शतभिषा नक्षत्र फल लाभ हानि उपाय विशेषताएँ। Shatabhisha Nakshatra

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शतभिषा नक्षत्र | Shatabhisha Nakshatra

शतभिषा नक्षत्र

शतभिषा नक्षत्र का राशि चक्र में 306 डिग्री 40 अंश से 320 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। शतभिषा नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल सा’द अल सु’अद “, ग्रीक में ” एक्रेरी ” और चीनी सियु मे ” गुई ” के नाम से जाना जाता है। शतभिषा नक्षत्र को 100 औषधियों के रूप से भी जाना जाता है। जिसका मूल अर्थ एक सौ औषधि होता है। इसके अनुसार शतभिषा नक्षत्र के 100 तारे फूल की आकृति में होते है। खंडकातक के मतानुसार शतभिषा नक्षत्र का एक तारा होता है। 

शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण, स्वामी ग्रह राहु और राशि कुम्भ जो 06 डिग्री 40 अंश से 20 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यनानुसार यह 24 वा चर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। शतभिषा का मूल अर्थ 100 औषधि माना गया है जिसके कारण इसे शत-तारिका भी कहा जाता है। शतभिषा नक्षत्र शुभ तामसिक, नपुसंक नक्षत्र होता है। इसकी जाति क्रूर शूद्र, योनि अश्व, योनि वैर महिष, गण राक्षस, नाड़ी आदि है। शतभिषा नक्षत्र को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण है जिन्हे प्राकृतिक आपदा के समय सबसे अधिक महत्वता दी जाती है क्योंकि ये समस्त जगत, जल, वायु, और भूमि से संबन्धित देवता माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना गया है की वरुण देव अंतरिक्ष में भ्रमण करते रहते हैं जो रेडियो धर्मिता को नियंत्रित रखते हैं। वरुण देव को चिकित्सा शास्त्र का देवता भी माना गया है




शतभिषा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Shatabhisha Nakshatra mythological story 

शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण हैं। पौराणिक कथा के अनुसार वरुण देव को आकाश, जल, और भूमि का स्वामी माना गया है। ऋगुवेद में वरुण देव को असुर माना है लेकिन पृथ्वी और स्वर्ग का स्वामी माना जाता है। ऋगुवेद और अथर्ववेद में देवता वरुण को सब कुछ बताने के बाद झूठे को अपने जाल में फसकर पकड़ने वाला बताया गया है। इन्हे पौराणिकता के अनुसार जल से संबन्धित सभी तत्वों अथवा समुद्र और नदियों के स्वामी माने जाते हैं। 

मान्यताओं के अनुसार इन्हे पश्चिम दिशा का स्वामी लेकिन इन्हे सभी दिशाओं के स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। देवता वरुण माता अदिति और महर्षि कश्यप के चौथे पुत्र थे जिन्हे सभी आदित्यों में चौथा आदित्य माना जाता है। देवता वरुण की पत्नी वारुणी हैं। इनके महर्षि वशिष्ट, यश चित्रस्तवन, गन्धर्व हुहू, अप्सरा रम्भा, रक्षक सहजन्य, नाग शुक्र है।


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शतभिषा नक्षत्र की विशेषताएँ । Shatabhisha Nakshatra Importance 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में जातक चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाले, खोजकर्ता, विज्ञान के क्षेत्र में रुचिवान, दूर का सोचने वाला, दर्शन शास्त्र का ज्ञाता होता है। इस नक्षत्र के पुरुष जताक साफ रंग वाले, नाजुक शरीर वाले, उत्तम स्मरण शक्ति वाला, बड़े मस्तक वाला, मनमोहक आँखों वाला, निखरते हुए मुखाकृति वाला, बड़े पेट वाला, सुंदर नाक वाला होता है। 

इस नक्षत्र की स्त्री जातक कमजोर शरीर वाली, दिखने में दुबली-पतली, रूपवान, आकर्षक, गोरे गाल वाली, अच्छा आचरण वाली और गुलाबी होठों वाली होती हैं। स्त्री जातक को अपने दाम्पत्य जीवन में काफी समय तक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसमें कई स्त्रियाँ विधवा भी हो जाती हैं।


शतभिषा नक्षत्र के नाम अक्षर । शतभिषा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। शतभिषा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – गो

शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर सा

शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – सी

शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – सू


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शतभिषा नक्षत्र के उपाय । Shatabhisha Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण है। यदि जातक का जन्म नक्षत्र शतभिषा है और वह पाप अथवा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को इसके नकारात्मक प्रभाव सहने पड़ सकते हैं जिसमें जातक को शारीरिक समस्याएँ सबसे अधिक होती हैं। यदि जातक इसके नकारात्मक प्रभावों से बचना चाहता है तो इसके लिए उपाय करने चाहिए जिनकी मदद से इसके अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं। शतभिषा नक्षत्र के उपाय कुछ इस प्रकार हैं-

  • यदि जातक शतभिषा नक्षत्र से जुड़े उपाय करता है तो वह अपने जन्म नक्षत्र को बली कर सकता है जिससे शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती हैं। 
  • यदि जन्म नक्षत्र शुभ है तो जातक सिनेमा के क्षेत्र में अपना कदम बड़ा सकता है जिसमें जताक को अच्छी उन्नति मिलेगी। 
  • यदि जातक के कार्यों में रुकावट पैदा हो रही है और कार्यों में सफलता नही मिल रही है तो जातक को शतभिषा नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ लं” का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  • शतभिषा नक्षत्र में होने वाले चंद्र गोचर के समय बीज मंत्र बेहद लाभकारी सिद्ध होता है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।  
  • शतभिषा नक्षत्र के महीने में भगवान शिव की आराधना करना बेहद लाभकारी साबित होता है ऐसे में कावड़ ले जाना बेहद अच्छा माना जाता है। 
  • शतभिषा नक्षत्र को बली बनाने और शुभ परिणाम पाने के लिए भगवान शिव की पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है। 
  • भगवान शिव की पूजा करते समय ” ॐ नमः शिवाय ” का जाप सबसे उत्तम फल दाई साबित होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति यश पाता है तथा सफलता की ओर बढ़ता है। 
  • नीले रंग के वस्त्रों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने से शतभिषा नक्षत्र की नकारात्मक्ता में कमी आती है। 
  • वरुण देव की पूजा शतभिषा नक्षत्र के महीने में पूरे विधि-विधान से करने से अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।

यदि जातक इन उपायों को आसानी से कर सकते हैं तो ठीक हैं नही तो इसके अलवा शतभिषा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप बेहद फलदायी साबित होता है। इस नक्षत्र की शुभता में वृद्धि के लिए होम करते हुए शतभिषा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। यदि होम करते हुए संभव न हो तो सिर्फ वैदिक मंत्र का जाप कर सकते हैं।

शतभिषा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ व्वरुणस्योत्तम्भनमसि व्वरुणस्यस्कम्भ सर्जनिस्थो व्वरुणस्य ऋतसदन्यसी

व्वरुणस्यऋत सदनमसि व्वरुणस्य ऋतसदनमासीद ।।

ऊँ वं वरुणाय अपांपतये नम: ।।


शतभिषा नक्षत्र फलादेश । शतभिषा नक्षत्र का फल । Shatabhisha Nakshatra Prediction 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक तारे को 100 तारे चरो ओर से घेरे हुए होते हैं, जिन्हे 100 औषधि या 100 आरोग्यकर भी कहते हैं। शतभिषा नक्षत्र का सबसे मुख्य तथ्य इसकी रहस्यता [ गोपनियता ] है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनुराधा, ज्येष्ठा और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में भी रहस्यता का प्रभाव पाया जाता है लेकिन शतभिषा अपनी अलग एक नई जीवन-शक्ति और गोपनीय-शक्ति से प्राप्त करता है। जातक खराब हालातों में अच्छी तरह समझा हुआ होने के कारण सुरक्षित तरीके से बाहर निकल आता है। 

जातक अपनी समस्याओं को दूसरों के सामने न ले जाकर स्वंम उनका हल निकालने वाला, झूठ को सबके सामने लाने वाला, बाल्यावस्था में पढ़ाई में कमजोर, ठंडा होने पर भावुकता पर काबू करने वाला होता है। जातक धन-धान्य से परिपूर्ण, स्त्रियों की संगत पाने वाला, वादे का पक्का, शैतान प्रवत्ति का, विदेश में घूमने तथा रहने की इच्छा रखने वाला, संख्या आदि में कम होता है। शतभिषा नक्षत्र में निरोग्यता शक्ति होती है।


शतभिषा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Shatabhisha Nakshatra on Male

शतभिषा नक्षत्र के पुरुष जातक कोमल देह वाले, चौड़े मस्तक वाले, सुंदर और आकर्षक आँखों वाले, निखार युक्त मुखाकृति वाले, बड़े पेट वाले होते हैं। ये देखने में अच्छी नस्ल [ परिवार ] के लगते हैं। जातक सच की राह पर चलने वाला, सत्य के लिए अपने प्राण तक त्यागने वाला, बिना स्वार्थ के समाज में जरूरतमन्द लोगों की मदद करने वाला, नियमानुसार कार्य करने वाला, धर्म के मार्ग पर चलने वाला और लोगों को धर्म की ओर प्रेरित करने वाला होता है। अच्छाई-बुराई दोनों का साथ देता है परंतु जहां सच होता है।

यह गुस्से में आने पर बेहद आगबबूला होने वाला लेकिन समझाने पर शांत हो जाने वाला होता है। जातक अपनी चीजों का दिखावा न करने वाला, जातक अपनी बुद्धि से काम लेने वाला लेकिन बात करने में विद्वान के समान बाते करने वाला, शिक्षा को बढ़ाने के लिए लोगों को ज्ञान देने वाला और सच के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाला होता है। व्यवसाय के क्षेत्र में 30 से 35 वर्ष तक मेहनत और कठिन परिश्रम करने वाला लेकिन बाद में सफलता की पीआर बढ्ने वाला होता है। 

शतभिषा नक्षत्र के पुरुष जातक चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाले, जरूरतमन्द के काम आने वाले, असहाय का सहारा बनने वाले, अपने परिवार के लोगों से दुखी लेकिन उनके लिए सदैव तात्पर्य रहने वाला, पिता की मदद से बिछड़ा, माता के प्यार में डूबा रहने वाला, सुंदर और गुणवान पत्नी वाला होता है। प्रभु राम के समान स्वभाव वाला होता है। जातक अपने वैवाहिक जीवन में समस्याओं के कारण दुखी रहता है। यदि शनि और गुरु पाप स्थिति में हो तो जातक का विवाह नही होता है यदि हो भी जाए तो जातक का दाम्पत्य जीवन दुखद होता है।


शतभिषा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Shatabhisha Nakshatra on Female

शतभिषा नक्षत्र कि स्त्री जातक दुबले-पतले और लंबे शरीर वाली, सुंदर मुखाकृति वाली, बाहर निकले हुए कुहले वाली होती है। ये शांत स्वभाव वाली, कभी-कभी अधिक गुस्सा करने वाली, भगवान के प्रकोप से डरने वाली, धार्मिक कार्यों में व्यस्त रहने वाली, तुकमिजाजी होने के कारण परिवार में झगड़े और अशांति बनी रहती है। इस नक्षत्र कि स्त्रियाँ समाज और परिवार में गलत समझी जाती हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति करने वाली होती हैं। 

ये अपने पति कि इज्जत और बेहद सम्मान देने वाली, अपने विचारो के अनुसार कार्य करने वाली दूसरों के विचारों को न मानने वाली होती हैं। स्त्री जातक के विवाह में रुकावटें आती हैं या फिर वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ बनी रहती हैं। यदि इस नक्षत्र कि स्त्री का विवाह रोहिणी नक्षत्र के पुरुष जातक से होता है तो वैवाहिक जीवन कि शुरुआत में थोड़ी परेशानियाँ लेकिन बाद में बेहद सुखद और आनंदमय रहता है।


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार शतभिषा नक्षत्र | Shatabhisha Nakshatra

शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक समाज के नियमों में बंधा रहने वाला, पार्टी में कार्यरत लेकिन उनके अनुसार कार्य करने वाला, गुप्त योजनाएँ बनाने वाला, शत्रुओं कि चाल में न फसकर उल्टा उन्हे ही फसाने वाला होता है। इस नक्षत्र में जातक गलत आदतों के कारण कभी-कभी बेहद परेशान होने वाला और जीवन में उतार-चढ़ाव सहने वाला होता है। ये लालच देकर अपना काम निकलवाने वाले होते हैं। ये स्त्रियों और पैसे के आगे भागने वाले होते हैं। ————- नारद 

अपने नुकसान का बदला लेने और दुश्मनों को हार का मुह दिखाने वाला, ठंडे से खुद को दूर रखने वाला, सर्दियों में पहन-ओढ़ के रखने वाला होता है। जातक के कार्यों से लोग जल्द ही आकर्षित होते हैं। यदि इन्हे किसी चीज का अधिकार मिल जाए तो ये दुनियाँ चलाने की शक्ति रखते हैं। साफ-सुथरी बात कहने वाले और सच बोलने वाले होते हैं। कपड़े और आभूषणों का खास शौकीन होता है। ———— वराहमिहिर

इस नक्षत्र के जातक पैतृक संपत्ति को बढ़ाने वाले, चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी रुचि होती है। पराशर के मतानुसार ये अच्छे स्तर के चिकित्सक होते हैं लेकिन किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते है। स्त्रियों की संगत पाने के लिए ये व्याकुल रहते हैं। ये गलत आदतों के कारण परेशान भी होते हैं। ये धैर्यवान होते हैं। ——- पराशर

चन्द्र

यदि इस नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक नियमों का पालन करने वाला, दयावान, जरूरतमन्द की मदद करने वाला, लेखन का कार्य करने वाला, ज्योतिष विध्या का ज्ञाता, निडर, शत्रुओं का नाश करने वाला, अपने विचारों से कार्य करने वाला, स्वतंत्रता पूर्ण जीवन जीने वाला, कलात्मक होता है। जातक चिकित्सक, धार्मिक कार्यों से जुड़ा, खोजकर्ता, दार्शनिक, लोगों को अच्छे भविष्य के लिए प्रेरित करने वाला होता है। इस नक्षत्र में चन्द्र के प्रभाव से कई जातक गुप्त, तूक मिजाजी, दुखी, दुराग्रह करने वाला, शादी में रुकावटें आने से दुखी होता है।

सूर्य

यदि इस नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक कार्य-कुशल, मानवीय, लेखन का कार्य करने वाला, दर्शन शास्त्र का ज्ञाता, उत्साह बढ़ाने वाला होता है।

लग्न

यदि लग्न इस नक्षत्र में हो तो जातक ज्योतिष विध्या में रुचि रखने वाला, नौकरी पेशा वाला, राजनीति में अच्छा स्थान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला, शिक्षा के लिए यात्राएं करने वाला, नशे आदि का सेवन करने से जीवन को अंधेरे में ले जा सकता है।


शतभिषा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Shatabhisha Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण, स्वामी ग्रह राहु और राशि कुम्भ है।


शतभिषा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Shatabhisha Nakshatra First Charan pad

शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में शनि, राहु और गुरु का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 306 डिग्री 40 अंश से 310 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश धनु ! यह चरण किश्मत, आशा, मानवतावादी, विशेष कारण का कारक होता है। इस नक्षत्र के प्रथम चरण में जातक सुंदर स्त्रियों को आकर्षित करने वाला, लहसुनिया रत्न के समान चमक वाला, शास्त्रों का ज्ञाता, शास्त्र के उपयोग से अच्छा लाभ कमाने वाला होता है। 

इस चरण में जातक बुद्धिमान, आत्मा और परमात्मा से संबंध रखने वाला, परम्पराओं के अनुसार कार्य करने वाला होता है। जातक विश्वास करने योग्य, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर्ण, धार्मिक स्थलों की यात्राओं का शौकीन, धार्मिक ग्रन्थों या शास्त्रों का अच्छा ज्ञानी होता है।


शतभिषा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Shatabhisha Nakshatra Second Charan pad 

शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शनि है। इस चरण में शनि, राहु और शनि का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 310 डिग्री 00 अंश से 313 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश मकर ! यह चरण योजनाओं, प्रयोग संबंधी और मनोकामनाओं का कारक होता है। इस चरण में जातक गोरे रंग वाला, बड़े मुखाकृति वाला, स्त्रियों के प्रति शत और वफादार, स्त्री प्रेम में रत, बहादुर, गंभीर रहने वाला, शत्रुओं का नाश करने वाला, जीवन का आनंद लेने में व्यस्त रहने वाला होता है। 

इस चरण में जातक व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी करने के बारे में विचार करने वाला, कार्यशील, अपने उत्तम भविष्य के लिए बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, अपने कार्यों के चलते परिवार और अपने माता-पिता को अधिक समय न दे पाने वाला, संरक्षक होता है।


शतभिषा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Shatabhisha Nakshatra Third Charan pad

शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शनि है। इस चरण मे शनि, राहु और शनि का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 313 डिग्री 20 अंश से 316 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश कुम्भ ! यह चरण देखने, राजद्रोह, लक्ष्य से भटकने का कारक होता है। इस चरण में जन्मा जातक साफ-सुथरी बात कहने वाला, अपने ज्ञान का परिचय देने वाला, कलात्मक, नीचा, मजबूत पैरों वाला, गड्ढेदार गालों वाला, सांवले रंग वाला, कम सुनने वाला होता है। 

इस चरण में जातक तीव्र बुद्धि वाला, अंतर्ज्ञानी, लिंग का भेद रखने वाला, प्रेमी-प्रेमिका या फिर पति-पत्नी के बीच घनघोर स्नेह होता है। जातक अनुशासन का पालन करने वाला, दुश्मनों का नाश करने में बिलकुल न चुकने वाला, मित्रों से हानि से बचने वाला होता है।


शतभिषा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Shatabhisha Nakshatra Fourth Charan pad

शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में शनि, राहु और गुरु का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 316 डिग्री 40 अंश से 320 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मीन ! यह चरण आशंका, कंगाली या कर्ज, दयावान, शुद्धता का कारक होता है। इस चरण में जातक बाघ के मुख के समान, घुँघराले बालों वाला, साहस वाला, स्थिर अर्थ का ज्ञाता, आक्रमांकारी जानवरों का शिकार करने वाला, राज्य का प्रिय होता है। 

इस चरण में जातक पैतृक संपत्ति और परिवार को बेहतर दिखाने वाला, वायपार में व्यस्त रहने के कारण परिवार से दूर रहने वाला, मन को भाने वाला, कल्पना करने वाला, शराब का आदी, नशे और गंदी आदतों के लिए अपने परिवार का त्याग करने वाला, धार्मिक स्थलों पर लोगों की मदद करने वाला होता है।


शतभिषा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

शतभिषा नक्षत्र के जातक प्रथम चरण में अधिक बोलने वाला, द्वितीय चरण में सर्व गुण सम्पन्न, तृतीय चरण में प्रसन्न रहने वाला, चतुर्थ चरण में पुत्र संतति वाला होता है। 

मानसागराचार्य 

शतभिषा नक्षत्र के पहले चरण में दुखी रहने वाला, दूसरे चरण में पुत्रवान, तृतीय चरण में राजा के समान जीवन जीने वाला, चौथे चरण में धर्म को मानने वाला होता है।


शतभिषा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Shatabhisha Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है।


सूर्य – Sun [ शतभिषा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक गलत रास्ते पर चलने वाला और गलत कार्यों में अपना धन व्यर्थ करने वाला होगा।
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक दूसरों के लड़ाई-झगड़ों में अपना समय बरवाद करने वाला, समझौते में अपना धन गवाने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक अच्छे कार्य करने वाला, दयावान, धन-संपत्ति से पूर्ण होगा।  
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक गुस्सेबाज़ और शत्रुओं की हानि करने वाला होगा।

शतभिषा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Shatabhisha Nakshatra – Prediction

सूर्य का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक कार्य-कुशल, चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी ख्याति पाने वाला, चिकित्सक होने के बाद भी किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होता है।

सूर्य का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया में रत रहने वाला, नशे आदि का सेवन करने वाला, बुरी आदतों वाला, चतुराई से कार्य करने वाला, लालच देकर अपना काम निकलवाने वाला होता है। 

सूर्य का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणदोष वाला, दुश्मनों को लाहरा देने वाला, शत्रुओं को धूल चटाने वाला, दूसरों के पैसों पर नज़र रखने वाला, दूसरों की स्त्रियों पर गंदी नज़र रखने वाला होता है। 

सूर्य का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुण-दोष वाले होते हैं। जातक कार्य कुशल, चिकित्सक या चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति करने वाला, रोग ग्रस्त, दर्शनशास्त्र का ज्ञाता होता है।


चन्द्र – Moon [ शतभिषा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजमान्य, धन-दौलत से परिपूर्ण सर्व सुख भोगने वाला होगा।  
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक साहस वाला, ईश्वर भक्त होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अच्छा धन कमाने वाला, धन-संपत्ति से परिपूर्ण होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक गाँव या नगर का मुखिया या राजनेता होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धनहीन, साधारण जीवन यापन करने वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक जमीन जायदाद वाला, जमीदार होगा।

शतभिषा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Shatabhisha Nakshatra – Prediction

चन्द्र का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक सत्य की राह पर चलने वाला, सिद्धांतों का पालन करने वाला, लेखन का कार्य करने वाला, मनोविज्ञान, तेज स्मरण शक्ति वाला, भविष्य को बेहतर बनाने का विचार करने वाला, उत्तम भविष्य के लिए प्रेरित करने वाला होता है।

चन्द्र का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक चतुराई से काम निकालने वाला, चकमा देकर दुश्मनों को हार का मुह दिखाने वाला, अपनी गलती पर दूसरों को फसाने वाला, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने वाला और गलतियाँ निकालने वाला होता है। इस चरण के कई जातक गलत आदतों वाले, धन को अधिक खर्च करने वाला होता है। 

चन्द्र का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुण-दोष वाला होता है। जातक मेहनत और बार-बार परास करने के बाद भी सफलता प्राप्त नही कर पाता है। इस चरण के कई जातक गुप्त योजनाएँ बनाने वाले, बुरे कर्म करने वाला, कानूनी उलझनों में फसते-फसते बचने वाला होता है। 

चन्द्र का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान होते हैं। जातक सत्य के मार्ग पर चलने और चलाने वाला, लेखन का कार्य करने वाला, जातक दूसरों के भविष्य की बात कहने वाला या फिर ज्योतिषी होता है। जातक को समझ पाना लोगों के वस से बाहर होता है।


मंगल – Mars [ शतभिषा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक सुख भोगने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक माता का स्नेह पाने से वंचित रहने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अच्छा बोलने वाला परंतु व्यपार में बढ़ोत्तरी के लिए झूठ बोलने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक गुणवान, लंबी उम्र जीने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों के साथ यौन सुख भोगने वाला, लड़ाई-झगड़ों में आगे रहने वाला, भाग्यवान होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक तीव्र बुद्धि वाला, प्रसिद्ध, स्त्रियों से नफरत करने वाला होगा।

शतभिषा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Shatabhisha Nakshatra – Prediction

मंगल का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक गुप्त योजनाएँ बनाने वाला, शत्रुओं की चाल में उन्हे खुद फसाने वाला, गुस्से के मूड में रहने वाला, मज़ाक होने पर जल्दी खुश न होने वाला, साफ-सुथरी बात कहने वाला होता है।

मंगल का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक पाप कर्म करने वाला, स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया में रत रहने वाला, अपने बनाय हुए जाल में दुश्मनों को आसानी से फसाने वाला, समाज में लोगों से सम्मान प्राप्त करने वाला होता है।

मंगल का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक पराई नारियों के साथ गलत संबंध बनाने की इच्छा रखने वाला, नशा आदि का लती होता है। जातक शत्रुओं को अपनी गुप्त योजनाओं में फसाने वाला, अपनी हानि का बदला लेने वाला होता है। 

मंगल का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक गलत संगत में रहने वाला, अच्छे चरित्र वाला, महान, बुरे लोगों के साथ रहने के कारण जीवन में परेशानियों का सामना करने वाला होता है। जातक स्पष्ट बात बोलने वाला होता है। अपनी योजनाओं में दूसरों को फसाकर खुद सुरक्षित होने वाला होता है।


बुध – Mercury [ शतभिषा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक दूसरों के सामने झुकने वाला या डरपोक, धन-दौलत से सम्पन्न होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक निर्दयी, पैसों के लिए गलत कार्य करने वाला, बात कहने में संकोच न करने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक नगर या शहर का अध्यक्ष होगा।  
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक दयाहीन कार्य करने वाला, धन के लिए परेशान रहने वाला होगा। 

शतभिषा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in shatabhisha Nakshatra – Prediction

बुध का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अपने व्यापार में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों का नाश करने वाला, शत्रु समान लोगों से दूरी बना कर रखने वाला, ईश्वर को मानने वाला, चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति करने वाला, साफ और स्पष्ट बोलने वाला होता है। 

बुध का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपने दुश्मनों को धूल चटाने वाला, युद्ध या लड़ाई के लिए ललकारने वाला, सर्दी में खुद को बचाने वाला होता है। यदि शनि का मिलन हो तो जातक सरकार के उच्च पद पर कार्यरत होगा। 

बुध का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक ठंडक में परेशानी महसूस करने वाला, शत्रुओं से नुकसान का सामना करने वाला लेकिन उनसे बचने वाला होता है। जातक नशे आदि का लती होता है। 

बुध का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक शराब आदि का सेवन करने वाला, एक से अधिक मित्रों वाला, दिखवा न करने वाला, अपनी चीजों के लिए लोगों को दुखी न करने वाला लेकिन दुश्मनों को उनकी हरकतों पर बराबर जबाब देने वाला होता है।


गुरु – Jupiter [ शतभिषा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक प्रभावशाली वक्ता, दयावान, मनमोहक, जरूरतमंदों की सहायता करने वाला होगा।  
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक समाज की सेवा करने वाला या नेता होगा।  
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक विश्वास करने योग्य, शासन की मदद से अच्छा लाभ कमाने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक शांत स्वभाव वाला, बुद्धिमान और विद्वान के समान बाते करने वाला होगा।  
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सभी गुणों से पूर्ण और धन-दौलत से परिपूर्ण होगा।  
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सभी तरह से सुख भोगने वाला होगा। 

शतभिषा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in shatabhisha Nakshatra – Prediction 

गुरु का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अंदर की ओर मुख करने वाला, हालातों को देर से समझने वाला जिसके कारण खुद को सुरक्षित महसूस करने वाला, सच का साथ देने वाला और झूठ का पर्दाफास करने वाला होता है। 

गुरु का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक पराई स्त्रियों की संगत पाने वाला, नशे आदि का सेवन, स्पष्ट बात करने के कारण समाज में लोगों की नज़रों में घमंडी या फिर उपलब्धियों से वंचित होता है। अपने वादे का पक्का, अच्छे मौके का फायदा उठाने वाला होता है। 

गुरु का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान होता है लेकिन इस चरण में जातक चालाकी से अपने दुश्मनों को चकमा देने वाला, दुश्मनों को हराने वाला, धन के लिए लोगों के साथ धोखा करने वाला, विदेश में रहने की इच्छा करने वाला होता है। 

गुरु का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुणदोष वाला, सच का साथ देने वाला, हालातों को भली भांति समझने वाला, बाल्यावस्था में माता के साथ अकेला रहने वाला होगा। पिता के स्नेह और पालन-पोषण के लिए तरसने वाला होता है।


शुक्र – Venus [ शतभिषा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक सुंदर मुखाकृति वाला, मनमोहक होगा।   
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक मेहनत के कार्य करने वाला, साहस वाला, महान होगा।
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक गाने और कला का शौकीन, गाने-बजाने का शौकीन होगा। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक कार्य-कुशल, भाग्यवान, अच्छी सेहत वाला होगा।

शतभिषा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in shatabhisha Nakshatra – Prediction

शुक्र का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अनेक लक्षणों वाला, लड़ाई-झगड़ों को सुलझाने का कार्य करने वाला, गुप्त नीतियों का निर्माता या फिर समाज में नेता के समान कार्य करने वाला होता है। जातक अपनी किशोरावस्था में स्त्रियों अथवा लड़कियों के साथ कई बार संभोग कर चुका होता है। 

शुक्र का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक दूसरों के कार्यों अथवा योजनाओं को भंग करने में खुशी महसूस करने वाला, अपने लाभ के लिए लोगों के साथ छल करने वाला, विदेश में रहने की इच्छा रखने वाला, स्त्रियों के साथ रहने अथवा उनके साथ संभोग क्रिया में रत रहने वाला होता है। 

शुक्र का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणदोष वाला होता है। जातक समाज में लोगो की सेवा करने वाला होगा जिसके कारण समाजसेवी कहलाएगा। स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया में व्यस्त रहने वाला होता है। 

शुक्र का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुणदोष वाला होता है। जातक राजा का दूत, कपड़ों और आभूषणों का शौकीन होता है। जातक गोपनीय शक्तियों से अपना भरण-पोषण करने वाला होता है। बुध का मिलन हो तो जातक सरकारी किसी विभाग में कार्यरत होगा। शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।         


शनि – Saturn [ शतभिषा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक गरीब, धनहीन, दूसरों की अपेक्षा जातक कम सुंदर होगा।
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक अच्छे चरित्र वाला, माता के स्नेह और उनका ख्याल न रखने वाला, अधिक विचार करने वाला होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूसरों से अलग कार्य करने वाला, शारीरिक कष्ट सहने वाला होगा।  
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दयावान, धनवान, समाज और शासन से लाभ प्राप्तक होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक उच्च पद पर कार्य करने वाला, सुरक्षा प्रमुख होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक संवेदनशील होगा।

शतभिषा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in shatabhisha Nakshatra – Prediction

शनि का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अंदर की ओर मुह वाला, कभी-कभी अपने आपको बेहद सुरक्षित महसूस करने वाला, दुश्मनों को दूल चटाने वाला, अपने लाभ के लिए दूसरों का नुकसान न करने वाला होता है। 

शनि का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक अच्छी सेहत वाला, साधारण तरीके से जीवन यापन करने वाला जिसके कारण सुरक्षित रहने वाला होता है। जातक एश्वर्यवान, परेशानियों का सामना करने वाला, अधिकार प्राप्त होने पर लोगों अपने आगे पीछे घुमाने वाला होता है। 

शनि का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान होता है। लेकिन कुछ गुणदोष द्वितीय चरण से भिन्न होते हैं जैसे जातक स्त्रियों को गंदी नज़र से देखने वाला, गुस्सेबाज़, देश-विदेश में रहने वाला, अपने जन्म स्थान से दूर रहने वाला होता है। 

शनि का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान होता है। जातक अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए कभी-कभी काम करता है। जातक अपने व्यापार में रुकावट पैदा करने वाले लोगो के बीच फूट डालने वाला और उन्हे धूल चटाने वाला होता है।


शतभिषा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Shatabhisha Nakshatra – Prediction

राहु का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक गलत कार्य करने वाला और उन्ही से धन कमाने वाला, चतुराई से कार्य करने वाला, दूसरों के कार्यों में रुकावट पैदा करने वाला और अपने व्यापार में उन्नति के लिए दूसरों का नुकसान करने वाला होता है। 

राहु का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक धोखेबाज, गलत बात कहने वाला, समाज में लोगों से अभद्रता पूर्ण व्यवहार करने वाला, संभोग क्रिया में रत, दूसरों का भेद लेने वाला और अपने भेद मुश्किल से देने वाला होता है। 

राहु का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणदोष वाला होता है। जातक गलत संगत में रहने वाला और अवैध कार्यों से धन कमाने वाला होता है। 

राहु का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुणदोष वाला होता है लेकिन जातक चतुराई से लोगों से अपने कार्य निकलवाने वाला, वात रोग से ग्रसित होता है।


शतभिषा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in shatabhisha Nakshatra – Prediction

केतु का शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक परेशानियों का सामना करने वाला, कुछ स्थितियों में जातक को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं लेकिन कभी-कभी जातक गंभीर समस्याओं में फसा रहता है। जातक शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति करने वाला होता है। 

केतु का शतभिषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक शिक्षा के क्षेत्र महानता प्राप्त करने वाला, समाज में विद्वान के समान प्रसिद्धि पाने वाला, धन के लिए किसी भी कार्य को करने वाला लेकिन धन की हानि होती है। जातक स्त्रियों के संबंध में कम से कम रहने वाला होता है। 

केतु का शतभिषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक दुखी रहने वाला, पैसे डूबते हैं जिसके कारण आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। जातक को पेट या स्किन से जुड़े रोग होते हैं जिसके कारण कभी-कभी बहुत ज्यादा दुखी होने वाला होता है। 

केतु का शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक सरकारी विभाग में कार्यरत या फिर सरकारी हानि से दंडित किया जाने वाला होता है। जातक अपने जीवन में चारो तरफ से कष्ट सहने वाला होता है। जातक शुभ परिणाम की इच्छा करने वाला होता है।       


शतभिषा नक्षत्र
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