धनिष्ठा नक्षत्र के उपाय। Dhanishta Nakshatra Remedy
- धनिष्ठा के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए धार्मिक स्थलों की यात्रा करें इससे अध्यात्मिक स्थिति में सुधार होगा।
- दुर्गा देवी की प्रतिदिन पूजा वंदना करने से नक्षत्र के पाप प्रभाव कम होते है और जातक को सकारात्मक बदलाव दिखने लगते हैं।
- मान्यताओं के अनुसार यदि जातक माता दुर्गा का जगराता करवाता है तो वह इसके अशुभ प्रभावों को कम करने के साथ-साथ दुख और परेशानियों को भी कम करने में सफल होता है।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करके इस नक्षत्र से उत्पन्न होने वाली दिक्कतों को कम किया जा सकता है।
- माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र करने से भी इसके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं।
- भगवान शिव की पूजा अर्चना करने और शिव पुराण का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- हरि नाम का जाप करने और विष्णु पुराण का पाठ करने से नक्षत्र के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- मंगल ग्रह शांति धूप का उपयोग भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
- भगवान शिव और विष्णु से संबंधित मंत्रों का जाप करने से इस नक्षत्र को ताकत प्रदान होती है जिससे जातक को शुभ परिणाम मिलते हैं।
- सुनहरे पीले, नीले और लाल रंग के उपयोग से नक्षत्र को ऊर्जा प्राप्त होती है और शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- इस नक्षत्र से संबंधित दिशा, तिथि और महीने में किसी कार्य की शुरुआत बेहद लाभकारी मानी जाती है।
- तुलसी की पूजा प्रतिदिन करने से भी इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
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धनिष्ठा नक्षत्र का वैदिक मंत्र
ऊँ त्वसो: पवित्रमसिशतधारंत्वसो: पवित्रमसि सहस्त्रधारम् ।
देवस्त्वा सविता पुनातु व्वसो पवित्रेणशतधारेणसुप्त्वा कामधुक्ष: ।।
ऊँ वसुभ्यो नम: ।।
धनिष्ठा नक्षत्र। Dhanishta Nakshatra
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धनिष्ठा नक्षत्र का राशि चक्र में 293 डिग्री 20 अंश से 306 डिग्री 40 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। धनिष्ठा को अरब मंजिल में ” अल सा’द अल बुला “, ग्रीक में ” डेलफ़िनी ” और चीनी सियु मे ” हय ” के नाम से जाना जाता है। धनिष्ठा को श्रनिष्ठा नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है। जिसका मूल अर्थ बेहद ख्याति प्राप्त करना होता है। इसका अर्थ धनी भी होता है। धनिष्ठा के देवता वसु, स्वामी ग्रह मंगल और राशि मकर जो 23 डिग्री 20 अंश से कुम्भ 06 डिग्री 40 अंश तक विस्तार वाले क्षेत्रफल में होती है।
आकाशीय पिंडों के अध्ययानुसार यह 23 व चर संज्ञक नक्षत्र होता है। धनिष्ठा के चार नक्षत्र होते हैं जो आपस में मिलकर पखावज या ढोलक की आकृति बनाते हैं। विद्वानों के मतानुसार इसे 114 तारों का समूह मानते हैं। धनिष्ठा यात्रा का कारक नक्षत्र माना जाता है। धनिष्ठा शुभ, तामसिक, नपुसंक नक्षत्र है। धनिष्ठा की जाति कृषक, योनि सिंह, योनि वैर गज, गण राक्षस नाड़ी अन्त्य होती है। धनिष्ठा नक्षत्र को पूर्व दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।
धनिष्ठा नक्षत्र के नाम अक्षर। धनिष्ठा नक्षत्र नामाक्षर
इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। धनिष्ठा के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है-
धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का नाम अक्षर – गा
धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का नाम अक्षर – गी
धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण का नाम अक्षर – गू
धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण का नाम अक्षर – गे