रोहिणी नक्षत्र उपाय। Rohini Nakshatra Remedy 

रोहिणी नक्षत्र के उपाय। Rohini Nakshatra Remedy 

  • रोहिणी नक्षत्र के जातकों को अपने जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए संकष्टहर चतुर्थी का व्रत करना चाहिए।
  • यदि आप घर से बाहर जाते हैं जैसे दफ्तर या कहीं यात्रा पर तो कोशिश करे की ज्यादा से ज्यादा सफ़ेद वस्त्रों को पहन कर जाएँ। 
  • सोमवार के दिन भगवान शिव के लिए व्रत या शिव मंदिर जाकर भक्तों को जल पिलाएँ यानि जल दान करें। 
  • रोहिणी नक्षत्र के जातकों को भगवान शिव जी की कृपा पाने के लिए गंगाजल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। 
  • शिव मंदिर में जाकर सफेद नंदी की पूजा करनी चाहिए। मंदिरों के बाहर गोधन को चारा देना चाहिए।
  • यदि संभव हो तो सोमवार के दिन गोशाला में जाकर गायों को चारा खिलाना चाहिए।
  • आप अपने जन्म नक्षत्र के दिन गरीबों की मदद करें और अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा करें इससे आपको व्यावसायिक उन्नति प्राप्ति होगी।
  • रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र ऊँ ऋं ऊँ लृं ” का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।  
  • गाय को चारा, पानी रोटी आदि खिलाकर उसकी सेवा करें।
  • चंद्र ग्रह शांति धूप का उपयोग करने से आपको मानसिक लाभ प्राप्त होगा।
  • किसी गरीब मूर्तिकार, कुम्हार, धोबी या फिर शिल्पकार जैसे मिस्त्री की मदद करें। 
  • आप सफेद, पीला या क्रीम कलर के वस्त्रों का अधिक उपयोग करें इससे आपकी सहनशक्ति बढ़ेगी। 
  • किसी अच्छे पंडित ( ब्राह्मण ) को घी, बर्तन, वस्त्र आदि दान में दें।
  • उपामार्ग की जड़ सुखकर गले में धारण करें इससे रोहिणी नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। 

जातक वैदिक मंत्र का भी प्रयोग कर सकता है हालांकि यह सामान्य विधि है और जातक को विशेष उपाय के लिए आचार्य जी से पत्रिका दिखा के ही उपाय लेना चाहिए। चन्द्र ग्रह शांति धूप भी कारगर सिद्ध होती है


रोहिणी नक्षत्र Rohini Nakshatra

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में जन्म नक्षत्र रोहिणी है और जातक को जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा है तो जातक अपने जीवन में संकटों को कम करने और अशुभ प्रभावों को दूर भगाने के लिए रोहिणी नक्षत्र के उपाय और मंत्र कर सकता है, जिससे लाभ मिलेगा। रोहिणी नक्षत्र के उपाय और मंत्र कुछ इस प्रकार है- 

यदि किसी जातक को इन उपायों के बाद भी सकारात्मक बदलाव नही दिख रहे हैं तो वह रोहिणी नक्षत्र के वैदिक मंत्र को 108 बार उच्चारण करके हवन में आहुती दे सकता है इससे आपको ऊर्जा मिलेगी और जीवन में परेशानियाँ कम होंगी। जातक को वैदिक मंत्र का उच्चारण और हवन करने की विधि सही पता होनी चाहिए, अन्यथा इसका लाभ आपको नही मिल पाएगा। कुछ इस प्रकार है- 


रोहिणी नक्षत्र ( Rohini Nakshatra )

रोहिणी नक्षत्र का क्षेत्रफल 40 डिग्री 00 अंश  से 53 डिग्री 20 अंश का होता है। रोहिणी का प्रतीक चिन्ह रथ की स्थिति में 5 तारो को माना जाता है। रोहिणी को सभी देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे – ग्रीक में अल्डेबरन (Aldebaran), अरब मंजिल में अल डबरन ( Al Dabaran ) और चीन में पई ( Pi ) के नाम से जाना जाता है। रोहिणी नक्षत्र के नाम को लेकर विद्वानों के अपने-अपने अलग-अलग मत हैं जैसे- बलराम की माता का नाम रोहिणी था आदि।

ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार रोहिणी नक्षत्र को मौखिक रूप से लाल गाय, चंद्रमा की धर्मपत्नी, ऋषि कश्यप और सुरभी की बेटी, रक्त का संचालक और ऊर्जा से जाना जाता है। दक्षिणी भारत वासियों के मतानुसार रोहिणी नक्षत्र को वट वृक्ष की तरह दिखने वाला 42 तारों का समूह माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में सबसे प्रिय नक्षत्र माना गया है। कुकर्मी और पापियों से मुक्ति दिलाने वाले श्री कृष्ण का जन्म भी रहिणी नक्षत्र में हुआ था।

इस को 27 नक्षत्रों में चौथा ध्रुव संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र के 5 तारे होते हैं। इस नक्षत्र का मुख्य शब्द रोहण हैं जिसका अर्थ अस्तित्व में होना या प्रकट होना होता है। विद्वानों के मतानुसार रोहिणी को दूसरे नाम सुगंधित या अलौकिक ( कामधेनु ) से भी जाना जाता है। रोहिणी का आकार रथ के सामान दिखने वाला होता है।



रोहिणी नक्षत्र के नाम अक्षर । रोहिणी नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

प्रथम चरण का नाम अक्षर – ओ

द्वितीय चरण का नाम अक्षर

तृतीय चरण का नाम अक्षर – वि

चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – वू


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