कृत्तिका नक्षत्र उपाय। Krittika Nakshatra Remedy

कृत्तिका नक्षत्र के उपाय। Krittika Nakshatra Remedy । Krittika Nakshatra Upay

  • भगवान सूर्य नारायण जी की कृपा प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • सूर्य देव को, गेहूं, घी, गुड़ आदि से खाद्य पढ़ार्थ बनाकर रविवार के दिन अर्पित करें। इसके साथ-साथ सुबह सूर्य नमस्कार करें। ऐसे करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
  • यदि संभव हो तो अपने घर में भगवान शिव के पसंदीदा पौधे जैसे- सफेद चम्पक, जैस्मीन और नंदिवर्धनम आदि लगाएँ और इनमें उत्पन्न पुष्पों को भगवान शिव के चरणों में चढ़ाएँ।
  • रविवार के दिन मंदिर में जाकर भगवान की आराधना करने वाले पूज्य आचार्यों, पंडितों का आशीर्वाद लेना चाहिए। 
  • वैदिक आचार्यों की सेवा के लिए उन्हे दान दें, उफार आदि दें देना चाहिए ऐसा करने से आपको धार्मिक उन्नति मिल सकती है।
  • धार्मिक स्थलों के बाहर बैठे भूखे, गरीब व्यक्तियों को खाने से संबन्धित वस्तुएँ जैसे सफेद चावल, दूध और चीनी का दान करें।
  • कृत्तिका नक्षत्र के देवता सूर्य की कृपा पाने के लिए सूर्य ग्रह शांति धूप का उपयोग करें, यह धूप प्रतिदिन ज्वलित करने से आपके जीवन में होमा के रूप में कार्य करेगी।
  • जातक को लाल, केसरिया, संतरी और पीले रंग के वस्त्रों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। 
  • सूर्य स्तवन करने से भी कृत्तिका नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं। 
  • नक्षत्र देव की आराधन सफ़ेद चन्दन, धूप, पुष्प और दीप से करनी चाहिए। 

जातक वैदिक मंत्र का भी प्रयोग कर सकता है हालांकि यह सामान्य विधि है और जातक को विशेष उपाय के लिए आचार्य जी से पत्रिका दिखा के ही उपाय लेना चाहिए। सूर्य ग्रह शांति धूप भी कारगर सिद्ध होती है

कृत्तिका नक्षत्र का वैदिक मंत्र

अग्निर्मूर्धादिव: ककुत्पति: पृथित्या अयम् ।

अपागूं रेता गूं सिजिन्वति ऊँ अग्नये नम:।।



कृत्तिका नक्षत्र नक्षत्र। Krittika Nakshatra 

कृत्तिका नक्षत्र

ज्योतिषीय गणना का आरंभ देखा जाए तो लगभग 400 ई॰ पूर्व कृतिका(कृत्तिका ) नक्षत्र से ही ज्योतिष गणना का आरंभ हुआ था। इसी कारण भारतीय ज्योतिष के आधार पर कृत्तिका नक्षत्र सबसे पहला नक्षत्र माना जाता है। भारतीय ज्योतिषियों के द्वारा आकाशीय पिंडों के अध्ययन से यह पता चलता है की यह तीसरा शुभ, प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाला, तमोगुण संबंधी स्त्री नक्षत्र होता है। कृत्तिका नक्षत्र को उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है। इस नक्षत्र के देवता कार्तिकेय और अग्नि को माना जाता है तथा स्वामी सूर्य को माना जाता है।

इस नक्षत्र में मेष राशि का स्वामी मंगल और वृषभ राशि का स्वामी शुक्र होता है। कृतिका नक्षत्र में मेष 26 अंश 40 कला क्षेत्रफल से वृषभ 10 अंश 00 कला क्षेत्रफल तक का होता है। कृत्तिका नक्षत्र को अरब मंजिल में अल थुर्या के नाम से , ग्रीक में इसे अलसियोन के नाम से और चीन में इसे माओ के नाम से जाना जाता है। इस नक्षत्र की जाति ब्राह्मण, योनि छाग, योनि वैर वानर, गण राक्षस और नाड़ी अन्त्य होती है। सभी नक्षत्रों के माध्यम से जातक का व्यक्तित्व प्रकट होता है। नक्षत्रों से हमें जातक के बारे में कुछ अहम बाते जानने को मिलती हैं।

कृत्तिका नक्षत्र का परिचय और विशेषताएँ जानने के लिए क्लिक करें

कृत्तिका नक्षत्र दो भागों में बटा हुआ है। पहला भाग स्वामी मंगल का जो निर्दयी, प्रहार करने वाला, दुख देने वाला, तेज वाला, निजी और सामाजिक जीवन में बदलाव करने का प्रकाशक होता है। दूसरा भाग स्वामी वृषभ का है जो कोमल, स्नेह, कल्पना करने वाला, रूपवान, आभास करने वाला, ललित कला का प्रकाशक होता है। 

परंतु हमें 6 तारों के बारे में भी कई जगह देखने को मिलता है। इस नक्षत्र का नाम कार्तिक भगवान शिव के छोटे बेटे कार्तिकेय के नाम से पड़ा। कार्तिक नाम का अर्थ होता है- अग्निशिखा, किसी धारदार औज़ार की नोक अथवा उस्तरा। कृत्तिका नक्षत्र का प्रतीक कैंची के आकार का दिखने वाला छह तारों के समुदाय को माना जाता है। संस्कृत कृत्तिका का रूपांतरण कृतिका नक्षत्र होता है [ जिसे कृतिका या काटने वाला भी कहते हैं।

कृत्तिका नक्षत्र के नियामक देवता अग्नि पांच महाभूतों में से एक माने जाते हैं। अग्नि को संसार में 8 दिशाओं में से पहला प्रधान शासक माना जाता है। कृतिका के नियामक अग्नि को ब्रह्मपुत्र भी खा जाता है। यदि कार्तिकेय को अन्य मतों से देखा जाए तो उन्हें भी अग्नि का पुत्र माना जाता है। इस नक्षत्र के छह तारों के युद्ध देवता कार्तिकेय की छह दासियाँ [ स्वर्गलोक स्त्रियां ]  होती हैं।


कृत्तिका नक्षत्र के नाम अक्षर। कृत्तिका नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। कृत्तिका नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – अ

कृत्तिका नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर

कृत्तिका नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – उ

कृत्तिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – व