धनिष्ठा नक्षत्र फल लाभ हानि उपाय विशेषताएँ। Dhanishta Nakshatra

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धनिष्ठा नक्षत्र । Dhanishta Nakshatra

धनिष्ठा नक्षत्र dhanishtha nakshtra

धनिष्ठा नक्षत्र का राशि चक्र में 293 डिग्री 20 अंश से 306 डिग्री 40 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। धनिष्ठा नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल सा’द अल बुला “, ग्रीक में ” डेलफ़िनी ” और चीनी सियु मे ” हय ” के नाम से जाना जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र को श्रनिष्ठा नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है। जिसका मूल अर्थ बेहद ख्याति प्राप्त करना होता है। इसका अर्थ धनी भी होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु, स्वामी ग्रह मंगल और राशि मकर जो 23 डिग्री 20 अंश से कुम्भ 06 डिग्री 40 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। 

आकाशीय पिंडों के अध्ययानुसार यह 23 व चर संज्ञक नक्षत्र होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के चार नक्षत्र होते हैं जो आपस में मिलकर पखावज या ढोलक की आकृति बनाते हैं। विद्वानों के मतानुसार इसे 114 तारों का समूह मानते हैं। धनिष्ठा नक्षत्र यात्रा का कारक नक्षत्र माना जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र शुभ, तामसिक, नपुसंक नक्षत्र है। धनिष्ठा नक्षत्र की जाति कृषक, योनि सिंह, योनि वैर गज, गण राक्षस नाड़ी अन्त्य होती है। धनिष्ठा नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।




धनिष्ठा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी । Dhanishta Nakshatra mythological story 

धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु हैं। जिनका अर्थ आवास होता है। देवता वसु भगवान विष्णु और इन्द्र देव के परिचय कराने वाले होते हैं। देवता वसु आठ नामों से जाने जाते हैं जिन्हे हम उपनिषद और महाभारत के नाम भी कह सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं-  उपनिषद-  1 अग्नि, 2 पृथ्वी, 3 वायु, 4 आदित्य, 5 अंतरिक्ष, 6 आकाश, 7 चन्द्रमा, 8 नक्षत्राणि। महाभारत नाम – 1 अनल [ अग्नि ],  2 धरा [ पृथ्वी ],  3 अनिल [ हवा ],  4 अह [ सर्वव्यापि जल ],  5 प्रत्युष [ भोर ],  6 सोम [ चन्द्रमा ],  7 ध्रुव [ उत्तरी तारा ], 8 अणिमा [ हवा ]। 

विद्वानों के मतानुसार रामायण में इन सभी आठो वसुओं को माता अदिति और महर्षि कश्यप के पुत्र आदितियों के भाई और बहन माना जाता है। वहीं यदि महाभारत में देखा जाए तो इन्हे ब्रह्मपुत्र मनु और मनु पुत्र प्रजापति माना गया है, इन्हे महाभारत में अलग-अलग माताओं की संतान भी बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार हमे पता चलता है की माता गंगा से उतप्न्न हुए आठ वसु में से एक वसु को छोडकर सात वसुओं को माँ गंगा को वापस कर दिया। जिसमें सिर्फ महान योद्धा महाभारत के नायक भीष्म बचे जिंहोने महाभारत में एक महान योद्धा का रूप दिखाया।


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धनिष्ठा नक्षत्र की विशेषताएँ । Swati Nakshatra Importance 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक अपने जीवन के मध्य समय में उन्नति प्राप्त करेगा। जातक धन संपत्ति से पूर्ण, जमीदार, समाज में मुखिया के समान पूजा जाने वाला, प्रभावशाली राजनेता, लालच के लिए किसी भी कार्य को करने वाला, मतलबी, गाने सुनने का शौकीन होता है। जातक को गाने-बजाने का बहुत शौक होता है। इस नक्षत्र के जातक सबसे अधिक यात्राएं करने वाले होते है। 

धनिष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक आकर्षक, जरूरतमन्द की मदद करने वाला तथा खुद की जान में किसी को परेशानी न देने वाले होते हैं। यदि जातक का कोई नुकसान करदे या उसे धमकी दे तो वह हाथी के समान अपना बदला लेने वाला होता है। स्त्री जातक अपनी सुंदरता से सबको मनमोहित करने वाली होती हैं। इस नक्षत्र की स्त्रियाँ आधी उम्र के बाद भी सुंदर और आकर्षक दिखने वाली होती हैं।


धनिष्ठा नक्षत्र के नाम अक्षर । धनिष्ठा नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। धनिष्ठा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – गा

धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर गी

धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – गू

धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – गे


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धनिष्ठा नक्षत्र के उपाय । Dhanishta Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु है। जिन्हे धनिष्ठा नक्षत्र के देवता आठ वसुओं को भी माना जाता है। यदि जातक का जन्म नक्षत्र धनिष्ठा है और वह पाप अथवा अशुभ स्थिति में हो तो जातक को इसके उपाय करने चाहिए जिनकी मदद से इसके अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के उपाय कुछ इस प्रकार हैं-

  • धनिष्ठा नक्षत्र के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए धार्मिक स्थलों की यात्रा करें। इससे स्थिति में सुधार होगा। 
  • दुर्गा देवी की प्रतिदिन पूजा वंदना करने से धनिष्ठा के पाप प्रभाव कम होते है और जातक को सकारात्मक बदलाव दिखने लगते हैं।
  • मान्यताओं के अनुसार यदि जातक माता दुर्गा का जगराता करवाता है तो वह इसके अशुभ प्रभावों को कम करने के साथ-साथ दुख और परेशानियों को भी कम करने में सफल होता है। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करके इस नक्षत्र से उत्पन्न होने वाली दिक्कतों को कम किया जा सकता है। 
  • माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र करने से भी इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं। 
  • भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और शिव पुराण का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
  • हरि नाम का जाप करने और विष्णु पुराण का पाठ करने से धनिष्ठा नक्षत्र के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • भगवान शिव और विष्णु से संबंधित मंत्रों का जाप करने से इस नक्षत्र को ताकत प्रदान होती है जिससे जातक को शुभ परिणाम मिलते हैं।
  • सुनहरे पीले, नीले और लाल रंग के उपयोग से धनिष्ठा नक्षत्र को ऊर्जा प्राप्त होती है और शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • इस नक्षत्र से संबंधित दिशा, तिथि और महीने में किसी कार्य की शुरुआत बेहद लाभकारी मानी जाती है।
  • तुलसी की पूजा प्रतिदिन करने से भी इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं। 

यदि धनिष्ठा नक्षत्र में चंद्र का गोचर हो तब इसके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए धनिष्ठा नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ यम्” या “ऊँ रं” का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए जिससे सभी परेशानियाँ और आने वाली दिक्कतें कम होने लगती हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप करने से भी इस नक्षत्र को शुभता प्रदान की जा सकती है। इसके लिए होम करते हुए कम से कम 108 बार वैदिक मंत्र का जाप करना चाहिए। धनिष्ठा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए। जो कुछ इस प्रकार है- 

धनिष्ठा नक्षत्र का वैदिक मंत्र

ऊँ त्वसो: पवित्रमसिशतधारंत्वसो: पवित्रमसि सहस्त्रधारम् ।

देवस्त्वा सविता पुनातु व्वसो पवित्रेणशतधारेणसुप्त्वा कामधुक्ष: ।।

ऊँ वसुभ्यो नम: ।।


धनिष्ठा नक्षत्र फलादेश । धनिष्ठा नक्षत्र का फल । Dhanishta Nakshatra Prediction 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र को स्वर की समता से भी जाना जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक जमीदार, जमीन से संबंधित व्यवसाय करने वाला, जमीदारी से अच्छा लाभ कमाने वाला होता है। जातक गाने बजाने का शौकीन होता है। जातक समय का महत्व समझने वाला जिसके कारण सभी कार्यों को समय से करने वाला और सच बोलने वाला, अशांत माहौल को शांत बनाने वाला, खामोशी में खुशियाँ भरने वाला होता है। 

जातक को अपने विवाह में कई सारी रुकाबटों का सामना करना पड़ता है उसके बाद सफल होता है लेकिन इसमें कई जातक ऐसे होते हैं जो रुकबटों में उलझे रहते हैं और उनका विवाह होता ही नही है। जातक दूसरों के भरोशे कार्य करने वाला, समाज में अपने कार्य से जाना जाने वाला, लालच करने वाला, अहंकार की भावना रखने वाला, यात्रा के दौरान पूरे मजे लेने वाला, अपने परिवार में सबका चहीता, आभूषण युक्त होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Dhanishta Nakshatra on Male

धनिष्ठा नक्षत्र के पुरुष जातक लंबे चहरे और मुखाकृति वाले, कमजोर शरीर वाले होते हैं, लेकिन कुछ जातक गठीले शरीर वाले भी होते हैं। जातक जिस कार्य में होगा उसका अच्छा ज्ञान रखने वाला, सभी तरह का ज्ञान रखने वाला, सभी क्षेत्रों में अपना दिमाग लगाने वाला, कार्यक्षेत्र में सबसे ज्यादा बुद्धिमान, अपने कार्यों को सावधानी पूर्वक करने वाला, किसी भी साथी या साथ कार्य करने वाले जातक को परेशानी न देने वाला होता है। धर्म से संबंध रखने वाला, अपनी सलाह को लोगों के बीच रखने वाला, समय आने पर अपने नुकसान का बदला लेने वाला होता है। 

इस नक्षत्र में जन्मे ज़्यादातर जातक विज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। ये अपनी योजनाओं को गुप्त रखने वाले, ये शिक्षा के क्षेत्र में बेहद उन्नतिवान, बुद्धिमान और उच्च स्तर के विद्वान होते हैं। ये बहस करने में माहिर होते हैं। जातक 22 से 24 वर्ष के बाद जीवन में उन्नति करता है और अच्छा धन कमाता है। जातक अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अनेकों कार्यों में व्यस्त रहने वाला जिसके कारण दूसरों पर भरोषा करना पड़ता है लेकिन भरोषा सोच समझकर करना चाहिए। 

जातक अपने घर में सबसा बड़ा या छोटा होगा जिसके कारण दोस्त और रिश्तेदार कष्टदायक होते हैं। जातक का अपने परिवार और भाई-बहन के प्रति सबसे ज्यादा लगाव रहता है। जातक के पिता की संपत्ति बहुत ज्यादा होती है। जिससे वे जमीदार भी माना जाता है। जातक की पत्नी सुंदर और सुशील होती है उसके भाग्य से जातक विवाह के बाद उन्नति करता है।


धनिष्ठा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Dhanishta Nakshatra on Female

धनिष्ठा नक्षत्र के स्त्री जातक लगभग पुरुष जातक के समान गुणदोष वाले होते हैं। परंतु कुछ गुणदोष अलग-अलग होते हैं। जैसे धनिष्ठा नक्षत्र की स्त्रियाँ रूपवान, सुंदर, जवान दिखने वाली, 40 वर्ष की होने के पश्चात भी वे 16 वर्ष की तरह दिखने वाली होती हैं। ये मनमोहक, अपने सुंदर छवि वाले चहरे से किसी को भी अपनी ओर मोहित करने की शक्ति रखती हैं। इस नक्षत्र की कुछ ऐसी स्त्रियाँ होती हैं जिनके दाँत बाहर की ओर निकले होते हैं जिससे उनके मुख की शोभा खराब हो जाती है। 

इस नक्षत्र की स्त्रियाँ अपने परिवार पर अपना हुक्म चलाने वाली, कमजोर व्यक्ति के लिए दया की भावना रखने वाली, लाजवती, समझदार और सभ्य होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में न ज्यादा अच्छे स्तर पर और न ज्यादा बुरे स्तर पर होती हैं। विज्ञान के क्षेत्र में ये अच्छी रुचि रखती हैं लेकिन कुछ साहित्य के क्षेत्र में रुचिवान होती हैं। ये घर के कार्यों को करने में माहिर होती हैं।


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र | Dhanishta Nakshatra

धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक धर्म को मानने वाला लेकिन लालच के लिए किसी भी कार्य को करने वाला, कम खर्च करने वाला, प्रेम और मित्र के काबू में होने वाला होता है। इन्हे गुस्से या ताकत के प्रभाव से अपने काबू में नही किया जा सकता है लेकिन प्यार से कुछ भी कर वा सकते हैं। ये किसी से न डरने वाले, सहसपूर्ण होते हैं। धन कमाने में माहिर और बचाने में भी माहिर होते हैं। ये अपनी बुद्धि से अच्छा धन लाभ कमाते हैं। ये गाने-बजाने के शौकीन होते हैं। समाज में अच्छी छवि बनाने वाले होते हैं। ———— नारद 

धनिष्ठा नक्षत्र के जातक जरूरतमन्द की मदद करने वाले, दूसरों के काम आने वाले होते हैं। ये अपनी मेहनत और बुद्धि से अच्छा धन कमाते हैं जिसे बचाने में भी सफल होते हैं। ——– ढुण्ढिराज

इस नक्षत्र के जातक राजा के समान जीवन जीने वाले, समाज में राजा के समान सम्मान प्राप्त करने वाले, अच्छा और सम्मानित जीवन यापन करने वाले, अच्छे कार्य करने से शत्रुओं से बचे रहने वाले, ये तारों से संबन्धित ज्ञान में रुचि रखने वाले, आकाशीय पिंडों में अध्यनरत होते हैं। ——— पराशर 

चन्द्र

यदि इस नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण, जमीन जायदाद का मालिक, समाज में अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला, स्माजसेवी या नेता, लालची, स्वार्थ के लिए कार्य करने वाला, नाचने वाला, यात्राओं का शौकीन, कम खर्च करने वाला होता है। वैवाहिक जीवन में समस्या या विवाह में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। राजा के समान जीवन यापन करने वाला होता है। जातक अच्छा धन कमाने वाला होता है। 

सूर्य

यदि इस नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक ताकतवर, गुस्से के कारण नुकसान करने वाला, कार्यों के लिए उत्सुक, खोजकर्ता, खेल में रुचिवान, नीच, छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने वाला, मानसिक तनाव सहने वाला, कभी-कभी बुरे कर्म करने वाला, विवेकशील नही होता है।

लग्न

यदि इस नक्षत्र में लग्न हो तो जातक राजा के समान सुख भोगने वाला, दयालु स्वभाव वाला, समाज की सेवा करने वाला, आदर्शों पर चलने वाला, सदाचार की भावना रखने वाला, बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला, महान, जिज्ञासु लेकिन अपने धन या अपनी सुंदरता के लिए घमंडी होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Dhanishta Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – धनिष्ठा नक्षत्र के देवता वसु, स्वामी ग्रह मंगल और राशि मकर है।


धनिष्ठा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Dhanishta Nakshatra First Charan pad

धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य है। इस चरण में शनि, मंगल और सूर्य का प्रभाव होता है। राशि मकर 293 डिग्री 20 अंश से 296 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश सिंह ! यह चरण मन चाह और सफलता का कारक होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक की आँखें गंभीर, सुंदर होठ और नाक, भारी शरीर, बड़े चौड़े और गोल मस्तक, ताकतवर होते हैं। 

यह चरण सबसे ज्यादा हलचल [ आक्रामक ] वाला चरण होता है। इस चरण में जातक उच्च कोटी का महान बुद्धिमान, नई-नई खोज करने वाला या प्रयोगिक, व्यापार के क्षेत्र में अच्छा कदम जमाने वाला, अच्छा धन कमाने वाला, सेहत में कमी रहने के कारण परेशान रहने वाला होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Dhanishta Nakshatra Second Charan pad 

धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध है। इस चरण में शनि, मंगल और बुध का प्रभाव होता है। राशि मकर 296 डिग्री 40 अंश से 300 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश कन्या ! यह बढ़ोत्तरी, प्रसार, महानता, प्राप्तक और खेल युक्ति का कारक होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का चहरा गोरे रंग वाला और गोल, बड़ी-बड़ी आँखों वाला, अपने ज्ञान से अच्छी चीजों को प्राप्त करने वाला, गाने-बजाने में रुचि रखने वाला, सप्तगुण सम्पन्न, साहस पूर्ण, दयावान होता है। 

इस चरण में जातक तीव्र बुद्धि वाला, चतुर, बिना डरे किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाला, खुद के भरोशे आगे बढ्ने वाला, कार्यों में व्यस्त रहने वाला, उच्च पद पर कार्यरत होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Dhanishta Nakshatra Third Charan pad

धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शुक्र है। इस चरण मे शनि, मंगल और शुक्र का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 300 डिग्री 00 अंश से 303 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश तुला ! यह परिचय, आशावादी, विवाह में प्रसन्नता और समजातिक्ता का कारक होता है। इस चरण में जातक सावले रंग वाला, नाजुक या कोमल शरीर वाला, शास्त्रों का ज्ञान रखने वाला, महिलाओं के द्वारा पसंद किया जाने वाला, मनभावुक होता है।

इस चरण में जातक कार्यकुशल, स्नेह में पड़ा हुआ, रोमांटिक स्वभाव वाला, खुद के व्यपार करने वाला, तीव्र बुद्धि वाला, शत्रुओं का नाश करने वाला, पैतृक संपत्ति से अच्छा लाभ कमाने वाला, खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने वाला, व्यवसाय से जुड़ी अनेकों यात्राएं करने वाला, यात्राओं से अच्छा धन लाभ कमाने वाला होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Dhanishta Nakshatra Fourth Charan pad

धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल है। इस चरण में शनि, मंगल और मंगल का प्रभाव होता है। राशि कुम्भ 303 डिग्री 20 अंश से 306 डिग्री 40 अंश तक होती है। नवमांश तुला ! यह चरण उत्पत्ति, सामर्थ्य, खेल कूद का कारक होता है। इस चरण में जन्मा जातक देखने में परेशानी महसूस करने वाला, मजबूत और कठोर नाखून वाला, किसी से न डरने वाला, साधु के समान व्यवहार वाला, शरण देने वाला, सोच-समझकर निश्चय न लेने वाला होता है। 

इस चरण में जातक प्रहार करने वाला, अपनी तारीफ पसंद करने वाला और अपने मुह अपने व्यापार की बड़ाई करने वाला, व्यापार की शुरुआत में रुकावटों का सामना करना पड़ता है लेकिन बाद में सफलता प्राप्त होती है। जातक कठिन समस्याओं का सामना करने वाला, सामान्य वैवाहिक जीवन वाला होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य

धनिष्ठा नक्षत्र के जातक प्रथम चरण में लंबी उम्र जीने वाला, द्वितीय चरण में दुखी, तृतीय चरण में डर-डर के जीने वाला, चतुर्थ चरण में गुणवान पत्नी वाला होता है। 

मानसागराचार्य 

धनिष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में राजा के समान, दूसरे चरण में धनवान, तृतीय चरण में मध्यम वर्गी, चौथे चरण में सम्मानित अथवा महान होता है।             


धनिष्ठा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Dhanishta Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है।


सूर्य – Sun [ धनिष्ठा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक स्त्रियों की संगत करने के कारण अपना धन बरवाद करेगा लेकिन बाद में पछतावे के कारण दुखी होगा। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक आपस में समझौता करने वाला, डगमगाती सेहत वाला, मानसिक तनाव का शिकारी होगा। 
  • गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक सामाजिक कार्य करने वाला, जरूरतमंदों की मदद करने वाला, अच्छी शिक्षा प्राप्तक होगा।   
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक गुस्सेबाज़, शत्रुओं का नाश करने वाला होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक साहस वाला, गुस्सेबाज़, चिड़चिड़ा, अधिक बोलने वाला, मानसिक तनाव से ग्रसित, कम खर्च करने वाला, अच्छा धन कमाने और बचाने वाला, बुरे काम करने वाला होता है। किसी से न डरने वाला होता है। 

सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक धर्म से जुड़े कार्य करने वाला, लालची, कमजोर, गुस्से के कारण दुखी रहने वाला, उत्सुक, घर की देखभाल में अधिक धन खर्च करने वाला होता है।

सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक चालाक, लालच के लिए कार्य करने वाला, धन कमाने और उसे बचाने की प्रवृत्ति वाला, गाने-बजाने का शौकीन, प्यार से जीता जाने वाला, गुस्से या ताकत से काबू में न आने वाला, प्रतिष्ठित होता है। 

सूर्य का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक ताकतवर, गुस्सेबाज़, खेल-कूद में माहिर, स्नेह के कारण प्रेमी या प्रेमिका के लिए पागल रहने वाला, कम खर्च करने और धन बचाने वाला, दुखी रहने वाला, गाने-बजाने में रुचिवान होता है।  


चन्द्र – Moon [ धनिष्ठा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक राजमान्य, समाज में अपना अधिकार चलाने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण सर्व सुख भोगने वाला होगा।  
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक बुद्धिमान, एक से अधिक विषयों का ज्ञाता होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक अच्छा धन कमाने वाला, उच्च स्तर का सफल व्यवसायी होगा।
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक गाँव या नगर का मुखिया होगा।
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक धनहीन, साधारण जीवन यापन करने वाला होगा।
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक जमीन जायदाद वाला, प्रभुता वाला होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

चन्द्र का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक परेशान, लालच करने वाला, राजा के समान जीवन यापन करने वाला, लापरवाह, कम खर्च करने वाला होता है। जातक जीवन के मध्य समय में उन्नतिवान होता है। स्त्री जातक में जल्दी गर्भ नही ठहरता है।

चन्द्र का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मधुरभाषी, अच्छी संपत्ति से पूर्ण, भौतिक सम्पदा का सुख भोगने वाला, गाने-बजाने का शौकीन, समाज में अच्छा पहचाना वाला, प्रसिद्ध, काम से कच्चा यानि कम सुनने वाला होता है।

चन्द्र का श्रवण नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक मेहनत और लगन से अच्छा काम करने वाला, यात्राओं का शौकीन, कम खर्च करने वाला, अधिक खाने वाला होता है। जातक के विवाह में रुकावटें आती है तथा कई जातक अविवाहित रहते हैं।

चन्द्र का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक दोस्तों और स्नेह के काबू में रहने वाला, समाज की सेवा करने वाला नेता, लोभी, मतलब के लिए किसी भी कार्य को करने वाला, जातक के विवाह में दिक्कतें आती हैं। विवाह विलंब या फिर विवाह के बाद अकेला रहना पड़ता है।


मंगल – Mars [ धनिष्ठा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक सावले रंग वाला, संतान सुख भोगने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक धनवान, अधिक मित्रता करना पसंद नही करने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अच्छा बोलने वाला परंतु व्यपार में बढ़ोत्तरी के लिए झूठ बोलने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक लंबी उम्र जीने वाला, परिवार का भरण-पोषण करने वाला, अच्छे गुणों से युक्त होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक एक से अधिक स्त्रियों के साथ यौन सुख भोगने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक तीव्र बुद्धि वाला, प्रसिद्ध, स्त्रियों से नफरत करने वाला होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

मंगल का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक ताकतवर, कार्य कुशल, कार्य करने के लिए उत्सुक, भरोशेमंद, किसी से न डरने वाला, लड़ाई-झगड़ों से दूर रहने वाला, उलझनों में फसा रहने वाला, नौकरी को अपना व्यापार समझकर करने वाला होता है।

मंगल का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक मित्र और प्रेमी-प्रेमिका के बस में रहने वाला, उच्च स्तर का विद्वान, जीवन में सही निर्णय लेने में सक्षम, गाने-बजाने का शौकीन होता है।

मंगल का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक लोभी, स्त्रियों के साथ संभोग करने में रत रहने वाला, कार्य-कुशल, गाने-बजाने का शौकीन, आकाशीय पिंडों में अध्यन रत होता है। कम खर्च करने के साथ-साथ अच्छा बचाने वाला, संपत्तिवान, घर आदि का मुखिया होता है।

मंगल का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक मेहनत से धन कमाने वाला, परेशानियों में उलझा रहने के कारण गलत कार्य करने वाला, मान-सम्मान प्राप्तक, समाज में अपने से बड़ों का सम्मान करने वाला होता है।


बुध – Mercury [ धनिष्ठा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक शास्त्रों आदि का ज्ञाता, धन-दौलत से सम्पन्न होगा। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक निर्दयी, पैसों के लिए गलत कार्य करने वाला, अंदर से कमजोर लेकिन शांत माहौल में खुशियाँ भरने वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक अच्छे स्तर का ज्ञाता, बुद्धिमान, नगर या शहर का अध्यक्ष होगा।  
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक दयाहीन कार्य करने वाला, धन के लिए परेशान रहने वाला होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

बुध का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक समय का पालन करने वाला, समय आने पर अपनी बात कहने वाला, अच्छे लोगों के बीच कार्य करने वाला, दिखने में मायूस लेकिन अशांत माहौल को अच्छा बनाने वाला होता है।

बुध का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक लालची, सोच-समझकर खर्चे करने वाला, अच्छा धन कमाने वाला, मेहनत लगन और बुद्धि से अच्छा धन कमाने और बचाने वाला होता है। समाज के हित में कार्यरत होता है। 

बुध का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक रूपवान, धर्म को मानने वाला, सोच-समझकर धन खर्च करने वाला, दान-पुण्य करने वाला, धार्मिक कार्यों में धन दान करने वाला होता है। जातक गाने सुनने का शौकीन, मन को छूने वाले गीत लिखने वाला होता है। 

बुध का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक दबाब दिखाने पर कार्य न करने वाला, अधिक लोभ करने वाला, अपने फायदे के लिए दूसरों का नुकसान करने वाला, लड़ाई-झगड़ों में आगे रहने वाला, कम खर्च करने वाला कंजूस होता है।


गुरु – Jupiter [ धनिष्ठा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक मनमोहक, प्रभावशाली वक्ता, दयावान, जरूरतमंदों की सहायता करने वाला होगा।  
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक समाज की सेवा करने वाला या नेता होगा।  
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक विश्वास करने योग्य, शासन की मदद से अच्छा लाभ कमाने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक शांत स्वभाव वाला, स्त्रियों की संगत पसंद करने वाला, धार्मिक कार्यों को करने वाला होगा।  
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सभी गुणों से पूर्ण और अच्छे स्तर का बुद्धिमान होगा।  
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक सभी तरह से सुख भोगने वाला होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Dhanishta Nakshatra – Prediction 

गुरु का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक सेहत में गड़बड़ वाला, बिना सोचे-समझे खर्चे करने वाला, अधिक खर्चों के कारण आर्थिक रूप से कमजोर होता है। कम बुद्धि के कारण धन के लिए परेशान रहने वाला होता है।

गुरु का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल  

इस चरण में जातक धर्म के कार्यों में व्यस्त रहने वाला, सोच-समझकर धन व्यय करने वाला, पैसों को सही जगह पर खर्च करने वाला, सुख भोगने वाला, सांसरिक सुखों को भोगने के लिए अधिक धन खर्च करने वाला, गाने-बजाने का शौकीन होता है।

गुरु का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक प्रतापी, धार्मिक कार्यों में रुचिवान, कम खर्च करके धन बचाने वाला, समाज के लोगों से सम्मान प्राप्तक होता है। जातक 20 से 24 वर्ष की उम्र तक बेरोजगार परंतु बाद में रोजगार खोज लेने वाला होता है।

गुरु का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक अच्छी सेहत वाला, बुरी आदतों वाला, किसी से न डरने वाला, लड़ाई-झगड़ों में पीछे न रहने वाला, दुश्मनों से बचा रहने वाला, राजा या शासन से सम्मान प्राप्त करने वाला होता है।


शुक्र – Venus [ धनिष्ठा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक हसकर बोलने वाला, मनमोहक होगा।   
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक मेहनत के कार्य करने वाला, आर्थिक समस्याओं में उलझा रहने वाला होगा।
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक गाने और कला का शौकीन, धन-दौलत से सम्पन्न होगा। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक रूपवान, भाग्यवान, धन आदि से सम्पन्न होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक समय के अनुसार कार्य करने वाला, सही समय देखकर अपनी बात को सबके बीच रखने वाला, बेचैन रहने वाला, अंदर से कमजोर लेकिन शांत माहौल को रंगीन बनाने वाला होता है। 

शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक धर्म की राह पर चलने वाला, बिना सोचे-समझे धन खर्च करने वाला लेकिन धनवान होता है। भोग विलास में अपना धन खर्च करने वाला, गाने का शौकीन होता है। 

शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक सुंदर मुखाकृति वाला, धर्म के कार्यों में रुचि रखने वाला, मेहनत और बल से धन कमाने वाला, गाने-बजाने का शौकीन, राज्य से लाभ प्राप्त करने वाला, सुखी जीवन यापन करने वाला होता है।

शुक्र का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक लालची, दुराचार की भावना रखने वाला, गलत कार्यों से धन कमाने वाला, जवान 16 वर्षीय लड़कियों के साथ रंगरलिया मनाने का शौकीन, खुद से बड़ा किसी को न समझने वाला होता है। जातक दया की भावना रखने वाला लेकिन दूसरी तरफ मन में उनसे अपने फायदे का सोचने वाला होता है।


शनि – Saturn [ धनिष्ठा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक गरीब, धनहीन, दूसरों की पत्नी की अपेक्षा जातक की पत्नी कम सुंदर होगी।
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक एक से अधिक नामों से जाना जाने वाला, माता-पिता की सेवा न करने वाला, धनवान, अच्छे चरित्र वाला होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दूसरों से अलग कार्य करने वाला, शारीरिक कष्ट सहने वाला होगा।  
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक दयावान, धनवान, समाज और शासन से लाभ प्राप्तक होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक राज्य अथवा केंद्र सरकार मे मंत्री पद पर, नियमों का पालन करने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक गठीले शरीर वाला, संवेदनशील होगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने वाला, कमियाँ निकालने वाला, कम खर्च करने वाला, कंजूस, सोच-विचार के खर्चे करने वाला होता है।

शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक धार्मिक विचार धारा वाला, खुद को काबू में रखने वाला, सांसरिक उलझनों में व्यस्त रहने वाला, बुरे लोगों को अच्छाई का मार्ग दिखाने वाला, कुरूप परंतु मिलनसार होता है।

शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक लंबे कद वाला, गौर वर्णी, अच्छे स्वभाव वाला, भौतिक जीवन में सुख भोगने वाला, वादे का मजबूत, समाज में सम्मान प्राप्त करने वाला, उच्च स्तर का अधिकारी, विज्ञान के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाला होता है। 

शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक भ्रष्ट आचरण वाला, लोभी, मोहमाया में न फसने वाला, कम खर्च करने वाला कंजूस, गाने-बजाने में रुचि न रखने वाला, लापरवाह होता है।


धनिष्ठा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

राहु का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक उच्च शिक्षा प्राप्तक, धन दौलत से परिपूर्ण, निर्दयी, परिवार की तरफ से त्यागा गया होता है। जातक अपने कार्यों के प्रति आलसी होता है। 

राहु का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुणदोष वाला होता है लेकिन यदि शनि की दृष्टि हो तो जातक त्वचा संबंधी रोगों का शिकारी होगा।

राहु का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अहंकारी, अपने फायदे के लिए दूसरों का नुकसान करने वाला, निर्दयी होता है। यदि इस चरण में सूर्य और बुध की दृष्टि हो तो जातक एक दम उन्नति करेगा और एक दम से नीचे गिरेगा। 

राहु का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक के परिवार को डर होगा। यदि हस्त लग्न हो और चन्द्र से मिलन हो तो जातक सात वर्ष की उम्र में माता के लिए कष्टकारी साबित होगा।


धनिष्ठा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Dhanishta Nakshatra – Prediction

केतु का धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में जातक धर्म को मानने वाला, परिवार में जमीनी विवाद आपस में होते हैं। यदि इस चरण में अच्छे ग्रहों का संयोग हो तो परिवार के झगड़ो से लाभ प्राप्त होता है। 

केतु का धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक गलतियों के कारण बार बार समस्याओं में उलझेगा और दुर्घटनाओं का शिकार होता है। इस चरण के जातक को गाड़ी आदि बहुत सावधानी से चलानी चाहिए।

केतु का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक चोरी के कारण नुकसान सहने वाला स्त्री जातक को गर्भ में समस्या या गर्भ नही ठहरता है।

केतु का धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा नौकरी में तनख्वा बढ़ने से वैवाहिक जीवन में सुधार होता है। 


धनिष्ठा नक्षत्र
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