पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र उपाय। Purva Phalguni Nakshatra Remedy

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के उपाय। Purva Phalguni Nakshatra Remedy

  • पूर्वा फाल्गुनी जन्म नक्षत्र के जातकों को अधिक से अधिक रचनात्मक, कलात्मक और विचारात्मक लोगों से जुड़े रहना चाहिए।
  • शुक्रवार के दिन यदि संभव हो तो भगवान शिव के नाम से किसी गरीब को शहद दान करें ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 
  • श्री नटराज जी की प्रतिमा को अपने घर के पूर्व मुख में स्थापित करें और उनकी पूजा अर्चना करें। 
  • मंदिर में रहने वाले उच्च ब्राह्मणों को पूजा-पाठ से संबन्धित वस्तुएँ जैसे- धूप, दीप, आरती के लिए घी आदि दान में दें। 
  • घर के किचन में कस्तुरी मेथी अवश्य रखें क्योंकि इस जन्म नक्षत्र के जातकों के लिए यह बेहद शुभ मानी जाती है। 
  • अनाथालय, वृद्धाश्रम में रहने वाले बच्चों और बुजुर्गों को अन्न दान करें इससे आपके जीवन में उन्नति के रास्ते खुलेंगे। 
  • पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी शुक्र हैं। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण हैं शुक्र देव का आशीर्वाद उसके लिए आपको शुक्र ग्रह शांति धूप का उपयोग करना चाहिए इसको ज्वलित करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी। 

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए जातक इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कर सकता है। जो की सबसे ज्यादा कारगर और असरकार साबित होता है। यदि जातक इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जापा प्रतिदिन और नियम से करता है तो उसे जल्द ही परिणाम देखने को मिलेंगे। वैदिक मंत्र कुछ इस प्रकार है-  

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पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगेमंधियमुदवाददन्न: ।

भगप्रणोजनयगोभिरश्वैप्रभिर्नृबंत स्याम ऊँ भगाय नम: ।।


पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र। Purva Phalguni Nakshatra

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का राशि चक्र में 133 डिग्री 20 अंश से 146 डिग्री 40 अंश तक क्षेत्रफल में होता है। इस नक्षत्र को अरब मंजिल में “ जुब्राह ” अथवा शेर की गर्दन के बाल, ग्रीक में “ ल्योनिस ” और चीन सियु में “ चांग ” के नाम से जाना जाता है। 

इस नक्षत्र के देवता भग, स्वामी शुक्र और राशि सिंह 13 डिग्री 20 अंश से 26 डिग्री 40 अंश तक होती है। इस नक्षत्र को भारत में आकाशीय पिंडों के आधार पर 11 वा संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र के दो तारे होते हैं। इसे टीके रहने की अवस्था से पता चलता है की बन में लकड़ी से बनी मेज है। इस नक्षत्र को भगदेवता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस नक्षत्र के देवता भग हैं।

देवता भग के संस्कृति के आधार पर अर्थ कुछ प्रकार पता चलते हैं। भग = चंद्रमा, शिव का रूप, प्यार, उत्कर्ष और स्त्री की योनि आदि होते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इसे अशुभ, नाश करने वाला राजसिक स्त्री नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र की जाति ब्राह्मण, योनि मूषक, योनि वैर मार्जार और मनुष्य गण मध्य नाड़ी होती है। इस नक्षत्र को उत्तर दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। 


पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के नाम अक्षर। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। इसके नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

इस नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – मे

इस नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर मो

इस नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – टी

इस नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – ट