रेवती नक्षत्र के उपाय। Revati Nakshatra Remedy
- रेवती नक्षत्र के देवता पूषा को को भगवान सूर्य का रूप माना जाता है इसीलिए सूर्य देव की पूजा करने से इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
- यदि जाताक इस नक्षत्र के खिलाफ कार्य करेगा तो उसे जीवन में कष्ट सहने पड़ सकते हैं इसके लिए इस नक्षत्र से संबन्धित कार्य करने की आवश्यकता होगी।
- भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से इस नक्षत्र के पाप प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके लिए पूरी श्रीद्धा भाव की आवश्यकता होगी।
- विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करने से ढेर सारे शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
- भगवान विष्णु जी की 108 नामावली का पाठ करने से भी जीवन में आने वाले कष्ट दूर किए जा सकते हैं।
- विष्णु भगवान के तमाम रूपों की पूजा करके या उनके रूपों के तीर्थ स्थानों की यात्रा करके भी इसके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- हरे अथवा नीले रंग के वस्त्रों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने से भी इस नक्षत्र के कष्टदायक प्रभाव कम होते हैं।
- मिश्रित रंगों का उपयोग करके भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है और लाभकारी फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
- रेवती नक्षत्र में होने वाले चंद्र गोचर के दौरान बीज मंत्र “ऊँ लं”, “ऊँ क्षं”, “ऊँ ऎं” या “ऊँ आम्” का जाप कम से कम 108 बार करने से इसके शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है।
- बीज मंत्र का जाप प्रतिदिन नियमित रूप से करने पर अवश्य ही जीवनयापन सुखपूर्वक होता है। इस नक्षत्र के देवता पूषा की पूजा-अर्चना से भी इस नक्षत्र को बल मिलता है।
- अश्वत्थ की जड़ को चाँदी के ताबीज में बाजू या गले में धारण करने से इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
- सिल्क के वस्त्र धार्मिक स्थानों पर रहने वाले गरीबों को दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- बुध ग्रह शांति धूप का प्रयोग अत्यधिक करगार हो सकता है। आचार्य जी से कुंडली विशेष उपाय के लिए परामर्श कर सकतें है।
रेवती नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ पूषन् तवव्रते वयं नरिष्येम कदाचन स्तोतारस्त इहस्मसि ।।
ऊँ पूष्णे नम: ।।
रेवती नक्षत्र। Revati Nakshatra
रेवती नक्षत्र का राशि चक्र में 346 डिग्री 40 अंश से 360 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। रेवती नक्षत्र को अरब मंजिल में ” अल बत्न अल हुत “, ग्रीक में ” पिसियम ” और चीनी सियु मे ” गोई ” के नाम से जाना जाता है। रेवती का मूल अर्थ अधिक मात्रा में धन होता है। रेवती नक्षत्र के देवता पूषा जो आकाश में शुरुआत से लेकर अंत तक हमेशा चलते रहने वाले होते हैं।
रेवती नक्षत्र के देवता पूषा, स्वामी ग्रह बुध और राशि मीन 16 डिग्री 40 अंश से 30 डिग्री 00 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है। आकाशीय पिंडों के अध्यनानुसार 27 व मृदु गण संज्ञक नक्षत्र कहलाता है। जो 27 नक्षत्रों में सबसे अंतिम नक्षत्र भी होता है।
इसे प्रचूर मात्रा में धन प्राप्तक नक्षत्र भी कहा जाता है। रेवती नक्षत्र के 12 तारे होते है। वराहमिहिर के मतानुसार इस नक्षत्र के 32 तारे होते हैं जो ढोलक के समान आकृति बनाते हैं। इसे मृदंग सदृश्य भी कहा जाता है। तारों की संख्या की वजह से रेवती इसके आकार में किसी भी तरह का बदलाव नही होता है। रेवती नक्षत्र शुभ सात्विक स्त्री नक्षत्र होता है। इसकी जाति शूद्र, योनि गज, योनि वैर सिंह, देव गण, नाड़ी आदि है। रेवती नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।
रेवती नक्षत्र के नाम अक्षर। रेवती नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। रेवती नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
प्रथम चरण का नाम अक्षर – दे
द्वितीय चरण का नाम अक्षर – दो
तृतीय चरण का नाम अक्षर – चा
चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – ची