श्रवण नक्षत्र उपाय। Shravana Nakshatra Remedy

श्रवण नक्षत्र के उपाय। Shravana Nakshatra Remedy  

  • भगवान विष्णु की पूजा अर्चना प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद करनी चाहिए इससे पाप प्रभाव कम होते है।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करने से श्रवण की अशुभता दूर होती है और शुभ परिणाम मिलते हैं।
  • भगवान विष्णु जी के कई अवतार हुए हैं तो उनमें से किसी एक की आराधना करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है। 
  • जातक अपने इष्टदेव की पूजा-आराधना से भी श्रवण के अशुभ प्रभाव को खतम कर सकता है। 
  • जब चंद्रमा का गोचर श्रवण में हो तब जातक भगवान विष्णु या उनके अवतारों का पूजन भजन करे तो इससे जातक को अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिल सकता है। 
  • नक्षत्र स्वामी चंद्र ग्रह शांति धूप का उपाय भी लाभकारी हो सकता है।
  • श्रवण के माह के शुरुआती 9 दिनों तक विष्णु पूजन विशेष लाभदायक साबित होता है।
  • नीले रंग के वस्त्र अथवा वस्तुओं का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने से इसके पाप प्रभाव कम होते हैं और शुभता में वृद्धि होती है।
  • श्रीमद्भागवत गीता का प्रतिदिन पाठ करने से जातक सुखी व संपन्न होता है और इसके हानिकारक प्रभावों को कम करता है। 

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श्रवण नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ विष्णोरराटमसि विष्णो: रनप्त्रेस्थो विष्णो: स्यूरसि विष्णोर्ध्र् वोsसि

वैष्णवमसि विष्णवेत्वा ।। ऊँ महाविष्णवे नम: ।। 


 श्रवण नक्षत्र। Shravana Nakshatra

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श्रवण का राशि चक्र में 280 डिग्री 00 अंश से 293 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। श्रवण को अरब मंजिल में ” अल सद अल धाबीह “, ग्रीक में ” अलटैर 20 ” और चीनी सियु मे ” नियु ” के नाम से जाना जाता है। श्रवण का मूल अर्थ सुनना होता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार श्रवण को श्राण कहा गया जिसका अर्थ लड़का होता है। श्रवण के तीन तारे होते हैं। जो भगवान विष्णु के पद चिन्हों को प्रदर्शित करते हैं।

श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु स्वामी ग्रह चन्द्र और राशि मकर जो 10 डिग्री 00 अंश से 32 डिग्री 20 अंश तक के विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यन से यह 22 व चार संज्ञक नक्षत्र होता है। श्रवण के 3 तारे होते हैं। जो भगवान विष्णु ने वामन अवतार मे तीन कदम जामीन मांगने के लिए चले थे तो उनके द्वारा चले गय कदमों के निशान को वैदिक पुराण तथा पौराणिक कथाओं में बताया गया है। जिन्हे श्रवण के तीन तारे दर्शाते हैं। इसीलिए इस नक्षत्र को तीन पग का कारक कहा जाता है। 

जिन्हे भारतीय खगोल के अनुसार तीन तारों के समूह [ अलसेन, अल्टेर, तरज़ेड ] जो भगवान विष्णु के 3 पद चिन्हों के प्रतीक होते हैं। इसीलिए इसे ज्ञान का नक्षत्र कहा जाता है। यह शुभ, सात्विक, बुद्धि कारक, पुरुष नक्षत्र होता है। श्रवण की जाति शूद्र, योनि वानर, योनि वैर छाग, देव गण, नाड़ी आदि होती है। श्रवण नक्षत्र को उत्तर दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।



श्रवण नक्षत्र के नाम अक्षर। श्रवण नक्षत्र नामाक्षर

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। श्रवण नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – खी

श्रवण नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर खू

श्रवण नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – खे

श्रवण नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – खो