आर्द्रा नक्षत्र के उपाय। Ardra Nakshatra Remedy
शिवजी की पूजा करें: शिवजी को राहु का देवता माना जाता है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को शिवजी की पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन सुबह शिवजी को जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करें।
दुर्गाजी की पूजा करें: दुर्गाजी को भी राहु का देवता माना जाता है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को दुर्गाजी की पूजा भी करनी चाहिए। प्रतिदिन सुबह दुर्गाजी को लाल फूल और मिठाई अर्पित करें।
गणेशजी की पूजा करें: गणेशजी को बुद्धि का देवता माना जाता है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को गणेशजी की पूजा भी करनी चाहिए। प्रतिदिन सुबह गणेशजी को मोदक और लड्डू अर्पित करें।
चांदी का दान करें: चांदी राहु का धातु है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को चांदी का दान करना चाहिए। आप हर महीने किसी गरीब व्यक्ति को चांदी का सिक्का या चांदी का कोई आभूषण दान कर सकते हैं।
पीपल के पेड़ की पूजा करें: पीपल का पेड़ राहु का पेड़ है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन सुबह पीपल के पेड़ को जल और फूल अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें: महामृत्युंजय मंत्र राहु का मंत्र है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। आप प्रतिदिन 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
राहु का व्रत रखें: राहु का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष के सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को राहु का व्रत रखना चाहिए और राहु की पूजा करनी चाहिए।
नियमित रूप से ध्यान करें: ध्यान मन को शांत करने का एक अच्छा तरीका है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को नियमित रूप से ध्यान करना चाहिए। आप प्रतिदिन 15-20 मिनट ध्यान कर सकते हैं।
सकारात्मक सोच रखें: सकारात्मक सोच जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। इसलिए, आर्द्र नक्षत्र के लोगों को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
आर्द्रा नक्षत्र का वैदिक मंत्र
नमस्ते रूद्रमन्यवउतो त इषवे नम: ।
बाहुभ्यामुतते नम: ऊँ रुद्राय नम: शिवाय नम: ।।
आर्द्रा नक्षत्र। Ardra Nakshatra

आर्द्रा नक्षत्र का राशि चक्र में 66 डिग्री 40 अंश से लेकर 80 डिग्री 00 अंश क्षेत्रफल होता है। अरब सागर में इस नक्षत्र को अल हन ह, ग्रीक में इस नक्षत्र को बेतेलग्युजे और चीन सियु में शेन के नाम से जाना जाता है। वैदिक शास्त्र के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र हिन्दू तंत्र में हीरे के समान चमक वाले 2 तारों का समूह, अरब तंत्र में दो तारों और चीन तंत्र में कई तारों का समूह माना गया है। आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र जो आँधी, तूफान और विनाश के स्वामी, नाड़ी तंत्र के नियंता और इन्द्र के अनुज हैं।
इसी कारण इन्हे भगवान शिव ( कल्याण करने वाले ) का दूसरा रूप रूद्र ( विनाश करने वाले ) कहा जाता है। आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र, स्वामी राहु और राशि मिथुन हैं जिसका क्षेत्रफल 06 डिग्री 40 अंश से 20 डिग्री 00 अंश तक होता है राशि के स्वामी बुध हैं। भारतीय खगोल के अनुसार यह छठा कुशाग्र और निर्दयी संज्ञक नक्षत्र है। इस नक्षत्र का एक तारा होता है जिसके कारण इसे अरुद्र भी का जाता है। आर्द्रा यानि छठा जिसका अर्थ भाग्य देवी है।
आर्द्रा नक्षत्र का परिचय और विशेषताएँ जानने के लिए क्लिक करें
संस्कृत भाषा में आर्द्र कहा जाता है जिसका मतलब – गीला, नम, सिला, ताजा, हरा, रशिला और कोमल। जब आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य होता है तब पृथ्वी ऋतुमती होती है। आर्द्रा शुभ रजोगुणी स्त्री नक्षत्र है। इसकी जाति शूद्र, योनि श्वान, योनि वैर वानर, गण राक्षस और नाड़ी अन्त्य होती है। इस नक्षत्र को उत्तर दिशा का स्वामी माना गया है।
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आर्द्रा नक्षत्र के नाम अक्षर। आर्द्रा नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। आर्द्रा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – कु
आर्द्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – घ
आर्द्रा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – ङ
आर्द्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – छ