लव मैरिज योग इन एस्ट्रोलॉजी | Love Marriage Yoga In Kundli

लव मैरिज योग और इंटरकास्ट मैरिज योग | प्रेम विवाह योग इन कुंडली

लव मैरिज योग

लव मैरिज या इंटरकास्ट लव मैरिज आज कल की दुनियाँ में सबसे ज्यादा चर्चित टॉपिक है। हर व्यक्ति अपने जीवन में एक ऐसा लाइफ पार्टनर चाहता है जो उसे समझे और तह दिल से प्यार करे फिर चाहे वह जाति का हो या दूसरी जाति का हो।

आज के समय में, युवाओं के दिल में हमेशा यह सवाल रहता है की क्या लव मैरिज (लव मैरिज योग इन एस्ट्रोलॉजी)या इंटर कास्ट मैरिज का योग मेरी कुंडली में है या नही? 

हम साधारण तरीके से देखें तो व्यक्ति को जीवन व्यतीत करने के लिए सबसे ज्यादा प्रेम की आवश्यकता होती है क्योंकि जातक प्रेम की मदद से अपने जीवन में सुख का एहसास करता है। प्यार व्यक्ति के ह्रदय में एक ऐसा अनुभव प्रतीत कराता है जैसे मानो भगवान की तरफ से कोई तोहफा मिला है।

प्यार एक ऐसा एहसास जो जातक को एक-दूसरे के प्रति समर्पित करने की भावना जागृत करता है। हम कह सकते हैं प्यार व्यक्ति के दिल में उत्पन्न होने वाली वह फीलिंग है जिससे वह आनंदित होता है। (Free Love Calculator)

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कई ग्रहों का प्रशंसा की गई है, जिनके प्रभाव से जातक लव मैरिज करता है। जीवन में प्यार पाने के लिए जातक कि कुंडली में शुक्र ग्रह का शुभ होना बेहद आवश्यक है। यदि ग्रहों के अनुसार जातक कि कुंडली में प्रेम सम्बन्धों को देखा जाए तो प्रेम संबंधों को मजबूत बनाए रखने में सबसे ज्यादा शुक्र, चन्द्र, और मंगल ग्रह कि पृष्ठभूमि ( भूमिका ) रहती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को विवाह का कारक ग्रह बताया गया है। पति/पत्नी के प्रेम संबंध और सुख का कारक भी शुक्र ग्रह माना जाता है। जब जातक कि कुंडली में शुक्र और मंगल ग्रह का योग बनता तो मानो जातक के जीवन में प्यार का सैलाव आ जाता है। लेकिन गुरु का प्रभाव होना बेहद जरूरी है इस प्यार के सैलाव को निरंतर बनाए रखने के लिए। 

जातक का विवाह कुंडली के आधार पर ही निश्चित होता है। जब जातक कि कुंडली का विश्लेषण किया जाता है तब यह ज्ञात होता है कि जातक कि अरेंज मैरिज होगी या लव मैरिज। अब अगर देखा जाए तो यह भी निश्चित करना जातक कि जन्मकुंडली में स्थिति ग्रह अथवा उनकी दशा पर निर्भर करता है।

कई बार ऐसा होता है व्यक्ति अपनी मनपसंद लड़के/लड़की से प्यार तो कर लेता है लेकिन उनके साथ लव मैरिज करने में रुकावटों का सामना करना पड़ता है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने प्यार को लव मैरिज करके जीवन भर निभाते हैं।

ऐसा उन लोगों कि कुंडली में बैठे कुछ प्रचुर ग्रहों और भावों की स्थिति पर निर्भर करता है, ऐसे में यदि पंचम और सप्तम भाव के स्वामी एक साथ आ जाएँ तो ये लव मैरिज के लिए शुभ योग बनाते हैं। जिससे व्यक्ति को उसका प्यार आसानी से मिल जाता है। 

अब अगर शुक्र कि बात करें तो यदि शुक्र कि दृष्टि व्यक्ति कि कुंडली के पंचम भाव में पड़ रही है या चन्द्र पर अपनी दृष्टि डाल रहा है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति का प्यार धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। यदि जातक कि कुंडली के  पंचम भाव का स्वामी और एकादश भाव का स्वामी एक साथ बैठे हों तो यह भी व्यक्ति कि कुंडली में लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनाते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह को लव ( प्रेम ) का कारक माना जाता है। यदि जातक कि कुंडली में लग्न, पंचम, सप्तम और एकादश भाव से शुक्र का संबंध देखा जाए तो वह जातक स्नेह से भरपूर्ण स्वभाव का होता है। जातक के द्वारा प्यार किया जाना और प्यार को लव मैरिज में बदलना बहुत अलग होता है।

ज्योतिषीय मतानुसार पंचम भाव को स्नेह ( प्रेम ) का भाव कहते हैं और सप्तम भाव को शादी ( विवाह ) का भाव कहा गया है। जब जातक कि कुंडली में पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव से होता है तब जातक कि कुंडली में विवाह योग ( लव मैरिज योग ) बनता है। जातक कि कुंडली में पंचम और नवम भाव का संबंध शुभ होने पर जातक एक दूसरे के साथ लव मैरिज करके एक सुखी दांपत्य जीवन यापन करता हैं। 


लव मैरिज के उपाय | प्रेम विवाह के उपाय | लव मैरिज के सरल उपाय

  • अपने प्रेम के लिए गणेश भगवान की सच्चे मन से प्रार्थना करें।
  • राधा कृष्णा मंदिर में वांसुरी का भेट दें इससे साथी के मन में आपके लिए प्यार बढ़ेगा।
  • यदि आप अपने प्रेमी से विवाह करना चाहते हैं तो माँ दुर्गा की पूजा करें और उन्हे श्रंगार पहनाएँ।
  • गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें।
  • भगवान शिव का शहद और गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से मनपसंद लड़का/लड़की से विवाह होगा।
  • 21 सोमवार भगवान शिव का व्रत रखने से सुंदर, शुशील और प्रेम करने वाला जीवनसाथी मिलता है।
  • शुक्ल पक्ष में गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लव मैरिज में सफलता मिलती है।
  • हीरा रत्न या ओपल पहनने से प्रेमी के साथ विवाह करने में मदद मिलती है।
  • किसी अनुभवी ज्योतिष आचार्य से अपनी कुंडली में सप्तम भाव में उपस्थित ग्रह की शांति के लिए परामर्श अवश्य ले लें।
  • प्रेमी/प्रेमिका अपने साथी को धार दार चीजें ( जैसे- चाकू, सुई आदि ) कभी न दें इससे आपके रिश्ते में कमी आ सकती है।
  • अपने प्रेमी/प्रेमिका को काले वस्त्र का दान न करें इससे आपके बीच दूरियाँ बढ़ सकती हैं।

लव मैरिज के सरल उपाय करके आप अपने प्रेम जीवन को मधुर बना सकते हैं और अपने मनपसंद साथी से विवाह कर पाने में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज योग – प्रेम विवाह योग 

जातक कि जन्मकुंडली में लग्न, पंचम, सप्तम अथवा इनके स्वामी और शुक्र तथा चन्द्र जातक के दांपत्य जीवन व प्रेम संबंधों को एक समान प्रभावित करते है। लग्न ( प्रथम भाव ) या लग्न भाव के स्वामी का सप्तम और सप्तम भाव के स्वामी का पंचम भाव व पंचम भाव के स्वामी से किसी भी प्रकार प्रेम संबंधों कि जानकारी देता है। यह प्रेम संबंध जातक के लिए अच्छा होगा या बुरा इसकी जानकारी ग्रह योगों कि शुभ-अशुभ स्थिति देती हैं। 

  • लग्न भाव के स्वामी का पंचम भाव से संबंध और शुक्र का सप्तम के साथ संबंध लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनाता है। 
  • पंचमेश का लगन के साथ संबंध और शुक्र का सप्तम भाव या सप्तमेश के साथ संबंध लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनाता है। ।
  • पंचम भाव में सप्तमेश का होना या फिर सप्तम भाव में पंचमेश का होना प्रेम संबंधो के लिए इच्छा दिखती है।
  • पंचमेश का सप्तमेश के साथ योग त्रिकोण  भाव में होना भी प्रेम विवाह का अच्छा सूचक है। 
  • कुंडली में तरीकों यानि की 1,5,9 भाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है और अगर इन तीनों भावों के स्वामी एक दूसरे से अच्छे संबंध बना रहे हो तो प्रेम विवाह का अच योग बनाते है ।
  • जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी अगर लग्न भाव के स्वामी से कमजोर है, या फिर सप्तम भाव के स्वामी सूर्य के नजदीक (अस्त) हो और नवम भाव का  स्वामी नीच राशि में हो तो जातक की शादी अपने से नीची जाति ( कास्ट, कुल ) के लोगों से होती है। 
  • यानि सप्तम भाव में राहू केतू मंगल शनि में से कोई भी 2 ग्रह हो तो विवाह इंटरकास्ट होता है और कभी-कभी तो यह योग जातक को विधवा या तलाक़शुदा ( love marriage and divorce ) व्यक्ति के साथ भी विवाह कराने में भी सक्षम होता है।  
  • यदि लग्न स्वामी से सप्तम भाव का स्वामी बली हो, शुभ नवांश में हो तो जातक का विवाह अपने से उच्च जाती ( कास्ट, कुल ) में होता है। 
  • जब जातक की जन्मकुंडली में शुक्र और मंगल ग्रह का योग हो या इन दोनों ग्रहों का आपस में कोई संबंध बनता है तो जातक के जीवन में स्नेह बढ़ता है। वे दोनों लव मैरिज ( प्रेम विवाह – लव मैरिज योग इन एस्ट्रोलॉजी ) के लिए अग्रसर होते हैं। 
  • जातक की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी और पंचम भाव का स्वामी एक दूसरे के नक्षत्र में हो तो भी जातक की कुंडली में लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनते हैं। 
  • पंचम और सप्तम भाव के स्वामी यदि पंचम या सप्तम भाव में एक साथ युति करते हैं तो ऐसी स्थिति में जातक को अपने प्रेमी/प्रेमिका का प्यार मिलता है तथा लव मैरिज होने के भी अवसर बनते हैं। 
  • शुक्र की दृष्टि यदि पंचम भाव में हो या फिर शुक्र चन्द्र पर अपनी दृष्टि डाल रहा हो तो ऐसी स्थिति में जातक का अपने प्रेमी/प्रेमिका के लिए प्यार बढ़ता है और चुपके-चुपके मिलने का मौका मिलता है। गुरु की दृष्टि हो तो लव मैरिज हो जाती है। 
  • जातक की कुंडली में पंचम भाव के स्वामी और एकादश भाव के स्वामी एक साथ संबंध बनाते हों तो ऐसी स्थिति में भी जातक की कुंडली में लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनते हैं। 
  • जातक की कुंडली में लग्न, पंचम, सप्तम भाव के स्वामी तथा शुक्र व चंद्र जातक की जन्मकुंडली में समान रूप से दांपत्य जीवन और प्रेम जीवन को प्रभावित करते हैं। अतः इनके योग से ही लव मैरिज होना संभव होता है।
  • यदि जातक की जन्मकुंडली में राहु पंचम या सप्तम भाव में बैठा हो तो जातक की कुंडली में लव मैरिज योग बनते हैं। परंतु ऐसी स्थिति में जातक का विवाह दूसरी जाति के लड़का/लड़की से होता है। 
  • यदि मंगल पंचम भाव में बैठा हो या फिर सतम भाव ki मेष राशि में मंगल हो तब भी लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनता हैं। यह एक मांगलिक दोष भी साथ में बना देता है इसलिए कुंडली मिलवाना अति आवश्यक है।
  • पंचम भाव के स्वामी या सप्तम भाव के स्वामी एक दूसरे के नक्षत्र में हों तो तब भी जातक की कुंडली में लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग ) बनते हैं। 
  • जातक की कुंडली में यदि विवाह कारक ग्रह पंचम भाव के साथ योग बनाता है तब भी लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग या इंटरकास्ट मैरिज योग ) बनते हैं। 
  •  यदि राहु की दृष्टि शुक्र या सप्तम भाव में पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में भी जातक की कुंडली में मजबूत लव मैरिज योग ( प्रेम विवाह योग – प्रेम विवाह योग इन कुंडली ) बनता है। 

लव मैरिज योग या इंटरकास्ट मैरिज योग भंग 

यदि लड़के और लड़की की कुंडली में लव मैरिज योग नही बन रहा है। तो हम आपको बताते हैं कि कुंडली में इन ग्रहों कि स्थिति अच्छी नही मानी जाती है। जिसके कारण लव मैरिज योग या इंटरकास्ट मैरिज योग नही बनता है। तो आइए बताते हैं किन ग्रहों कि स्थिति अच्छी नही होती है। 

  • जातक कि कुंडली में पंचम भाव या फिर शुक्र ग्रह पापी ग्रहों के साथ हो या मध्य हो तो ये लव मैरिज या इंटरकास्ट मैरिज होने में रुकावटें पैदा करते हैं। 
  • सूर्य चन्द्र का अमावश्य दोष किसी भी भाव में हो तो लव मैरिज में परेशानियाँ आती है और कई मामलों में तो बात बन ही नही पाती है।
  • पंचम भाव के स्वामी या फिर शुक्र ग्रह जिसे लव मैरिज का कारक ग्रह कहा जाता है वह लग्न भाव से छठे भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो लव मैरिज नही हो पाती है aur मैरिज ( विवाह ) के बाद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 
  • पंचम भाव का स्वामी या फिर सप्तम भाव का स्वामी लग्न और चन्द्र से षष्टम भाव, अष्टम भाव अथवा द्वादश भाव में बैठ जाएँ और शुभ ग्रहों से किसी भी तरह का संबंध न बनाएँ तो समझो प्रेमियों को अपने प्रेम जीवन का त्याग करना पड़ जाता है। 
  • यदि प्रेमी कि कुंडली में 11व भाव किसी पापी ग्रह के प्रभाव में पड़ जाए तो भी जातक कि लव मैरिज नही हो पाती है। 
  • यदि युवक कि कुंडली का शुक्र ग्रह युवती कि कुंडली के केतु ग्रह के साथ संबंध बना ले या फिर इसका उल्टा हो जैसे युवती कि कुंडली का शुक्र और युवक कि कुंडली का केतु संबंध बनाए तो ऐसे में समझो युवक युवती के प्रेम विवाह ( लव मैरिज ) में बाधाएँ उत्पन्न होती है जिससे प्रेम विवाह न होने का ज्यादा भय रहता है।  
  • कुंडली में शनि की दशा या केतु की दशा का होना भी लव मैरिज योग को भंग करवा देता है। 

कुंडली, प्रेम विवाह और ज्योतिष

आजकल लोग अक्सर ज्योतिष और कुंडली की सहायता से अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेना पसंद करते हैं। खासकर जब बात होती है प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज की।

“कुंडली से प्रेम विवाह कैसे पता चलेगा?” यह सवाल उन सभी जोड़ों के मन में होता है जो अपनी जीवन की इस नई यात्रा की शुरुआत करने जा रहे होते हैं।

कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे देखे? यह एक सामान्य प्रश्न है जिसका उत्तर ज्योतिषी आपकी जन्म की तारीख, समय और स्थान की मदद से दे सकता है। जन्म की तारीख से जाने कि आपकी अरेंज मैरिज होगी या लव मैरिज यह भी संभव है।

प्रेम विवाह की रेखा कौन सी है? यह सवाल अक्सर हाथ की रेखा देखकर भी पूछा जाता है। कुंडली में प्रेम विवाह होने के संकेत विशेष ग्रहों और भावों की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

अंतर्जातीय विवाह योग या दो विवाह के योग जैसे अन्य मुद्दे भी कुंडली में देखे जा सकते हैं। आजकल की युवा पीढ़ी को जानना है कि “जानिए आपकी शादी लव मैरिज होगी या अरेंज?” और इस सवाल का उत्तर भी उन्हें अपनी कुंडली में ही मिलता है।

संग्रह में, कुंडली और ज्योतिष विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन अंततः जीवन के निर्णय सही ज्योतिषी के परामर्श पर निर्भर करते हैं।