नवग्रह मंत्र (मंत्र का असली मतलब इस लिंक पे पढ़ें ) को वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया है की जातक अपने जीवन में आने वाली सभी नकारात्मक बाधाओं को दूर कर सकता है, परंतु उसके लिए सही समय और सही मंत्र का होना अति आवश्यक होता है। सभी नवग्रहों ( सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ) के मंत्र अपना-अपना अलग-अलग प्रभाव दिखते हैं।
इसी प्रकार जातक के जीवन में अलग-अलग प्रकार की समस्याएँ होती है जैसे- पारिवारिक, स्वास्थ्य, करियर, आदि। वैदिक शास्त्र के मतानुसार मन को शांत और शुद्ध बनाने वाली ध्वनि को ही मंत्र कहते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से हमे यह भी पता चलता है की किन मंत्रों में कितनी ज्यादा शक्ति होती है जैसे की ग्रहों के वैदिक और तांत्रिक मंत्रों में सबसे अधिक शक्ति होती है। जिसके जाप से व्यक्ति अपने जीवन का कल्याण कर सकता है।
किसी भी मंत्र का सकारात्मक परिणाम लेने के लिए जातक को उस मंत्र का उच्चारण सच्चे मन और सही तरीके से करने की जरूरत होती है। यदि किसी भी प्रकार की कोई ढील हुई तो इसके परिणाम नकारात्मक भी हो सकते हैं। पौराणिक शास्त्रों में मंत्रों का उल्लेख बढ़ा चढ़ाकर किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंत्र दो तरह के होते हैं।
1. वैदिक मंत्र
2. तांत्रिक मंत्र
इन दो मंत्रों के अलावा भी सभी ग्रहों के अपने अपने बीज मंत्र होते है। परंतु उससे पहले हम वैदिक मंत्र और तांत्रिक मंत्र में भिन्नता देख लेते हैं।
वैदिक और तांत्रिक मंत्र में भिन्नता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वेदों में ग्रहों से संबंध रखने वाले जिन मंत्रों का उल्लेख किया गया है उन्हे हम वैदिक मंत्र कहते हैं। उसी के साथ तंत्र विध्या में जिन मंत्रों का उल्लेख किया गया है उन्हे हम तांत्रिक मंत्र कहते हैं। इसके साथ ही बीज मंत्र को मंत्रों की आत्मा कहा जाता है। शास्त्रों के मतानुसार पता चलता है की किसी भी मंत्र की क्षमता उसके बीज मंत्र में व्यवस्थित होती है। यही कारण है इन मंत्रों की मदद से जातक अपने जीवन में सभी संकटों को दूर कर पाने में सफल हो पाता है।
नवग्रह शांति मंत्र में तीन देवताओं का वर्णन किया गया है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, और महेश यानि भगवान शंकर से सभी ग्रहों की शांति और नकारात्मक प्रभावों को कम करने की कामना की जाती है। जिस तरह से नवग्रह यंत्र का प्रतिपादन और नवग्रह शांति के लिए पूजा की जाती है।
इसी प्रकार नवग्रह मंत्र का उच्चारण नवग्रह शांति और नकारात्मक्ता को दूर करने के लिए किया जाता है। ज्योतिषीय मतानुसार नवग्रह मंत्र को प्रतिदिन 108 बार 40 दिन तक सच्चे मन से करने से ही मंत्र पूर्ण रूप से पूरा होता है, जिसके प्रभाव से जातक अपनी इच्छाएँ, मनोकामनाएँ पूरी करती है।
ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च।
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।
- जब भी नवग्रह मंत्र का उच्चारण करें तो सूर्य देव का नाम लेकर विनती करें की हे भगवान सूर्य मेरे कष्टों को दूर करें।
- अमृत के समान शरीर वाले, अमृत का पान करने वाले हे चन्द्र देव मेरे कष्टों को दूर करें।
- वर्षा करने वाले, वर्षात को रोकने वाले हे मंगल देव मेरी परेशानियों को दूर करें।
- चन्द्र देव के प्रिय पुत्र, अलौकिक चमक से पूर्ण हे बुध मेरी पीड़ा को दूर करें।
- जगत को मंगलकारी बनाने वाले, सभी देवताओं में महान गुरु ( बृहस्पति ) मेरे कष्टों का निवारण करें।
- असुरों के गुरु, उच्चकोटी के बुद्धिमान हे शुक्र देव मेरी समस्याओं का निवारण करें।
- सूर्य के समान बड़ी आँखों वाले, भगवान शंकर के चाहिते, कर्म फल दाता हे शनि देव मेरे कष्टों को दूर करें।
- दीप्तिपूर्ण, अधिक नेत्रों वाले, विभिन्न प्रकार के स्वरूप और रंग वाले हे राहु मेरे कष्टों का हरण करो।
- शरीर के बिना विशाल मुख वाले, नाड़ी से परिपूर्ण हे केतु मेरे संकटों का निवारण करो।
सभी नवग्रहों के अलग-अलग नाम के साथ उनके वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र और बीज मंत्र के दिये गए हैं। आपको इन मंत्रों को करने की सामान्य विधि भी बताई गई जिससे आप इन मंत्रों के उच्चारण से अपने ग्रह को मजबूत बना सकते हैं।
सूर्य के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है। जातक सूर्य के सकारात्मक प्रभाव से अपने जीवन में गौरव और सफलता प्राप्त करता है। सूर्य ग्रह को मजबूत और शांत बनाए रखने के ज्योतिष शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण उपाय और मंत्र बताए गए हैं, जिसमें वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र कुछ इस प्रकार हैं।
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य का वैदिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
सूर्य का बीज मंत्र
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।
सूर्य का गायत्री मंत्र
सूर्य मंत्र जाप विधि
- रविवार के दिन मंत्र का जाप सूर्य के नक्षत्र या सूर्य के होरा में करना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के लिए सही दिशा, सही संख्या, सही समय और सही जगह का होना अति आवश्यक होता है।
- मंत्र उच्चारण करने से पहले जगह को साफ करके आसान बिछाकर पूर्व दिशा में अपना मुख करके बैठें।
- दाएँ हाथ की हथेली में शुद्ध जल लेकर मंत्र सिद्ध करने का प्रण लें।
- मंत्र जाप के लिए 108 गुरियों वाली माला लें उससे आसानी होगी।
- मंत्र जाप की सख्या निश्चित करने के बाद कम या ज्यादा नही होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के समय इधर-उधर देखना, जम्हाई लेना और हिलना ढुलना नही चाहिए।
- मंत्र जाप करते समय सूर्य देव का सच्चे मन से ध्यान लगाएँ और मंत्र को पूर्ण करें।
- मंत्र उच्चारण करने से पहले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
चन्द्र के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह को मन की सुंदरता और रूप रंग का कारक माना जाता है। जातक की कुंडली में चन्द्र को मजबूत बनाने के लिए उसके मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। जिसके प्रभाव से जातक को मानसिक तनाव और सांस से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार जातक को चन्द्र ग्रह के उपाय और मंत्रों का जाप करना चाहिए जिसमें वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र एवं बीज मंत्र आते हैं।
चन्द्र के उपाय
- सोमवार के दिन उपवास रखकर चन्द्र के किसी एक मंत्र का सच्चे मन से उच्चारण करना चाहिए।
- जातक मोती रत्न को पहनकर भी चन्द्र के मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं इससे जातक की मानसिक शक्ति बढ़ती है और मन तल्लीन होता है।
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
चन्द्र का वैदिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः
चन्द्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
चन्द्र का बीज मंत्र
ॐ अत्रिपुत्राय विद्ममहे सागरोद्भवाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ।
चन्द्र का गायत्री मंत्र
चन्द्र मंत्र जाप विधि
- सोमवार के दिन मंत्र का जाप चन्द्र के नक्षत्र या चन्द्र के होरा में करना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करने के लिए सही समय, दिशा और जगह का होना जरूरी है।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसान लगाएँ।
- शुद्ध जल लेकर मंत्र पूर्ण करने का निश्चय करें।
- 108 बार मंत्र जाप करने के लिए 108 गुरियों वाली माला लें या जैसे उचित हो वैसे पूर्ण करें।
- मंत्र उच्चारण के लिए जो संख्या तय की है उससे कम नही होनी चाहिए।
- मंत्र जाप करते समय इधर-उधर की चीजों पर ध्यान न दें।
- सच्चे मन से चन्द्र देव का ध्यान लगाएँ।
- मंत्र उच्चारण करने से पहले खुद को स्वच्छ करलें।
मंगल के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में मंगल को निर्दयी ( क्रूर ) ग्रह कहा गया है। इस ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी कहा जाता है। मंगल के नकारात्मक प्रभावों से जातक को ब्लड संबंधी समस्या होती है। मंगल ग्रह हिम्मत और बल का कारक होता है। इसके शुभ प्रभाव से जातक की मानसिक शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है। यही कारण है की हमारे ज्योतिष मेष और वृश्चिक राशि के जातकों को मंगल ग्रह से संबंध रखने वाले मंत्रों का जाप करने की सलाह देते हैं।
इसके साथ-साथ अन्य राशियों के लोग भी अपनी कुंडली में मंगल की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए इसके मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार जातक को मंगल ग्रह के उपाय और मंत्रों का जाप करना चाहिए जिसमें वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र एवं बीज मंत्र आते हैं।
मंगल के उपाय
- मंगल ग्रह को शांत बनाए रखने के लिए मंगलवार के दिन उपवास रखें।
- प्रतिदिन मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।
मंगल का वैदिक मंत्र
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:
मंगल का तांत्रिक मंत्र
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
मंगल का बीज मंत्र
ॐ क्षितिपुत्राय विद्महे लोहितांगाय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।
मंगल का गायत्री मंत्र
मंगल मंत्र जाप विधि
- मंगलवार के दिन मंत्र का जाप मंगल के नक्षत्र या मंगल के होरा में करना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के लिए समय, संख्या और जगह को सुनिश्चित करें।
- दक्षिण दिशा में मुख करके मंत्र का उच्चारण करें।
- जल के साथ रोली मिलाकर मंत्र पूर्ण करने का निश्चय करें।
- मंत्र का जाप कम से कम 9 बार और ज्यादा से ज्यादा 108 बार करें।
- मंत्र जाप करने की निर्धारित संख्या से कम नही होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करते समय फालतू की चीजों पर ध्यान नही देना चाहिए।
- लाल रंग का कोई वस्त्र धारण करके मंगल देव का ध्यान लगाएँ।
- स्वच्छ तन और मन से मंत्र उच्चारण करें।
बुध के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह को बुद्धि, मित्र और चलने का कारक कहा जाता है। यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी होता है। जब जातक की कुंडली में बुध कमजोर स्थिति में होता है तो वह जातक को स्किन, एकाग्रता में कमी, लेखन के कार्यों से संबंधित समस्याएँ पैदा करता है। इसके लिए अगर जातक बुध ग्रह को मजबूत और सकारात्मक बनाना चाहे तो वह बुध ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप कर सकता है।
मिथुन और कन्या राशि के जातक अपने राशि स्वामी को अच्छा करने के लिए इसके मंत्रों का जाप अवश्य कर सकते हैं। यदि अन्य राशि के जातक इसके मंत्रों का जाप करना चाहते हैं तो वे अपनी कुंडली में बुध की स्थित के अनुसार कर सकते हैं।
बुध के उपाय
- बुध ग्रह को सकारात्मक और मजबूत बनाने के लिए जातक 17 बुधवार उपवास रख सकता है।
- बुधवार के दिन इसके मंत्र का 9 या 27 बार जाप करें।
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
बुध का वैदिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बुध का तांत्रिक मंत्र
ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:
बुध का बीज मंत्र
ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणीप्रियाय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ।
बुध का गायत्री मंत्र
बुध मंत्र जाप विधि
- बुधवार के दिन मंत्र का जाप बुध के नक्षत्र या बुध के होरा में करना चाहिए।
- जातक को मंत्र उच्चारण करते समय दिशा और संख्या का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- उत्तर दिशा में मुख करके आसान लगाना चाहिए।
- हाथ में जल के साथ तुलसी के पत्ते रखकर संकल्प करें।
- 108 मोतियों वाली माला लेकर मंत्र जाप करें।
- जातक को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की जो संख्या अपने ली है उससे कम नही होना चाहिए।
- मंत्र जाप के दौरान ध्यान एक जगह लगाना चाहिए।
- हरे रंग का कोई वस्त्र धारण करके बुध देव का ध्यान लगाना चाहिए।
- स्वच्छ मन और तन से आसन ग्रहण करना चाहिए।
गुरु ( बृहस्पति ) के मंत्र
ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को धर्म, शिक्षा और संतान का कारक कहा जाता है। इसके साथ ही गूरु को देव गुरु कहा जाता है। गुरु ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है। जब किसी जातक की कुंडली में गुरु का नकारात्मक प्रभाव होता है तो उस जातक को संतान प्राप्ति, पेट से जुड़ी समस्या, शरीर मोटा होने लगता है।
ज्योतिषीय मतानुसार गुरु ग्रह की शांति के लिए जातक को गुरु से संबंध रखने वाले मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। धनु और मीन राशि के जातक गुरु के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसके साथ अगर अन्य राशि के जातक भी गुरु ग्रह से संबंध रखने वाले मंत्रों का जाप करना चाहते हैं तो वे अपनी कुंडली में गुरु की स्थिति के देख लें उसके बाद ही मंत्र उच्चारण करें।
गुरु के उपाय
- जब गुरु आपकी कुंडली में कमजोर हो तो आप गुरुवार के दिन उपवास रखें।
- गुरु से संबन्धित चीजों का ज्यादा से ज्यादा चीजों का इस्तेमाल करें।
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
गुरु बृहस्पति का वैदिक मंत्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
गुरु बृहस्पति का तांत्रिक मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
गुरु बृहस्पति का बीज मंत्र
ॐ अंगिरोजाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ।
गुरु बृहस्पति का गायत्री मंत्र
गुरु मंत्र जाप विधि
- बृहस्पतिवार के दिन मंत्र का जाप गुरु के नक्षत्र या गुरु के होरा में करना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के समय जातक को जगह को साफ और समय का ध्यान रखना चाहिए।
- जातक को उत्तर-पूर्व की दिशा में अपना मुख रखना चाहिए।
- जल और नारंगी किसी चीज को अपने हाथ में रखकर मंत्र पूर्ण करने का निश्चय करना चाहिए।
- 108 बार मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
- यदि आप मंत्र को 108 बार करते हैं तो उसमें से संख्या कम नही होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के समय जातक को अपना ध्यान एक जगह रखना चाहिए।
- नारंगी रंग के किसी वस्त्र को धारण करके गुरु देव से प्रार्थना करें।
- स्नान करके साफ कपड़े पहनकर मंत्र उच्चारण करें।
शुक्र के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को भौतिक सुखों का और कामुक विचारों का कारक कहा जाता है। गुरु को वृषभ और तुला राशि का स्वामी कहा जाता है। जब शुक्र जातक की कुंडली में कमजोर स्थिति में होता है तो वह जातक को आर्थिक और पारिवारिक समस्याएँ देता है। जब जातक के ऊपर शुक्र का नकारात्मक प्रभाव होता है तो उसे शुगर, की समस्या भी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
वृषभ और तुला राशि के जातक शुक्र से संबंधित मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं, इसके अलावा अगर अन्य राशियों के भी जातक शुक्र के मंत्रों का जाप करना चाहते हैं तो उन्हे पहले अपनी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति देखनी होगी उसके बाद ही उच्चारण करें।
शुक्र के उपाय
- शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र या चीनी का दान करें।
- शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्र का जाप सफेद वस्त्र पहनकर करने से ज्यादा लाभ होता है।
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र का वैदिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शुक्र का बीज मंत्र
ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ।
शुक्र गायत्री मंत्र
शुक्र मंत्र जाप विधि
- शुक्रवार के दिन मंत्र का जाप शुक्र के नक्षत्र या शुक्र के होरा में करना चाहिए।
- शुक्र के मंत्र जाप से पहले जगह, समय और दिशा का निश्चय अवश्य कर लें।
- दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख करके आसन लगाना चाहिए।
- जल को हाथ में लेकर मंत्र पूर्ण करने का प्रण लें।
- 108 मोतियों की माला से शुक्र मंत्र का उच्चारण करें।
- मंत्र पूर्ण करने की निर्धारित संख्या से कम नही होना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण के समय जातक को अपना ध्यान सिर्फ शुक्र देव के ऊपर होना चाहिए।
- जब मंत्र जाप करने के लिए स्थान निर्धारित कर लें उसके बाद स्वंम को भी स्वच्छ कर लें।
शनि के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव को कर्म फल दाता कहा जाता है। इसके कारण शनि को कर्म के भाव का स्वामी भी कहा जाता है। शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी होता है। जब जातक की कुंडली में शनि का नकारात्मक प्रभाव होता है तो जातक को व्यवसाय, जॉब, आर्थिक और कार्यक्षेत्र में समस्याएँ पैदा होती हैं। ऐसे समय में शनि ग्रह को शांत और सकारात्मक करने के लिए उससे संबंधित मंत्रों का जाप करने की आवश्यकता होगी।
मकर और कुम्भ राशि के जातक अपनी कुंडली में शनि को सकारात्मक बनाने के लिए इससे संबंधित मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं। परंतु याद रहे मंत्र जाप की विधि सही होनी चाहिए। यदि अन्य कोई व्यक्ति मंत्र जाप करना चाहता है तो उससे पहले अपनी कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति देख लें।
शनि के उपाय
- जातक को कम से कम 19 शनिवार का उपवास रखना चाहिए।
- शनिवार के दिन काले वस्त्र या काले तिल का दान करें।
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः
शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि का बीज मंत्र
ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ।
शनि गायत्री मंत्र
शनि मंत्र जाप विधि
- शनिवार के दिन मंत्र का जाप शनि के नक्षत्र या शनि के होरा में करना चाहिए।
- शनि मंत्र का जाप करने से पहले संख्या, समय और जगह को निर्धारित कर लें।
- पश्चिम दिशा में मुख करके आसन लगाएँ।
- हांथ में गंगाजल के साथ काली वस्तु को लेकर संकल्प करें।
- मंत्र जाप की संख्या 108 होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करते समय किसी अन्य चीज पर ध्यान नही देना है।
- मंत्र जाप के समय शनि देव का ध्यान लगाएँ।
- मंत्र जाप से पहले जगह को साफ कर लें और स्नान करने के बाद ही मंत्र जाप करें।
राहु के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में यदि राहु का नकारात्मक प्रभाव हो तो जातक को मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक और हानि का सामना करना पड़ता है। यदि राहु ग्रह को ज्योतिषीय मतानुसार देखा जाए तो यह कलेशकारी ग्रह सिद्ध होता है। परंतु राहु ग्रह को शांत और सकारात्मक बनाने के लिए इससे संबंधित मंत्र का उच्चारण सच्चे मन से करने की आवश्यकता होगी।
राहु के उपाय
- सोमवार या शनिवार के दिन काले तिल जल में मिलाकर भगवान शिव पर चढ़ाएँ।
- राहु का उपवास 18 शनिवार तक लगातार रखना चाहिए इससे राहु की सकरतमकता बढ़ती है।
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा।
कया शचिष्ठया वृता।।
राहु का वैदिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
राहु का बीज मंत्र
ॐ नीलवर्णाय विद्महे सैंहिकेयाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ।
राहु गायत्री मंत्र
राहु मंत्र जाप विधि
- बुधवार के दिन मंत्र का जाप राहु के नक्षत्र में करना चाहिए।
- मंत्र जाप के लिए समय, जगह और संख्या का निश्चय करना जरूरी होगा।
- पश्चिम-दक्षिण में मुख करके आसन लगाएँ।
- जल के साथ नीले रंग की वस्तु हाथ में लेकर मंत्र जाप करने का प्रण लें।
- मंत्र जाप की संख्या 108 होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करते समय आस पास की चीजों पर ध्यान नही देना चाहिए।
- मंत्र की जो संख्या निर्धारित की है वह कम नही होनी चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करते समय राहु का ध्यान लगाएँ।
- जगह को साफ और खुद को स्वच्छ करके ही बैठें।
केतु के मंत्र
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह को दलील, मन की उपज और मानसिक निपुणता का कारक कहा जाता है। केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से जातक को दुखद और कष्टकारी समय से गुजरना पड़ता है। इसके प्रभाव से जातक को अधिकतर खुजली या कुष्ट रोग जैसी समस्या तैयार हो जाती है।
इसलिए ज्योतिषीय मतानुसार कहा गया है की केतु ग्रह को सकारात्मक बनाने के लिए केतु शांति उपाय और मंत्र करने की जरूरत होती है। इन उपायों और मंत्रों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली होते हैं मंत्र।
केतु के उपाय
- जातक को अपनी कुंडली में केतु ग्रह को बेहतर बनाने के लिए 18 शनिवार उपवास करना चाहिए।
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे देशी घी का दीपक जलाएँ।
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे।
सुमुषद्भिरजायथा:।।
केतु का वैदिक मंत्र
ॐ कें केतवे नमः
केतु का तांत्रिक मंत्र
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
केतु का बीज मंत्र
ॐ धूम्रवर्णाय विद्महे कपोतवाहनाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ।
केतु गायत्री मंत्र
केतु मंत्र जाप विधि
- बुधवार के दिन मंत्र का जाप केतु के नक्षत्र में करना चाहिए।
- जातक को मंत्र जाप के लिए निश्चित समय, जगह और संख्या का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा में आसन लाकर बैठे।
- 108 बार मंत्र का जाप करें।
- मंत्र जाप करने की संख्या कम नही होना चाहिए।
- मंत्र उच्चारण करते समय केतु ग्रह का ध्यान लगाएँ।
- केतु ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप करने से पहले स्नान करें और साफ जगह पर आसन ग्रहण करें।
हम आशा करते हैं की आपको नवग्रह मंत्रों के जुड़ी जानकारी आसानी से प्राप्त हुई होगी। हम ऐसे ही DsK Astrology के अनुभवी ज्योतिषियों की मदद से हमेशा की तरह सही और सटीक जानकारी के साथ लेख लिखते रहेंगे।