेव का व्रत रखकर जल और फूल अर्पित करें आपको लाभ होगा।
- भगवान विष्णु की आराधना करना इस नक्षत्र की अशुभता दूर करने के लिए सबसे बेहतर और अचूक उपाय माना जाता है।
- कुंडलिनी जागरण करने से विशाखा नक्षत्र से उत्पन्न हुए दोष बहुत जल्द कम होने लगते हैं।
- लाल, नीले और सुनहरे रंग के वस्त्रों को अधिक से अधिक उपयोग करें इससे शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- बृहस्पतिवार के दिन विशाखा नक्षत्र हो तो लाल अथवा पीले वस्त्रों का दान करें।
- यदि संभव हो तो बृहस्पतिवार के दिन काली भैंस का भी दान कर सकते हैं।
- गुरु शांति धूप का प्रयोग विशेष हो सकता है।
मान्यताओं के अनुसार मंत्र जाप से भी इस नक्षत्र की अशुभता को दूर किया जा सकता है। इसके लिए जातक कम से कम 108 बार ” ॐ यम ” या फिर ” ॐ राम ” मंत्र का जाप प्रतिदिन करे इसके प्रभाव से जातक को बहुत जल्द शुभकारी फल प्राप्त होंगे। परंतु इन मंत्रों का जाप चंद्र के गोचर के दौरान ज्यादा महत्व दिया जाता है।
सबसे जरूरी बात यह है की जातक जब भी इन मंत्रों का प्रारम्भ करे तो वह चन्द्र गोचर के दौरान प्रारम्भ करें क्योंकि ये मंत्र चन्द्र गोचर के दौरान ज्यादा प्रभावकारी होते हैं। परंतु चंद्र गोचर विशाखा नक्षत्र में होना चाहिए।
विशाखा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को जल्द से जल्द कम करना हो तो जातक को भगवान इन्द्र और अग्नि की सोने अथवा पीतल की मूर्ति बनवाकर पूरे विधि विधान से प्रतिदिन पूजन करना चाहिए इससे विशाखा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव बहुत जल्द कम होने लगते हैं। यदि इसके अलावा जातक सरल और साधारण उपाय चाहता है तो वह यह है की विशाखा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार करें।
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विशाखा नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ इन्द्राग्नी आगत गूं सुतं गीभिर्नमोवरेण्यम् ।
अस्य पातं धिये षिता ऊँ इन्द्राग्निभ्यां नम: ।।
विशाखा नक्षत्र। Vishakha Nakshatra

विशाखा नक्षत्र का राशि चक्र में 200 डिग्री 00 अंश से 213 डिग्री 00 अंश तक क्षेत्रफल होता है। विशाखा नक्षत्र को अरब मंजिल में अल जुबाना [ दो डंक वाला बिच्छू ], ग्रीक में लिब्रा, चीन सियु में ताई के नाम से जाना जाता है। विशाखा नक्षत्र के दो तारे माने जाते हैं जो क्रमशः 1. शाक्य , 2. खंडकातक
आचार्यों के मतानुसार विशाखा नक्षत्र को चार तारों का समूह माना गया है कुम्हार के द्वारा बनाई गए चाक के समान माना गया है। विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्र, स्वामी ग्रह गुरु और राशि तुला जो 20 डिग्री से 40 अंश से वृश्चिक 03 डिग्री से 20 अंश तक होती है। विशाखा नक्षत्र को आकाशीय पिंडों के अनुसार 16 व मिश्र संज्ञक नक्षत्र होता है। इसके चार तारे होते है जो खाने के समय उत्पन्न होने वाले काटे अथवा वृक्ष की डाल के समान होता है।
इसी कारण इस नक्षत्र को आचार्यों ने कही तोरण और कही बहिर्द्वार सदृश कहा है। विशाखा अशुभ तामसिक नपुंसक नक्षत्र है। इसकी जाति चाण्डाल, योनि व्याघ्र, योनि वैर गौ, राक्षस गण, अंत नाड़ी है। विशाखा नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। मान्यताओं के अनुसार विशाखा को राधा नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है।
विशाखा नक्षत्र के नाम अक्षर। विशाखा नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। विशाखा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
विशाखा नक्षत्र – प्रथम चरण – ती
विशाखा नक्षत्र – द्वितीय चरण – तू
विशाखा नक्षत्र – तृतीय चरण – ते
विशाखा नक्षत्र – चतुर्थ चरण – तो