गण्डमूल उपाय, पुजा और परिचय

गण्डमूल उपाय । गंडमूल नक्षत्र के समाधान । गंडमूल शांति पूजा

  • सबसे पहले यह जान लेना ज़रूरी है की आपका बच्चा गंदमूल में है भी या नहीं। अक्सर पंडित और नौसिखिये ज्योतिषी लग्न कुंडली में चन्द्र की स्तिथि से इसकी गणना करके मूल का निर्धारण कर देते है और पुजा पाठ बता देते है। जो की सरासर गलत है। गंदमूल की गणना अलग तरीके से होती है जो की सूक्ष्म कुंडली से की जाती है। उस हिसाब से किया गया अंकलन सर्वोपरि होता है। अतः किसी भी ऐसे इंसान से मूल की गणना न करवाएँ जिसको सूक्ष्म कुंडली का ज्ञान न हो। 
  • गंडमूल में जन्मे जातक का जीवन सुखमय बनाने के लिए गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा अवश्य करवानी चाहिए। जिसके प्रभाव से कई सारे दोष कम हो जाते हैं। उसके बाद संभावित रुद्राक्ष या कवच पहना अनिवार्य है। इसका भी आंकलन सूक्ष्म कुंडली से भी होगा। 
  • संतान के जन्म नक्षत्र से संबन्धित देवता की आराधना पूजा करने से गंड मूल नक्षत्र के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते है। यह देवता हमेशा सूक्ष्म कुंडली से ज्ञात करने चाहिए। 
  • नांगदेव को दूध पिलाना तथा उनकी आराधना करना लाभदायक होता है। पर पूरी विधि जान लेना ज़रूरी है। 
  • अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने से इस दोष के प्रभाव कम होते हैं।  
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाना तथा किसी शिवमंदिर में शिवलिंग की स्थापना करना भी अच्छा होता है। 
  • पन्ना अथवा कांसे के बर्तन का दान करना आपके लिए लाभकारी साबित होगा।                                              

गण्डमूल – गंडमूल दोष का प्रभाव

गण्डमूल उपाय

फलित ज्योतिष के जातक परिजातक, बहृत पराशरहोरा शास्त्र, जातकभरण इत्यादि सभी प्राचीन ग्रंथों में गण्डान्त नक्षत्रों तथा उनके प्रभावों का वर्णन दिया गया हैl वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंड मूल नक्षत्र के दोषों को कम करने अथवा उनके उपाय करने से पहले आपको यह पता होना जरूरी है की गंड मूल नक्षत्र क्या है। पुराण शास्त्र के अनुसार गंड मूल नक्षत्र 6 होते हैं जिसमें सभी नक्षत्रों के चार-चार चरण होते हैं इन्हीं चरणों के अनुसार जन्मे शिशु के पिता, माता, भाई और बहन अथवा रिशतेदारों को दर्शाते हैं। 

वहीं कुछ स्थितियों में शिशु के परिवार के अन्य सदस्यों पर भी गंड मूल का प्रभाव देखने को मिलता है। मान्यताओं के अनुसार जन्म लेने वाला जातक न केवल अपने परिवार के सदस्यों के लिए नुकसानदायक होता है बल्कि वह अपने लिए भी उतना ही कष्टकारक होता है जितना वह अपने घर के सदस्यों के लिए होता है।



गंडमूल नक्षत्र में जन्मे जातक का व्यक्तित्व

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक खुद के लिए तथा अपने माता-पिता आदि के लिए कष्टकारक साबित होते हैं। गंडमूल नक्षत्र दोष के प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जातक के माता पिता, भाई बहिनों के ऊपर भी इसका बुरा प्रभाव रहता है। इस दोष का जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जातक को जीवनयापन में बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है। जातक के परिवार में दरिद्रता, कलेश आदि का भय बना रहता है। ऐसा माना जाता है की गंडमूल दोष के प्रभाव से जातक अक्सर भाग्यहीन हो जाता है।


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गंडमूल नक्षत्रों के नाम 

अश्वनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूला तथा रेवती नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र हैं। ( सभी नक्षत्र की जानकारी फ्री में यहाँ है । )


गंडमूल या गंडांत नक्षत्र क्या है

भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 6 गंडमूल जन्म नक्षत्र होते हैं। जिनके नाम क्रमसः अश्विनी, मघा, मूल ( ये केतु के नक्षत्र हैं ) और आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती ( ये बुध के नक्षत्र हैं ) है। इन गंडमूल नक्षत्रों में जातक के जन्म से इसका विशेष महत्व जोड़ा गया है। इन गंडमूल नक्षत्रों में संतान ( लड़की और लड़का दोनों का ) का जन्म अशुभ माना जाता है।  

ज्योतिष विद्या के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा या मूल अथवा रेवती नक्षत्र में स्थित है तो वह व्यक्ति गंड मूल नक्षत्र का माना जाता है। सभी 6 गंडमूल नक्षत्रों के प्रभाव का वर्णन चरण के अनुसार किया गया है जो कुछ इस प्रकार है- 

अश्विनी गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव 

अश्विनी गण्डमूल प्रथम चरण में जन्म लेने वाला शिशु पिता के लिए कष्टकारक माना जाता है। इसके दोष का सारा नकारात्मक प्रभाव जातक के पिता पर पड़ता है। जो निम्नलिखित हैं-

  • व्यापार में हानि का सामना करना पड़ सकता है या जिसके साथ मिलकर व्यापार करते हैं उससे अनबन हो सकती है। 
  • नौकरी में आपका प्रमोशन रुक सकता है, आपकी तनख्वा में कमी आ सकती है। 
  • पारिवारिक कलह बढ़ सकता है, आपका अपने भाइयों से झगड़ा हो सकता है। 

अश्विनी गण्डमूल द्वितीय चरण में संतान का जन्म खर्चीली स्थितियों का निर्माण करता है। जैसे-

  • व्यापार के क्षेत्र में लागत की स्थिति बढ़ सकती है, परंतु कमाई कम होती नज़र आएगी।
  • किसी कार्य अथवा बीमारी में धन खर्च की स्थिति बन सकती है।
  • गाड़ी वाहन या घर के आपसी विवाद में पैसा खर्च हो सकता है। 

अश्विनी गण्डमूल तृतीय चरण में बच्चे का जन्म इंगित करता है कि जातक हमेशा अपने पैर की उंगलियों पर रहेगा और बहुत आगे बढ़ेगा और मित्रों से लाभ प्राप्त करेगा। जैसे-

  • जातक बिजनेस व्यापार में उन्नति करते हुए अच्छा लाभ कमा सकता है। 
  • मित्रों के साथ करने वाले कार्यों में मित्रों का पूरा सहयोग मिलता दिखाई दे सकता है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी करते हुए परिवार का नाम रोशन कर सकता है। 

अश्विनी गण्डमूल चतुर्थ चरण में बच्चे का जन्म दर्शाता है कि जातक राजा के समान होगा लेकिन यह जातक के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। जैसे-

  • जातक नशे का सेवन करने के कारण अपनी सेहत खराब कर सकता है। 
  • किसी बीमारी के कारण दुखी रह सकता है। 
  • जातक अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने माता-पिता के भी स्वास्थ्य को खराब कर सकता है। 

अश्लेषा गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव 

अश्लेषा गंडमूल प्रथम चरण में जन्म लेने वाले बच्चे में विशिष्ट दोष नहीं होता है, लेकिन धन की कुछ हानि संभव है। जैसे-  

  • इस चरण में जन्मे जातक के यात्रा के दौरान पैसे खो जाना या कीमती चीज खराब होने या खो जाने से धन हानि का सामना करना पड़ सकता है। 
  • व्यवसाय में बड़ी धन हानि की संभावना रहती है। 
  • नौकरी के क्षेत्र में अपने बॉस से अनबन परेशानियाँ उत्पन्न कर सकती है। 

अश्लेषा गंडमूल द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले बच्चे के भाई के लिए हानिकारक होता है और कुछ माता-पिता को धन हानि संभव है। जैसे- 

  • जातक की अपने भाई से अनबन रहती होगी।
  • इसमें जन्मे जातक की किसी भी कार्य में अपने भाई के साथ नही बनती होगी। 
  • जातक अपने भाई के साथ न कहीं घूमना पसंद करता होगा और न ही उसके साथ किसी कार्य को करना पसंद करता होगा। 

अश्लेषा गंडमूल तृतीय चरण में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता के लिए हानिकारक होता है। जैसे-

  •  इस चरण में जन्मा जातक अपने माता-पिता के कहे मुताबिक कार्य न करने वाला होगा।
  • जातक किसी भी स्थिति में अपने माता-पिता का सहयोग लेना या उनसे किसी भी चीज की बात करना पसंद नही करते हैं।
  • जातक अपने मित्रों के आगे माता-पिता को नजरन्दाज करने वाला होगा। 

अश्लेषा गंडमूल चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाले बच्चे के पिता को सबसे ज्यादा दुख मिलता है। जैसे –

  • इस चरण में जन्मे जातक से पिता के व्यापार में हानियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  • जातक अपने पिता के मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। 
  • किसी भी हाल में जातक पिता की न सुनने वाला होगा उल्टा जबाब देने वाला होग

मघा गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव

मघा गंडमूल प्रथम चरण में शिशु का जन्म माता और पिता दोनों के लिए कष्टकारक साबित होता है। जैसे- 

  • जातक के कारण माता-पिता को मानसिक तनाव हो सकता है।
  • जातक अपने पिता के व्यापार में नुकसान का कारण बन सकता है। 
  • जातक अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के साथ मिलकर अपने माता-पिता के विरुद्ध जा सकता है जिससे उन्हे काफी दुख होगा। 

मघा गंडमूल द्वितीय चरण में बच्चे का जन्म पिता के लिए हानिकारक और परेशानीयों से भरा होता है। जैसे –

  • इस चरण में जन्म लेने वाला जातक अपने पिता को किसी न किसी प्रकार से नुकसान पहुंचा सकता है।
  • जातक अपने पिता की इज्जत को समाज में उछाल सकता है।
  • समाज की परम्पराओं के विपरीत कार्य करने से पिता को समाज में शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। 

मघा गंडमूल तृतीय चरण में बच्चे का जन्म जातक के जीवन में आराम का संकेत देता है। जैसे – 

  • जातक को मेहनत के अनुसार फल मिलते हैं जिससे वह अपना अच्छा कर पाता है। 
  • जातक सभी सुखों को भोगने वाला होगा क्योंकि वह अपने जीवन में नियम से कार्य करेगा।
  • इस चरण में जन्मा जातक अपने माता-पिता के अनुसार चलने के कारण जीवन में उन्नतिवान होगा जिससे वन सभी आराम अपने माता-पिता तथा स्वंम भोगने वाला होगा।    

मघा गंडमूल चतुर्थ चरण में संतान का जन्म जीवन में लाभ का संकेत देता है। यह शिक्षा और धन के लिए अच्छा है। जैसे –

  • जातक अपने जीवन में इधर-उधर न भटकने से अच्छा एक रास्ते पर चलना पसंद करने वाला होगा।
  • शिक्षा के क्षेत्र में नियमों का पालन करने वाला तथा अपने माता-पिता के लिए बेहतर करने की इच्छा रखने वाला हो सकता है। 
  • जातक अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए मेहनत और लगन से कार्य करता दिखाई देगा। 

ज्येष्ठा गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव 

ज्येष्ठा गंडमूल प्रथम चरण में पैदा होने वाला बच्चा अपने बड़े भाई के लिए हानिकारक होता है। जैसे-

  • इस चरण में जन्म लेने वाले जातक की अपने बड़े भाई से लड़ाई रहती होगी।
  • जातक अपनी हानि को पसंद करने वाला होगा लेकिन अपने बड़े भाई की मदद लेना पसंद नही करेगा। 
  • जातक अपने भाई के साथ मिलकर न रहने वाला होगा।  

ज्येष्ठा गंडमूल द्वितीय चरण में जन्म लेने वाला शिशु अपने छोटे भाई के लिए हानिकारक होता है। जैसे –

  • जातक अपने छोटे भाई के साथ मिलकर न रहने वाला होगा। 
  • अपने छोटे भाई की किसी भी प्रकार से मदद न करने वाला होगा। 
  • छोटा भाई चाहे कितना भी सम्मान दे परंतु जातक उसके व्यवहार और प्यार की कोई कदर न करने वाला होगा।  

ज्येष्ठा गंडमूल तृतीय चरण में पैदा होने वाला बच्चा अपने पिता के लिए हानिकारक होता है। जैसे –

  • इस चरण में जन्मा जातक किसी भी स्थिति में पिता का सहयोग न करने वाला हो सकता है। 
  • जातक अपने पिता के धन को बरवाद करने वाला हो सकता है।
  • जातक व्यापार के क्षेत्र में ऐयासी करने के कारण पिता को बड़ी हानि दे सकता है। 

ज्येष्ठा गंडमूल चतुर्थ चरण में पैदा होने वाले बच्चे को आत्म-हानि का संकेत मिलता है। जिसे –

  • जातक अपने परिवार की न सुनने वाला और अपना नुकसान करने वाला होगा। 
  • जातक गलत फैसले करने से अपने ही जीवन में संकट उत्पन्न करने वाला हो सकता है। 
  • इस चरण में जन्मा जातक गलत संगति के कारण अपना समय और धन व्यर्थ करने वाला हो सकता है। 

मूला गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव

मूला  गंडमूल प्रथम चरण में बच्चे का जन्म पिता के लिए हानिकारक होता है। जैसे-

  • इस चरण में जन्मा जातक अपने पिता की आज्ञा का पालन न करने वाला होगा।
  • अपने पिता की इज्जत का ख्याल न रखते हुए सभी कार्य करने वाला होगा। 
  • पिता के व्यवसाय में हानि लाभ से मतलब न रखने वाला होगा जिसके कारण पिता मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं।  

मूला गंडमूल द्वितीय चरण में बच्चे का जन्म बच्चे की माँ के लिए कष्टकारक होता है। जैसे-

  • इसमें जन्मा जातक अपनी माता की बात न मानने वाला और उनसे बहस करने वाला हो सकता है। 
  • माता के कार्यों के लिए पीछे हटने वाला तथा उन्हे गलत बोलने वाला हो सकता है। 
  • जो चीज माँ को पसंद नही होगी वही करने वाला हो सकता है।  

मूला गंडमूल तृतीय चरण में शिशु का जन्म धन हानि का संकेत देता है। जैसे- 

  • इसमें जन्म लेने वाला जातक अपने पिता की आर्थिक स्थिति में कमजोरी का कारण बन सकता है। 
  • जातक की बीमारी के कारण पिता का अधिक धन खर्च हो सकता है। 
  • इसके प्रभाव से जातक के पिता को पैसों के लिए दूसरों के सामने हाथ पसारने पड़ सकते हैं।  

मूला गंडमूल चतुर्थ चरण में बच्चे का जन्म सुख के लिए उपयुक्त माना जाता है लेकिन यह समय समृद्धि में कुछ हानि संभव है। 

  • इस चरण में जन्मा जातक खुशियों का आभास कराएगा परंतु वह नुकसान की ओर ले जाने वाला हो सकता है। 
  • जातक के आने से जातक के परिवार में खुशियाँ आएंगी परंतु किसी कारण से वे खुशियाँ दुख में बदल सकती हैं। 
  • चतुर्थ चरण में जन्मे जातक को इसके प्रभाव से परिवार में अचानक खुशियों को दुख में बदलते हुए देखना पड़ सकता है। 

रेवती गंडमूल नक्षत्र का प्रभाव

रेवती गंडमूल प्रथम चरण में संतान का जन्म होने से जातक राजा के समान होगा। जैसे- 

  • जातक नौकरी के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने से प्रमोशन करने वाला और अच्छी तनख्वा लेने वाला होगा। 
  • यदि जातक व्यापार के क्षेत्र में अपना धन निवेश करता है तो अच्छा लाभ कमाएगा। 
  • जातक सभी प्रकार के सुख भोगने वाला होगा। 

रेवती गंडमूल द्वितीय चरण में संतान का जन्म दर्शाता है कि जातक मंत्री के समान होगा लेकिन यह कुछ संपत्ति के नुकसान का भी संकेत देता है। जैसे- 

  • यदि जातक अपने पिता या किसी रिश्तेदार की मदद से नेता या मंत्री के पद पर होगा तो वह कुह समय के बाद समाज के द्वारा निष्कासित किया जा सकता है। 
  • जातक का पिता या कोई रिश्तेदार किसी पार्टी या विभाग में हैं तो वह पैसों को ऐयासी करके बरवाद करने वाला हो सकता है।
  • इस चरण में जन्म लेने वाला जातक अपने मित्रों के साथ मिलकर पैसों और समय की बरवादी करने वाला हो सकता है। 

रेवती गंडमूल तृतीय चरण में बच्चे का जन्म दर्शाता है कि जातक धनवान होगा लेकिन उस समय धन हानि संभव थी। जैसे- 

  • इस चरण में जन्म लेने वाले जातक के पिता धनवान होंगे परंतु किसी कारणवस धन हानि संभव है।
  • जातक के जन्म के बाद पैसों की खुशियाँ आएंगी परंतु कुछ समय बाद धन के कारण परेशान हो सकता है। 
  • यदि जातक को पैसों का महत्व नही है तो उसे जीवन में बहुत संकटों का सामना करना पड़ सकता है।  

रेवती गंडमूल चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाला बच्चा अपने लिए हानिकारक होता है। जैसे-

  • जातक अपने कार्यक्षेत्र में नुकसान का कारण खुद हो सकता है। क्योंकि वह दूसरों के भरोषे अपने कार्य छोडना वाला होगा।
  • मित्रों के साथ मिलकर अपने पैसों को खर्च करने के कारण परिवार से अनबन रखने वाला होगा। 
  • जातक अपने जीवन में कष्टों को उत्पन्न करने वाला होगा क्योंकि वह अपने माता-पिता या परिवार के किसी भी सदस्य की बात न मानने वाला होगा। 

इन उपायों के साथ-साथ अन्य कई उपाय ऐसे भी हैं जो अधिक प्रचलित हैं। पर किसी भी उपाय को मात्र लेख से पढ़ कर नहीं करना चाहिए। उचित तौर पे सही ज्योतिषी से परामर्श लेके ही कोई कार्य करना चाहिए। तभी उसके दोष शांत अथवा कम होते हैं।