रेवती नक्षत्र फल लाभ हानि उपाय विशेषताएँ। Revati Nakshatra

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रेवती नक्षत्र | Revati Nakshatra

रेवती नक्षत्र revati nakshtra

रेवती नक्षत्र का राशि चक्र में 346 डिग्री 40 अंश से 360 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। रेवती नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल बत्न अल हुत “, ग्रीक में ” पिसियम ” और चीनी सियु मे ” गोई ” के नाम से जाना जाता है। रेवती का मूल अर्थ अधिक मात्रा में धन होता है। रेवती नक्षत्र के देवता पूषा जो आकाश में शुरुआत से लेकर अंत तक हमेशा चलते रहने वाले होते हैं।

रेवती नक्षत्र के देवता पूषा, स्वामी ग्रह बुध और राशि मीन 16 डिग्री 40 अंश से 30 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यनानुसार 27 व मृदु गण संज्ञक नक्षत्र कहलाता है। जो 27 नक्षत्रों में सबसे अंतिम नक्षत्र भी होता है। 

इसे प्रचूर मात्रा में धन प्राप्तक नक्षत्र भी कहा जाता है। रेवती नक्षत्र के 12 तारे होते है। वराहमिहिर के मतानुसार इस नक्षत्र के 32 तारे होते हैं जो ढोलक के समान आकृति बनाते हैं। इसे मृदंग सदृश्य भी कहा जाता है। तारों की संख्या की वजह से रेवती इसके आकार में किसी भी तरह का बदलाव नही होता है। रेवती नक्षत्र शुभ सात्विक स्त्री नक्षत्र होता है। इसकी जाति शूद्र, योनि गज, योनि वैर सिंह, देव गण, नाड़ी आदि है। रेवती नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।



रेवती नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Revati Nakshatra mythological story 

रेवती नक्षत्र के देवता पूषा हैं। जिन्हे 12 आदित्यों में 11 व स्थान प्राप्त है। इन्हे यात्राओं, रास्ते, शादी, जानवरों का खाना, यात्रियों की रक्षा, डाकू और जंगली जानवरों से रक्षा, इन्सानों को गलत शक्तियों से बचाने के देवता माना गया है। देवता पूषा को हलचल का प्रतीक माना जाता है। इन्हे मनुष्य के जीवन में सुधार, जीवन यापन और आगे बढ्ने का कारक माना गया है। ऋगुवेद में इस नक्षत्र के देवता पूषा का 8 रिचारों में वर्णन किया गया है। कुछ रिचाओं में इन्हे जानवरों का रक्षक माना गया है। इस नक्षत्र के देवता यश-गौरव, अप्सराओं के धर्ताची और धन कमाने के कारक होते हैं। 

पौराणिक कथा के अनुसार रामायण, महाभारत और अन्य सभी पुराणों में के अनुसार यही बताया गया है की जब भगवान शिव को यज्ञ में नही बुलाया गया तब वे बेहद गुस्सा होकर बिना बुलाय यज्ञ स्थल पर पाहुचे जहां उन्होने यज्ञ की आहुति ले रहे पूषा को लाट मारकर गिरा दिया और उन्हे पकड़कर झुल्झुलाया जिससे पूषा के दाँत टूट गए लेकिन इन सबके बाद भी पूषा शांत रहे उन्होने भगवान शिव के क्रोध के आगे अपने आपको शांत रखना बेहद जरूरी समझा था।


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रेवती नक्षत्र की विशेषताएँ । Revati Nakshatra Importance 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक रेवती नक्षत्र को रक्षा का नक्षत्र माना गया है। मुहूर्त ज्योतिष विध्या के अनुसार यह एक मधुर और कोमल होने अथवा रत्ना आभूषण का नक्षत्र माना गया है। इसे यात्राओं और दुबारा से होने वाले जन्म का कारक माना जाता है। इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक का जीवन उदास और परेशानियों से भरा होता है। जिसके कारण इस नक्षत्र के ज़्यादातर जातक संयम रखते हुए आगे बढ़ते हैं। 

जातक को बचपन में बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। जातक पानी में और पानी से संबन्धित वस्तुओं को पसंद करने वाला, ज़्यादातर समय जलीय तटों पर बिताने वाला, जल से संबन्धित व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है।


रेवती नक्षत्र के नाम अक्षर । रेवती नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। रेवती नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – दे

रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – दो

रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – चा

रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – ची


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रेवती नक्षत्र के उपाय । Revati Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रेवती नक्षत्र के देवता पूषा है। यदि जातक का जन्म नक्षत्र रेवती है और वह पाप अथवा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को इसके उपाय करने चाहिए जिनकी मदद से इसके अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं। यदि जातक जीवन में सभी कार्यों में विफल और परेशानियों का सामना कर रहा है और वह इस नक्षत्र के  नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए रेवती नक्षत्र के उपाय कुछ इस प्रकार हैं- 

  • रेवती नक्षत्र के देवता पूषा को को भगवान सूर्य का रूप माना जाता है इसीलिए सूर्य देव की पूजा करने से इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। 
  • यदि जाताक इस नक्षत्र के खिलाफ कार्य करेगा तो उसे जीवन में कष्ट सहने पड़ सकते हैं इसके लिए इस नक्षत्र से संबन्धित कार्य करने की आवश्यकता होगी।
  • भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से इस नक्षत्र के पाप प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके लिए पूरी श्रीद्धा भाव की आवश्यकता होगी।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करने से ढेर सारे शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। 
  • भगवान विष्णु जी की 108 नामावली का पाठ करने से भी जीवन में आने वाले कष्ट दूर किए जा सकते हैं।
  • विष्णु भगवान के तमाम रूपों की पूजा करके या उनके रूपों के तीर्थ स्थानों की यात्रा करके भी इसके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। 
  • हरे अथवा नीले रंग के वस्त्रों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने से भी इस नक्षत्र के कष्टदायक प्रभाव कम होते हैं।
  • मिश्रित रंगों का उपयोग करके भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है और लाभकारी फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • रेवती नक्षत्र में होने वाले चंद्र गोचर के दौरान बीज मंत्र “ऊँ लं”, “ऊँ क्षं”, “ऊँ ऎं” या “ऊँ आम्” का जाप कम से कम 108 बार करने से इसके शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है।
  • बीज मंत्र का जाप प्रतिदिन नियमित रूप से करने पर अवश्य ही जीवनयापन सुखपूर्वक होता है। इस नक्षत्र के देवता पूषा की पूजा-अर्चना से भी इस नक्षत्र को बल मिलता है।
  • अश्वत्थ की जड़ को चाँदी के ताबीज में बाजू या गले में धारण करने से इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
  • सिल्क के वस्त्र धार्मिक स्थानों पर रहने वाले गरीबों को दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

यदि जातक इन उपायों को विधिपूर्वक करता है तो उसे इसके अवश्य लाभ प्राप्त होंगे लेकिन यदि इनके अलबा जातक इस नक्षत्र का सबसे आसान उपाय करना चाहता है तो वह इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए लेकिन यदि रेवती नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप होम करते हुए किया जाय तो यह बेहद कलयांकारी साबित होता है। वैदिक मंत्र कुछ इस प्रकार है-  

रेवती नक्षत्र का वैदिक मंत्र          

ऊँ पूषन् तवव्रते वयं नरिष्येम कदाचन स्तोतारस्त इहस्मसि ।।

ऊँ पूष्णे नम: ।।


रेवती नक्षत्र फलादेश । रेवती नक्षत्र का फल । Revati Nakshatra Prediction 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रेवती नक्षत्र 27 नक्षत्रों में आने वाला सबसे अंतिम नक्षत्र होता है। जिसके कारण इसे जीवन में पुनः जन्म का कारक माना गया है। इस नक्षत्र देवता पूषा अत्यधिक विशाल उत्पन्नता और भरण-पोषण का कारक होता है। सन 572 से पहले वसंत संपात की शुरुआत रेवती नक्षत्र से ही होती थी। यह पुराने समय में वसंत संपात से केवल 10 डिग्री पश्चिम दिशा की ओर होता था। इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक जिम्मेदारियों को पूरा करने वाला, अच्छी तरह से मित्रता निभाने वाला, दूसरों को सगे माता-पिता के जितना प्यार देने वाला, छोटे बच्चों और जानवरों का सबसे ज्यादा देखभाल करने वाला होता है। 

जातक जानवरों को सबसे ज्यादा पसंद करने वाला, इन्सानों और समाज में सबको बराबर की समानता देने वाला, क्रोधित लेकिन ललित कलाओं का ज्ञाता, आत्मनिर्भर, बचपन में परेशानियों का सामना करने वाला लेकिन बड़ा होने पर संयम बर्तने वाला, गलती होने पर सामने वाले को आसानी से माफ करने वाला, पानी के तटों पर घूमना पसंद करने वाला, जल से संबंधित वस्तुओं से अच्छा लाभ कमाने वाला, भगवान में पूर्ण विश्वास रखने वाला, शुद्ध मन वाला, साधु के समान व्यवहार वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होता है।


रेवती नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Revati Nakshatra on Male

रेवती नक्षत्र के पुरुष जातक गठीले शरीर वाले, मध्यम लंबाई वाला, अच्छे व्यवहार वाला, चालाक, स्वच्छ हृदय वाला, मधुर भाषी, दूसरों के कार्यों पर ध्यान न देने वाला, आत्मनिर्भर, बाधाएँ उत्पन्न होने पर दुखी, किसी भी बात को ज्यादा दिन तक छिपा के न रख पाने वाला, अंजान व्यक्ति पर आसानी से भरोषा न करने वाला, भरोषा करके किसी को न छोडने वाला होता है। जातक अधिक गुस्सा करने वाला, अपने बनाए गय नियमों या योजनाओं में सफलता न मिलने पर दुखी होने वाला, डरपोक, भगवान में पूर्ण विश्वास रखने वाला, धार्मिकता से जुड़ा, ईश्वर कृपा से जीवन में सब कुछ पाने वाला होता है। 

जातक सबकी सुनने वाला लेकिन अपने मन की सुनने वाला, अपने नियमों के अनुसार कार्य करने वाला, जादुई चीजों या दिखावटी बातों पर भरोषा करने वाला, अपनी संस्कृति के अनुसार कार्य करने वाला होता है। इस नक्षत्र का जातक विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ा हुआ, एतिहासिक चीजों को खोजने या उनके बारे में जानने का इच्छुक, डॉक्टर, ज्योतिष विध्या का ज्ञानी, शासन के कार्यों में जल्द सफलता प्राप्त करने वाला, विदेश में रहने वाला या विदेश में रहने की इच्छा करने वाला, अपने कार्यों और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त करने वाला, व्यापार में उन्नति करने वाला होता है। 

इस नक्षत्र के जातक 22 से 27 वर्ष की उम्र में अच्छा करने में सफल होते हैं। लेकिन 27 से 40 वर्ष की उम्र तक कार्यों की चिंता या पारिवारिक कलह के कारण मानसिक रूप से परेशान रहने वाला, आर्थिक तनाव से जीवन में संकटों का सामना करने वाला, सामज के कार्यों अथवा समाज के लोगों से रुकावटों अथवा बाधाओं का खतरा रहता है। जातक 50 वर्ष की उम्र के बाद जीवन में उन्नति करता है और स्थिर होता है। पिता अथवा किसी रिश्तेदार से मदद न मिलने से जीवन में कई परेशानियों का सामना करने वाला होता है। वैवाहिक जीवन में कष्ट होने से दुखी होता है।


रेवती नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Revati Nakshatra on Female

रेवती नक्षत्र के स्त्री जातक लगभग पुरुष जातक के समान गुणदोष वाले होते हैं। परंतु कुछ गुणदोष अलग-अलग होते हैं। जैसे रेवती नक्षत्र की स्त्रियाँ बेहद रूपवान और सुंदर आकर्षक होती हैं। इनके आकर्षण और स्वभाव से हाजारों की संख्या में आसानी से पहचानी जाती हैं। इस नक्षत्र की कुछ स्त्रियाँ अपने घमंड अथवा स्थिरता के कारण दूसरों पर हुकमाना जमाने वाली होती हैं। ये जीवन में किसी पर भी भरोषा करने वाली, बनावटी बातों पर विश्वास करने वाली, अंध विश्वासी होती है। 

ये शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा गणित और कला के क्षेत्र में रुचिवान होती हैं। ये शिक्षा प्रसारक, अच्छे ग्रहों के प्रभाव से राजा की दूत या अच्छे समाचार देने वाली, राजनीति में अच्छा स्थान प्राप्त करने वाली होती हैं। ये विवाह अपने मनपसंद जातक से करना चाहती हैं लेकिन कुछ समस्याओं के कारण न हो पाने से जिससे विवाह होता है वह अच्छे स्वभाव और अच्छे आचरण का होता है जिससे अच्छा वैवाहिक जीवन जीने वाली होती है।


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार रेवती नक्षत्र | Revati Nakshatra

रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक अच्छे स्वभाव वाला, लड़ाई-झगड़ों में माहिर, छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने वाला या भिड़ने वाला होता है। ऐसे जातकों को अभिमान से भरा कहते हैं। इनके अंदर कामुकता कूट-कूट के भरी होती है। यदि रेवती नक्षत्र में चंद्रमा पंचम स्थान पर हो तो जातक पुत्र संतति पाने की इच्छा रखने वाला, जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत और प्रयत्न करने वाला, संसार के व्यवहार से अंजान होता है। जातक जीवन भर प्रयास करते रहते हैं लेकिन सफलता प्राप्त न होने पर ये अपनी किस्मत को दोष देने वाले होते हैं। — नारद

इस नक्षत्र में जन्मा जातक कम आम्दानी होने के बाद भी अधिक खर्च करने वाले, खर्च करते समय किसी भी बात को न सोचने वाले होते हैं। ये जीवन में आनंद लेने के लिए इधर-उधर घूमने वाला होता है। ये अच्छे लोगों से संपर्क रखने वाला, परंतु यह निश्चित नही है की जातक भी अच्छे गुण वाला हो। यदि चंद्रमा पंचम स्थान में हो तो जातक पुत्र संतति का सुख भोगने वाला होता है। जातक जीवन भर उन्नतिवान होने से अच्छा धन कमाने वाला होता है। जातक धन-दौलत से परिपूर्ण होता है। ——– पराशर

चन्द्र

यदि इस नक्षत्र में चन्द्र को तो जातक दयालु स्वभाव वाला, पोषण करने वाला, जिम्मेदारियों को निभाने वाला, समाज के अनुसार कार्य करने वाला, समूह का हिस्सा होने वाला, किसी एक से स्नेह भाजन करने वाला, धार्मिकता से संबंध रखने वाला, बचपन में परेशानियों का सामना करने वाला लेकिन बाद में धैर्यवान और शांतिपूर्ण जीवन जीने वाला होता है। जातक इस जन्म में जो कार्य करेगा वे दूसरे जन्म में भरने वाला होता है। इस नक्षत्र के जातक आजादी से जीवन जीने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, पालतू जानवरों को पसंद करने वाला, साहस वाला, विदेश में रहकर अच्छा लाभ कमाने वाला, शांतिपूर्ण और सुखी वैवाहिक जीवन जीने वाला, अच्छे और आकर्षक गठीले स्वभाव वाला होता है।

सूर्य

यदि इस नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक कलात्मक, संवेदनशील, शक करने वाला, विनोद पूर्ण, प्रसिद्ध, राजनीति में अच्छा विज्ञान प्रिय, यात्राओं का शौकीन, नियमों में बदलाव करने वाला, मार्गदर्शक होता है। 

लग्न

यदि इस नक्षत्र में लग्न हो तो जातक धनवान, साहस वाला, घमंडी, अच्छे नेतृत्व वाला, मनमोहक, साफ-सुथरे वस्त्र पहनने वाला, समाज के अनुसार कार्य करने वाला, मित्रतापूर्ण व्यवहार वाला, अच्छा मेहमान, लंबी उम्र जीने वाला, उच्च स्तर और सच्चा प्रेमी होता है।


रेवती नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Revati Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – रेवती नक्षत्र के देवता पूषा, स्वामी ग्रह बुध और राशि मीन है।


रेवती नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Revati Nakshatra First Charan pad

रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में गुरु, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि मीन 346 डिग्री 40 अंश से 350 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश धनु ! यह चरण आशावाद, मानववाद, देश प्रेमी, शासक स्वभाव का कारक होता है। इस नक्षत्र के जातक के शरीर में कुछ न कुछ परेशानी होती है। जातक का मुह टेड़ा, कोमल और नाजुक शरीर वाला, साहस वाला, गुणवान, प्रसिद्ध, अंहकारी होता है। 

इस चरण में उत्पन्न जातक व्यापार में वृद्धि करने वाला, अच्छा व्यावसायिक होने से प्रदर्शंकारी, धार्मिकता से संबंध रखने वाला, अपने लक्ष्य को छोडकर दूसरों की मदद के लिए आगे बढ्ने वाला होता है। इस चरण में जातक दूसरों की मदद से समाज में गलत समझा जाने वाला, जिसके कारण निराश होता है। इसलिए इस नक्षत्र के जातक को ये आदतें छोड़ अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।


रेवती नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Revati Nakshatra Second Charan pad 

रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शनि है। इस चरण में गुरु, बुध और शनि का प्रभाव होता है। राशि मीन350 डिग्री 00 अंश से 353 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश मकर ! यह चरण आधुनिक विज्ञान, मिलन, संगठन और बहुत बड़ा बनने की इच्छा रखने का कारक होता है। इस चरण में उत्पन्न जातक अहंकारी, जिद्दी, महान, ईश्वर को न मानने वाला, समूह या समाज में सलाहकार, किसी पार्टी अथवा समूह का नेता या मंत्री, साहस वाला, ताकतबर, रत, दुविधायुक्त होता है। 

इस चरण में जातक अपने लक्ष्य से भटकने वाला, जीवन को आनंद पूर्वक लंबे समय तक जीने वाला, अपनी इच्छाओं को पूरा करने वाला, संतुलित स्वभाव वाला, किसी के अधीन कार्य करने से स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जीने की अधूरी इच्छा रखने वाला होता है।


रेवती नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Revati Nakshatra Third Charan pad

रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शनि है। इस चरण मे गुरु, बुध और शनि का प्रभाव होता है। राशि मीन 353 डिग्री 20 अंश से 356 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश कुम्भ ! यह चरण मनुष्यप्रेमी, बहम करने का कारक होता है। इस चरण में जातक लंबे कद वाला, भारी सर वाला, कमजोर शरीर वाला, लापरवाह, सूखे बालों वाला, आलसी, पुत्र सुख से वंचित, लड़ाई-झगड़ों में सबसे आगे रहने वाला होता है। 

इस चरण में जातक अपने जन्म स्थान से दूर जाकर मदद करने वाला, अच्छे स्वभाव के कारण लोग इसका फायदा उठाने वाला होता है। जातक की पत्नी इन सब चीजों का विरोध करने वाली लेकिन जातक लोगों की मदद करने वाला जिसके कारण वैवाहिक जीवन में आपसी मतभेद और कष्ट रहते हैं।


रेवती नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Revati Nakshatra Fourth Charan pad

रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में गुरु, बुध और गुरु का प्रभाव होता है। राशि मीन 356 डिग्री 40 अंश से 360 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मीन ! यह चरण सपने और प्रवाह का कारक होता है। इस चरण में उत्पन्न जातक की लंबाई मध्यम या नाटा, चौड़ी छाती वाला, सुंदर नाक और कान वाला, नाजुक शरीर वाला, समाज में प्रचलित, अनेकों गुणों से युक्त, बुद्धिमान, होनहार होता है। 

जातक बड़े-बड़े सपने देखने वाला लेकिन जीवन में असफलता का मुह देखने वाला, स्थिर न रहने वाला, जल्दी दिखावटी लोगों और बातोंपर भरोषा करने वाला होता है। यह चरण इस नक्षत्र के जातक के लिए अशुभ माना जाता है।


रेवती नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

रेवती नक्षत्र के जातक प्रथम चरण में बुद्धिमान, द्वितीय चरण में चोरी का कार्य करने वाला, तृतीय चरण में दुश्मनों को परास्त करने वाला और युद्ध में विजय प्राप्त करने वाला, चतुर्थ चरण में कलेश करने वाला होता है। 

मानसागराचार्य 

रेवती नक्षत्र के पहले चरण में छल करने वाला, दूसरे चरण में धन के लिए परेशान रहने वाला, तृतीय चरण में भाग्य का तेज, चौथे चरण में कलेश से बचने वाला होता है।


रेवती नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Revati Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है।


सूर्य – Sun [ रेवती नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक सुंदर रूप आकृति वाला, सुंदरता से किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक कानूनी विभाग में कार्यरत, सेना में उच्च पद पर होगा। 
  • गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक प्रशासन से मदद प्राप्तक, सचिव होगा।   
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक निर्दयी, बुरे लोगों की संगति करने वाला, कठोर होगा।

रेवती नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Revati Nakshatra – Prediction

सूर्य का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, अच्छा स्वभाव और व्यक्तित्व वाला, इधर-उधर घूमने का शौकीन, यात्रा प्रेमी, प्रसिद्ध, राजनीति में विज्ञान को पसंद करने वाला होता है।

सूर्य का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक संसार के व्यवहार को न समझ पाने वाला, अंजान होने से दुखी, फालतू में खुद पर गर्व करने वाला, यात्राओं का शौकीन होता है।

सूर्य का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणदोष वाला, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने वाला, शक करने वाला, लड़ाई-झगड़ों में आगे रहने वाला होता है। 

सूर्य का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक बहम करने वाला, दूसरों के कार्यों में विघ्न उत्पन्न करने वाला या दूसरों का धन हड़पने वाला, स्त्रियों के पीछे न भागने वाला, दर्शनशास्त्र का अच्छा ज्ञाता होता है।


चन्द्र – Moon [ रेवती नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजमान्य, समाज में अपना अधिकार चलाने वाला, प्रसिद्ध होगा।  
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक साहस वाला, सुरक्षा संस्थान में नियुक्त होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक शिल्पकार या अच्छा ज्योतिष ज्ञाता होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अच्छे और सुंदर व्यक्तित्व वाला, अच्छे स्तर वाला होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धर्म से जुड़ा, संतान सुख भोगने वाला, ईमानदार होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक निर्दयी, धर्म शास्त्रों का अच्छा ज्ञाता होगा।

रेवती नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Revati Nakshatra – Prediction

चन्द्र का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक गठीले शरीर वाला, फिक्र करने वाला, बचपन में दुखी लेकिन बड़ा होने पर हालातों को समझने और उनका सामना करने वाला, पुराने जन्म के कर्मों अनुसार इस जन्म में सुख-दुख भोगने वाला होता है।

चन्द्र का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, जानवरों को पसंद करने के कारण घर में पालने वाला, जन्मभूमि से दूर रहकर दूसरे देश अच्छा धन लाभ कमाने वाला होता है।

चन्द्र का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक पशु प्रेमी होने से उनका पालन-पोषण करने वाला, विदेश जाने की इच्छा रखने वाला अथवा विदेश में रहकर अच्छा लाभ कमाने वाला, पौराणिकता से संबंध रखने वाला, आजादी से जीवन जीने वाला होता है। इस चरण के कई जातक रुदन करने वाले होते हैं। 

चन्द्र का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक परिवार में लोगों की देखभाल करने वाला, पहले जन्म के अनुसार इस जन्म में सुख-दुख भोगने वाला, यदि पंचम भाव में चन्द्र हो तो जातक पुत्री की चाह रखने वाला लेकिन पुत्री प्राप्त न होने से दुखी, सोचने की क्षमता में कमी आती है। जातक सांसार के व्यवहार से एक डैम अंजान होता है।


मंगल – Mars [ रेवती नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक निर्दयी लेकिन भाग्य का तेज, समाज और देश में सम्मान प्राप्त करने वाला होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक शारीरिक कष्ट सहने वाला, बुद्धिमान, अच्छे स्तर का विद्वान होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक कलात्मक और अनेक विषयों का अच्छा ज्ञानी होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक खुशहाल जीवन जीने वाला, सर्वगुण सम्पन्न, ईमानदार और लोगों की मदद करने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों के साथ यौन सुख भोगने वाला, दान-पुण्य करने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक आजादी से जीवन जीने वाला आवारा लेकीन दूसरों के भरोषे रहने वाला होगा।

रेवती नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Revati Nakshatra – Prediction

मंगल का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक छोटी-छोटी बातों पर झगड़े करने वाला, अपने मुह अपनी तारीफ करने वाला, लड़ाई-झगड़ों में सबसे आगे रहने वाला, जमीन से लाभ प्राप्त करने वाला, अच्छी सेहत वाला होता है। 

सूर्य का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक लड़ाई-झगड़ों में खुद को आगे रखने वाला, दूसरों की स्त्रियों या फिर अपने घर में किसी दूसरे की स्त्री के साथ संबंध रखने वाला होता है। 

सूर्य का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपने पैसे को अनाप-सनाप खर्च करने वाला, छोटी सोच रखने वाला, इधर-उधर घूमने वाला, यात्रा प्रेमी, अपने लड़के की बहू अथवा किसी अन्य की स्त्री से शारीरिक संबंध रखने वाला होता है। 

सूर्य का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक जमीन से लाभ प्राप्तक, पिता संपत्ति से लाभ प्राप्त करने वाला, अच्छी सेहत से खुद को फुर्तीला रखने वाला, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाला होता है।


बुध – Mercury [ रेवती नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक मित्रतापूर्ण व्यवहार वाला, भरोषा करने लायक, अच्छा लेखक होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक कठोर अथवा निर्दयता पूर्ण बात करने वाला, लेखक परंतु प्रसिद्ध नही होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अच्छे कुल में जन्म लेने वाला, उच्च स्तर का राजनीतिज्ञ, बुद्धिमान होगा।  
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक छल करने वाला, दयाहीन होगा।

रेवती नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Revati Nakshatra – Prediction

बुध का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक सुंदर और आकर्षक, गर्व करने वाला, अपने माता-पिता अथवा सबकी देखभाल करने वाला, किसी के सामने चुप न रहने वाला, नियमों का पालन करने वाला होता है। 

बुध का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक अच्छे शरीर वाला, व्यर्थ में गर्वित, देखभाल करने वाला, बचपन में परेशान लेकिन बड़ा होने पर धैर्य से कार्य करने वाला और हालातों की भली-भांति समझने वाला होता है। 

बुध का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणदोष वाले होते हैं। जातक अपने स्वभाव को साधु के समान बनाय रखने वाला, लोगों के साथ मिलकर कार्य करने वाला होता है। 

बुध का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान होते हैं लेकिन इस चरण के जातक शासन का पालन करने वाला, जल से स्नेह करने वाला, जलीय तटों पर घूमने वाला और जल से जुड़े कार्यों को करने से अच्छा लाभ कमाने वाला होता है। जातक बचपन में दुखी किन्तु समय के साथ सुधार करने वाला होता है।


गुरु – Jupiter [ रेवती नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक समाज से त्यागा हुआ या फिर लोगों के द्वारा पसंद न किया जाने वाला, धन के लिए परेशान रहने वाला होगा।  
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अच्छे भाग्य वाला, जीवन में सर्व सुख भोगने वाला, खुशहाल जीवन यापन करने वाला होगा।  
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक हालातों को बिगाड़ने वाला, दुश्मनों से कष्ट सहने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अच्छा नेता या मंत्री के समकक्ष रहने वाला होगा।  
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक लमी उम्र जीने वाला, भाग्यवान, वैभव युक्त होगा।  
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक चोर, दूसरों का नुकसान करने वाला जिसके कारण समाज से त्यागा गया होगा।

रेवती नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Revati Nakshatra – Prediction 

गुरु का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक बिना वजह गर्व करने वाला, राजा के समान, पानी पसंद करने वाला, जलीय तटों पर अधिक समय बिताने वाला, जल से संबंधित व्यापार से अच्छा धन लाभ कमाने वाला होता है। जातक साफ हृदय के कारण विश्वास पात्र होता है।

गुरु का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक बिना किसी चीज के अहंकार करने वाला, दूसरों के द्वारा बुरा बताया जाने वाला लेकिन खुद की नज़रों में बहुत अच्छा बनने वाला, विश्वास करने के लायक न समझा जाने वाला, कार्यों में विघ्न उत्पन्न होने पर कष्ट सहने वाला होता है। 

गुरु का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक धर्म को मानने वाला, यात्रा प्रेमी, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, साहित्य कला प्रेमी, दूसरे देश में रहकर अपना जीवन यापन करने वाला, छोटी बात पर अधिक गुस्सा करने वाला, योजनाओं में असफल होने से दुखी होने वाला, नियमो का पालन करने वाला होता है। 

गुरु का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक हालातों के अनुसार कार्य करने वाला, विश्वास करने योग्य, एक बार विश्वास करने पर अपने विश्वास को कायम रखने वाला, स्वच्छ हृदय वाला, किसी भी बात को ज्यादा समय तक छिपा के न रख पाने वाला होता है। जातक पानी में रहना और पानी के साथ खेलना पसंद करने वाला होता है।


शुक्र – Venus [ रेवती नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक वैभवयुक्त होगा।   
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक घर वाहन आदि से पूर्ण होगा।
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक व्यसन प्रिय होने के कारण एक से अधिक विवाह करने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक जीवन में सर्व सुख भोगने वाला होगा। 

रेवती नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Revati Nakshatra – Prediction

शुक्र का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अच्छे स्वभाव वाला, जबाब देने वाला, अच्छी संगति का मित्र, गर्व महसूस करने वाला, मानव प्रिय, अपने ऊपर निर्भर रहने वाला, ललित कला प्रेमी, विदेश में रहने वाला, भगवान के प्रकोप से बचने वाला होता है। इस चरण में चित्रा यदि लग्न हो तो स्त्री जातक बेहद सुंदर, पति सबसे अधिक प्रेम करने वाला, ससुराल में रत्न के समान चमक बनाय रखने वाला होगा।

शुक्र का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक कार्य कुशल, संसार के व्यवहार को अच्छी तरह न समझने वाला जिसके कारण वह भगवान में मन लगाकर साधु स्वभाव हो जाता है। पुत्र संतति के लिए दुखी रहने वाला होता है। इस चरण में यदि हस्त लग्न हो तो स्त्री जातक बेहद सुंदर होने के कारण आकर्षक और किसी भी व्यक्ति को अपनी ओर मोहित करने वाला, धन-दौलत और रत्नाभूषणों से युक्त होती है। 

शुक्र का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपनी कमियों को न सुधारने वाला, किस्मत को दोष देने वाला, जल प्रिय होता है। संसार के व्यवहार को न समझ पाने वाला होता है। जातक फूटे बर्तन में पाने भरने के समान कार्य करने वाला होता है। 

शुक्र का रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक विज्ञान के क्षेत्र में अच्छा जानकार, खोजकर्ता, एतिहासिक, प्राचीन संस्कृति अथवा ज्योतिषी विध्या को सीखने का इच्छुक होता है। यदि यह चरण गुरु से दृष्ट हो तो जातक अच्छे स्तर का नेता या पार्टी का मुखिया होता है। जातक अच्छा मित्र, ललित कला का प्रेमी होता है।


शनि – Saturn [ रेवती नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक ईश्वर भक्त, ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखने वाला, जिससे सर्व सुख भोगने वाला होगा।
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक पारिवारिक जीवन में सुख भोगने वाला और माता पक्ष से अच्छा लाभ प्राप्त होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दयाहीन, कठोर और दंडित होगा।  
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक नेता या मंत्री के समकक्ष रहने वाला, शासन से लाभ प्राप्तक होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक अन्वेषक, नीतिज्ञ और प्रज्ञ होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक देखभाल करने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होगा।

रेवती नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Revati Nakshatra – Prediction

शनि का रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, सुंदर, आकर्षक स्वभाव अथवा व्यक्तित्व वाला, अपने कार्यों को देख खुद पर गर्व महसूस करने वाला होता है। इस चरण में यदि हस्त लग्न हो तो जातक को विवाह में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। स्त्री जातक का विवाह उससे अधिक उम्र के पुरुष के साथ होगा। 

शनि का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक लड़ाई-झगड़े करने वाला, पुत्र संतति प्राप्ति की इच्छा रखने वाला, विघ्न अथवा परेशानी आने पर बहुत ज्यादा डरने अथवा घबराने वाला होता है। जातक जानवरों को पसंद करने वाला, पालतू जानवरों को पालकर उनका पोषण करने वाला, गणित विषय का अच्छा ज्ञाता होता है। 

शनि का रेवती नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक विश्वासपात्र, जल्दी किसी पर भरोषा न करने वाला लेकिन जब भरोषा कर लेता है तो वह जल्दी न छोडने वाला होता है। जातक संगीत प्रिय, आकर्षक स्वभाव वाला, चित्रकारी अथवा रत्नाभूषणों से जीवन यापन करने वाला होता है। अच्छे अथवा व्यवस्थित कार्यों को करने वाला होता है।


रेवती नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Revati Nakshatra – Prediction

रेवती नक्षत्र में जब राहू का प्रभाव होता है तब जातक जीवन में संकटों को उत्पन्न करने वाला, पैसा बरवाद करने वाला, अधिक और फालतू में धन खर्च करने वाला, संसार के दिखावटी लोगों अथवा दिखावटी बातों को न समझने वाला, जातक समाज के नियमों से अंजान, साधु स्वभाव वाला, देश विदेश घूमने वाला, विदेश रहने की इच्छा करने वाला, फूटे मटके में पाने भरने के समान कार्य करने वाला लेकिन सफलता प्राप्त न होने पर अपनी किस्मत को दोष देने वाला होता है।


रेवती नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Revati Nakshatra – Prediction

रेवती नक्षत्र में केतू के प्रभाव से जातक छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़े करने वाला, युद्ध करने के लिए आतुर रहने वाला, जल से संबंधित रोगों से ग्रस्त, खांसी-जुकाम जैसी समस्याओं में उलझा रहने वाला, संतान के लिए दुखी, किसी भी बात को लंबे समय तक गुप्त न रख पाने वाला, जीवन में परेशानियों अथवा कार्यों में रुकावटों का सामना करने वाला होता है। जातक छोटी सी बात पर बुरा मानने वाला और निराश होने वाला होता है।                                    


रेवती नक्षत्र
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