अश्विनी नक्षत्र उपाय फल लाभ हानि विशेषताएँ

अश्विनी नक्षत्र के उपाय। Ashwini Nakshatra Remedy

  • भगवान कार्तिकेय की आराधना करें। श्री स्तोत्रों का पाठ करें। मंगलवार को व्रत रखें।
  • बेसहारा, गरीब लोगों को दवाई की सहायता प्रदान करें। उनके इलाज़ के लिए धन दान भी कर सकतें हैं।
  • कुलथी की दाल का दान सोमवार को नियमित रूप से करें।
  • लहसुनिया रत्न को धारण करें मगर ज्योतिष आचार्य से विश्लेषण ज़रूर करवा लें।
  • घर के उत्तर-पश्चिम कोने में घोड़े की तस्वीर रखनी चाहिए।
  • पशुओं और पक्षियों को नियमित रूप से पीने का पानी और भोजन दें।
  • केतु अश्विनी नक्षत्र का प्रमुख है। केतु का आशीर्वाद पाने के लिए, नवग्रह धूप का नियमित रूप से उपयोग करें ।

जातक वैदिक मंत्र का भी प्रयोग कर सकता है हालांकि यह सामान्य विधि है और जातक को विशेष उपाय के लिए आचार्य जी से पत्रिका दिखा के ही उपाय लेना चाहिए। नवग्रह शांति धूप भी कारगर सिद्ध होती है

अश्विनी नक्षत्र का वैदिक मंत्र

ऊँ अश्विना तेजसा चक्षु प्राणेन सरस्वती वीर्यम्।

वाचेन्द्रो बले नेन्द्रायद द्युरिन्द्रयम ।।


अश्विनी नक्षत्र (Ashwini Nakshatra) 

अश्विनी नक्षत्र । Ashwini Nakshatra

अश्विनी नक्षत्र (Ashwini Nakshatra) का क्षेत्रफल 00 अंश से 13 अंश तक का होता है। अश्विनी नाम का निर्माण दो अश्विन से मिलकर हुआ है। इस नक्षत्र ( Ashwini Nakshatra ) को सभी देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे- ग्रीक में कस्टर और पोलुक्स, अरब मंजिल में अल- शरतेैन और चीन के सियु में ल्यु के नाम से जाना जाता है।

चकलय और खंडकातक के माध्यम से अश्विनी समूह दो अश्वनियो का अंश दो तारों का समुदाय है। इसी तरह कालबुक और बाद के विचारों के माध्यम से अश्विनी नक्षत्र (Ashwini Nakshatra) दो अश्व मुख का अंश तीन तारों का समुदाय है। अश्विनी कुमार और स्वामी केतु को मेष राशि में 00 अंश से 13 अंश का 20 कला क्षेत्र प्राप्त है। खगोलीय मान्यताओं के अनुसार इस नक्षत्र ( Ashwini Nakshatra ) को सबसे पहले नक्षत्र माना गया है।

अश्विनी नक्षत्र का परिचय और विशेषताएँ जानने के लिए क्लिक करें

इस नक्षत्र के तीन तारे होते हैं जिन तारों से मेष राशि में वसंत दिन और रात का मान बराबर होने का समय शुरू होता है। इस नक्षत्र से लगभग 400 वर्ष प्राचीन समय की गिनती करना संभव हो गया है। इस नक्षत्र का नाम मुहूर्त ज्योतिष में लघु क्षिप्र नक्षत्र रखा गया है। इस अश्विनी नक्षत्र को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। यह नक्षत्र स्थिर कार्य, यथार्थ और महीन कार्यों में लाभदायक सिद्ध होता है। इस नक्षत्र शुभ होता है। इस नक्षत्र की जाति नाड़ी , योनि अश्व आदि होती हैं। 

जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष शास्त्र को वेदों में नेत्र माना गया है उसी प्रकार नक्षत्र को उस नेत्र की दृष्टि माना गया है। हमें कई ऐसे परिणाम देखने को मिलते हैं जैसे की प्राचीन समय में वैदिक ज्योतिष का बर्ताव नक्षत्रों  के जैसा ही था।

यही कारण है कि नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष शास्त्र की आत्मा माना जाता है। हम कह सकते हैं कि इसी आत्मा के लिए भारतीय ज्योतिषियों नें एक अत्यंत मनोरम शरीर तैयार किया है जिसे हम नक्षत्र कहते हैं। 



अश्वनी नक्षत्र के नाम अक्षर। अश्वनी नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। अश्वनी नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

अश्वनी के प्रथम चरण का नाम अक्षर – ना

अश्वनी के द्वितीय चरण का नाम अक्षर  नी

अश्वनी के तृतीय चरण का नाम अक्षर – नू

अश्वनी के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – ने