मघा नक्षत्र के उपाय। Magha Nakshatra Remedy । Magha Nakshatra Upay
- अपने कुल देवता यानि पितृ देव को प्रसन्न रखने के लिए उनसे संबन्धित कार्य करें तथा उनकी पूजा करें इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
- इस नक्षत्र के जातकों को अपने घर के सभी बड़े बुजुर्गों का सम्मान और सेवा करनी चाहिए और उनकी बीमारी का ध्यान रखना चाहिए।
- जातक को जीवन में किसी भी नय कार्य की शुरुआत से पहले अपने पितृ देवों को याद करना चाहिए तथा उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
- इस जन्म नक्षत्र के जातक सदैव इस बात का ध्यान रखें की अपने माता-पिता का निरादर न करें बल्कि उनकी सेवा करें।
- इस नक्षत्र के जातक यदि अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों का सम्मान का करें तो उन्हे पितृ दोष प्राप्त होता है जिसके कारण जीवन में कई प्रकार के काष्ठ भोगने पड़ते हैं।
- यदि संभव हो तो जन्म नक्षत्र के दिन प्रतिमाह गरीबों में केले या अन्य किसी फल का दान करें इससे आपको सुख की प्राप्ति होगी।
- जातक को पहाड़ी क्षेत्रों में बने मंदिरों के दर्शन के लिए जाना चाहिए और उनके बाहर बैठे गरीबों को अन्न दान करना चाहिए।
- नवग्रह धूप का भी प्रयोग आप कर सकते हैं ।
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ऐसी स्थिति में जातक मघा के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इसके वैदिक मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन कर सकता है जो जल्द और प्रभावी होकर मघा के अशुभ प्रभाव कम कर सकता है। मघा नक्षत्र का वैदिक मंत्र जातक को बल प्रदान करता है जो कुछ इस प्रकार है-
मघा नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ पितृभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपिता महेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधाानम: अक्षन्न पितरो मीमदन्त
पितरोsतीतृपन्त पितर: पितर: शुन्दध्वम् ऊँ पितृभ्योनम: ।।
मघा नक्षत्र। Magha Nakshatra
मघा नक्षत्र का राशि चक्र में 120 अंश 00 कला से 133 अंश 20 कला क्षेत्रफल तक होता है। मघा को अरब मंजिल में ” अल जभह ” [ शेर का माथा ], ग्रीक में ” रेगुलस ” और चीन सियु में ” सिंग ” के नाम से जाना जाता है। मघा के तारों में भी कई मत हैं। खंडकातक के मतानुसार इस नक्षत्र के छः तारे होते हैं परंतु अन्य मतों के अनुसार इसके पाँच तारे होते हैं। मान्यताओं के अनुसार मघा के तारों में यह मतभेद छः तारों के गुट में दो तारों की कम चमक के कारण आया है।
मघा के तारे झंडे के समान आकृति में स्थिर होते हैं। ठीक इसी प्रकार छः तारों का समूह पालकी के समान महसूस होता है। इस नक्षत्र के देवता पितर, स्वामी ग्रह केतु और राशि सिंह 00 डिग्री 00 अंश से 13 डिग्री 20 अंश तक होती है। इस नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के माध्यम से दसवा तीव्र संज्ञक नक्षत्र माना गया है।
यह अशुभ अंधकार संबंधी स्त्री नक्षत्र होता है। मघा की जाती शूद्र, योनि मूषक, योनि वैर मार्जार, गण राक्षस और नाड़ी अन्त्य होती है। मघा को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे रहस्यमय नक्षत्र कहा जाता है। परंतु इस नक्षत्र का मूल अर्थ महान अथवा बड़ा होता है।
मघा नक्षत्र के नाम अक्षर। मघा नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। मघा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – मा
मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – मी
मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – मू
मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – मे