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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के उपाय। Purva Bhadrapada Nakshatra Remedy
- भगवान गौरी शंकर की पूजा वंदना करने से जातक के जीवन में कष्ट कम होते हैं और इस नक्षत्र को बल प्राप्त होता है।
- जातक को जरूरतमन्द लोगों की मदद करनी चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
- यदि बिना स्वार्थ के कार्य किए जाएँ और गुस्से को त्याग दिया जाए तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्र गोचर के समय बीज मंत्र का जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में इसके बीज मंत्र “ ऊँ शं” और “ऊँ वम् ” का जाप कम से कम 108 बार जाप करने से इस नक्षत्र को बल प्राप्त होता है।
- काले रंग के वस्त्रों का कम से कम उपयोग करना चाहिए और चमड़े आदि से बने सामनों को कम से कम उपयोग में लाएँ।
- इस नक्षत्र को बली बनाने के लिए गुरु शांति धूप का प्रयोग अति लाभकारी होता है।
- भृंगराज की लकड़ी को बाजू या गले में धारण करने से इससे संबंधित अशुभ परिणाम कम होने लगते हैं।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ उतनोsहिर्बुध्न्य श्रृणोत्वज एकपात्पृथिवी समुद्र: ।
विश्वेदेवाSऋतावृधो हुवानास्तुता मन्त्रा: कविशस्ता अयन्तु ।।
ऊँ अजैकपदे नम: ।।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नाम अक्षर। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
पूर्वाभाद्रपद के प्रथम चरण का नाम अक्षर – से
पूर्वाभाद्रपद के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – सो
पूर्वाभाद्रपद के तृतीय चरण का नाम अक्षर – दा
पूर्वाभाद्रपद के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – दी