सूर्य का प्रभाव – 12 भाव एवं राशियों में  

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सूर्य का प्रभाव

वैदिक  ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य जातक की कुंडली में पिता का कारक माना जाता है। कुंडली में सूर्य की उपस्थिति उच्च पद एवं धार्मिक कार्यों के लिए लाभकारी मानी जाती है।

सूर्य 12 भावों में से जिस भाव पर अपना गोचर करता है और वहाँ से सप्तम भाव में दृष्टि डालता है ,तो सूर्य अपना प्रभाव सभी राशियों और भावों में अलग-अलग दिखाता है। सूर्य गोचर के दौरान जिस भाव पर अपनी दृष्टि डालता है तो वहाँ पर भी सूर्य का असर साफ दिखाई देता है, तो आइए जानते हैं किस प्रकार सूर्य का प्रभाव पड़ता है- 



प्रथम भाव या मेष राशि में सूर्य का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य यदि प्रथम भाव में सूर्य का प्रभाव या मेष में हो या मेष राशि मे हो तो जातक स्वाभिमान वाला, मज़बूत इच्छाशक्ति वाला, दूसरों को परामर्श देने वाला, और गुस्सैल स्वभाव का होता है। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य बेहतर परिणाम देने वाला होता है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य ताकतवर है तो वह जातक समाज में अपनी अलग पहचान बनाने वाला होता है।

आजीविका के मामले में वह जातक सुखी जीवन व्यतीत करता है। सूर्य के प्रथम भाव में होने से जातक को सरकारी नौकरी मिलने की अधिक संभावना रहती है, लेकिन अगर जातक छोटे स्तर से भी कार्य की शुरुआत करता है तो उसे सफलता प्राप्त हो जाती है। यदि सूर्य की दृष्टि जातक की कुंडली के सप्तम भाव में है तो उस जातक को अपने दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सूर्य का प्रथम भाव या मेष राशि के लिए उपाय | सूर्य के उपाय
  • विवाह में देरी न करें और संभव हो तो 24 वर्ष से पहले कर लें। 
  • किसी के साथ दिन में यौन क्रिया न करें। 
  • घर में एक छोटे कमरे को बनवाएँ, जिसमें अंधेरा रहता हो। 
  • दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए पति/पत्नी में से किसी एक को मिठाई खाना बंद करना होगा। 
  • पिता के द्वारा बनाए गए घर में हैंडपंप लगवाएँ।

द्वितीय भाव या वृषभ राशि में सूर्य का प्रभाव  

जब सूर्य जातक की कुंडली के द्वितीय भाव में होता है तब जातक गुस्सा करने वाला, लड़ाई-झगड़ों में आगे रहने वाला, भयानक स्वभाव वाला होता है। इस भाव में सूर्य की उपस्थिती जातक को धनवान भी बनाता है। जब सूर्य जातक की कुंडली के सप्तम भाव में होता है तब वह अपनी दृष्टि अष्टम भाव पर डालता है, जिसके प्रभाव से जातक लंबी उम्र जीने वाला होता है।

जातक पौराणिक ज्ञान को प्राप्त करने वाला होता है। इसके कारण कभी-कभी जातक के घर में पारिवारिक कलह होने की भी संभावना रहती है। 

सूर्य का द्वितीय भाव या वृषभ राशि के लिए उपाय 
  • धार्मिक स्थल पर सरसों का तेल दान करें। 
  • कानूनी मामलों से दूर रहें। 
  • उधार लेने से बचें और हो सके तो दान करें।

तृतीय भाव या मिथुन राशि में सूर्य का प्रभाव  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर जातक की कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य शुभ स्थिति मे हो तो वह जातक को धनवान बनाता है, साहस वाला, खुद के ऊपर निर्भर रहने वाला, समाज में प्रचलित, मान-सम्मान वाला, राजा के समान और रचनात्मक कार्य करने वाला बनाता है।

जातक सरकारी नौकरी में उच्च पद प्राप्त करने में भी सफल रहता है। कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य का होना जातक का भाई-बहनों से झगड़े की स्थिति उत्पन्न करना भी होता है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के नवम भाव में होती है जिसके प्रभाव से जातक धर्म को मानने वाला और भाग्यवान होता है। 

सूर्य का तृतीय भाव या मिथुन राशि के लिए उपाय 
  • माता-पिता की सेवा करें और उनके साथ समय व्यतीत करें। 
  • गरीबों को भोजन कराएं। 
  • गलत संगत और बुरे लोगों से दूर रहें।

चतुर्थ भाव या कर्क राशि में सूर्य का प्रभाव  

यदि जातक की कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव या कर्क राशि में उपस्थित होता है तो वह जातक को मजबूत इच्छाशक्ति वाला, ज्ञान अर्जित करने वाला और विद्वान बनाता है। जातक का स्वभाव राजा के समान और चतुर होता है। चतुर्थ भाव में सूर्य का होना यानि जातक के पास धन कमाने के अच्छे श्रोत का होना, क्योंकि इसके प्रभाव से जातक के पास धन कमाने के अच्छे श्रोत तैयार होते हैं।

ऐसे  जातक अपने घर परिवार के बारे में सोचते रहते हैं जिसके कारण वे धन अर्जित करते हुए अपने वंशज के लिए गुप्त धन बड़ी मात्रा में इकट्ठा कर लेते हैं। जो उस जातक की मृत्यु के बाद घर वालों के लिए सुखदायक साबित होता है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के दशम भाव में रहती है जिससे जातक को धन, परिवार, घर, जमीन और वाहन का सुख प्राप्त होता है। 

सूर्य का चतुर्थ भाव या कर्क राशि के लिए उपाय
  • अंधे व्यक्तियों की मदद करें। 
  • लकड़ी और लोहे से जुड़ा व्यापार करने से बचें। 
  • धातुओं से संबंधित व्यापार आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

पंचम भाव या सिंह राशि में सूर्य का प्रभाव  

यदि सूर्य जातक की कुंडली के पंचम भाव में हो या सिंह राशि में हो तो वह जातक को शिक्षा से जुड़े फैसलों में या परिणामों में कमी लाता है, लेकिन उसके बाद भी जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करके तीव्र बुद्धि वाला होता है। ऐसे में सूर्य के प्रभाव से जातक को संतान के सुख से बंछित रहना पड़ सकता है।

अब अगर सूर्य के साथ पंचम भाव में कोई उसका शत्रु ग्रह भी स्थित है तो वह जातक को सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में रुकावटे पैदा करेगा। सूर्य ग्रह की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के ग्यारहवे भाव में होती है जिसके प्रभाव से जातक को दोस्तों की मदद मिलती है और उसके साथ रहकर सुख का अनुभव होता है।

सूर्य का पंचम भाव या सिंह राशि के लिए उपाय 
  • शादी के बाद संतान के लिए ज्यादा समय न लें। 
  • रसोई का दरवाजा पूर्व की तरफ रखें। 
  • सरसों का तेल शनिवार के दिन दान करें।

षष्टम भाव या कन्या राशि में सूर्य का प्रभाव

यदि जातक की कुंडली में सूर्य षष्टम भाव में हो या कन्या राशि में हो तो वह जातक को बेहतर और सकारात्मक परिणाम देता है। इस भाव में सूर्य का स्थित होना जातक को साहस वाला, निडर, बहादुर और खर्चे अधिक करने वाला बनाता है। इस भाव में सूर्य के होने से कन्या राशि के जातकों से उनके शत्रु हमेशा दूर भागते हैं।

यदि कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो वह जातक को स्वास्थ्य से जुड़ी और उसके पुत्र या ननिहाल पक्ष के लोगो को परेशानियाँ देता है। जब सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के बारहवे भाव में होती है तब वह जातक को कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त कराता है। 

सूर्य का षष्टम भाव या कन्या राशि के लिए उपाय
  • धार्मिक कार्यों में ज्यादा से ज्यादा योगदान करें। 
  • घर में शांति बनाए रखने के लिए रात को भोजन के बाद रसोई में दूध का छिड़काव करें। 
  • अपने घर के मंदिर में गंगाजल रखें। 
  • बंदरों को भोजन कराएं।

सप्तम भाव या तुला राशि में सूर्य का प्रभाव  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर सूर्य जातक की कुंडली के सप्तम भाव या तुला राशि में स्थित हो तो वह जातक को गंभीर, साहस वाला और राजा के समान बनाता है। लेकिन सूर्य का इस भाव में होना जातक को वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ देता है।

ऐसे में जातक को किसी के बंधन में काम करना पसंद नही होता है और वे अपने जीवन को स्वतंत्र होकर जीते हैं। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के प्रथम भाव में होती है जो जातक को आज्ञा देने वाला, गुस्सैल और तुकमिजाजी स्वभाव का बनाती है।

सूर्य का सप्तम भाव या तुला राशि के लिए उपाय
  • खाने में नमक का उपयोग कम से कम करें। 
  • किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले मुह मीठा करें। 
  • रात को भोजन करने के बाद एक रोटी कुत्ते को खिलाएँ। 
  • काली गाय को चारा खिलाएँ।

अष्टम भाव या वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रभाव  

जब जातक की कुंडली में सूर्य अष्टम भाव या वृश्चिक राशि में उपस्थित होता है तब वह जातक को हृदय और आँखों से जुड़ी समस्या देता है। इसके प्रभाव से जातक को परेशानियाँ तो होती हैं लेकिन वह लंबी उम्र जीता है। इन्हे पुरानी और खोई हुई चीजों पर अध्ययन करना पसंद होता है। ऐसी स्थिति में सूर्य जातक को सच बोलने वाला, दान-पुण्य करने वाला और राजा के समान आकर्षण वाला बनाता है।

जिसके प्रभाव से जातक के शत्रु उससे दूर रहते हैं और उससे उलझने की गलती नही करते है। परंतु इसके प्रभाव से जातक के बोलने का तरीका अहंकार वाला हो जाता है और कार्यों में धैर्य खो बैठता है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के द्वितीय भाव में होती है जो जातक को पिता की संपत्ति हासिल करने में रुकावटें  पैदा करती है लेकिन वह जातक धनवान बनता है। 

सूर्य का अष्टम भाव या वृश्चिक राशि के लिए उपाय
  • सफ़ेद वस्त्रों का कम से कम उपयोग करें। 
  • घर का दरवाजा दक्षिण की ओर न करें। 
  • सोमवार के दिन बहते हुए जल में ताँबे का सिक्का डाले। 
  • गुड का उपयोग कम से कम करें।

नवम भाव या धनु राशि में सूर्य का प्रभाव  

यदि सूर्य जातक की कुंडली के नवम भाव या धनु राशि में हो तो जातक धार्मिक, भलाई करने वाला और बड़ा बनने की इच्छा रखने वाला होता है। ऐसी स्थिति में जातक को समाज में मृत्यु के बाद सम्मान मिलता है और वह एक अच्छे स्तर का व्यक्ति बताया जाता है।

यदि नवम भाव में सूर्य की स्थिति अशुभ होती है तो वह जातक को परेशान और दुखद जीवन यापन करता है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के तृतीय भाव में होती है जो जातक को भाई-बहनों के प्रति गलत भावनाएँ उत्पन्न करता है और उनके साथ संबंध खराब करता है।

सूर्य का नवम भाव या धनु राशि के लिए उपाय
  • चाँदी का सिक्का दान करें। 
  • संभव हो तो उपहार में चाँदी की वस्तुएँ न लें। 
  • पिता के द्वारा बनाए गए घर को न बेंचें। 
  • ज्यादा गुस्सा करने से बचें।

दशम भाव या मकर राशि में सूर्य का प्रभाव   

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशम भाव या मकर राशि में होता है तो वह जातक को साहस से परिपूर्ण, उन्नति की ओर बढ्ने वाला, खुद पर विश्वास रखने वाला और नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति दिलाता है। ऐसे जातकों के पिता को समाज में मान-सम्मान मिलता है और उनकी पहचान सबसे अलग होती है।

सूर्य के प्रभाव से जातक को घर परिवार का सुख प्राप्त होता है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में होने से जातक को अपनी माँ के स्वास्थ्य की चिंता अधिक रहती है।

सूर्य का दशम भाव या मकर राशि के लिए उपाय
  • संभव हो तो गुरुवार के दिन काले वस्त न पहनें। 
  • बहते जल में स्नान करें। 
  • नशे का सेवन करने से बचें।

एकादश भाव या कुंभ राशि में सूर्य का प्रभाव  

सूर्य यदि जातक की कुंडली के एकादश भाव या कुंभ राशि में है तो वह जातक को अच्छे गुणों से भरपूर्ण, बहादुर, सच बोलने वाला, धनवान और विद्वान होता है। ऐसी स्थिति में जातक को संतान सुख प्राप्त होता है, लेकिन उसकी संतान अल्पायु, गंदी हरकते करने वाला और झगड़ा करने वाला होता है।

सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली में स्थित पंचम भाव में होती है जिसके प्रभाव से जातक कमजोर और उम्र के साथ-साथ परेशानियाँ बढ़ती जाती हैं।

सूर्य का एकादश भाव या कुंभ राशि के लिए उपाय
  • मसाले युक्त भोजन करने से बचें। 
  • धार्मिक स्थलों पर दान करें इससे संतान सुख मिलता है।  
  • रात को सोते समय सर पूर्व की ओर करके लेटें।

द्वादश भाव या मीन राशि में सूर्य का प्रभाव  

ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार सूर्य यदि जातक की कुंडली के द्वादश भाव या मीन राशि में होता है तो वह जातक को लालची, कम दिमाग वाला, दोस्तों के लिए परेशान, और लापरवाह बनाता है। सूर्य के प्रभाव से जातक को आँखों से जुड़ी परेशानी हो सकती है।

जातक को कानूनी कार्यों में निराशा मिलती है, लेकिन अंत में सफलता भी जरूर मिलती है। सूर्य की सप्तम दृष्टि जातक की कुंडली के षष्टम भाव पर रहती है जिसके प्रभाव से जातक को भरण-पोषण करने के लिए विशेस जाना पड़ता है। 

सूर्य का द्वादश भाव या मीन राशि के लिए उपाय
  • नया घर बनाने के लिए किसी की राय अवश्य लें। 
  • गलत लोगों से दूर रहें और उनसे खुद को बचाएं। 
  • अपने शत्रुओं को लड़ाई के लिए दुतकारें न।

सूर्य का प्रभाव
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