भरणी नक्षत्र के उपाय। Bharani Nakshatra Remedy
- भरणी नक्षत्र के जातकों को उत्तम फल की प्राप्ति के लिए शिव पंचाक्षरी मंत्र का उचित तरीके से जाप करना चाहिए।
- शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा में रुद्राभिषेक या रुद्रार्चना को सामील करें इससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप अपने घर पर भगवान शिव की पूजा करना चाहते हैं तो क्रिस्टल से बनी शिवलिंग लाएँ और नियमित रूप से जल चढ़ाएँ।
- भरणी नक्षत्र के जातकों को अपने भोजन में सप्ताह के कम से कम 3 दिन काली उरद दाल का उपयोग करना चाहिए।
- घर में ऐसा पौधा लगाएँ जिसे आप स्नान करने के पश्चात रोज जल अर्पित करें। इससे आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा।
- श्री महालक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए शुक्रवार के दिन गुड़ और मूंगफली का की मीठा मिष्ठन बनाएँ और इसे श्री महालक्ष्मी को अर्पित करें, उसके पश्चात आप इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- भरणी नक्षत्र के देव की कृपा पाने के लिए आपको शुक्र देव की आराधना करनी चाहिए इससे आपको शुक्र देव की कृपा प्राप्त होगी।
- ॐ हीं मंत्र का उच्चारण 108 बार करने से जीवन में परेशानियाँ कम होती हैं।
- माँ काली और यमराज से पार्थना करने से जातक के जीवन में सुखों का आगमन होने लगता है, जिससे जातक के अंदर नई ऊर्जा का संचालन होता है।
- जातक को लाल, काले और सफ़ेद रंग के वस्त्रों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
- जातक को खिचड़ी, दूध, घी और बर्तन का दान करना चाहिए।
- भरणी नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए भगवान शिव की आराधना धूप, घी, गुड और दीपक से करनी चाहिए।
जातक वैदिक मंत्र का भी प्रयोग कर सकता है हालांकि यह सामान्य विधि है और जातक को विशेष उपाय के लिए आचार्य जी से पत्रिका दिखा के ही उपाय लेना चाहिए। शुक्र ग्रह शांति धूप भी कारगर सिद्ध होती है
भरणी नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ यमायत्वान्गिरस्वते पितृमते स्वाहा, स्वाहा धर्माय धर्म: पित्रे स्वाहा ऊँ यमाय नम:
नक्षत्र की विशेषताएँ और परिचय के लिए यहाँ क्लिक करें
भरणी नक्षत्र। Bharani Nakshatra
भरणी नक्षत्र मेष मे 13 अंश 20 कला से 26 अंश 40 कला तक के क्षेत्रफल में होता है। भारतीय आकाशीय पिंडों के अध्ययन अनुसार यह दूसरा नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र के तीन तारे होते हैं। यह नक्षत्र निर्दयी, हिंसक कार्य करने वाला, क्रियात्मक रूप में होने वाला, कुशलता पूर्वक कार्य करने वाला, कर्तृवाच्य नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में अन्य जातकों को नुकसान पहुंचाना, धोखा करना, अन्य जातकों के कार्यों में बाधा बनना, दूसरों की असफलता का कारण होता है।
अश्विनी नक्षत्र के पूर्व में ठहरी हुई स्त्री जननेन्द्रिय बनावट में तीन तारों का समुदाय भरणी नक्षत्र का भाग होता है। चीनी मिट्टी के द्वारा बने कलश को भी भरणी कहा जाता है। परंतु मन में एक भय उत्पन्न होता है की यह – जैसे ग्रीक के मतानुसार 41 एरिटस तथा 41 तारों वाले कलश के जैसा होता है? भरणी नाशक रजोगुणी उत्पन्न स्त्री नक्षत्र है। इस नक्षत्र की जाति शूद्र, योनि गज, योनि वैर सिंह, गण मनुष्य, नाड़ी मध्य होती है। यह नक्षत्र पश्चिम दिशा का स्वामी होता है।
भरणी नक्षत्र के नाम अक्षर। भरणी नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। भरणी नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
भरणी के प्रथम चरण का नाम अक्षर – ली
भरणी के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – लू
भरणी के तृतीय चरण का नाम अक्षर – ले
भरणी के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – लो