अनुराधा नक्षत्र उपाय। Anuradha Nakshatra Remedy

अनुराधा नक्षत्र के उपाय। Anuradha Nakshatra Remedy 

  • अनुराधा के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देव के 12 नाम लेते हुए नमस्कार करें। 
  • सूर्य देव के 108 नाम लेते हुए दिन की शुरुआत करने से इसके अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं। 
  • हृदय स्त्रोत का नियमित रूप से जाप करने के लिए इस नक्षत्र के नकारात्मक प्रभावों को खत्म किया जा सकता है। 
  • जातक को लाल और नीले रंग के वस्त्रों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए इससे अनुराधा की शुभता बढ़ती है। 
  • भगवान शिव और विष्णु भगवान की पूजा वंदना करने से जातक को जीवन में शांति और सफलता की प्राप्ति होती है। 
  • इस नक्षत्र में जन्में जातकों को प्रतिदिन हरी-हर नाम का नियमित रूप से जाप करना चाहिए। इससे आपको मानसिक शांति का अनुभव होगा।
  • शनि ग्रह शांति धूप का उपयोग भी आपके लिए अत्यंत फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • यदि जातक अनुराधा के देवता मित्र की आराधना करे तो जातक को अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है। 
  • अनुराधा नक्षत्र में होने वाले चंद्र गोचर के समय करने वाले कार्यों में सफलता प्राप्त होती है परंतु चंद्र मास होना चाहिए। 

12 आदित्यों में मित्र तीसरे आदित्य हैं जिन्हे अनुराधा का देवता माना जाता है। इसीलिए आदित्य का  पूजन करने से अनुराधा में जन्मे जातकों को प्राप्त होने वाले अशुभ और नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। जब आदित्य का पूजन करें तो जौं और घी को एक साथ लेकर मिश्रित सामग्री से होम करते हुए  पूजन करना चाहिए।

यदि जातक इन सभी उपायो को करने में असमर्थ है तो अनुराधा के वैदिक मंत्र का जाप कम से कम 108 बार होम करते हुए करना चाहिए इससे अनुराधा के अशुभ प्रभाव बहुत जल्दी कम होने लगते हैं।

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अनुराधा नक्षत्र का वैदिक मंत्र 

ऊँ नमो मित्रस्य वरुणस्य चक्षसे महोदेवाय तदृतगूँ समर्यत दूरदृशे

देव जाताय केतवे दिवस पुत्राय सूर्योयश गूँ सत ऊँ मित्राय नम: ।।


अनुराधा नक्षत्र। Anuradha Nakshatra Characterstics

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अनुराधा नक्षत्र का राशि चक्र में 213 डिग्री 20 अंश से 226 डिग्री 40 अंश तक विस्तार वाला क्षेत्रफल होता है। अनुराधा को अरब मंजिल में ” इकलिल अल जभाह “, ग्रीक में स्कारर्पी चीन सियु मे फेंग के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनुराधा के देवता मित्र, स्वामी ग्रह शनि और राशि वृश्चिक जो 03 डिग्री 20 अंश से 16 डिग्री 40 अंश तक होती है। आकाशीय पिंडों में यह 17 व मृदु संज्ञक नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र के चार तारे होते हैं। इसके तारों की अवस्था कुछ इस प्रकार होती है जैसे मानो किसी एक वस्तु से जुड़ी हुई मड़ी हो। 

शाक्य के अनुसार अनुराधा के तीन  तारे होते है, लेकिन अन्य आचार्यों के मतानुसार इसके चार तारे होते हैं। जो छाते के समान दिखाई देते है। इसको कमल से प्रदर्शित करते हैं। यह सम्बन्ध, सम्मान और लेने-देने का नक्षत्र माना जाता है। अनुराधा का मूल अर्थ होता है राधा यानि सफलता प्राप्त करने के बाद लगातार सफल होते रहना।

मान्यताओं के अनुसार पूर्वा और उत्तरा फाल्गुनी युगल नक्षत्र है ठीक उसी प्रकार विशाखा और अनुराधा युगल नक्षत्र है। नक्षत्र को शुभ सात्विक पुरुष नक्षत्र माना जाता है। अनुराधा नक्षत्र की जाति शूद्र, योनि मृग, योनि वैर श्वान, देव गण, नाड़ी आदि होते है। अनुराधा को दक्षिण दिशा का स्वामित्व प्राप्त है।


अनुराधा नक्षत्र के नाम अक्षर। अनुराधा नक्षत्र नामाक्षर 

इस नक्षत्र के अनुसार जिस जातक का नाम आता है वह इस नक्षत्र के बताए गए गुण दोषों के समान होगा। अनुराधा नक्षत्र के नामाक्षर कुछ इस प्रकार है- 

अनुराधा नक्षत्र – प्रथम चरण –   ना 

अनुराधा नक्षत्र – द्वितीय चरण  नी

अनुराधा नक्षत्र – तृतीय चरण –   नू

अनुराधा नक्षत्र – चतुर्थ चरण –   ने