पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र फल लाभ हानि उपाय विशेषताएँ। Purva Bhadrapada Nakshatra

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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र | Purva Bhadrapada Nakshatra

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का राशि चक्र में 320 डिग्री 00 अंश से 333 डिग्री 20 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल फर्ग अल मुकदिम “, ग्रीक में ” मरकब ” और चीनी सियु मे ” शिह ” के नाम से जाना जाता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का मूल अर्थ [ पूर्वा + भाद्र + पद ] पूर्वा मतलब प्रथम या पहले, भाद्र का मतलब सुंदर और पद यानि चरण या पाद होता है। इस नक्षत्र के देवता अज का अर्थ एकापथ या एक पैर का बकरा होता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अज को भगवान शिव का रूप माना गया है, जिसे पुराणों में रुद्र के नाम से वर्णित किया गया है।

पूर्वाभाद्रपद के देवता अज यानि अजैकपाद, स्वामी ग्रह गुरु [ बृहस्पति ] और राशि कुम्भ 20 डिग्री 00 अंश से मीन 03 डिग्री 20 अंश तक होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यन अनुसार यह 25 व ध्रुव संज्ञक नक्षत्र माना गया है। यह अशुभ, राजसिक, पुरुष नक्षत्र है। इसकी जाति ब्राम्हण, योनि सिंह, योनि वैर गज, गण मनुष्य, नाड़ी आदि है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। इसे ज्योतिषय मतानुसार द्वि आकृति का नक्षत्र भी कहा गया है। दो तारों के समान दिखने वाला यह आकाशीय मण्डल दो जुड़वा जुड़वा शिशुओं के समान दिखाई देता है। जिसके कारण इसे यमल सृदृश्य के नाम से भी जाना जाता है।




पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Purva Bhadrapada Nakshatra mythological story 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अज यानि अजैकपाद हैं। इन्हे पौराणिक कथा के अनुसार असुर देवता माना गया है। इन्हे एक पैर का बकरा, शिव का स्वरूप रुद्र के नाम से जाना जाता है। यह भगवान शिव के पहले पैर को भी दर्शाता है। यह अधिकतर दक्षिण भारत और उड़ीसा क्षेत्र में पाया जाता है। इसके प्रायः तीन शास्त्रीय स्वरूप माने जाते है जो कुछ इस प्रकार हैं- एकपाद मूर्ति [ एक पैर और चार भुजाओं का प्रतीक ], एकपाद त्रिमूर्ति [ एक पैर शिव के साथ देवता ब्रह्मा और विष्णु के धड़ ], एकपाद भैरव [ भगवान शिव का सबसे भयानक रक्त बलिदानी का स्वरूप ] होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र की विशेषताएँ । Purva Bhadrapada Nakshatra Importance 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक एक से अधिक कलाओं में अच्छे स्तर का विशेषज्ञ, शत्रुओं का नाश करने वाला, अपनी इच्छाओं को काबू में करने वाला होता है। जातक असाधारण तरीके से धन कमाने वाला, अच्छे और बुरे स्वभाव वाला, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति करने वाला, गंभीरता से कार्य करने वाला, पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने और उन्हे हल करने में सक्षम होता है। इस नक्षत्र के जातक के अंदर विशेष गुण पाए जाते हैं। जातक स्नेहपूर्ण और दयावान होता है।


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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नाम अक्षर । पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – से

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर सो

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – दा

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – दी


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पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के उपाय । Purva Bhadrapada Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अज है। यदि जातक का जन्म नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद है और वह पाप अथवा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को इसके उपाय करने चाहिए जिनकी मदद से इसके अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के उपाय कुछ इस प्रकार हैं-

  • भगवान शिव की पूजा वंदना करने से जातक के जीवन में कष्ट कम होते हैं और इस नक्षत्र को बल प्राप्त होता है। 
  • जातक को जरूरतमन्द लोगों की मदद करनी चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
  • यदि बिना स्वार्थ के कार्य किए जाएँ और गुस्से को त्याग दिया जाए तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्र गोचर के समय बीज मंत्र का जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 
  • भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में इसके बीज मंत्र  “ ऊँ शं” और “ऊँ वम् ” का जाप कम से कम 108 बार जाप करने से इस नक्षत्र को बल प्राप्त होता है।
  • काले रंग के वस्त्रों का कम से कम उपयोग करना चाहिए और चमड़े आदि से बने सामनों को कम से कम उपयोग में लाएँ। 
  • इस नक्षत्र को बली बनाने के लिए इससे संबंधित कार्य करने चाहिए और इससे संबन्धित मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
  • भृंगराज की लकड़ी को बाजू या गले में धारण करने से इससे संबंधित अशुभ परिणाम कम होने लगते हैं।  

यदि जातक इन उपायो को आसानी से कर सकता है तो ठीक है नही तो जातक इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का उच्चारण कर सकता है जो बेहद ही कारगर और लाभकारी सिद्ध होता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार होम करते हुए करना चाहिए यदि होम करते हुए संभव न हो तो जातक सिर्फ 108 बार वैदिक मंत्र का जाप कर सकता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के दिन वैदिक मंत्र की शुरुआत करनी चाहिए इससे जल्द लाभ प्राप्त होगा। 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का वैदिक मंत्र

ऊँ उतनोsहिर्बुध्न्य श्रृणोत्वज एकपात्पृथिवी समुद्र: ।

विश्वेदेवाSऋतावृधो हुवानास्तुता मन्त्रा: कविशस्ता अयन्तु ।।

ऊँ अजैकपदे नम: ।।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र फलादेश । पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का फल । Purva Bhadrapada Nakshatra Prediction 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र अध्यात्मिकता की ओर आकर्षण बनाने वाला, धर्म को ऊंचाइयों तक ले जाने वाला, स्वार्थी लोगों और स्वार्थी कार्यों से दूर रहने वाला, बदलाव का नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में जातक अपने आपमें पूर्ण विश्वास करने वाला, हिंसक कार्यों में घुसने वाला, हालातों को काबू करने वाला और हालातों से लड़ने वाला होता है। 

जातक चीजों को सीखने में माहिर और नई खोज की इच्छा रखने वाला, लापरवाह, जरूरत से ज्यादा नींद लेने वाला, समय को बरवाद करने वाला, अपनी इच्छाओं को काबू करने वाला, दुश्मनों का नाश करने वाला, कंजूस या कम खर्च करने वाला होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Purva Bhadrapada Nakshatra on Male

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पुरुष जातक के पैर जमीन में पूरी तरह न चिपकने वाले, सामान्य लंबाई वाला, भरे हुए और मोटे गाल वाले, मोटे और गुलाबी होठो वाले होते हैं। जातक शांत स्वभाव वाला, कभी-कभी गुस्सा करने वाला, आर्थिक रूप से कमजोर होगा लेकिन समाज में सम्मान प्राप्तक होता है। जातक आत्मनिर्भर, जरूरतमंदों की मदद करने वाला, अच्छा और स्वादिष्ट भोजन करने वाला, अधिक खाने वाला होता है। जातक जिसके पक्ष में रहता है उसी के साथ रहता है विपक्षी की तरह कार्य नही करता है। 

जातक ईश्वर में पूर्ण विश्वास करने वाला, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, शास्त्रों का ज्ञाता और पालन करने वाला होता है। जातक साधारण कपड़े पहनने वाला, कार्यों में लोगों के द्वारा उत्पन्न की गई रुकावट पर ज्यादा ध्यान न देने वाला होता है। जीवन में जल्द उन्नति पाने वाला, समाज के बनाय नियमों का पालन करने वाला लेकिन अपने अनुसार आजादी पूर्ण जीवान जीने वाला होता है। जातक अपने जीवन में 23 से 25 वर्ष की उम्र में अच्छी सफलता प्राप्त कर लेता है लेकिन 40 से 50 वर्ष की उम्र में पूर्ण रूप से सफल होकर स्थिर होने वाला होता है। जातक व्यापार में धन निवेश करने वाला, लेखन का कार्य करने वाला, नेता या फिल्म अभिनेता होता है। 

जातक शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति वान, अध्यापक लेकिन ज्योतिष के क्षेत्र में भी अच्छा ज्ञान रखने वाला होता है। जातक अपनी माता के स्नेह से वंचित, पिता के कार्यों और उनकी सफलता से गर्व महसूस करने वाला लेकिन विचार धारा में भिन्नता होने के कारण आपसी मतभेद होते हैं। जातक की माता कार्यशील होगी जिसके कारण जातक का लालन-पालन दूसरों के द्वारा किया जाएगा। यदि जातक शासन में कार्यरत होता है तो अच्छा लाभ कमाता है और उच्च पद का अधिकारी होगा।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Purva Bhadrapada Nakshatra on Female

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्त्री जातक पुरुष जातक के समान गुणदोष वाले होते है। परंतु स्त्री जातक में कुछ गुणदोष भिन्न होते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्रीयां न ज्यादा लंबी और न ज्यादा छोटी, रूपवान होने से किसी भी पुरुष को अपनी ओर आसानी से आकर्षित कर लेती हैं। इस नक्षत्र की कई स्त्रियाँ बहुत ज्यादा पतली या कमजोर शरीर वाली होती है। इस नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ अपने वचन को पूरा करने वाली होती हैं उसके लिए इनका सर भी कट जाए तब भी ये अपने वचन को अधूरा या मुकरती नही हैं।

स्त्री जातक अपने कार्यों को दूसरों से करवाने वाली, अपनी शक्ति से किसी को भी पीछे करने वाली, समाज में अधिकार प्राप्त होने पर ये पूरी तरह सफलता को प्राप्त करती हैं। ये शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाली और शिक्षा के मामले में किसी को भी पीछे करने वाली होती है। इन्हे अच्छा ज्ञान होता है जिसके कारण कई स्त्रियाँ शिक्षिका, ज्योतिषी या फिर गणतिज्ञ होती हैं। इन्हे अपने जीवनसाथी और बच्चो से बहुत ज्यादा स्नेह और मोह होता है जिसके कारण ये कभी-कभी बहुत ज्यादा परेशान हो जाती हैं।

ये घर के कार्यों में माहिर, संतान का सुख इनके लिए खुशियों का कारण होता है। यदि इस नक्षत्र की स्त्री का विवाह रोहिणी नक्षत्र के पुरुष के साथ हो तो इनके शारीरिक संबंध अच्छे होने से संताने अधिक होती हैं।


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र | Purva Bhadrapada Nakshatra

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक मानसिक तनाव से ग्रसित, जरा सी बात पर बहुत अधिक चिड़ने और गुस्सा करने वाला होता है।ये अपने जीवन में शांत रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इन्हे ज्यादा बात करना पसंद नही होता है। ये शांत और अच्छे वातावरण की तलास में इधर-उधर भाटकते रहते हैं। ये पराई स्त्रियों पर अपना धन बर्वाद करते हैं। ये अपने कार्यों के लिए बेहद चालाक और चतुर होते है लेकिन स्त्री स्नेह में और स्त्रियों की बातों में आकार ये अपना पैसा और खुशी दोनों तहस-नहस कर लेते हैं। ———— वराहमिहिर

आईए नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक अक्डू स्वभाव वाले, लोगों की हसी उड़ाने वाले, दिखावा करने वाले होता है। ये जातक अपने आपको समाज में सबसे अच्छा दिखाने के लिए सब कुछ करते हैं और इन्हे अपनी तारीफ सुनना बेहद पसंद होता है। ये अपने धन को किसी अन्य व्यक्ति को नही देते लेकिन स्त्रियों के स्नेह में ऐसे रत होते हैं की अपना सारा कुछ गवा बैठते हैं। ————- नारद

ये अपने विचारों और बातों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते है। ये रात को देर तक जागना पसंद करते हैं लेकिन उसी प्रकार सुबह देर तक सोना पसंद करते हैं। ये राज के कार्यों को करना बेहद पसंद करते हैं। ये चालाकी से काम करने वाले और हमेशा अपनी हिम्मत का परिचय देने वाले होते हैं। ये गंभीर स्वभाव वाले, अपने धन को न निकालने वाले, दूसरों के पैसों से खाने वाले, दोस्तों में सबसे कंजूस होते हैं। ———– पराशर

चन्द्र

यदि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक कार्यकुशल, समाज के नियमों अथवा कार्यों में बदलाव करने वाला, दायवान, जरूरतमन्द लोगों की सहायता करने वाला, डरपोक, प्रवचन करने वाला, उदास रहने वाला, छोटी-छोटी बातों पर चिड़ने वाला, अपने मार्ग से भटकने वाला होता है। जातक धार्मिक प्रवृत्ति वाला, शिक्षक या ज्ञान प्रसारक, खोजकर्ता, विद्वान, लेखन का कार्य करने वाला, अपने कार्यों को चतुराई से करने वाला, धनवान लेकिन जीवन में परेशानियों से घिरा रहने वाला होता है। 

सूर्य

यदि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक कुछ नया करने वाला, लंबे समय तक डटकर कार्य करने वाला, अनियमित, लेखन का कार्य करके जीवन यापन करने वाला, छोटी-छोटी चीजों में कमिया निकालने वाला, शांत माहौल में रहना पसंद करता है। 

लग्न

यदि इस नक्षत्र में लग्न हो तो जातक अच्छे बोलने वाला, मार्गदर्शक, कार्यों को चतुराई से करने वाला, किराय के मकान में रहने या किसी समस्या के कारण घर बदलते रहने वाला, देश-विदेश घूमने का शौकीन, धनवान, अपने कार्यों या व्यापार में व्यस्त रहने वाला, लंबी उम्र तक जीवन जीने वाला होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Purva Bhadrapada Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – पूर्वाभाद्रपद के देवता अज यानि अजैकपाद, स्वामी ग्रह गुरु [ बृहस्पति ] और राशि कुम्भ है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Purva Bhadrapada Nakshatra First Charan pad

पूर्वाभाद्रपद  नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल है। इस चरण में शनि, गुरु और मंगल का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 320 डिग्री 00 अंश से 323 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश मेष ! यह चरण हिंसा, मानसिक शक्ति, नष्ट करने, दृढ़ निश्चय का कारक होता है। इस चरण में उत्पन्न जातक मेढ़े के समान मुखाकृति और आँखों वाला, स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाला और संभोग क्रिया में रत रहने वाला होता है। 

जातक एकांत जगह में रहना पसंद करने वाला, भीड़-भाड़ वाली जगहों के आस-पास भी न जाने वाला, समाज में कुछ गलत कार्यों की वजह से अपमानित, पित्त रोग से ग्रसित होने से परेशान रहने वाला, साहस वाला, सावधानी से कार्य करने वाला, संयम वर्तने वाला होता है। इस चरण के जातक हिंसक कार्य करने वाले, अपने लक्ष्य को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले लेकिन अपने मार्ग को न छोडने वाले होते हैं। ये विपरीत लिंग के लोगों को ज्यादा पसंद करते हैं और उनकी ओर जल्द आकर्षित होते हैं।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Purva Bhadrapada nakshatra Second Charan pad 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शुक्र है। इस चरण में शनि, गुरु और शुक्र का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 323 डिग्री 20 अंश से 326 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश वृषभ ! याच चरण संयम और सफाई [ स्पष्टता ] का कारक होता है। इस चरण में जन्मा जातक तीव्र और स्थिर बुद्धिमता वाला, धनवान लोगों को पसंद करने वाला, सेना में उच्च पद का अधिकारी, भाग्यवान, अच्छे और आकर्षक स्वभाव वाला, सबसे प्यार से बात करने वाला, लोगों से बहुत जल्द मित्रता करने वाला, बड़े-बड़े दांतों और आँखों वाला होता है। 

इस चरण में जातक खोजकर्ता, जादू टोना और कालजादू में रुचि रखने वाला, अपने मार्ग से भटकने वाला होता है। इस चरण में जन्मा जातक जब खोजकर्ता या रहस्यवादी होता है तो वह अच्छे स्तर का ज्योतिषी या फिर काले जादू में माहिर होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Purva Bhadrapada Nakshatra Third Charan pad

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध है। इस चरण मे शनि, गुरु और बुध का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 326 डिग्री 40 अंश से 330 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मिथुन ! यह चरण बढ़ोत्तरी, बड़े बनने की इच्छा का कारक होता है। इस चरण में जन्मा जातक सावले रंग वाला, गोल और भरे हुए चहरे वाला, आकर्षक, पत्नी और संतान सुख प्राप्तक, अच्छा बोलने वाला, समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला, तातवार और साहसी होता है। 

इस नक्षत्रे के जातक तृतीय चरण में अधिक बुद्धिमान, भौतिक जीवन में सभी सुखो को भोगने वाला, अच्छे स्तर का लेखक, अच्छा मार्गदर्शक होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Purva Bhadrapada Nakshatra Fourth Charan pad

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चन्द्र है। इस चरण में शनि, गुरु और चन्द्र का प्रभाव होता है। राशि मीन 330 डिग्री 00 अंश से 333 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश कर्क ! यह चरण जादू के ज्ञान, हिंसक कार्यों, सामाजिकता और परोपकारिता का कारक होता है। इस चरण में जन्मा जातक गोरे रंग वाला, छोटे गाल और पतली कमर वाला होता है। जातक उच्च स्तर का विद्वान, चतुराई से कार्य करने वाला, कार्यों के लिए उत्साहित रहने वाला, अच्छे परिणाम में विश्वास रखने वाला, सुंदर और कोमल शरीर वाली पत्नी युक्त होता है। 

इस चरण में जातक बाहर के वातावरण में अनुभवग्राही, हालतों के विपरीत कार्य करने वाला होता है। ये कभी-कभी कुसंगत के कारण नकारात्मक्ता की ओर बढ्ने लगते हैं लेकिन इन्हे सकारत्मक कार्यों और सकारात्मक्ता की ओर बढ्ने की बेहद आवश्यकता होती है अन्यथा ये अपने जीवन में कष्ट और परेशानियों का सामना करते हैं।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातक प्रथम चरण में साहस वाला, द्वितीय चरण में चीजे चुराने वाला, तृतीय चरण में तीव्र बुद्धि वाला, चतुर्थ चरण में मार्गदर्शक होता है। 

मानसागराचार्य 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण में अनेक इच्छाएँ रखने वाला, दूसरे चरण में शरीर के किसी अंग के नष्ट होने से परेशान, तृतीय चरण में अच्छे गुणों से युक्त, चौथे चरण में धन-दौलत से परिपूर्ण होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Purva Bhadrapada Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है।


सूर्य – Sun [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक स्त्रियों की संगत करने के कारण अपना धन बरवाद करेगा लेकिन बाद में पछतावे के कारण दुखी होगा। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक आपस में समझौता करने वाला, मानसिक तनाव का शिकारी होगा। 
  • गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक जरूरतमंदों की मदद करने वाला, अच्छी शिक्षा प्राप्तक होगा।   
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक शत्रुओं का नाश करने वाला, सरकार पक्ष से अच्छा लाभ प्राप्तक होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक मानसिक तनाव से परेशान, अनियमित, छोटी-छोटी बातों पर बुरा मानने वाला, दूसरों में कमियाँ निकालने वाला, अकड़ू स्वभाव वाला, जन्म भूमि से दूर रहने वाला होता है। 

सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक कुछ नया करने की शक्ति वाला, आजादी से जीवन जीने वाला, विचित्र स्वभाव वाला, रात्रि में विचरण करने वाला होता है। ससुराल पक्ष से संपत्ति मिलेगी जिससे जातक पेय पढ़ार्थों से जुड़ा व्यवसाय करने वाला होगा। 

सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक सबसे अलग कार्य करने में माहिर, धर्म का प्रचार करने वाले और धर्म के प्रति लोगों को आकर्षित करने वाले होते हैं। जातक लंबे समय तक निरंतर कार्य करने वाला, अच्छा लेखक, कम उम्र तक जीवन जीने वाले होते हैं। 

सूर्य का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक सभी कार्यों को करने में निपुण, शांत माहौल की तलास में घर से बाहर रहने वाला, चालाकी से कार्य करने वाला, नियमों का पालन करने वाला, सभी परिस्थितियों का डट कर सामना करने वाला, विविध होने के भाव को पसंद करने वाला होता है। इस चरण के कुछ जातक गुप्त शक्तियों में भरोषा करने वाले होते है।


चन्द्र – Moon [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजमान्य, धन-दौलत से परिपूर्ण सर्व सुख भोगने वाला होगा।  
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक बुद्धिमान, चालाक होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अच्छा धन कमाने वाला, धन का लेन-देन करने वाला होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजनीति में अच्छा कदम जमाने के लिए शासन या पार्टी के साथ चतुराई करने वाला होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धनहीन, नपुंसक लेकिन कार्य-कुशल होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक जमीन जायदाद वाला, खुशहाल जीवन यापन करने वाला होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

चन्द्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अच्छे बदलाव करने वाला, ईमानदार, दयावान, कायर के समान डरने वाला, कार्य कुशल, छोटी-छोटी बातों पर चिड़ने वाला, दुखी रहने वाला, अपने मार्ग से भटकने वाला होता है। 

चन्द्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक धार्मिक प्रवत्ति वाला, जीवन में खुशी और शांति की चाह में इधर-उधर भटकने वाला, अंजान लोगों पर किसी भी हाल में अपना धन खर्च न करने वाला लेकिन स्त्रियों के स्नेह में पड़कर उनके ऊपर अपना धन खर्च करने वाला होता है। जातक अंतर मन की बात को समझने वाला होता है। इस चरण के कई जातक दूसरों की बात बिलकुल न सुनने वाले सिर्फ अपने मन की करने वाले होते हैं। दूसरों का बुरा और घमंडी स्वभाव के होते हैं।  

चन्द्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक धन दौलत से पूर्ण, चतुराई से कार्य करने वाला, अच्छा लेखन कार्य करने वाला, शिक्षक की तरह ज्ञान प्रसार करने वाला, स्त्रियों के स्नेह और संबंध बनाने के कारण अपना धन बर्वाद करने वाला होता है। जातक बाहर से दिखने में घमंडी लेकिन स्वभाव से अच्छा और दयालु होता है। स्त्रियाँ अपने बच्चो और पति के लिए किसी भी जोखिम को उठाने वाली होती हैं। 

चन्द्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक सुंदर और आकर्षक स्वभाव वाला, धर्म के कार्यों में व्यस्त रहने वाला, खोजकर्ता, अंतर आत्मा को समझने वाला, वचन को पूरा करने वाला, रात को काम करना बेहद पसंद करने वाला लेकिन सुबह देर तक सोने वाला होता है।


मंगल – Mars [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अनेक कलाओं का ज्ञाता, सुख भोगने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक माता का स्नेह पाने से वंचित, अधिक मित्रता करना पसंद नही करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अच्छा बोलने वाला परंतु व्यपार में बढ़ोत्तरी के लिए झूठ बोलने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक लंबी उम्र जीने वाला, परिवार का भरण-पोषण करने वाला, अच्छे गुणों से युक्त होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों के साथ यौन सुख भोगने वाला, लड़ाई-झगड़ों में उलझा रहने वाला, भाग्य का तेज होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक राजनीति में अच्छी जानकारी रखने वाला, प्रसिद्ध, स्त्रियों से नफरत करने वाला होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

मंगल का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक परेशान रहने वाला, बात-बात पर गुस्सा करने वाला, जीवन में उन्नति पाने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करने वाला होता है। जातक कठोर हृदय वाला, अकड़ू, जिद्दी और जन्म से ढोंगी होता है।

मंगल का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक जरूरतमन्द के लिए अपना एक पैसा खर्च न करने वाला लेकिन स्त्रियों के लिए अपना सारा धन बर्वाद करने को तैयार रहने वाला, लड़कियां और दूसरी स्त्रियाँ इन्हे झूठा प्यार दिखाकर पैसा ठगती हैं।

मंगल का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक जरा सी बात पर बुरा मानने वाला, दूसरों का मज़ाक बनाने वाला, बत्तमीज, दिखावा और ढोंग करने में सबसे आगे, साहस वाला, खोजकर्ता होता है। जातक की विचारधारा सबसे अलग होने के कारण किसी से पटरी नही खाती है। जातक अपनी मेहनत और लगन से अच्छा नाम कमाता है। 

मंगल का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक रात में जागने वाले कार्य करके धन कमाने वाला, रात में बुरे कार्यों से भी अच्छा पैसा कमाने वाला होता है। जातक का व्यापार दिखावे में कुछ होता है लेकिन वह पीछे कुछ और करने वाला होता है। इसके कई जातक लोहे से संबंधित व्यापार करने वाले, भवन निर्माता होते हैं।


बुध – Mercury [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक डरपोक, धन-दौलत से सम्पन्न और मानसिक तनाव से ग्रस्त होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक निर्दयी, पैसों के लिए गलत कार्य करने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अच्छे स्तर का ज्ञाता, बुद्धिमान, नगर या शहर का अध्यक्ष होगा।  
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक दयाहीन कार्य करने वाला, धन के लिए परेशान रहने वाला, आर्थिक समस्याओं में उलझा रहने वाला होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक अपने कार्यों को छोड़ नींद लेने वाला, फालतू के कार्यों अपना समय बरवाद करने वाला, घर-पैसा आदि का सुख भोगने वाला, अच्छा पैसा कमाने वाला, ये जल्दबाज़ी में किसी भी कार्य को अंजाम नही देते हैं ये समय आने पर सभी कार्य करना पसंद करते हैं। यदि यह चरण गुरु से दृष्ट हो तो जातक कानूनी विभाग में कार्यरत या वकील होता है।

बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मानसिक तनाव से परेशान रहने वाला, शांत वातावरण की तलास में इधर-उधर भटकने वाला, स्त्रियों का साथ पाने के लिए उनके ऊपर धन खर्च करने वाला, सहसपूर्ण और चतुरता से कार्य करने वाला, रात में होने वाले कार्यों में ये सबसे आगे रहते हैं। ये अपने जीवन में मधुर बनाने के लिए संपादक या प्रकाशक होते है।

बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक दूसरों में कमियाँ निकालने वाला, रात में होने वाले कार्यों को करने वाला, अपने वचन को पूरा करने वाला, निर्दयी, अकडू स्वभाव वाला, समय आने पर अपनी ताकत और अपने नुकसान का बदला लेने वाला होता है। जातक का विवाह उससे ज्यादा होशियार स्त्री से होता है। अगर इस चरण में लग्न हो तो जातक को कैंसर रोग से परेशान होना पद सकता है।

बुध का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपना धन खर्च करने वाला, कुंभकरण के समान सोने वाला, सोने के बाद कुछ भी हो जाए कोई फर्क न पड़ने वाला होता है। समय का पालन न करने वाला लेकिन समय आने पर अपना बदला पूरा करने वाला होता है।


गुरु – Jupiter [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक मनमोहक, दयावान, जरूरतमंदों की सहायता करने वाला होगा।  
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक समाज की सेवा करने वाला या नेता होगा।  
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक विश्वास करने योग्य होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक शांत स्वभाव वाला, धार्मिक कार्यों को करने वाला होगा।  
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक कार्य कुशल, बुद्धिमान और वाहन आदि का सुख भोगने वाला होगा।  
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अनेकों इच्छाएँ रखने वाला लेकिन समय आने पर सभी पूर्ण होगीं।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction 

गुरु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक छोटी-छोटी बातों पर चिड़ने वाला, स्त्री रत में अपना धन बरवाद करने वाला, रात के कार्यों को करने का शौकीन, तनावपूर्ण जीवन जीने वाला होता है। जातक का जन्म साधारण परिवार में होगा लेकिन मेहनत और लगन के चलते एक दिन अच्छी उपलब्धि हासिल करने वाला होता है। 

गुरु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक जन्म भूमि से दूर रहने वाला, कूवारी लड़कियों और स्त्रियों की बातों में आकार अपना पैसा डुबाने वाला, कानूनी विभाग में कार्यरत, अपने कुछ कार्यों के लिए मसीहा माना जाता है। जातक राजनीति में कदम बढ़ाने की इच्छा रखने वाला होता है।

गुरु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक संयम बरतने वाला, हकीकत को दिखाने के लिए उसमें चार चाँद जोड़ने का कार्य करने वाला, ढोंग करने वाला, मौका देखते ही चौका मारने की प्रवत्ति वाला, आलस युक्त लेकिन मौका मिलते ही हाथ मार लेने वाला होता है। देर तक सोने की आदत वाला होता है। जातक का परिवार अच्छा और धन सम्पन्न होगा।

गुरु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने से अपने कार्यों में नुकसान करने वाला, पराई स्त्रियों का साथ पाने की इच्छा रखने वाला लेकिन स्त्रियों के बहकावे में आकार अपना धन लौटाने वाला, सुबह देर तक सोने वाला, लंबे समय तक बराबर कार्य करने की क्षमता वाला, समय आने पर अपना बदला लेने वाला होता है। इसमें बहुत से जातक विज्ञान के क्षेत्र में अपना भविष्य देखने वाले होते है।


शुक्र – Venus [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातकसुंदर मुखाकृति वाला, मनमोहक होगा।   
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक मानसिक रूप से परेशान, आर्थिक समस्याओं में उलझा रहने वाला होगा।
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक एक से अधिक कलाओं का ज्ञान प्राप्तक होगा। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों के साथ संभोग करने की इच्छा रखने वाला होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

शुक्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक दिखावा करने वाला, स्त्रियों के पीछे भागने वाला और अपना धन बरवाद करने वाला होता है। रात में कार्य करने वाला और रात में स्त्रियों का साथ पाने का बहुत बड़ा शौकीन होता है। माता-पिता के लिए सभी कार्यों को करने वाला, विदेश में रहने की इच्छा रखने वाला होता है।

शुक्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक शांत वातावरण की तलास में घर से इधर-उधर भटकते रहने वाला, स्त्री रत और स्त्रियों की बातों में आकार अपना धन बरवाद करने वाला होता है। जातक दिखावा करने वाला, लेकिन लड़कियों और स्त्रियों के बहकावे में आकार अपना सब कुछ लुटाने वाला होता है।

शुक्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपने कार्यों और अपनी शिक्षा पर पूर्ण विश्वासी, सफलता प्राप्त करने वाला, समाज में गरीबों की मदद करने वाला, अंतर आत्मा को पहचानने वाला, नशीले पदार्थ या जहर का व्यवसाय करने वाला होता है। लदकियों को खरीदने बेचने अथवा धंधा करवाने वाला होता है। जातक अधिक सोने वाला होता है।

शुक्र का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक मानसिक तनाव से ग्रस्त, स्त्रियों की तलाश में रहने वाला, स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा रखने वाला, रात में लंबे समय तक कार्य करने वाला, अपने बराबर की लड़की से विवाह करने वाला और उसके साथ शारीरिक सुख को भोगने वाला, अपने मित्रों और दुश्मनों पर समय आने पर सब बताने वाला होता है। जातक बच्चों का डॉक्टर हो सकता है।


शनि – Saturn [ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूसरों की पत्नी की अपेक्षा जातक की पत्नी कम सुंदर होगी।
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक अच्छे चरित्र वाला, माता-पिता की सेवा न करने वाला, धनवान होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूसरों से अलग कार्य करने वाला होगा।  
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दयावान, धनवान, समाज और शासन से लाभ प्राप्तक होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक नियमों का पालन करने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक धन-संपत्ति से पूर्ण होगा।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक बहुत ज्यादा दुखी रहने वाला, छोटी-छोटी बात पर अधिक गुस्सा करने वाला, दूसरों का मज़ाक बनाने वाला, बुराई करने वाला, गंदे आचरण वाला, फुरतीला, चतुराई से कार्य करने वाला, धन के मामले में हमेशा रोने वाला लेकिन खुद के लिए खर्च करने वाला, महा कंजूस होता है। 

शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक तनावपूर्ण, ऐयाशी करने वाला, अपनी योग्यता के आगे दूसरों की योग्यता को कुछ न समझने वाला, रात में फालतू में न जागने वाला, निर्दयी स्वभाव वाला, सभी कार्यों के बारे में अच्छी जानकारी रखने वाला होता है। जातक की पत्नी नौकरी करने वाली होगी जिसके कारण उसके पास अच्छा-खासा पैसा होगा।

शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक पेय पढ़ार्थों से संबंधित व्यापार करने वाला, लड़कियों और औरतों के शासरीरिक संबंध बंबाने का शौडा करने वाला, बुरे कार्य करने वाला, लोगों की आँखों में धूल झोकने वाला, अपने नुकसान का बदला लेने वाला होता है। जातक आकर्षक होने से लोगों को जल्द अपनी ओर मोहित करने वाला होता है।

शनि का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक तनाव से घिरा हुआ, परेशान, स्त्रियॉं इन्हे अपने जाल में फसाकर खूब धन हड़पती हैं। जातक अधिक दिखावा करने वाला, देखने में शांत लेकिन खदूस होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

राहु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक जीवन में तनाव के कारण दुखी रहने वाला, हालातों में उलझा रहने वाला, जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव करके जीवन यापन करने वाला, शांत रहने वाला लेकिन अगर गुस्सा आय तो जमीन सर पर उठा लेने वाला होता है। 

राहु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक आर्थिक रूप से मजबूती बनाने के लिए मेहनत करने वाला और खुशहाल जीवन यापन करने वाला होता है। यदि गुरु अच्छा हो तो जातक की आमदनी में बढ़ोत्तरी होती है।

राहु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक व्यापार में बढ़ोत्तरी करने वाला, विचार पूर्वक कार्य करने वाला, पैसों का अच्छी जगह उपयोग करने वाला होता है। जो जातक नौकरी वाले हैं या जो रोजगार की तलास में हैं उन्हे भटकना पड़ता है। जातक को जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है। 

राहु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक परेशान, मानसिक तनाव से ग्रसित, आलसी, वचन पूरे करने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करने वाला, अगर गुरु अच्छा न हो तो जातक समाज में अपमानित, धन के लिए परेशान, पारिपारिक समस्याओं में उलझा रहने वाला होता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Purva Bhadrapada Nakshatra – Prediction

केतु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक शांत स्वभाव वाला लेकिन छेड्ने पर बेहद गुस्सा हो जाने वाला होता है। यदि मंगल से युत हो तो जातक गाँव या नगर का मुखिया या प्रमुख हो सकता है। 

केतु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक स्त्रियों की संगत में पड़कर अपना धन व्यर्थ में बरवाद करने वाला, जीवन में हानियाँ और परेशानियाँ सहने वाला, रात में होने वाले बुरे कार्यों से धन कमाने वाला होता है।

केतु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक व्यापार में उन्नतिवान, धन के मामले में बहुत अधिक कंजूसी करने वाला, समाज में अपमानित, मानसिक तनाव के कारण दुखी रहने वाला होता है। 

केतु का पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक मानसिक संतुलन खराब होने के कारण परेशानियों का सामना करने वाला, स्त्रियों की संगत के कारण धन शरीर और मानसिक संतुलन बिगाड़ने वाला होता है। जातक गलत संगत के कारण बुरे कर्म करने वाला होता है।  


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
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