अश्लेषा नक्षत्र फल लाभ हानि विशेषताएँ | Ashlesha Nakshatra

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अश्लेषा नक्षत्र | Ashlesha Nakshatra

Ashlesha Nakshatra अश्लेषा नक्षत्र

अश्लेषा नक्षत्र का राशि चक्र में 106 अंश 40 कला से 120 कला 00 कला क्षेत्रफल तक होता है। अश्लेषा नक्षत्र को अरब मंजिल में “अल टर्फ” , ग्रीक  में ” हायड्री”, चीन सियु में लियू के नाम से जाना जाता है। इस नक्षत्र का अर्थ गले लगाना परंतु यह सभी नक्षत्रों में सबसे ज्यादा खतरनाक नक्षत्र माना गया है। अश्लेषा नक्षत्र के तारों में भी अलग-अलग मतभेद हैं जैसे – खंडकातक इस नक्षत्र के 6 तारे और आकृति घुमावदार बताते हैं। लेकिन वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र के 5 तारे और आकृति सर्पाकार होती है। 

अश्लेषा नक्षत्र के देवता सर्प, स्वामी ग्रह बुध और राशि चक्र 16 डिग्री 40 अंश से 30 डिग्री 00 अंश तक होता है। इस नक्षत्र को भारतीय आकाशीय पिंडों के माध्यम से नौवा तेज नोकवाली संज्ञा से युक्त गण्ड नक्षत्र माना गया है। अश्लेषा नक्षत्र के छः तारे होते हैं। ये तारे आपस में मिलकर गोलाकार आकृति बनाते हैं। ये अंधकार से संबंध रखने वाला स्त्री नक्षत्र होता है।

अश्लेषा नक्षत्र की जाति चांडाल, योनि मार्जार, योनि वैर मूषक, गण राक्षस, नाड़ी आदि होती है। अश्लेषा नक्षत्र को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सभी 27 नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे भयानक और दराबाना नक्षत्र माना गया है। मान्यताओं के अनुसार बताया गया है की कलयुग की शुरुआत भी इसी नक्षत्र से हुई है।




अश्लेषा नक्षत्र की कथा पौराणिक कहानी | Ashlesha Nakshatra mythological story

अश्लेषा नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष शस्त्र में पौराणिक कथा के अनुसार अश्लेषा नक्षत्र के देवता सर्प को माना गया है। जिंहे नाग देव कहते हैं। सांप एक कल्पना से उत्पन्न हुआ पाताल में रहने वाला असुर जो मनुष्यों के समान मुख और सर्प के समान पूछ वाला होता है। ज्योतिष शास्त्र में इससे समानता रखने वाला हीड्रा नक्षत्र जो जल में रहने वाली नागिन के समान होती है।

भारत देश में सर्प को नाग देवता के नाम से जाना जाता है जिनकी पूजा श्रावण शुक्ल पंचमी को की जाती है। ज्योतिष शास्त्र में सांप को शक्ति, रूपान्तरण, परिवर्तन ( एक वस्तु को लेकर दूसरी वस्तु देना ) और रचना से संबंध रखने का प्रतीक होता है। इसे आचार्यों के मतानुसार भयानक और खतरनाक इसलिए बताया गया है क्योंकि सांप के काटने से किसी भी जीवधारी प्राणी की मौत हो जाती है। प्राचीन मतानुसार साँप को खाजने से संबंध रखने वाला भी बताया गया है।

सांप के अंदर कुण्डलिनी की शक्ति होती है जो मनुष्य के गले में नागिन के समान रूप में स्थिर रहती है। ठीक इसी प्रकार भगवान शिव के गले में सांप सभी बुराइयों, राक्षसों और बृहमांड में विनाश का प्रतीक माना गया है। मान्यताओं के अनुसार बताया गया है की भगवान विष्णु के अवतार के साथ-साथ शेषनाग के भी अवतार हुए जैसे भगवान राम के साथ लक्ष्मण और कृष्ण के साथ बलराम का अवतार हुआ।


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अश्लेषा नक्षत्र की विशेषताएँ | Ashlesha Nakshatra Importance 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक छुपा हुआ रहस्यमय नक्षत्र माना गया है। इस संसार में जन्म लेने वाले सभी जातकों के नयन सांप के समान होते हैं। जातक अपने दुश्मन को हराने वाला और उसे कमजोर बनाने वाला होता है। जातक के अंदर छान-बीन करने की शक्ति अधिक होती है। ज्योतिष शास्त्र में नवम भाव को धर्म का भाव कहा गया है इसी कारण इस अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक धर्म का विरोध करने वाले लोगों का नाश करने वाला होता है।

अपराधी को सजा दिलाने वाले और वेकसूर को मुक्त कराने वाला होता है। अश्लेषा नक्षत्र का गण राक्षस है। इसी समुदाय के मघा और विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातक का विवाह जन्म पत्रिका का विशेष अध्यन करना उचित होता है। अश्लेषा नक्षत्र से मेल रखने वाले अश्वनी, श्रावण, मघा और विशाखा नक्षत्र है। जिसका मूल नक्षत्र विपरीत है।


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अश्लेषा नक्षत्र के उपाय | Ashlesha Nakshatra Remedy 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अश्लेषा नक्षत्र के देवता शेषनाग को माना गया है। इसी कारण ऐसा माना गया है की यदि अश्लेषा नक्षत्र पीड़ित या अशुभ प्रभाव में है तो इन उपायों को करना चाहिए जो कुछ इस प्रकार हैं- 

  • नागदेव की पूजा करनी चाहिए। 
  • सोमवार के दिन सांप को दूध पिलाने से भी इसके बुरे प्रभाव कम होते हैं।
  • भगवान विष्णु की पूजा करने से ही इस नक्षत्र के बुरे प्रभाव कम होते हैं, क्योंकि सर्प भगवान विष्णु की शैय्या है। 
  • भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए क्योंकि शिव जी के गले में सर्प अपना स्थान ग्रहण करते हैं। 
  • यदि जातक भगवान शिव और विष्णु की पूजा सच्चे मन से और नियमित रूप से करे तो इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। 
  • ॐ नमः शिवाय का जाप निरंतर करने से व्यक्ति इसके अशुभ प्रभावों को कम करते हुए जीवन में उन्नति को प्राप्त कर सकता है।
  • अश्लेषा नक्षत्र के ” ॐ गं ” बीज मंत्र का जाप 108 बार करके भी जातक अपने जीकन में सकारात्मक्ता को  बढ़ा सकता है। 

यदि जातक इसके बुरे प्रभावों को जल्दी से जल्दी खत्म करना चाहता है तो उसे सोने की धातु से नाग और नागिन का जोड़ा बनवाना चाहिए फिर उसके बाद उसे अपने घर में शुद्ध स्थान पर रख कर प्रतिदिन उसकी पूजा कुमकुम, धूप, केसर, फूल, घी और दीपक जलाकर करनी चाहिए इससे अश्लेषा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव जल्द से जल्द कम होने एजी जाएंगे। यदि जातक इसके साथ-साथ अश्लेषा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करता है तो उसे और अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। वैदिक मंत्र कुछ इस प्रकार है-

अश्लेषा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ नमोस्तु सर्प्पेभ्यो ये के च पृथिवी मनु: ये अन्तरिक्षेदिवितेभ्य: सर्प्पेभ्यो नम:। ऊँ तक्षकेश्वराय नम:।।


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अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक  

  • रामायण के अनुसार लक्ष्मण और शत्रुघन का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। 
  • माहत्मा गांधी ( राष्ट्रपिता भारत )
  • जवाहर लाल नेहरू ( प्रथम प्रधान मंत्री भारत )
  • इंदिरा गांधी ( प्रथम महिला प्रधान मंत्री भारत )
  • मदर टेरसा ( नोबल शांति पुरस्कार, भारत रत्न )
  • लिन्डन जानसन ( अमेरिकन राष्ट्रपति )
  • महारानी एलिज़ाबेथ ( प्रथम और द्वितीय, इंग्लॅण्ड )

अश्लेषा नक्षत्र फलादेश | अश्लेषा नक्षत्र का फल | Ashlesha Nakshatra Prediction 

अश्लेषा नक्षत्र में बुध ग्रह का असर बिजनेस, व्यापार, कानूनी कार्य, युद्ध, शिक्षित होने का भाव और बात का साधन होता है। इस नक्षत्र के निर्माण शक्ति को भारत बासी डर के कारण नष्टकारी मानते हैं। आश्लेषा एक ऐसी जगह है जिसके रहस्यों का पता नही है परंतु उस जगह पर अंदर की शक्ति का अनुभव होता है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह फैलता हुआ फन है जो सांप के समान होता है।

यह संसार में उत्पन्न सभी पढ़ार्थों को खाने वाला, मांस खाने वाला, निर्दय, किय हुए उपकार को न मानने वाला, कपटी, पापी और अपने मतलब के लिए जीने वाला होता है। जातक धर्म का विरोध करने वाले लोगों के लिए नुकसान दायक होता है। जातक रहश्यमाई चीजों को खोजने वाला, दूसरों पर अपना हक जमाने वाला होता है।


अश्लेषा नक्षत्र के पुरुष जातक | Impact of Ashlesha Nakshatra on Male  

अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक अशिक्षित, छोटे कद वाला, छल करने वाला, लफंगा, माता-पिता का सम्मान न करने वाला, दिखबा करने वाला, ईमानदार लेकिन छल करने वाला, अधिक बोलने वाला, अपनी ओर मोहित करने वाला, मधुरभाषी, किसी संगठन का हिस्सा होगा, समाज सेवक, राजनीति में अच्छी छवि बनाने वाला, समाज में अच्छा नेता होगा। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले कुछ जातक डरपोक, बुजदिल, कमजोर हृदय वाला, समाज में खुद को अच्छा समझने वाला घमंडी होता है।

जातक किसी दूसरे पर भरोषा न करने वाला, बुरे कार्य करने वाला, काला धन कमाने वाला, चोरी करने वाला, अपराधियों का साथ देने वाला होता है। जातक अपने कार्य से अमीर और गरीब होता है। दूसरों की बुराई न करने वाला, अपनी मर्जी से जीने वाला, देश के प्रति अपना बलिदान करने वाला होता है। ये अपने हिसाब से जीने वाला, न किसी के साथ बुरा करने वाला और न खुद का बुरा होने देने वाला होता है।

जातक अपनी मेहनत से कमाने वाला होता है। जातक गरीब और असहाय की मदद करने वाला होता है। जातक अच्छे स्वभाव वाला, समाज में पृसिद्ध, शांत रहने वाला, जातक जहा गुस्सा करना है वहाँ शांत रहता है परंतु जहां शांत रहना है वहाँ गुस्सा करने वाला होता है। जातक व्यापार के क्षेत्र से जुड़ी शिक्षा ग्रहण करने वाला, व्यवसाय में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाला परंतु गलतियों के कारण बड़ा घाटा हो जाता है।

जातक को 30 से 35 वर्ष की उम्र तक कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें आर्थिक हानि भी होती है परंतु 40 वर्ष की उम्र के बाद अच्छा-खासा धन कमाता है। जातक अपने परिवार के हित में अच्छा विचार करने वाला परंतु जातक की पत्नी उसे अपने परिवार से अलग और उन्हे कुछ न देने के लिए उकसाने वाली होगी। जातक दवाइयों का सेवन करने वाला होता है।


अश्लेषा नक्षत्र के स्त्री जातक | Impact of Ashlesha Nakshatra on Female 

अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री जातक अच्छे बुरे दोनों प्रकार के गुणों वाली होती हैं। इस नक्षत्र में जन्मे स्त्री जातक पुरुष जातक के समान मिलते झूलते गुणों वाली होती है। स्त्री जातक का रूप सुंदर नही होगा परंतु मंगल अगर इस नक्षत्र में हो तो स्त्री बेहद सुंदर और रूपवान होगी। ये खुद को अपने काबू में रखने वाली, न ज्यादा सझने सवारने वाली, दूसरों के सामने शर्माने वाली, चरित्रवान, समाज में सम्मानित और चतुर होती है।

यदि ये कार्यालय से संबन्धित कार्यों में नीपूर्ण और शिक्षित हों तो प्रशासनिक अधिकारी होती हैं। यदि अशिक्षित हों तो ये खेतों में कार्य करने वाली या फिर जलीय जीब जैसे मछली आदि को बाजार में बेचने वाली होती हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री घर के कार्यों में नीपूर्ण होती है। इन्हे अपने ससुराल पक्ष के लोगों से साबधान रहने की जरूरत होगी क्योंकि वे स्त्री का उसके पति के साथ मतभेद कराने को स्थिति पैदा करने वाले होंगे। 


प्राचीन ऋषिमुनियों व आचार्यों के अनुसार अश्लेषा नक्षत्र | Ashlesha Nakshatra 

अश्लेषा नक्षत्र के देवता सर्प है ठीक उसी प्रकार जातक खतरनाक, गुस्सैल, बात-बात पर गुस्सा करने वाले, छोटी सी बात में प्रफुल्लित होने वाले होते हैं। ये चालाकी से अपना काम निकालने वाले होते हैं। छोटी-छोटी आँखों वाले, कपटी, भयंकर, सख्त स्वभाव वाला होता है। ——- पराशर 

इस नक्षत्र के जातक बुरे कर्म करने वाले, गलत लोगों की संगत करने वाले होते हैं। परंतु स्वभाव ठीक होता है। ये मिलबांटकर खाने वाले और अपने मित्रों की मदद करने वाले होते हैं। बेकार के कार्यों में अपना पैसा खर्च करने वाले होते हैं। ———ढुण्ढिराज 

ये कार्यों को मन से करने वाले, बिना बजह दूसरों को परेशान करने वाले, खाना-खाने में माहिर, इन्हे कुछ भी मिल जाय ये सब खाना पसंद करते हैं। किसी का एहसान न मानने वाले, निर्दयी, धोखा देने वाले होते हैं। — वराहमिहिर

इस नक्षत्र के जातक साफ-सीधी बात करने वाले, धैर्य के साथ कार्य करने वाला होता है। —– नारद

चन्द्र 

      यदि इस नक्षत्र में चन्द्र हो तो जातक अभिनेता, कुशल राजनीतिज्ञ, सुंदरता को छिपाने वाला, आनंद लेने वाला, ज्योतिष विध्या का ज्ञाता, अधिक ज्ञान वाला, अच्छा बोलने वाला, लेखन का कार्य करने वाला, किए हुए उपकार को न मानने वाला, छल करने वाला होता है। इन्हे अपने खान-पान का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। 

सूर्य 

     अश्लेषा नक्षत्र में सूर्य हो तो जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छा ज्ञाता, अधिक गुस्सा करने वाले, चालक और चतुर, मुफ्त में राय देने वाले, छुपे हुए, ईश्वर को मानने वाले, अच्छी विचार शक्ति वाला, छोटी सी बात पर गुस्सा करने वाले, वादा करके तोड़ने वाला, वादा पूरा न करने वाला होता है। 

लग्न 

     अश्लेषा नक्षत्र में लग्न हो तो जातक कार्यकुशल, मनमोहक, उपकार न मानने वाला, निर्दयी, खुद को अकेला रखने वाला, अधिक शत्रुओं वाला, लोगों को धोखा देने वाला, अपने फायदे के लिए दूसरों का नुकसान करने वाला होता है।


अश्लेषा नक्षत्र का चरण फल | Prediction of Ashlesha Nakshatra Charan pada 

प्रित्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – राशि कर्क, देवता सर्प और स्वामी ग्रह बुध । 


अश्लेषा नक्षत्र का प्रथम चरण | Prediction of Ashlesha Nakshatra First Charan pad

अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी गुरु है। इस चरण में चन्द्र, बुध और गुरु का प्रभाव रहता है। राशि कर्क 106 डिग्री 40 अंश से 110 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश धनु ! प्रथम चरण डरा हुआ, रोगों से ग्रसित और दुश्मनों का कारक होता है। जातक लंबे चौड़े शरीर वाला, पतले और आकर्षक नयन वाला, लंबे और बड़े-बड़े दांतों वाला, सताने वाला होता है।

इस चरण में स्त्री और पुरुष जातक अपने लक्ष कदम पर चलने वाले और मेहनत करने वाले होते हैं। ये अपने दुश्मनों को अपने काबू में रखने की कला जानने वाले, मित्रों और अपने से बड़ों से असाधारण होते हैं।


अश्लेषा नक्षत्र का द्वितीय चरण | Prediction of Ashlesha Nakshatra Second Charan pad

अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी शनि है। इस चरण में चन्द्र, बुध और शनि का प्रभाव रहता है। राशि कर्क 110 डिग्री 00 अंश से 113 डिग्री 20 अंश तक होती है। नवमांश मकर ! यह धोखेबाज़ी, सौदागार, कपटी, इच्छा और वित्त का कारक होता है। जातक बेहरे और तुच्छ रोम वाला, मजबूत शरीर वाला, भारी सिर वाला, सुरक्षाकर्मी अथवा चौकीदार, चतुर-चालाक, स्फूर्ति वाला होता है। 

ज्योतिषीय मतानुसार बताया गया है की इस चरण में अश्लेषा नक्षत्र के नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। जातक गद्दार, दूसरों के कार्यों में रुकावट पैदा करने वाला, विश्वास न करने के योग्य होता है। इस चरण में जातक को काबू में कर्ण अबहुत मुश्किल होता है। जातक दूसरों के मकान में किराय पर रहता है, लेकिन अगर इसका खुद का मकान हो तो यह उसमें रह नही पाता है।


अश्लेषा नक्षत्र का तृतीय चरण | Prediction of Ashlesha Nakshatra Third Charan pad

अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी शनि होता है। इस चरण में चन्द्र, बुध और शनि का प्रभाव होता है। राशि कर्क 113 डिग्री 20 अंश से 116 डिग्री 40 अंश होता है। नवमांश कुंभ ! यह चरण गुप्त, छिपा हुआ, प्रबंध और माता पर बुरे प्रभाव का कारक होता है। इस चरण में जातक घड़ियाल के समान सर वाला, रूपवान, लंबी भुजाओं वाला, धीमी गति वाला, दवी हुई नाक वाला और मधुरभाषी होता है। इस चरण में जातक विश्वास के योग्य, लेकिन अन्य सभी गुण द्वितीय चरण के समान होते हैं। जातक चर्म रोग जैसी समस्या से पीड़ित होता है।


अश्लेषा नक्षत्र का चतुर्थ चरण | Prediction of Ashlesha Nakshatra Fourth Charan pad

अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण के स्वामी गुरु [ बृहस्पति ] हैं। इस चरण में चन्द्र, बुध और गुरु का प्रभाव रहता है। राशि कर्क 116 डिग्री 40 अंश से 120 डिग्री 00 अंश तक होती है। नवमांश मीन ! यह चरण अंधविश्वास, छल, कठिन परिश्रम, अच्छाई-बुराई का और पिता की सेहत में गड़बड़ बनाने का कारक होता है। जातक गौरव वर्णी, मस्य के जैसी आँखों वाला, तजुक शरीर वाला, भरी उरस्थल वाला, घनी और लंबी दाड़ी वाला, पतले कोमल होठों वाला, पतले घुटनों वाला और मोती जांघ वाला होता है।

इस चरण में जातक दूसरों का नुकसान करने की वजाय अपना ही नुकसान करने वाला होता है। जीवन में अपने सम्बन्धों को मजबूत बनाने के लिए कठिन परिश्रम करने वाला होता है। यदि नक्षत्र नकारात्मक स्थिति में हो तो जातक को मानसिक रोगों का शिकार होना पड़ता है।


अश्लेषा नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष आचार्यों ने सूत्र रूप में बताया है लेकिन यह फलित में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ है। 

यावनाचार्य- 

अश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जातक निसंतान, दूसरे चरण में दूसरों का कार्य करने वाला, तीसरे चरण में रोग ग्रस्त, चौथे चरण में सौभाग्यशाली होता है। गंडान्त में कम उम्र का होता है। 

मानसागराचार्य –

प्रथम चरण में जातक चोरी करने वाला, द्वितीय चरण में धन हीन, तृतीय चरण में देश में प्रशंसा योग्य और चतुर्थ चरण में परिवार का आभूषण होता है।


अश्लेषा नक्षत्र का चरण ग्रह फल | Ashlesha Nakshatra Prediction based on planets   

भारतीय ज्योतिष आचार्यों के मतानुसार सूर्य, बुध और शुक्र इन ग्रहों की पूरी तरह अवलोकन या चरण दृष्टि होती है, क्योंकि सूर्य ग्रह से बुध ग्रह 28 अंश और शुक्र 48 अंश से दूर नही जा सकता है। 


सूर्य – Sun [ अश्लेषा नक्षत्र में सूर्य ] 

  • चन्द्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक दूसरों के कार्य करने वाला, पारिवारिक कलह से जूझने वाला और असहाय होगा। 
  • मंगल की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक अपने परिवार के लोगों से नफरत करेगा, दूसरों को परेशान करने वाला और जलीय रोगों से पीड़ित होता है। 
  •  गुरु की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक परिवार में सम्मान प्राप्त करने वाला, कमाई के लिए शासन पर निर्भर होगा। 
  • शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक धन हीन, पीलिया जैसे रोगों से ग्रसित हो

अश्लेषा नक्षत्र में सूर्य | When sun is in Ashlesha Nakshatra – Prediction 

सूर्य का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक चालाक, लालची स्वभाव वाला, हठी, समाज में लोगों से परेशान होने वाला, बिजनेस करने का उत्सुक होता है। अगर लग्न अनुराधा या ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो जातक देश के कोने-कोने तक यात्रा करने वाला होगा। जातक समाज की सेवा करने वाला, गरीबों की मदद करने वाला परंतु जातक घुटनों में दर्द जैसी समस्या से पीड़ित होगा। 

सूर्य का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक दूसरों के विचारों पर कार्य करने वाला, हिंसक कार्य करने वाला, धातु लगाने में तेज, बेज्जती बरदास्त करने वाला, दुर्दशा करने वाला होता है। अगर ज्येष्ठा नक्षत्र में लग्न हो तो जातक के पिता की समय से पहले मृतु हो जाएगी और पत्नी को जीवन में आगे बढ्ने में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। 

सूर्य का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक हारा हुआ, कमजोर, असहाय, धन हीन, बदला लेने वाला, भ्राता पक्ष से परेशान, जख्मी होने पर दूसरों को परेशानी देने वाला होता है। यदि लग्न अभिजीत या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हो तो जातक का विवाह बेहद प्यार करने वाली स्त्री से होगा परंतु वह पित्त दोष वाली होगी।

सूर्य का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल 

इस चरण में जातक सबसे अच्छा करने की शक्ति रखने वाला, टाला-बलैयां करने वाला, चीजों को आपस में बराबर बटने वाला, अपने जीएचआर में न रहने वाला, संतान के लिए दुखी रहता है। जातक का भाई अच्छे स्तर पर होगा तो वह उससे आर्थिक लाभ लेने वाला होगा। अगर लग्न में यह चरण हो तो जातक को आँखों में कमी होगी।


चन्द्र – Moon [ अश्लेषा नक्षत्र में चन्द्र ]

  • सूर्य की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक मकान बनाने वाला, दूसरों की मदद के लिए पीछे रहने वाला, शासन में किसी अधिकारी के नीचे कार्य करने वाला नौकर होगा। 
  • मंगल की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक निर्दयी, परिवार की बदनामी करवाने वाला, माता को परेशान और दुख देने वाला होगा। 
  • बुध की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक कानूनी विभाग का अधिकारी या किसी अच्छे स्तर पर कार्यरत होगा। घर परिवार से पूर्ण और सुखी होगा। 
  • गुरु की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक ईमानदार, स्वाभाविक, सम्मानित, खुशहाल जीवन यापन करने वाला होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक सुख भोग प्राप्त करने वाला परंतु यौन समस्याओं से ग्रसित होगा। 
  • शनि की दृष्टि चन्द्र पर हो तो जातक छल करने वाला, माता के खिलाफ रहने वाला, परदेश में रहने वाला होगा। 

अश्लेषा नक्षत्र में चन्द्र | When Moon is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

चन्द्र का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक कलाकार, अभिनेता, अच्छा राजनीतिज्ञ, ज्योतिष विध्या का ज्ञाता, भविष्य बताने वाला, सच के साथ रहने वाला, धर्म के हित में कार्य करने वाला और ईमानदार होता है। 

चन्द्र का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक कड़वे शब्द बोलने वाला, बुरे कार्य करने में माहिर और कार्यों के प्रति आलसी होते हैं। ये छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने वाले होते हैं। अगर मंगल शनि या राहू का मिलन हो और लग्न शतभीषा द्वितीय चरण में हो तो मिर्गी जैसे रोग की बीमारी होती है। 

चन्द्र का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक अंतर करने वाल और अंतर कराने वाला, बुराइयों से दूर रहने वाला, बेज्जती बरदास्त न करने वाला होता है। जातक अपने घर-परिवार के लोगों के कारण दुखी रहने वाला और कामेन्द्रिय रोग से पीड़ित होता है।

चन्द्र का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक घर के माहौल में रहने वाला, आनंदित रहने वाला, पानी को पसंद करने वाला, निर्दयी, झूठा और व्यसन क्रिया से लिप्त होता है। गलत कार्यों से पैसे कमाने वाला और दूसरों का नुकसान करके अपना फायदा करने वाला होता है। 


मंगल – Mars [ अश्लेषा नक्षत्र में मंगल ]

  • सूर्य की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक साहस से परिपूर्ण, शिक्षा के क्षेत्र में किसी पद का अधिकारी होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक जीवन भर रोगों से ग्रसित रहेगा, आर्थिक समस्याओं से जूझेगा, जिसके कारण मानसिक तनाव भी बना रहेगा। 
  • बुध की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक परिवार से निकाला गया, नीचे स्तर के कार्य करने वाला, रिश्तेदार अथवा मित्रों का जिम्मेदार और दुखी हृदय वाला होगा। 
  • गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक अच्छा राजनीतिज्ञ अथवा उच्च पद का नेता होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक धन-दौलत से परिपूर्ण परिवार में जन्मा परंतु पारिवारिक कलह के कारण धनहीन होगा। 
  • शनि की दृष्टि मंगल पर हो तो जातक संपत्तिवान होगा। 

अश्लेषा नक्षत्र में मंगल | When Mars is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

मंगल का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक बराबर हिस्सा बाट करने वाला, दूसरों का पैसा न खाने वाला, एक घर से दूसरे घर में जाने वाला, बिवाद करने में माहिर, खुद पर घमंड करने वाला, छोटी-छोटी बातों को बड़ा बनाने वाला, जरूरत से ज्यादा गुस्सा करने वाला होता है। 

मंगल का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक अपंग, अधिक गुस्सा करने वाला,  छोटी से बाट पर लड़ाई करने वाला, काम करने में नीपूर्ण, बदला लेने वाला, बुरे कार्य करने वाला होता है। अगर द्वितीय चरण में राहु का मिलन हो तो जातक और जातिका एक से अधिक प्रेम वासनाओं में लिप्त और कई लोगों के साथ यौन संबंध बनाने वाले होंगे। 

मंगल का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक उदास, दुखी, निर्दयी, आँखों की समस्या से पीड़ित होगा। जातक के दांपत्य जीवन में अनुकूलता नही होगी। ऐसे में कई जातक अपनी पत्नी की मृतु का कारण बनेंगे जिसके कारण उन्हे कानूनी विवादों में उलझना पड़ सकता है। 

मंगल का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में जातक संतुष्ट नही होगा। यदि इस चरण में शनि का मिलन हो तो जातक अपने जीवनसाथी के साथ यौन संबंध बनाके संतुष्ट नही होगा जिसके कारण अन्य स्त्रियों के साथ यौन संबंध बनाने का प्रयास करेगा।


बुध – Mercury [ अश्लेषा नक्षत्र में बुध ] 

  • चन्द्र की दृष्टि बुध पर हो तो जातक कपड़े धोने वाला या कपड़े का व्यवसाय करने वाला तथा मकान बनाने वाला होता है। 
  • मंगल की दृष्टि बुध पर हो तो जातक शास्त्रों का ज्ञाता, चालाक अथवा निर्दयी, हथियार अथवा शास्त्रों का निर्माता होगा। 
  • गुरु की दृष्टि बुध पर हो तो जातक शिक्षित, विद्वान, अच्छाई-बुराई को परखने वाला, मधुर वाणी बोलने वाला होता है। 
  • शनि की दृष्टि बुध पर हो तो जातक बुरे स्वभाव वाला, अपने अलाबा दूसरों को न पसंद करने वाला, अधिक शत्रुओं वाला और अपने घर-परिवार से दूर रहने वाला होता है। 

अश्लेषा नक्षत्र में बुध | When Mercury is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

बुध का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, एक से अधिक कार्य करके लाभ अर्जित करने वाला, जहरीले पदार्थों का विक्रेता, बिजनेस में साझेदार के साथ धोखाधड़ी करने वाला, षड्यंत्र रचने वाला और दूसरों को दुख देने वाला होता है। जातक को यकृत में समस्या होती है। 

बुध का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक धर्म को न मानने वाला, समाज के नियमो के खिलाफ रहने वाला, धन हीन, निर्दयी, गंदे वस्त्र पहनने वाला, दूसरों के बारे में गलत विचार धारा रखने वाला, लोगों की मृत्यु करने वाला हत्यारा, पिट्रोलियम पढ़ार्थों का व्यापारी, काम करने वाला और दुखी रहता है। 

बुध का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चारण में जातक द्वितीय चरण के समान गुण वाले होते हैं। परंतु इस चरण में जातक रेशम या कपड़ों का व्यापार करने वाला, नशा करने वाला, नशीले पढ़ार्थों का अधिक सेवन करने वाला होता है। जातक पेट से जुड़े रोगों से ग्रसित रहता है। वैवाहिक जीवन में 35 से 40 वर्ष के बाद सुधार आता है और मधुरता बढ़ती है। 

बुध का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चारण में जातक को प्रथम चरण के समान ही फल प्राप्त होते हैं। जातक प्रथम चरण के समान गुण धर्म वाला होता है। परंतु इस चरण में जातक विज्ञान के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाला, इजीनरिंग लाइन में अच्छा ज्ञाता और खेती-बाड़ी से संबंध रखने वाली चीजों का बिजनेस करने वाला होता है।  


गुरु – Jupiter [ अश्लेषा नक्षत्र में गुरु ]

  • सूर्य की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक अच्छे स्तर का नेता अथवा सरकारी संस्था में कार्यरत होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक परिवार में कलह मचाने वाला अथवा घर में कलेश के बाद जो संपत्ति अर्जित करेगा उससे वह सुख भोगेगा।
  • मंगल की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक घर-परिवार, धन-दौलत, पत्नी-संतान से पूर्ण होता है। 
  • बुध की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक राजनीति में उच्च स्तरीय नेता, किसी अच्छे स्तर का अधिकारी होगा जिसमें वह काफी संपत्तिवान होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक स्त्रियों के करीब रहने वाला, एक से अधिक स्त्रियों के साथ संबंध बनाने वाला होगा। 
  • शनि की दृष्टि गुरु पर हो तो जातक कानूनी विभाग में उच्च पद का अधिकारी, शक्तिशाली और धन-दौलत से परिपूर्ण होगा।

अश्लेषा नक्षत्र में गुरु | When Jupiter is in Ashlesha Nakshatra – Prediction 

गुरु का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक राजा के समान, सुख भोगने वाला, लोगों के मन में अपना डर पैदा करने वाला, समाज में लोगों की रक्षा करने वाला, कामेच्छा वाला होता है। इसमें स्त्री अपने पति के साथ और पति अपनी पत्नी के साथ रहना ही पसंद करते हैं। 

गुरु का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस चरण में जातक दान  पुण्य करने वाला, सच का साथ देने वाला, सम्मानिय, संतान अच्छे आचरण वाली और अच्छे गुणों वाली होगी। जातक का विवाह अच्छे घराने की लड़की से होता है जिसके कारण वह दहेज में संपत्ति लाती है। 

गुरु का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के समान गुणो वाला होता है। यदि लग्न तृतीय चरण में हो तो जातक अपने पिछले जन्म के पाप कर्मों के अनुसार इस जन्म में सुख और दुख भोगेगा। जातक अच्छे कर्म करके मोक्ष की प्राप्ति करेगा।  

गुरु का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में प्रथम चरण के समान जातक के गुण होते हैं। स्त्री जातक अपने पति से अधिक प्रेम करने वाली होती है जिसके कारण वह अपने पति की बेज्जती बरदास्त नही कर पाती और उसका बदला लेने के लिए पीछे नही हटती है। इस चरण में स्त्री को विश कन्या के समान बताया गया है। अगर इस चरण में शुक्र कमजोर स्थिति में हो तो स्त्री विधवा होने के बाद दूसरा विवाह कर लेती है। 


शुक्र – Venus [ अश्लेषा नक्षत्र में शुक्र ]

  • चन्द्र की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक की माता को दुखों का सामना करना पड़ता है। 
  • मंगल की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक विद्वान, नई-नई कलाओं को सीखने और सिखाने वाला होता है। 
  • गुरु की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक छल करने वाला परंतु असहाय की मदद करने वाला होता है। 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक चरित्रहीन, धनहीन और दुखों का सामना करने वाला होता है। 

अश्लेषा नक्षत्र में शुक्र | When Venus is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

शुक्र का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

इस चरण में जातक रूपवान, नफरत करने वाला, डर पैदा करने वाला होता है। जातक छोटी-छोटी आँखों वाला, जहर के समान खतरनाक, लोगों के मन में डर पैदा करने वाला, समाज में सम्मानित परंतु पीछे गलियाँ मिलती होंगी, काम करने में तेज परंतु झूठा होता है। हठयोग में किसी बिंदु पर ध्यान जमाने वाला, पापी होता है। 

शुक्र का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक निर्धन, दुखों का सामना करने वाला, कर्म न करने वाला, लापरवाह, गुस्सेबाज, चालक, बिना किसी वजह दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला, दूसरों को परेशान करने में आगे, गलत लोगों की संगत करने वाला, जहरीले पशु-पक्षियों को अपने काबू में करने वाला होता है। 

शुक्र का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक द्वितीय चरण के गुण-दोष के समान होता है। इस चरण में लग्न हो और शुक्र चंद्रमा के साथ मिलन करे तो जातक कम उम्र से ही अपने मार्ग से भटका हुआ होगा। जातक 16 वर्ष की उम्र तक कई बार यौन संबंध बना चुका होगा।

शुक्र का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक प्रथम चरण के समान गुण – दोष वाले होते हैं। जातक इस चरण में सरकारी किसी विभाग में उच्च स्तर का अधिकारी, अपनी ताकत का इस्तेमाल करने वाला, राजनीति में अच्छी पहचान बनाने वाला परंतु स्त्रियों से अधिक संबंध बनाने के कारण दुखी रहता है।


शनि – Saturn [ अश्लेषा नक्षत्र में शनि ]

  • सूर्य की दृष्टि शनि पर हो तो जातक पत्नी सुख से वंचित, खान-पान में कमजोर हालत और माता को दुख देने वाला होगा। 
  • चन्द्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक अपने घर में कलह मचाएगा और कष्टदायक सबात होगा।
  • मंगल की दृष्टि शनि पर हो तो जातक शारीरिक स्थिति में दुर्बल परंतु सरकार पक्ष से मददगार साबित होगा। 
  • बुध की दृष्टि शनि पर हो तो जातक निर्दयी व्यवहार करने वाला, घमंडी, अधिक यात्राएं करने का शौकीन होगा। 
  • गुरु की दृष्टि शनि पर हो तो जातक कृषि कार्य करके पैसे कमाएगा, कुशल परिवार और अच्छी-ख़ासी धन संपत्ति का मालिक होगा। 
  • शुक्र की दृष्टि शनि पर हो तो जातक मनमोहक, जलीय वस्तुओं का बिजनेस करने वाला होगा।  

अश्लेषा नक्षत्र में शनि | When Saturn is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

शनि का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल

जातक बुद्धिमान, विवेकवान, अनेक विषयों का जानकार, जादूगर या मनोरंजन करने वाला होता है। जातक माता विहीन और संतान हीन होता है। जातक की माता उसकी देखभाल करने में असमर्थ रहेगी। जातक की माता की मृत्यु किसी कारण से हो सकती है। 

शनि का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल 

इस चरण में जातक शौभाग्यशाली, बुराई-भलाई करने वाला, गलती होने पर माफी न देने वाला, किए-कराय का एहसान न मानने वाला, सब कुछ खाने वाला, छल करने और धोखा देने में आगे होता है। जातक विदेश यात्राएं करने वाला होगा। 

शनि का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक घमंडी, गलत कार्यों से धन कमाने वाला, संदेह युक्त चरित्र वाला, दलाली का कार्य करने वाला, बिना किसी वजह से गुस्सा करने वाला होता है। मंगल यदि इस चरण के साथ मिलन करता है तो स्त्री जातक पिता के होने से जानी जाएगी परंतु कई स्थिति में ऐसा होगा की पिता से माँ और बेटी दोनों गंदे चरित्र के कारण जानी जाएंगी।  

शनि का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक को प्रथम चरण के समान मिलते झूलते परिणाम देखने को मिलेंगे। जातक इस चारण में पैतृक संपत्ति का नाश करेगा, पिता से व्यवहार अच्छा नही होगा। पिता शराबी होने के कारण माता को दुख देगा।


अश्लेषा नक्षत्र में राहु | When Rahu is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

राहु का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण का फल 

इस चरण में लग्न हो तो जातक बुरी चीजों से दूर रहने वाला और लंबी उम्र जीने वाला होता है। 

राहु का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण का फल

इस  चरण में लग्न शनि, मंगल और चन्द्र के साथ युत होता है तो जातक की बाल्यावस्था में ही मृत्यु हो जाती है। 

राहु का अश्लेषा नक्षत्र के तृतीय चरण का फल 

इस चरण में जातक मानसिक तनाव से  ग्रसित रहने वाला, सोचने समझने वाला और चिकित्सक अथवा केमिस्ट होगा। जातक को 35 से 40 वर्ष की उम्र तक अपने व्यापार में मेहनत करनी पड़ेगी उसके बाद सफलता प्राप्त होगी। 

राहु का अश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक अपने परिवार के सदस्यों के नाम से जाना जाने वाला, घर-परिवार से दूर रहने वाला, पत्नी से जाना जाने वाला, अलग तरह का जीवन जीने वाला होता है।


अश्लेषा नक्षत्र में केतु | When Ketu is in Ashlesha Nakshatra – Prediction

केतु का अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम व चतुर्थ चरण का फल

इस चरण में जातक चिकित्सक, नर्स या केमिस्ट होगा, अधिक दोस्तों वाला और धन-दौलत से परिपूर्ण होगा। 

केतु का अश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय व तृतीय चरण का फल

इस चरण में जातक साहस से परिपूर्ण, माता को शरण देने वाला, धर्म को मानने वाला, पिता पक्ष से दुखी, वैज्ञानिक विषयों को जानने वाला, धन-दौलत से परिपूर्ण और दूसरे देशों में घूमने फिरने वाला होता है। 


अश्लेषा नक्षत्र
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