मघा नक्षत्र फल लाभ हानि विशेषताएँ | Magha Nakshatra

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मघा नक्षत्र | Magha Nakshatra

मघा नक्षत्र। magha nakshatra

मघा नक्षत्र का राशि चक्र में 120 अंश 00 कला से 133 अंश 20 कला क्षेत्रफल तक होता है। मघा नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल जभह ” [ शेर का माथा ], ग्रीक में ” रेगुलस ” और चीन सियु में ” सिंग ” के नाम से जाना जाता है। मघा नक्षत्र के तारों में भी कई मत हैं। खंडकातक के मतानुसार इस नक्षत्र के छः तारे होते हैं परंतु अन्य मतों के अनुसार इसके पाँच तारे होते हैं। मान्यताओं के अनुसार मघा नक्षत्र के तारों में यह मतभेद छः तारों के गुट में दो तारों की कम चमक के कारण आया है।

मघा नक्षत्र के तारे झंडे के समान आकृति में स्थिर होते हैं। ठीक इसी प्रकार छः तारों का समूह  पालकी के समान महसूस होता है।मघा नक्षत्र के देवता पितर, स्वामी ग्रह केतु और राशि सिंह 00 डिग्री 00 अंश से 13 डिग्री 20 अंश तक होती है। इस नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष के माध्यम से दसवा तीव्र संज्ञक नक्षत्र माना गया है।

यह अशुभ अंधकार संबंधी स्त्री नक्षत्र होता है। मघा नक्षत्र की जाती शूद्र, योनि मूषक, योनि वैर मार्जार, गण राक्षस और नाड़ी अन्त्य होती है। मघा नक्षत्र को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे रहस्यमय नक्षत्र कहा जाता है। परंतु इस नक्षत्र का मूल अर्थ महान अथवा बड़ा होता है।        




मघा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी | Magha Nakshatra mythological story

मघा नक्षत्र। magha nakshatra

वैदिक ज्योतिष शस्त्र में पौराणिक कथा के अनुसार मघा नक्षत्र के देवता पितरगण को माना गया है। जिन्हे पूर्वजों की आत्मा कहा गया है। भारतीय ज्योतिष के मतानुसार कहा गया है की हिन्दू वंशवाद में पितरों की तृप्ति के लिए एक पुत्र का जन्म होना बेहद जरूरी माना गया है जिसके कारण लोपमुद्रा और अगतस्य को पुत्र न होने पर अपनी गलती का प्रायश्चित करना पड़ा था।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार देवताओं और इन्सानों का वर्णन पुराणों में किया गया है। पुराण कुछ इस प्रकार हैं- वायु पुराण, हरिवंश पुराण, मत्स्य पुराण, बृह्म पुराण और पद्म पुराण होते हैं। इसी प्रकार यह भी बताया गया है की कुछ पितृ देवलोक और कुछ पितृ पाताल लोक में रहने वाले होते हैं। ठीक उसी तरह मानव पितृ जो देवता का स्वरूप माने जाते हैं और वे इस सृष्टि के निर्माण के लिए कई हजारों वर्ष पहले इस धरती पर जन्म लेते हैं।

ज्योतिषीय मतानुसार देव पितृ 7 तरीके के होते हैं जिसमें अमूर्त और समूर्त को बताया है जो कुछ इस प्रकार है-  तीन अमूर्त – [ वैराज, अग्निश्वत्ता और बहिशार्दा ] और चार समूर्त – [ सोमप, हविश्वमाना, अजयपा, सुकालीन ]  होते हैं।  इनकी सात मानस बेटियाँ है। इनमे नर्मदा नदी सोमप की बेटी है जिसे कुवांरी माना गया है।


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मघा नक्षत्र के नाम अक्षर । मघा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। मघा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – मा

मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर मी

मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – मू

मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – मे


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मघा नक्षत्र की विशेषताएँ | Magha Nakshatra Importance

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मघा नक्षत्र में जन्मे जातक की आंखे शेर के समान होती हैं।  जातक परम्पराओं को मानने वाला, परिवारवादी [ वंशवादी ] होता है। जातक अपने पूर्वजों के नियमों का पालन करने वाला, उनके बताय रास्ते पर चलने वाला, शास्त्र विघ्या को सीखने वाला, घमंडी परंतु समाज में नेता के समान होता है। मघा नक्षत्र का सबसे पसंदीदा वृक्ष ” वट ” है। 


मघा नक्षत्र के उपाय | Magha Nakshatra Remedy

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मघा नक्षत्र के देवता पितृगण [ पूर्वजों ] को माना गया है। इसी कारण मघा नक्षत्र के अशुभ होने पर अपने पूर्वजों का आदर-सम्मान करना चाहिए। जातक को इस नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अपने गुजरे हुए पूर्वजों को निश्चित तारीख पर भावपूर्ण श्रद्धान्जली देनी चाहिए।

मघा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने का सबसे अच्छा उपाय यही है की जब भी घर में कोई शुभ कार्य हो तब अपने पूर्वजों को याद करके उनके नाम से भोजन निकाल कर रख दें और उन्हे दिल से याद करते हुए सम्मान दें। इससे मघा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। कहा जाता है यदि हम अपने पूर्वजों को सम्मान और अपने शुभ कार्यों पर याद करते हैं तो वे अपने आशीर्वाद से हमे अच्छी राह देखने को शक्ति प्रदान करते हैं।

ऐसे में कई आचार्यों अथवा विद्वानों का मानना है की यदि आप अपने पूर्वजों को सम्मान और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं तो भी आपको इस नक्षत्र के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है। इस नक्षत्र के कुछ साधारण उपाय जो इस प्रकार है – 

  • जातक चटक [ डार्क ] रंग के कपड़े धारण करके इसके अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है। 
  • जिस दिन मघा नक्षत्र पड़े उस दिन ” ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव से आराधना करनी चाहिए।
  • यदि जातक भगवान शिव के इस मंत्र को पूरे माह के महीने करता है तो इसके अशुभ प्रभाव बहुत जल्दी कम जो जाते हैं।
  • पूर्वजों के समान पंडित को भोजन कराना चाहिए और उन्हे दान देना चाहिए। 
  • मघा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ” भृंगराज की जड़ ” ताबीज के रूप में बना कर गले में धारण करनी चाहिए। 
  •  जातक को दूध, दही चावल और आटा का दान करना चाहिए। 

ऐसी स्थिति में जातक मघा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इसके वैदिक मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन कर सकता है जो जल्द और प्रभावी होकर मघा के अशुभ प्रभाव कम कर सकता है। 

मघा नक्षत्र का वैदिक मंत्र जातक को बल प्रदान करता है जो कुछ इस प्रकार है- 

मघा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ पितृभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।

प्रपिता महेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधाानम: अक्षन्न पितरो मीमदन्त

पितरोsतीतृपन्त पितर: पितर: शुन्दध्वम् ऊँ पितृभ्योनम: ।।


मघा नक्षत्र में जन्मे जातक । People Born In Magha Nakshatra   

गुरु परमहंस योगानंद

महर्षि महेश योगी

मार्गरेट थेचर [ प्रधान मन्त्री, इंग्लैण्ड ]

निकता ख्रुश्चैव [ सोवियत रुस सुप्रीमो ]


मघा नक्षत्र फलादेश | मघा नक्षत्र का फल | Magha Nakshatra Prediction

मघा नक्षत्र बेहद असरकार, आनंदमय, महान, गलीचा और सबसे अच्छा होता है। जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, पहाड़ी इलाकों में घूमने का शौकीन, व्यापार करने वाला, स्त्रियों से दूर रहने वाला और समय का पालन करने वाला होता है। जातक नौकर-चाकर रखने का शौकीन, सुख भोगने वाला, पिता से प्रेम और उनका सम्मान करने वाला होता है। जातक फौज या सेना का नायक होता है। 


मघा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Magha Nakshatra on Male  

मघा नक्षत्र के पुरुष जातक ऊंची नाक, अधिक रोम, हाथ अथवा कंधे के निचले भाग पर मस्सा, मध्यम कद काठी वाला, दयालु और सीधा साधा होता है। जातक अपने पूर्वजों और गुरुओं को आदर सम्मान देने वाला, भगवान पर भरोषा करने वाला, वैज्ञानिक क्षेत्र का ज्ञाता, सुख भोग प्राप्त करने वाला, मधुर वाणी बोलने वाला, शोर शराबे से दूर रहने वाला, ज्ञानी लोगों का सबसे प्रिय होता है। जातक अपनी संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए काफी समय तक गुरुओं के पास गुजार देता है। 

जातक अधिक सोचने वाला, खोज करने वाला, दूसरों का भला करने वाला, गरीबों के हित में सोचने वाला, किसी के नुकसान पर उसके नुकसान का दुख महसूस करने वाला, ऐसे लोगों से दूर रहने वाला जो उसके कार्यों में रुकावटें पैदा करते हैं या उसका भला नही चाहते हैं। जातक अधिक शत्रुओं वाला जिसके कारण खतरे में रहता है। जातक गलत न बरदास्त करने वाला, झूठे लोगों पर गुस्सा करने वाला, सत्य का साथ देने वाला, समाज के हित में अच्छा सोचने वाला और सामाजिक कार्यों में अपना हाथ बढ़ाने वाला होता है।

जातक लोगों के द्वारा पसंद किया जाने वाला परंतु जातक अपनी आय में बढ़ोत्तरी के लिए अपने व्यापार में बदलाव करता है। जातक के महान लोगों से अच्छे संबंध रहने के कारण दोनों के बीच पुल रूपी सैया बन जाती है। जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। जातक रतौंदी जैसे रोगों से ग्रसित होता है। अगर इस नक्षत्र में शनि और मंगल का मिलन हो तो जातक कैंसर रोग का शिकार हो जाता है।


मघा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Magha Nakshatra on Female 

मघा नक्षत्र के स्त्री जातक दयालु, ईमानदार, साफ-सुथरी बात कहने वाली, सच कहने वाली, बड़ा रखने की इच्छा रखने वाली, निडर और रूपवान होती हैं। अगर इस नक्षत्र में चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो स्त्री जातक लंबे घने और काले बालों वाली होगी। स्त्री जातक लड़ाई-झगड़े करने वाली, दान-पुण्य करने वाली, ईश्वर पर विश्वास रखने वाले, ईश्वर से डरने वाली, घर के कार्यों को करने में निपूर्ण, निस्वार्थ के लिए कार्य करने वाली होती है।

स्त्री जातक अधिक गुस्सा करने वाली होती है। यदि गुरु इस नक्षत्र में हो तो स्त्री उच्च पद की अधिकारी अथवा धन-दौलत से परिपूर्ण होती है। स्त्री जातक अपने घर-परिवार में कलेश और तनाव पैदा करने वाली होती है। 


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार मघा नक्षत्र | Magha Nakshatra

मघा नक्षत्र के जातक भारी शरीर वाले होते हैं। इस नक्षत्र में जातक ज़्यादातर बॉडीबिल्डर के समान शरीर वाले, पेट में अधिक मांस और मोटा होता है। जातक चीजों अथवा बातों को बरदास्त करने वाला, अच्छा बोलने वाला और गुस्सैल होता है। देवताओं अथवा पूर्वजों को सम्मान और उनकी पूजा करने में विश्वास रखते हैं। ये जातक दान-पुण्य और गुरुओं का सम्मान करने वाले होते है। ———– नारद 

मघा नक्षत्र के जातक धन-दौलत से परिपूर्ण,  अच्छे पद पर नौकरी करने वाला, जीवन में सुख भोग प्राप्त करने वाला और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला होता है। जातक धन, धर्म और पृषार्थ को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने से भी पीछे न हटने वाले होते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातक अच्छी आर्थिक स्थिति के चलते अधिक मित्र होंगे और वह लोगों के द्वारा अधिक पसंद किया जाने वाला होता है। जातक माता-पिता के साथ पूजा पाठ में अपना सहयोग देता है। जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाला, वैवाहिक जीवन तनाव पूर्ण और कठोर हृदय वाला होता है। ———– पराशर

चन्द्र 

 मघा नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक बुद्धिमान लोगों से सम्मान प्राप्त करने वाला, भगवान और पूर्वजों की पूजा और सम्मान करने वाला, खोजकर्ता, शैतान, ईमानदार, दयावान, अधिक गुस्सा करने वाला, बड़े होने की इच्छा रखने वाले, गर्व करने वाला, अभिमान वाला, अच्छे स्वभाव वाला और विश्वासपात्र होता है। स्त्री जातक अपने पति का सम्मान करने वाली, धर्म को मानने वाली, गर्भाशय में किसी समस्या से ग्रसित, धैर्यवान, चरित्रवान और ईमानदार होती है। 

सूर्य 

मघा नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक अधिकारी, आनंद लेने वाला, संगीतकार, साहस पूर्ण कार्य करने वाला, अहंकारी, राजा के समान, यात्राओं का शौकीन, आत्मा और परमात्मा से संबंध रखने वाला और परिवारवादी होता है। 

लग्न 

मघा नक्षत्र में लग्न हो तो जातक भगवान और पूर्वजों में भरोषा रखने वाला, समाज में सम्मानित, संभोग करने के लिए लोभी, नौकर-चकार रखने का शौकीन और मजबूत स्थिति वाला होता है। 


मघा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Magha Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – देवता पितर, स्वामी ग्रह केतु और राशि सिंह। 


मघा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Magha Nakshatra First Charan pad

मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल है। इस चरण में सूर्य केतु और मंगल का प्रभाव होता है। राशि सिंह 120 डिग्री 00 अंश से 123 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश मेष ! यह चरण ऊर्जा, शूर का धर्म, मार्गदर्शक और ईमानदारी का कारक होता है। इस चरण में जातक कमजोर पाचन शक्ति वाला, साहस वाला, चौड़े सर वाला और बहादुर होता है।

इस चरण में जातक अच्छे स्वभाव वाला और अच्छे व्यवहार वाला होता है। जातक ताकतबर, विज्ञान मुक्त अनुभव और कुछ, उच्च स्थिति को प्राप्त करने वाला, प्रसिद्ध न्याय करने वाला और अधिकारों से युक्त होता है। जातक को अपने दुश्मनों से शांत रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर अधिक शक्ति का उपयोग करना चाहिए।


मघा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Magha Nakshatra Second  Charan pad

मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र है। इस चरण में सूर्य, केतु और शुक्र का प्रभाव होता है। राशि सिंह 123 डिग्री 40 अंश से 130 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मिथुन ! यह चरण बुद्धि, कर्म, समूह और कृपा का कारक होता है। इस चरण में जातक चौड़े माथे वाला, चौक आकृति का दिखने वाला शरीर, छोटी-छोटी आँखों वाला, लंबे-लंबे हाथों वाला, कम गुस्सा करने वाला होता है।

यह चरण जातक के व्यवहार में नम्रता और घमंड को दिखाता है। जातक के पास सभी कार्यों की अनुमति और ऊर्जा होते हुए भी यह गुप्त चाल से सांसरिक उद्देश्य को प्राप्त करता है। जिसके कारण जातक इस चरण में गुप्त, राजनेता, प्रबन्धक और प्रशासक आदि होता है।


मघा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Magha Nakshatra Third Charan pad 

मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध है। इस चरण में सूर्य, केतु और बुध का प्रभाव होता है। राशि सिंह 126 डिग्री से 40 अंश से 130 डिग्री 00 अंश होता है। नवमांश मिथुन ! यह चरण बुद्धिमता, रहस्य और कुछ अलग अथवा नया करने का कारक होता है। इस चरण में जातक घने काले रोम वाला, लंबी ऊंची नाक, लंबी और गोल कर्दन वाला और मूर्खता से भरा होता है।

जातक उच्च स्तर पर पहुँचने की इच्छा रखने वाला, अपना समय बर्बाद करके दूसरों के साथ समय गुजारने वाला और कार्यक्षेत्र से घर वापस लौटने पर तनाव महसूस करने वाला होता है। जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद विचारशील होता है। 


मघा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Magha Nakshatra Fourth Charan pad 

मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र है। इस चरण में सूर्य, केतु और चन्द्र का प्रभाव होता है। राशि सिंह 130 डिग्री 00 अंश से 133 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश कर्क ! यह चरण ज्ञान, परंपरा, संस्कृति, आनंद और दान-पुण्य का कारक होता है। इस चरण में जातक चिकनी स्किन वाला, उज्ज्वल, पतली और लंबी आँखों वाला, गंदी आवाज वाला, लंबे और सुंदर बालों वाला, मेढक के समान पेट वाला और कम भोजन खाने वाला होता है।

इस चरण में जिस जातक को अधिकार प्राप्त है उसके लिए यह अशुभ माना जाता है। अधिक महत्व रखने वाले फैसलों के समय यह सज्जन बनकर उसकी और अपना झुकाव बना लेने वाला होता है। जातक खोजकर्ता भी होता है।


मघा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य 

                  मघा नक्षत्र के पहले चरण में जातक निसंतान, दूसरे चरण में संतान सुख प्राप्तक, तीसरे चरण में रोग ग्रस्त, चौथे चरण में बुद्धिमान होता है। 

मानसागराचार्य

मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में जातक राजा के समान, द्वितीय चरण में धन-दौलत से परिपूर्ण, तृतीय चरण में यात्राओं का शौकीन और चतुर्थ चरण में पुत्रवान होता है।


मघा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Magha Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है। 


सूर्य – Sun [ मघा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक फालतू खर्चे करने वाला, सही समय पर अपनी ताकत का उपयोग करने वाला और समाज में प्रचलित होता है। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो पुरुष जातक स्त्री जातक की मदद करने वाला, अधिक खर्च करने वाला, कठिन परिश्रम करने वाला और निर्दयी होगा। 
  •  गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक शिल्पकार और जातक अपने परिवार के साथ में रहने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक गुस्सैल और दूसरों के कार्यों में रुकावट पैदा करने वाला होगा। 

मघा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Magha Nakshatra – Prediction 

सूर्य का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक मजबूत शरीर वाला, धैर्यवान, गुस्सेबाज़, सुख भोग प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला, परेशान, सम्मान न मिलने वाला और वाट रोगी होता है। यदि यह चरण में लग्न में हो तो जातक मितली अथवा रतौंदी जैसे रोग से ग्रसित होता है। 

सूर्य का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक घर का मालिक, धर्म को मानने वाला, ईश्वर पर विश्वास रखने वाला, अनुकरण का शौकीन, आनंद लेने वाला और याताएँ करने का शौकीन होता है। जातक गरीब अथवा भूखा रहने वाला, शरीर में किसी रोग से ग्रसित होता है। अगर शनि की दृष्टि इस चरण पर हो तो जातक अपने परिवार और माता-पिता से अलग रहने वाला होगा। 

सूर्य का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक सुख भोग प्राप्त करने वाला, संगीतकार अथवा नृत्यकार का शौकीन, साहस वाला होता है। अगर शनि और मंगल के साथ सूर्य मिलन करता है तो जातक को 1 महीने से अधिक न जी पाने वाला होगा। 

सूर्य का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक कार्य करने में निपूर्ण, धन-दौलत कमाने के लिए कठिन परिश्रम करने वाला, मेहनती और अपनी जाति में मुख्य अथवा उच्च पद के अधिकारियों का प्रिय होता है। 


चन्द्र – Moon [ मघा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धन-दौलत वाला, समाज में प्रचलित, राजकीय शक्तियों का उपयोग करने वाला होगा। 
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजनीति में अपने कदम जमाने वाला, गाव अथवा शहर के हिट में विचार करते हुए अच्छे कार्य करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, नशा करने वाला और स्त्रियों के ऊपर अपना धन खर्च करने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक शासन कार्यों में रत अथवा मंत्री होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक स्त्रियों के साथ सुख भोग प्राप्त करने वाला और संभोग क्रिया में रत होगा। यह कभी-कभी स्त्री के समान स्वभाव वाला भी होता है। 
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धनहीन, धर्मपत्नी का विच्छेद, कृषि कार्यों से सम्पूर्ण और सुरक्षा संस्थान प्रभारी हो सकता है। 

मघा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Magha Nakshatra – Prediction

चन्द्र का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक नीली आँखों वाला, एक से अधिक कार्य करने वाला, समाज के हित में कार्य करने वाला, नौकरी में सेवादार के द्वारा भगवान के समान पूज्य होता है। जातक मजबूत रहने वाला, खरी बात कहने वाला और अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध वाला होता है। इस चरण में स्त्री जातक ईमानदार, सुंदर चरित्र वाली और गर्भ रोग से ग्रसित होगी।  

चन्द्र का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक बुद्धिमान लोगों की संगत करने वाला, ईश्वर और पूर्वजों को मानने वाला, गर्व वाला, उत्तेजित, धन-दौलत से परिपूर्ण और सुख शांति वाला होता है। इस चारण में जातक की पत्नी विश्वास पात्र, ईमानदार और समाज की सेवा करने वाली होती है। जातक स्त्रियों से नफरत करने वाला, 25 से 28 वर्ष तक कठिन परिश्रम करने वाला परंतु उसके बाद सफलता प्राप्त करेगा। अगर यह चरण शनि के साथ मिलन करे और मंगल की दृष्टि हो तो जातक मिर्गी रोग से ग्रसित हो सकता है।  

चन्द्र का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, खुश रहने वाला, घमंडी परंतु अच्छे व्यवहार वाला, शैतान, चल-अचल संपत्ति वाला, ईमानदार और दयावान होता है। जातक का वैवाहिक जीवन 30 से 35 वर्ष की उम्र तक अप्रसन्न होगा परंतु जातक की पत्नी उसकी अच्छियों को समझते हुए अपने व्यवहार में बदलाव करेगी जिससे कुछ समय बाद वैवाहिक जीवन में मधुरता आ सकती है। यदि इस चरण में लग्न हो तो जातक कैंसर जैसे रोग से पीड़ित हो सकता है। 

चन्द्र का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक शुशील, ईश्वर अथवा पूर्वजों की पूजा करने वाला, माता-पिता की सेवा करने वाला, वंशवादी, परंपरावादी और खोजकर्ता होता है। जातक की प्रीतिष्ठा चन्द्रके समान कम-ज्यादा होती रहती है। जातक 34 से 35 वर्ष की उम्र तक जीवित रहने वाला परंतु राजनीति में अच्छी छवि और पद प्राप्त करने वाला होता है।  


मंगल – Mars [ मघा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक साहस से परिपूर्ण, समाज के हित में कार्य करने वाला, जंगल अथवा पहाड़ों पर निवास करने वाला होता है। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक मोटे शरीर वाला, निर्दयी, माता से अधिक प्रेम करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक शास्त्रों का ज्ञाता, विद्वान, ललित कलाओं में माहिर और मधुर भाषा बोलने वाला होता है। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक ताकतबर, मोहित करने वाला, बड़े बनने की इच्छा रखने वाला होता है। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अपनी ओर मोहित करने वाला, अहंकारी और मैथुन कामना में रत होता है। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक धनहीन और परिवार का भरण पोषण करने के लिए उनसे दूर रहने वाला होता है। 

मघा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Magha Nakshatra – Prediction

मंगल का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक गुस्सेबाज़, धैर्य न रखने वाला, सरकारी नौकरी करने वाला, जैसा चाहता है वैसा होता है उसके बाद भी जातक का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण और दुखमय नही होता है। अगर मंगल अशुभ प्रभाव में हो या चरण लग्न में हो तो जातक कैंसर रोग से पीड़ित होता है।  

मंगल का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मोटे भारी शरीर वाले, संभोग करने की इच्छा रखने वाला, सुख भोग प्राप्त करने का इच्छुक होता है। अगर गुरु से यह चरण मिलन करता है तो जातक को बाल्यावस्था से ही बुद्धिमान, ज्ञान प्राप्त करने का इच्छुक, शिक्षण समस्याओं को सुलझाने की शक्ति रखने वाला और उन्नति करने वाला होता है। जातक के पेट के आस-पास जन्म का कोई काला निशान होता है। 

मंगल का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक दयावान, पुण्य करने वाला, धर्म को मानने वाला, धार्मिक कार्यों में अपना योगदान करने वाला, बुद्धिमान लोगों का सम्मान करने वाला, महान, अपनी तारीफ के लिए किसी भी कार्य की ज़िम्मेदारी लेने वाला होता है। 

मंगल का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में जातक शान स्वभाव, खुशहाल, धैर्यवान और स्थिर चित्त वाला होता है। पिता को तुच्छ सुख की प्राप्ति होती है। किसी कारणवश जातक को तीसरे चरण के समान ही फल प्राप्त होते हैं।


बुध – Mercury [ मघा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक मनमोहक, संगीतकार और ललित कलाओं में रुचि रखने वाला होता है। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक यौन संबंध बनाने में रत और जातक के शरीर पर चोट या किसी हथियार के लगने से निशान होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक रूपवान, सुंदर चित्त और परिवार में सम्मान के योग्य होगा। 
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक निर्दयी, अधिक पसीना आने के कारण जातक को पसीने की महक से परेशान होना पड़ सकता है। 

मघा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Magha Nakshatra – Prediction

बुध का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अधिक बोलने वाला, बिना मतलब की बात कहने वाला, वैर करने वाला, दोस्तों का बुरा सोचने वाला और दुश्मनों से चोटिल होता है। यदि बुध, सूर्य और गुरु मिलन करते हैं तो जातक  फैक्ट्री आदि के कार्यों में प्रगति करेगा। परंतु शनि और मंगल का मिलन हो तो जातक नौकरी छोडकर इधर-उधर भटकने लगेगा।  

बुध का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, दूसरों के मन को भाने वाला, दोस्तों और बुद्धिमान लोगों का सम्मान करने वाला, अच्छे बोलने वाला, मानसिक तनाव वाला, मानसिक संतुलन न रहने वाला, शांतिमय जीवन जीने वाला होता है। अगर गुरु की दृष्टि हो तो जातक शिक्षा विभाग में होगा। 

बुध का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चारण में जातक एश्वर्यवान, माता-पिता का चाहीता, वंशवादी, सबका अच्छा सोचने वाला होता है। यदि मंगल का मिलन हो तो जातक बुरे लोगों की संगत में रहने वाला, तुच्छ धनवान, सोने के आभूषण बनाने वाला और अपनी उम्र से बड़ी स्त्रियों के करीब रहने वाला होता है। 

बुध का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में जातक अच्छी सेहत वाला, साफ-सुथरे रंग रूप वाला, मनमोहक और सामान्य जीवन यापन करने वाला होता है। जातक सब्जी, फल फूल कपड़ा तेल आदि बेचने वाला होता है। जातक को आँखों में समस्या रहती है और मिर्गी आदि जैसे रोगों से भी पीड़ित होता है।


गुरु – Jupiter [ मघा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक समाज में प्रसिद्ध, आकर्षक और दयालु होता है। 
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक मनमोहक, पत्नी पक्ष से संपत्ति प्राप्त करने वाला और बुरी आदतों वाला होता है। 
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक किसी गुट के लिए कार्य करने वाला और इंजीनियरिंग लाइन में होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक शास्त्रों अथवा आधुनिक विज्ञान का जानकार, मधुर वाणी बोलने वाला और अच्छा बोलने वाला होता है। 
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक स्त्रियों के द्वारा पसंद किया जाने वाला और सरकार पक्ष से धन कमाने वाला होता है। 
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक प्रभावशील, भाव की प्रधानता से युक्त वक्ता और घर-परिवार में अधिक लोग होने के कारण तनाव महसूस करने वाला होता है। 

मघा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Magha Nakshatra – Prediction 

गुरु का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक मजबूत शरीर वाला, न ज्यादा सुंदर और न ज्यादा बदसूरत, धैर्यवान परंतु क्रोधी, बुरी आदतों वाला, सांसरिक सुख भोगने की इच्छा रखने वाला और डरा हुआ होता है।  

गुरु का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाला, मध्यम शरीर और लंबाई वाला, विदेश में पढ़ाई करने वाला, शासक में कार्यरत, पूर्वजों का सम्मान करने वाला होता है। यदि श्रवण नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक बिजनेस करने वाला होता है।  

गुरु का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, ईमानदार, पूर्वजों को भावपूर्ण श्राद्ध करने वाला, साहस वाला, शक्तिशाली, धन-दौलत से परिपूर्ण और शत्रुओं का नाश करने वाला होता है। 

गुरु का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक सही मार्ग दर्शाने वाला, बुद्धिमान, सामाजिक कार्यों में लग्न, बचपन से ही नेता के समान कार्य करने वाला, बिना मेहनत के सफलता प्राप्त करने वाला और मध्यम संपत्ति वाला होता है। 


शुक्र – Venus [ मघा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक धनवान परंतु चरित्रहीन स्त्रियों से संबंध बनाने के कारण एसबी बर्बाद कर देता हैं। 
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक प्रसिद्ध, भाग्यवान, अपनी पत्नी से कम दूसरी स्त्रियों में ज्यादा लगाव रखने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण और नौकर-चकार वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक विधवा अथवा तलाक सुदा स्त्रियों के साथ संबंध रखने वाला होगा। 

मघा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Magha Nakshatra – Prediction

शुक्र का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक निर्दयी, जल्दी किसी की बातों में न आने वाला और जरूरत से ज्यादा गुस्सा करने वाला होता है। जातक का विवाह ऐसी स्त्री से होता है जो छोटी-छोटी चीजों में तू तू मे मे करती है। अगर मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक संभोग से संबन्धित परेशानी में होगा जिसके कारण जताक का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण होत है। जातक के विवाह के पश्चात भी अन्य स्त्री-पुरुषों के साथ शासरीरिक संबंध होते हैं। 

शुक्र का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, स्त्री के समान गुणो वाला, नपुंसक, पूर्वजों की प्रथा को मानने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण, एश्वर्यवान, खुश रहने वाला, भ्रम के कारण समाज से निकाला गया होता है। 

शुक्र का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अडिग, उच्च कोटी का विद्वान, गणित विषय का ज्ञाता, यात्रा प्रेमी, धार्मिक स्थलों पर घूमने वाला और वहाँ पर कुछ नया करने वाला होता है। जातक धन-दौलत से परिपूर्ण और माता की सेहत का ख्याल रखने वाला होता है।  

शुक्र का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक दान-पुण्य करने वाला, कठिन परिश्रम करने वाला, धार्मिक कार्यों में भरोषा करने वाला, एक से अधिक संपत्ति का मालिक होता है। किसी कारणवश पत्नी के साथ गलतफहमियाँ उत्पन्न होती है जिसके कारण वैवाहिक जीवन तनाव पूर्ण रहता है। 


शनि – Saturn [ मघा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक धनहीन, नशा करने वाला और झूठ बोलने वाला होता है। 
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक धन-दौलत वाला, सुंदर स्त्रियॉं के साथ संबंध बनाने में रत और भाग्यवान होता है। 
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक पर्यटक, अकेले रहना पसंद करने वाला और संतान एवं पत्नी सुख से बिछड़ा हुआ होगा। 
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दया करने के योग्य, लापरवाह और धनहीन होता है। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक विश्वास करने के योग्य, समाज में अच्छी छवि वाला, धन-दौलत से सम्पूर्ण होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक को 15 से 20 उम्र के बाद पिता की धन-दौलत मिल सकती है।  

मघा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Magha Nakshatra – Prediction

शनि का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक मध्यम कद-काठी वाला, दूसरों की बुराई करने वाला, गुस्सा करने वाला, पूर्वजों की प्रथा पर विश्वास करने वाला, लापरवाह, गंदी-गंदी बाते करने वाला जिसके कारण इसके दोस्त नही होते हैं।  

शनि का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, बुद्धिमान, नौकर-चाकरों से युक्त, पिता के समान कार्य करने वाला, कठिन परिश्रम करने वाला,  पूर्वजों की प्रथा को न मानकर अपनी चलाने वाले, अपनी पत्नी के अलावा भी किसी अन्य स्त्री के साथ यौन संबंध बनाने वाला जिसके कारण परिवार में कलेश रहता है। 

शनि का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक दान-पुण्य करने वाला, समाज में लोग इससे जलने वाले, धार्मिक कार्यों में अपना योगदान करने वाला, आनंद लेने में असमर्थ, पत्नी सम्मान न करने वाली, कार्य करने वाले लोगों को अपने नियंत्रण में रखने वाला होगा। यदि यह चरण चंद्रमा से युक्त हो तो अपनी उम्र से अधिक उम्र वाली स्त्रियों के साथ संबंध बनाने वाले होते हैं।  

शनि का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक मध्यम कद वाला, सावले रंग वाला, विज्ञान के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाला और साधु-संतों के समान स्वभाव वाला होता है। जातक विवाह रूपवान स्त्री के साथ होता है।


मघा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Magha Nakshatra – Prediction

राहु का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक ऊँची जाति में जन्म हुआ, धनवान, सुख-सम्पन्न होता है। यदि लग्न भाद्रपद में हो तो जातक दो स्त्रियों से विवाह करने वाला होगा। 

राहु का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक गलत कार्य करके धन कमाने वाला होता है। यदि यह मंगल से युत हो तो जातक पत्नी और संतान सुख से बंछित होता है।  

राहु का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में मंगल या बुध से मिलन हो तो जातक कैंसर, चर्म रोग अथवा यौन रोग से ग्रसित होता है।  

राहु का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, पत्नी सुख से सुखी, शिक्षण संस्था में कार्यकर्ता और बाते जल्दी भूल जाने वाले होते हैं। 


मघा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Magha Nakshatra – Prediction

केतु का मघा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक एक से अधिक बार हानि झेलने वाला, जुआ खेलने वाला, सामाजिक कार्यों में लग्न और रेस में रुचि रखने वाला होता है। 

केतु का मघा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक अकेला रहने वाला, दुखी, घर में सुख का अनुभव करने वाला और बाहर दुखी रहने वाला , मध्यमावस्था तक साधु-संतों के समान रहेगा परंतु बाद में गृह जीवन में लग्न हो जाएगा।  स्त्री जातक के लिए अकेला केतु पति की मृत्यु कारक होता है। 

केतु का मघा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक कार्यक्षेत्र मे कार्यों को लेकर अधिक चिंता करने वाला होता है। अगर लग्न शतभिषा नक्षत्र में हो, तो स्त्री जातक विधवा हो सकती है।  

केतु का मघा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में लग्न हो और गुरु श्रविष्ठा नक्षत्र मे हो, तो जातक सेना में उच्चप पद पर कार्यरत, धनवान, सुखमय वैवाहिक जीवन जीने वाला होगा। 


मघा नक्षत्र
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